लुधियाना| पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवार भारत भूषण आशू ने देश में युद्ध की स्थिति के दौरान व्यापारियों पर जीएसटी छापों की निंदा की। पूर्व मंत्री आशू ने एक बयान में खुलासा किया कि चौड़ा बाजार सहित विभिन्न बाजारों के व्यापारियों ने उनसे संपर्क किया था और बताया था कि जीएसटी अधिकारी छापेमारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी दंडात्मक कार्रवाई के लिए इससे बुरा समय कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब देश पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा हुआ है और समाज के सभी वर्ग अपने-अपने तरीके से इसमें योगदान दे रहे हैं, ऐसे में जीएसटी संबंधी कदम उठाना उचित नहीं है।आशू ने कहा कि संकटपूर्ण एवं आपातकालीन स्थितियों के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में व्यापारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि उन्हें हमारे समर्थन की जरूरत है, उत्पीड़न की नहीं। उन्होंने जीएसटी विभाग से फिलहाल छापेमारी कार्रवाई रोकने की अपील की। उन्होंने जीएसटी अधिकारियों से आग्रह किया कि भारत-पाक मेंतनाव खत्म होने पर छापेमारी कर सकते हैं, क्योंकि व्यापारी कहीं नहीं जा रहे हैं। लुधियाना| पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवार भारत भूषण आशू ने देश में युद्ध की स्थिति के दौरान व्यापारियों पर जीएसटी छापों की निंदा की। पूर्व मंत्री आशू ने एक बयान में खुलासा किया कि चौड़ा बाजार सहित विभिन्न बाजारों के व्यापारियों ने उनसे संपर्क किया था और बताया था कि जीएसटी अधिकारी छापेमारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी दंडात्मक कार्रवाई के लिए इससे बुरा समय कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब देश पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा हुआ है और समाज के सभी वर्ग अपने-अपने तरीके से इसमें योगदान दे रहे हैं, ऐसे में जीएसटी संबंधी कदम उठाना उचित नहीं है।आशू ने कहा कि संकटपूर्ण एवं आपातकालीन स्थितियों के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में व्यापारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि उन्हें हमारे समर्थन की जरूरत है, उत्पीड़न की नहीं। उन्होंने जीएसटी विभाग से फिलहाल छापेमारी कार्रवाई रोकने की अपील की। उन्होंने जीएसटी अधिकारियों से आग्रह किया कि भारत-पाक मेंतनाव खत्म होने पर छापेमारी कर सकते हैं, क्योंकि व्यापारी कहीं नहीं जा रहे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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एकजुट होकर कोई काम करने से हासिल होती है सफलता : उषा
एकजुट होकर कोई काम करने से हासिल होती है सफलता : उषा लुधियाना सांस्कृतिक समागम (एलएसएस) सुनील कांत मुंजाल द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सांस्कृतिक संगठन, लुधियाना में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। एलएसएस सेरेंडिपिटी आर्ट्स द्वारा निर्मित थ्री दिवाज नामक एक शानदार संगीत कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। इस प्रदर्शन में प्रतिष्ठित गायिका उषा उत्थुप, शुभा मुदगल और अरुणा साईराम पहली बार एक साथ मंच साझा करेंगी, जिसका कार्यक्रम प्रशंसित तालवादक बिक्रम घोष द्वारा क्यूरेट किया गया है। क्यूरेटर बिक्रम घोष ने कहा कि थ्री दिवाज तीन महान आवाजों का एक रोमांचक संगम है। पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच… गायिका पदमश्री अरुणा साईराम ने कहा कि वह भले ही साउथ से हैं, लेकिन पंजाबी कल्चर को बहुत फॉलो करती हैं, क्योंकि पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच और खूबसूरत है। पंजाबी म्यूजिक, खाना और मेहमान नवाजी बहुत ही बेहतरीन है। इससे पहले अमृतसर और चंडीगढ़ में परफॉर्म करने का मौका मिला था, जिसका अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। मुझे पंजाबी फिल्में देखना भी बहुत पसंद है। गुरदास मान मेरे पसंदीदा पंजाबी गायक हैं। इस जुगलबंदी को लेकर बहुत उत्साहित हैं, क्योंकि हर किसी के गाने का तरीका एकदम जुदा है और हर कोई अपने-अपने अंदाज में ही मंच पर परफॉर्म करेगा। चेन्नई में बहुत ही अच्छी हिंदी सिखाई जाती है, जहां से सीखी इसलिए हिंदी में पकड़ मजबूत है। इस एक मंच में हम तीनों की अलग-अलग टीमें म्यूजिशियन की होंगी। ये संगीत उत्सव संगीत में विविधता की सुंदरता का एक शक्तिशाली प्रमाण साबित होगा। पारंपरिक कला को बढ़ावा दें… शास्त्रीय संगीत की जानी मानी गायिका पदमश्री शुभा मुदगल ने कहा कि 25 साल के बाद लुधियाना आकर बहुत अच्छा लग रहा है। आज भी भारतीय क्लासिकल संगीत सुनने वालों की संख्या कोई कम नहीं है। पहले जहां छोटे-छोटे जलसों में संगीत कार्यक्रम होते थे, वहीं आज बहुत बड़े-बड़े कॉन्सर्ट होते हैं। हालांकि हर कोई क्लासिकल का चाहने वाला नहीं हो सकता न ही किसी को फोर्स किया जा सकता है, लेकिन क्लासिकल ने आज भी अपनी जगह बनाई हुई है। पारंपरिक कला को बढ़ावा दिया जाए तो इसका चलन कभी कम नहीं होगा। इसके लिए समाज से स्वीकृति बहुत ज्यादा जरूरी है फिर चाहे क्लासिकल गायकी हो, गजल या फिर कव्वाली। मेरे लिए संगीत एक भाषा है, जिससे मैं जो बोलना चाहती हूं और बोलती हूं। पंजाब में दिलजीत दोसांझ को सुनना पसंद है, उन्होंने सबका दिल जीता हुआ है। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है, इसके जरिए आप लोगों के दिल में आसानी से जगह बना सकते हैं भारतीय इंडी पॉप और पार्श्वगायिका पदमभूषण उषा उत्थुप ने कहा कि मैं लुधियाना आकर बहुत खुश हूं। यहां आए हुए बहुत साल हो गए हैं, लेकिन मेरा देश और विदेश में सबसे बड़ा हिट गाना काली तेरी गुत्त ते परांदा तेरा लाल नी, 1969 में आसा सिंह मस्ताना का आज भी लोगों का पसंदीदा गाना है। संगीत बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। किसी भी गाने को क्लासिक होने में समय लगता है। एकजुट होकर कोई काम करने से सफलता जरूर हासिल होती है। 1969 में जब गाना शुरू किया तो माहौल बिल्कुल अलग था। मुझे खुशी है कि मैंने अपने ट्रेडिशनल पहनावे के साथ ही गानों का ट्रेंड बदला। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है। इससे आप सीधा लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। मुझे पंजाबी गायक गुरदास मान को सुनना बहुत पसंद है।

फाजिल्का में बजरंग दल कार्यकर्ताओं और तस्करों में झड़प:हेरोइन बेच रहे दो लोगों को पकड़ा, फोन करके साथियों को बुलाया, किया हमला
फाजिल्का में बजरंग दल कार्यकर्ताओं और तस्करों में झड़प:हेरोइन बेच रहे दो लोगों को पकड़ा, फोन करके साथियों को बुलाया, किया हमला फाजिल्का की माधव नगरी में नशा माफिया और बजरंग दल कार्यकर्ताओं के बीच झड़प का मामला सामने आया है। बजरंग दल फिरोजपुर विभाग के संयोजक मनीष स्वामी के अनुसार, उन्होंने माधव नगरी में हेरोइन बेच रहे दो व्यक्तियों को पकड़ा था। पकड़े गए एक व्यक्ति ने अपने साथियों को फोन करके बुलाया, जिन्होंने बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। मनीष स्वामी ने आरोप लगाया कि शहर में नशे का कारोबार जोरों पर है और इसका विरोध करना उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। उन्होंने बताया कि हमले के दौरान वे किसी तरह जान बचाकर भागे और पुलिस को सूचित किया। कार्रवाई ना होने पर शहर बंद कराने की चेतावनी बजरंग दल नेता ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस ने नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वे फाजिल्का शहर बंद करवाएंगे और धरना प्रदर्शन करेंगे। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी भगवान चंद ने कहा कि उन्होंने बजरंग दल से लिखित शिकायत मांगी है और आश्वासन दिया है कि जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

बाबा बालकनाथ मंदिर में 10 दिन में ₹2.82 करोड़ चढ़ावा:हिमाचल में हरियाणा-पंजाब से 2.53 लाख श्रद्धालु पहुंचे; 12 देशों की करेंसी भी दान की
बाबा बालकनाथ मंदिर में 10 दिन में ₹2.82 करोड़ चढ़ावा:हिमाचल में हरियाणा-पंजाब से 2.53 लाख श्रद्धालु पहुंचे; 12 देशों की करेंसी भी दान की हिमाचल के हमीरपुर में स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में चल रहे चैत्र मेले में हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। पिछले 10 दिन में यहां 2.3 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इस दौरान यहां 2, 82, 32,136 का चढ़ावा आया है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष और बड़सर के SDM राजेंद्र गौतम ने बताया कि 2 करोड़ 12 लाख 8 हजार 311 रुपए गुफा के अंदर और 70 लाख 23 हजार 825 रुपए दानपात्र में मिले हैं। इससे पहले 10 दिन में 2.25 करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा कभी नहीं चढ़ा। श्रद्धालुओं ने 81.95 ग्राम सोना, 1 किलो 219.09 ग्राम चांदी समेत 12 देशों की विदेशी करेंसी भी चढ़ाई। चैत्र मेला 14 मार्च से 13 अप्रैल तक चलेगा। श्रद्धालु 360 सीढ़ियां चढ़कर बाबा बालक नाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। कुछ श्रद्धालु यहां दंडवत भी आते हैं। कई देशों की विदेशी करेंसी आई
राजेंद्र गौतम ने आगे बताया कि मंदिर में विदेशी करेंसी भी चढ़ावे में आई है। इनमें 1 हजार 920 ब्रिटिश पाउंड, 1 हजार 448 अमेरिकी डॉलर, 1 हजार 270 यूरो, 10 हजार 946 कनाडाई डॉलर, 485 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, 1 हजार 930 यूएई दिरहम, 29 कतर रियाल, 15 सऊदी रियाल, 330 न्यूजीलैंड डॉलर, 110 सिंगापुर डॉलर, 8 बहरीन दीनार और 84 मलेशियाई रिंगित शामिल हैं। इनकी कीमत करीब सवा 12 लाख रुपए है। धौलागिरी पर्वत की पहाड़ियों में है गुफा
बाबा बालक नाथ मंदिर हमीरपुर से 45 किलोमीटर की दूरी पर हमीरपुर और बिलासपुर जिले की सीमा पर चकमोह गांव के दियोटसिद्ध नामक क्षेत्र में स्थित है। धौलगिरी पर्वत की पहाड़ियों पर एक प्राकृतिक गुफा में बाबा की प्रतिमा स्थापित है। वर्तमान में महंत श्री श्री 1008 राजेंद्र गिरि जी महाराज गद्दी पर विराजमान है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु गुफा में दर्शन के बाद महंत का भी आशीर्वाद लेने के लिए भी उनके निवास पर पहुंचते हैं। मान्यता है की गुफा दर्शनों के बाद गद्दीसीन महंत के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बाबा बालक नाथ मंदिर का इतिहास… बाबा बालक नाथ हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, जो गुरु दत्तात्रेय के प्रति अपनी भक्ति और अपने चमत्कारिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। किंवदंती के अनुसार, बाबा ने तीन वर्ष की आयु में अपना परिवार छोड़ दिया था और ऋषि नारद ने उन्हें गुरु दत्तात्रेय के मंत्रों का जाप करने के लिए निर्देशित किया था। जब बाबा चार वर्ष के थे, तब गुरु दत्तात्रेय ने उन्हें अपना शिष्य बनाया और वे चार-धाम यात्रा पर निकल पड़े। अपनी तीर्थयात्रा के दौरान, बाबा बनवाला में रुके और बाद में हिमाचल के शाहतलाई पहुंचे, जहां वे माता रत्नो के दत्तक पुत्र बने और उनकी गायों की देखभाल की। बाबा बालक नाथ ने बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए, योगाभ्यास करते हुए और भोजन में रत्नो माई से रोटी और लस्सी स्वीकार करते हुए 12 वर्ष बिताए। बारहवें वर्ष के अंत में गांव के लोगों की शिकायतें आने लगीं कि बाबा उनकी गायों की उपेक्षा कर रहे हैं और उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रत्नो माई ने स्वयं लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्राम प्रधान ने गायों द्वारा फसलों को हुए गंभीर नुकसान के लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से डांटा। तब रत्नो माई ने अपना धैर्य खो दिया और बाबा से उनकी लापरवाही की शिकायत की। यह सुनकर, बाबा उन्हें और गांव के मुखिया को उस खेत में ले गए जिसके बारे में वे शिकायत कर रहे थे, जहां उन्हें आश्चर्य हुआ कि फसलें चमत्कारिक रूप से पूर्ववत हो गई थीं। बाबा ने बरगद के वृक्ष के तने पर अपना चिमटा फेंका, जिसके नीचे वह पिछले 12 वर्षों से बैठे थे, और लकड़ी का एक टुकड़ा टूट गया, जिससे अंदर रोटियों का ढेर दिखाई देने लगा। उन्होंने अपना चिमटा जमीन में भी धंसाया और छाछ का झरना फूट पड़ा, जो शीघ्र ही छाछ का तालाब बन गया। यह तालाब आज भी शाहतलाई में देखा जा सकता है, जिससे इस स्थान का नाम पड़ा। आज, जिस स्थान पर पौराणिक बरगद का वृक्ष स्थित था, वहां एक खोखली संरचना है जिसे “खोखले वृक्ष के नीचे तपस्या की भूमि” कहा जाता है और बाबा बालक नाथ, गुगा चौहान और नाहर सिंह की मूर्तियों वाला एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि उस स्थान की मिट्टी पशुओं के पैर के रोगों के लिए एक प्रभावी औषधि है। बाबा बालक नाथ की कथा आस्था और भक्ति की शक्ति की याद दिलाती है और उनके चमत्कार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।