वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के तोशाखाने में खाली संदूक और आभूषणों के खाली डिब्बे मिलने का मामला राजनैतिक रंग लेने लगा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने X पर लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने सीएम योगी को लेटर लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि बांके बिहारी मंदिर के खजाने में पहले और दूसरे दिन क्या-क्या मिला। 18 अक्टूबर को पहले दिन क्या हुआ? बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद 18 अक्टूबर को खोला गया। ये खजाना 160 साल पुराना है। खजाने के गेट को खोलने से पहले दिनेश गोस्वामी ने दीपक जलाया। इसके बाद अफसरों की मौजूदगी में दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया। फिर, खजाने की पहचान के लिए तय कमेटी के सारे मेंबर एक-एक करके अंदर गए। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और चारों गोस्वामी शामिल रहे। सभी ने मास्क लगाकर एंट्री की। टीम को शनिवार की सर्चिंग में 2 बक्से (एक लोहे और दूसरा लकड़ी का) और 3 कलश मिले हैं। लकड़ी के बक्से के अंदर ज्वेलरी के छोटे-बड़े कई खाली डिब्बे मिले। 4-5 ताले भी निकले हैं। बक्से में 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पत्र और एक चांदी का छोटा छत्र भी मिला था। अगले दिन 19 अक्टूबर को क्या मिला? रविवार को दूसरे दिन भी खजाना खोला गया। लॉक मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटने के बाद टीम और कमेटी अंदर गई। यहां सीढ़ियों के जरिए नीचे जाने वाला तहखाना मिला। खजाने में मुख्य दरवाजे के अंदर बने एक कमरे में लकड़ी के दो संदूक मिले, एक बड़ा और दूसरा छोटा। इस संदूक में कई बर्तन, कीमती नग और सिक्के मिले थे। कमरे में लकड़ी का लगभग एक मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा बक्सा मिला। जिसमें सोने की चमचमाती छड़ी और गुलाल लगी हुई चांदी की 3 छड़ें मिलीं। टीम सीढ़ियों से नीचे उतरकर तहखाने में भी गई। एक-एक करके कमेटी के सभी सदस्य तहखाने में उतरे। तहखाना एकदम साफ मिला। वहां कुछ भी नहीं मिला। ठाकुर जी इन छड़ियों से होली खेलते थे खजाने के बारे में दिनेश गोस्वामी ने बताया- नीचे तहखाने तक सब क्लियर हो गया है। जो छड़ियां मिली हैं, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो ठाकुर जी ने होली में चांदी की छड़ियों से रंग खेला होगा। होली के 4-5 दिन बाद धुरेली पर सोने की छड़ी धारण की होगी। अब जानते हैं, बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने रिएक्शन दिया… अखिलेश यादव बोले- भाजपा सरकार मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे बांके बिहारी मंदिर में लकड़ी के बक्से और ज्वेलरी के छोटे-बड़े लगभग सभी खाली डिब्बे मिले। इस पर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए भाजपा सरकार पर तंज कसा। सपा प्रमुख ने पोस्ट में लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। फलाहारी बाबा बोले- पहले के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति जांचे मंदिर में कई वर्षों की दान की गई संपत्ति नहीं मिलने से गोवर्धन-श्रीकृष्ण जन्म भूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। फलाहारी बाबा ने कहा- मंदिर में भक्तों, राजा-महाराजाओं और आमजन ने वर्षों से करोड़ों की संपत्ति, हीरे-जवाहरात और आभूषण दान किए थे। लेकिन, अब उनके अभिलेख और संदूक खाली मिले हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सालों बाद खजाना खोले जाने की क्या जरूरत थी। इसके पीछे कौन लोग हैं। हमारी मांग है कि उस समय के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति की भी जांच की जाए। गोस्वामी ने खजाना खोले जाने की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई खजाना खोले जाने की प्रक्रिया को लेकर अनंत गोस्वामी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि लाइव के लिए टीवी नहीं लगाई गई। वीडियो रिकॉर्डिंग से क्या होगा? अनंत गोस्वामी से मीडिया ने सवाल पूछा- गोस्वामी जी, आप कमेटी के मेंबर हैं, आप क्यों बाहर हैं। इस पर गोस्वामी बोले- हमें शामिल ही नहीं किया गया। हमें क्या मीडिया को भी कवरेज नहीं करने दिया। आप लोगों के लिए लाइव चलना चाहिए था। अंदर क्या हो रहा है, ये हम लोगों का क्या पता। अंदर क्या निकल रहा है, क्या नहीं निकल रहा है। कैसे पता लगेगा। हम लोग भी अंदर नहीं जा पा रहे हैं। हमारे यहां होने का क्या मतलब है। मंदिर का जो पैसा है, उसे लाइव दिखाना चाहिए था। किस गोस्वामी को अंदर ले जाया गया है हमें कुछ पता ही नहीं है। कौन सी हाईपावर कमेटी अंदर गई है, किसी को नहीं पता। मनोज गोस्वामी बोले- गेट मत खोलो, अंदर दाढ़ी वाला नाग बैठा है मनोज गोस्वामी बोले- मंदिर की मर्यादा को मत तोड़ो। भक्तों को कोई परेशानी न हो। मंदिर की व्यवस्था बढ़िया से चलती रहे। हम हर तरह से तैयार है। 50 साल में कभी ये गेट नहीं खुला। ये पत्थर का गेट है। हम बचपन से सुनते आए हैं कि इसमें एक बड़ा विशाल दाढ़ी वाला नाग है। इसमें बिहारी जी का खजाना है। यहां मर्यादा भंग हो रही है, ये गेट खुलना नहीं चाहिए। ये कुबेर का खजाना है। ये हमारी चंदन वाली कोठी है। इस गेट को मत खोलो। आगे तुम्हारी मर्जी है। आज धन का दिन धनतेरस है। कुबेर का दिन है आगे तुम्हारी मर्जी है। …………………….. पढ़ें पूरी खबर… अयोध्या में योगी ने श्रीराम का रथ खींचा, VIDEO:राम मंदिर में CM ने दीप जलाए; काली बनीं कलाकार का तांडव अयोध्या में आज 9वां दीपोत्सव मनाया जा रहा है। सीएम योगी ने राम मंदिर में दीप जलाए। इसके बाद दीपोत्सव की शुरुआत की। इसी के साथ राम की पैड़ी पर दीये जलाने का काम शुरू हो गया है। इससे पहले साकेत महाविद्यालय से 22 झांकियां और शोभायात्रा निकाली गई। तीन किमी की दूरी तक कर शोभायात्रा रामकथा पार्क पहुंची। 22 झांकियों में 7 रामायण कांडों पर आधारित रहीं। अन्य झांकियां महाकुंभ, महिला शक्ति और यूपी सरकार की प्रमुख योजनाओं पर आधारित रहीं। मां काली के रौद्र रूप में असम से आए कलाकार ने जमकर तांडव किया। सड़क पर आग के गोलों में नृत्य किया। मुकुट से आग की लपटें निकलीं तो लोग दंग रह गए।…पढ़ें पूरी खबर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के तोशाखाने में खाली संदूक और आभूषणों के खाली डिब्बे मिलने का मामला राजनैतिक रंग लेने लगा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने X पर लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने सीएम योगी को लेटर लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि बांके बिहारी मंदिर के खजाने में पहले और दूसरे दिन क्या-क्या मिला। 18 अक्टूबर को पहले दिन क्या हुआ? बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद 18 अक्टूबर को खोला गया। ये खजाना 160 साल पुराना है। खजाने के गेट को खोलने से पहले दिनेश गोस्वामी ने दीपक जलाया। इसके बाद अफसरों की मौजूदगी में दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया। फिर, खजाने की पहचान के लिए तय कमेटी के सारे मेंबर एक-एक करके अंदर गए। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और चारों गोस्वामी शामिल रहे। सभी ने मास्क लगाकर एंट्री की। टीम को शनिवार की सर्चिंग में 2 बक्से (एक लोहे और दूसरा लकड़ी का) और 3 कलश मिले हैं। लकड़ी के बक्से के अंदर ज्वेलरी के छोटे-बड़े कई खाली डिब्बे मिले। 4-5 ताले भी निकले हैं। बक्से में 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पत्र और एक चांदी का छोटा छत्र भी मिला था। अगले दिन 19 अक्टूबर को क्या मिला? रविवार को दूसरे दिन भी खजाना खोला गया। लॉक मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटने के बाद टीम और कमेटी अंदर गई। यहां सीढ़ियों के जरिए नीचे जाने वाला तहखाना मिला। खजाने में मुख्य दरवाजे के अंदर बने एक कमरे में लकड़ी के दो संदूक मिले, एक बड़ा और दूसरा छोटा। इस संदूक में कई बर्तन, कीमती नग और सिक्के मिले थे। कमरे में लकड़ी का लगभग एक मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा बक्सा मिला। जिसमें सोने की चमचमाती छड़ी और गुलाल लगी हुई चांदी की 3 छड़ें मिलीं। टीम सीढ़ियों से नीचे उतरकर तहखाने में भी गई। एक-एक करके कमेटी के सभी सदस्य तहखाने में उतरे। तहखाना एकदम साफ मिला। वहां कुछ भी नहीं मिला। ठाकुर जी इन छड़ियों से होली खेलते थे खजाने के बारे में दिनेश गोस्वामी ने बताया- नीचे तहखाने तक सब क्लियर हो गया है। जो छड़ियां मिली हैं, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो ठाकुर जी ने होली में चांदी की छड़ियों से रंग खेला होगा। होली के 4-5 दिन बाद धुरेली पर सोने की छड़ी धारण की होगी। अब जानते हैं, बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने रिएक्शन दिया… अखिलेश यादव बोले- भाजपा सरकार मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे बांके बिहारी मंदिर में लकड़ी के बक्से और ज्वेलरी के छोटे-बड़े लगभग सभी खाली डिब्बे मिले। इस पर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए भाजपा सरकार पर तंज कसा। सपा प्रमुख ने पोस्ट में लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। फलाहारी बाबा बोले- पहले के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति जांचे मंदिर में कई वर्षों की दान की गई संपत्ति नहीं मिलने से गोवर्धन-श्रीकृष्ण जन्म भूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। फलाहारी बाबा ने कहा- मंदिर में भक्तों, राजा-महाराजाओं और आमजन ने वर्षों से करोड़ों की संपत्ति, हीरे-जवाहरात और आभूषण दान किए थे। लेकिन, अब उनके अभिलेख और संदूक खाली मिले हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सालों बाद खजाना खोले जाने की क्या जरूरत थी। इसके पीछे कौन लोग हैं। हमारी मांग है कि उस समय के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति की भी जांच की जाए। गोस्वामी ने खजाना खोले जाने की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई खजाना खोले जाने की प्रक्रिया को लेकर अनंत गोस्वामी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि लाइव के लिए टीवी नहीं लगाई गई। वीडियो रिकॉर्डिंग से क्या होगा? अनंत गोस्वामी से मीडिया ने सवाल पूछा- गोस्वामी जी, आप कमेटी के मेंबर हैं, आप क्यों बाहर हैं। इस पर गोस्वामी बोले- हमें शामिल ही नहीं किया गया। हमें क्या मीडिया को भी कवरेज नहीं करने दिया। आप लोगों के लिए लाइव चलना चाहिए था। अंदर क्या हो रहा है, ये हम लोगों का क्या पता। अंदर क्या निकल रहा है, क्या नहीं निकल रहा है। कैसे पता लगेगा। हम लोग भी अंदर नहीं जा पा रहे हैं। हमारे यहां होने का क्या मतलब है। मंदिर का जो पैसा है, उसे लाइव दिखाना चाहिए था। किस गोस्वामी को अंदर ले जाया गया है हमें कुछ पता ही नहीं है। कौन सी हाईपावर कमेटी अंदर गई है, किसी को नहीं पता। मनोज गोस्वामी बोले- गेट मत खोलो, अंदर दाढ़ी वाला नाग बैठा है मनोज गोस्वामी बोले- मंदिर की मर्यादा को मत तोड़ो। भक्तों को कोई परेशानी न हो। मंदिर की व्यवस्था बढ़िया से चलती रहे। हम हर तरह से तैयार है। 50 साल में कभी ये गेट नहीं खुला। ये पत्थर का गेट है। हम बचपन से सुनते आए हैं कि इसमें एक बड़ा विशाल दाढ़ी वाला नाग है। इसमें बिहारी जी का खजाना है। यहां मर्यादा भंग हो रही है, ये गेट खुलना नहीं चाहिए। ये कुबेर का खजाना है। ये हमारी चंदन वाली कोठी है। इस गेट को मत खोलो। आगे तुम्हारी मर्जी है। आज धन का दिन धनतेरस है। कुबेर का दिन है आगे तुम्हारी मर्जी है। …………………….. पढ़ें पूरी खबर… अयोध्या में योगी ने श्रीराम का रथ खींचा, VIDEO:राम मंदिर में CM ने दीप जलाए; काली बनीं कलाकार का तांडव अयोध्या में आज 9वां दीपोत्सव मनाया जा रहा है। सीएम योगी ने राम मंदिर में दीप जलाए। इसके बाद दीपोत्सव की शुरुआत की। इसी के साथ राम की पैड़ी पर दीये जलाने का काम शुरू हो गया है। इससे पहले साकेत महाविद्यालय से 22 झांकियां और शोभायात्रा निकाली गई। तीन किमी की दूरी तक कर शोभायात्रा रामकथा पार्क पहुंची। 22 झांकियों में 7 रामायण कांडों पर आधारित रहीं। अन्य झांकियां महाकुंभ, महिला शक्ति और यूपी सरकार की प्रमुख योजनाओं पर आधारित रहीं। मां काली के रौद्र रूप में असम से आए कलाकार ने जमकर तांडव किया। सड़क पर आग के गोलों में नृत्य किया। मुकुट से आग की लपटें निकलीं तो लोग दंग रह गए।…पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूपी में अयोध्या दीपोत्सव, उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव:धामी का दावा- 4 साल में पहुंचे 24 करोड़ श्रद्धालु, मंदिरों का हो रहा विकास
यूपी में अयोध्या दीपोत्सव, उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव:धामी का दावा- 4 साल में पहुंचे 24 करोड़ श्रद्धालु, मंदिरों का हो रहा विकास उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस बार दीपोत्सव तो मनाया जाएगा लेकिन दोनों का अंदाज अलग होगा। एक ओर उत्तरप्रदेश सरकार इस बार दीपोत्सव में ग्रीन आतिशबाज़ी’ से अयोध्या को जगमगाने की तैयारी में है तो वहीं उत्तराखंड सरकार ने इस बार “विकास दीपोत्सव” मनाने की परंपरा शुरू की है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है, ट्वीट में उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा- उत्तराखंड मना रहा है विकास का दीपोत्सव, हमारी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों पर किए गए समग्र विकास कार्यों के परिणामस्वरूप लगभग प्रत्येक तीर्थस्थल पर श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या पहुंच रही है। दोनों राज्यों के कार्यक्रमों में मुख्य अंतर यह है कि यूपी में यह दीपोत्सव भव्यता और पर्यावरण के संतुलन का संदेश दे रहा है, जबकि उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव के माध्यम से पर्यटन, सुरक्षा और तीर्थाटन के स्तर को बढ़ाया जा रहा है। पहले सरयू तट पर होने वाले दीपोत्सव के बारे में जानिए… अयोध्या दीपोत्सव 2025 इस बार न केवल आस्था और भव्यता का प्रतीक बनेगा, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील नवाचार का भी संदेश देगा। 19 अक्टूबर को सरयू तट पर जब असंख्य दिये जलेंगे और आकाश में ग्रीन आतिशबाज़ी का दिव्य दृश्य खिलेगा, तो धुआँ और प्रदूषण की जगह केवल स्वच्छ प्रकाश फैलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन के लिए विशेष रूप से ग्रीन पटाखों और इको-आतिशबाज़ी तकनीक अपनाने के निर्देश दे दिए हैं। इसमें पारंपरिक रासायनिक तत्वों की जगह कम-कार्बन और कम-धुआं उत्सर्जित करने वाले यौगिकों का प्रयोग किया जाएगा। परिणामस्वरूप, यह दीपोत्सव न केवल आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का भी संदेश देगा। सरयू के ऊपर खिलेगा “ग्रीन सूर्य”, जो न तो धुआं उत्पन्न करेगा और न ही शोर करेगा। लाखों मिट्टी और गोबर मिश्रित बायोडिग्रेडेबल दीये जलेंगे, जिससे स्थानीय कुम्हार और ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी। उत्तराखंड में सरकार क्यों मना रही विकास दीपोत्सव, हर धाम के विकास से समझिए… केदारनाथ केदारनाथ में करीब 500 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य चल रहे हैं। पहले चरण में 125 करोड़, दूसरे में 200 करोड़ और तीसरे चरण में 175 करोड़ का काम शामिल है। तीसरे चरण का निर्माण वर्तमान में प्रगति पर है। सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच भारत का पहला ट्राई-केबल रोपवे बनने की योजना है। यह 12.9 किलोमीटर लंबा होगा और श्रद्धालु केवल 36 मिनट में सफर पूरा कर सकेंगे। यह रोपवे सुरक्षा और आधुनिक तकनीक के मामले में दुनिया में सबसे आगे होगा। बद्रीनाथ बद्रीनाथ में मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य चल रहे हैं, जिनकी अनुमानित लागत लगभग 600 करोड़ रुपए है। 2025-26 के बजट में मंदिर समिति को 127 करोड़ रुपए आवंटित थे, जिनमें से 64 करोड़ रुपए का उपयोग बद्रीनाथ मंदिर के विकास में किया गया। सरकार चरणबद्ध तरीके से निर्माण कर रही है और बढ़ती तीर्थाटन संख्या को देखते हुए यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। यमुनोत्री यमुनोत्री धाम तक पैदल यात्रा मार्ग को वैष्णो देवी मार्ग की तरह सुरक्षित और आधुनिक बनाने की योजना है। 170 करोड़ की लागत से एक रूप परियोजना शुरू हुई है, जिसकी लंबाई लगभग 3.9 किलोमीटर है। इस परियोजना से यात्रियों के लिए पैदल मार्ग अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और तीर्थाटन के अनुकूल होगा। गंगोत्री गंगोत्री धाम में सड़क मरम्मत, बिजली आपूर्ति और तीर्थाटन सुविधाओं का विकास किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि तीर्थ यात्री आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्राप्त कर सकें।सरकार ने गंगोत्री में बुनियादी ढांचे का नया रूप देते हुए, तीर्थाटन की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दी है। धामों के विकास से लोगों को मिल रहा रोजगार उत्तराखंड में पिछले चार वर्षों में सरकार के प्रचार और निवेश के कारण लगभग 25 करोड़ श्रद्धालु प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर पहुंचे हैं।बढ़ती तीर्थाटन संख्या ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आजीविका के नए अवसर सृजित किए हैं। पंच केदार के प्रचार प्रसार के प्रयासों से तीर्थ यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य अलग लेकिन मुखियाओं की जन्मभूमि एक पुष्कर सिंह धामी कुमाउं मंडल में आने वाले पिथौरागढ़ जिले के टुंडी गांव से हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन प्रबंधन और एलएलबी की पढ़ाई की और 2021 में प्रदेश के सीएम बन गए। तो वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जन्मभूमि भी उत्तराखंड ही है, वह गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचुर गांव में जन्में हैं। उनकी पढ़ाई भी उत्तराखंड में ही हुई है, हालांकि संन्यास लेने के बाद वह गोरखनाथ मठ के महंत बन गए और अब दूसरी बार उत्तरप्रदेश के सीएम हैं।

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