प्रयागराज की विद्योत्तमा सिंह अपने पति के लिए चित्रकूट में विशाल कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रही हैं। यह परिक्रमा चलते हुए नहीं, लेटकर कर रही हैं। वजह ,हैं उनके पति। विद्योत्तमा और श्याम नंदन सिंह पटेल की शादी 2012 में हुई थी। 2014 में एक बेटा भी हो गया। श्याम एमए-बीएड करने के बाद भी बेरोजगार थे। भर्ती निकलती तो कभी 1 नंबर से तो कभी 2 नंबर से छंट जाते थे। सिलेक्शन ही नहीं होता था। 2019 में विद्योत्तमा सिंह ने चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के सामने हाथ जोड़े। मनोकामना मांगी कि पति की नौकरी लग जाएगी, तो मैं कामदगिरि पर्वत की तीन बार लेटकर परिक्रमा करूंगी। भगवान ने सुन लिया। नवंबर, 2021 में टीजीटी के जरिए टीचर बन गए। विद्योत्तमा की मनोकामना पूरी हो गई। पति के टीचर बनते ही विद्योत्तमा ने पहली बार परिक्रमा की। इसके बाद अब फिर से परिक्रमा कर रही हैं। विद्योत्तमा सिंह कहती हैं- हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। हम प्रेम से रहते हैं। टीवी-अखबार में पति-पत्नियों के झगड़े देखते हैं, तो अजीब लगता है। हम तो यही चाहते हैं कि सब पति-पत्नी हमारे जैसे मिल-जुलकर रहें। विद्योत्तमा ने परिक्रमा के दौरान अपनी बातों को हमारे साथ साझा किया है। देखिए VIDEO… प्रयागराज की विद्योत्तमा सिंह अपने पति के लिए चित्रकूट में विशाल कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रही हैं। यह परिक्रमा चलते हुए नहीं, लेटकर कर रही हैं। वजह ,हैं उनके पति। विद्योत्तमा और श्याम नंदन सिंह पटेल की शादी 2012 में हुई थी। 2014 में एक बेटा भी हो गया। श्याम एमए-बीएड करने के बाद भी बेरोजगार थे। भर्ती निकलती तो कभी 1 नंबर से तो कभी 2 नंबर से छंट जाते थे। सिलेक्शन ही नहीं होता था। 2019 में विद्योत्तमा सिंह ने चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के सामने हाथ जोड़े। मनोकामना मांगी कि पति की नौकरी लग जाएगी, तो मैं कामदगिरि पर्वत की तीन बार लेटकर परिक्रमा करूंगी। भगवान ने सुन लिया। नवंबर, 2021 में टीजीटी के जरिए टीचर बन गए। विद्योत्तमा की मनोकामना पूरी हो गई। पति के टीचर बनते ही विद्योत्तमा ने पहली बार परिक्रमा की। इसके बाद अब फिर से परिक्रमा कर रही हैं। विद्योत्तमा सिंह कहती हैं- हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। हम प्रेम से रहते हैं। टीवी-अखबार में पति-पत्नियों के झगड़े देखते हैं, तो अजीब लगता है। हम तो यही चाहते हैं कि सब पति-पत्नी हमारे जैसे मिल-जुलकर रहें। विद्योत्तमा ने परिक्रमा के दौरान अपनी बातों को हमारे साथ साझा किया है। देखिए VIDEO… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में मां-बाप ने बच्ची को ठुकराया, अब पहुंची विदेश:6 महीने की मासूम सड़क किनारे मिली थी, अमेरिका के दंपती ने किया अडॉप्ट
लुधियाना में मां-बाप ने बच्ची को ठुकराया, अब पहुंची विदेश:6 महीने की मासूम सड़क किनारे मिली थी, अमेरिका के दंपती ने किया अडॉप्ट पंजाब के लुधियाना में मां-बाप ने बच्ची को सड़क पर लावारिस हाल में छोड़ा और भाग गए। लोगों को बच्ची मिली, कोई वारिस नहीं आया तो प्रशासन ने उसे लुधियाना के दोराहा स्थित हेवनली पैलेस में भेज दिया। 6 महीने की मासूम बच्ची वहां पर रोती रही और फिर उसे पता लग गया कि अब यही उसका ठिकाना है। बच्ची की किस्मत ऐसी निकली कि 1 साल बाद उसे अडॉप्ट करने अमेरिका का दंपती पहुंच गया। सारी लीगल फॉर्मेलिटीज पूरी करके अमेरिका का दंपती उसे हेवनली पैलेस से अमेरिका ले गया। बच्ची वहां पर पल-बढ़ रही है। जिला प्रशासन लगातार बच्ची के पालन पोषण का फीडबैक लगातार अमेरिकन एंबेसी के जरिए लेता है। CARA के जरिए किया अडॉप्ट
अमेरिका के दंपती के तीन बेटे हैं और वो बेटी चाहते थे। उन्होंने भारत सरकार की सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की वेबसाइट के जरिए गर्ल चाइल्ड के लिए अप्लाई किया। CARA ने उन्हें लुधियाना के हेवनली पैलेस में पल रही डेढ़ साल बच्ची को देने की पेशकश की। अमेरिका का दंपती लुधियाना आया और उन्होंने बच्ची को देखा और अथॉरिटी के जरिए उसे अडॉप्ट कर दिया। नवंबर 2023 में मिली थी बच्ची, जून 2025 में विदेश पहुंच गई बच्ची लुधियाना प्रशासन की तरफ से बनाई गई बाल भलाई कमेटी को नवंबर 2023 में मिली थी। बच्ची का मेडिकल करवाने के बाद उसे हेवनली पैलेस प्रबंधन के हवाले कर दिया। एक साल सात महीने बच्ची हेवनली पैलेस में पली बढ़ी और जून 2025 में वो अमेरिका पहुंच गई। चार घरों को लक्ष्मी सौंप चुका है हेवनली पैलेस
लुधियाना का हेवनली पैलेस 2023 से अब तक चार घरों को लक्ष्मी (बेटियों) सौंप चुका है। यहां से बेटियां ले जाने वालों में अमेरिका के दंपती के अलावा पश्चिम बंगाल, अमृतसर और होशियारपुर के 3 परिवार भी शामिल हैं। प्रशासन इन सभी बच्चियों के पालन- पोषण पर लगातार नजर रख रहा है। चार और नवजात बच्चियां पल रहीं
हेवनली पैलेस में चार नवजात बच्चियां और पल रही हैं। ये सभी बच्चियां लुधियाना जिला बाल भलाई कमेटी के जरिए यहां पहुंची हैं। इन बच्चियों को भी अब किसी के घर की लक्ष्मी बनने का इंतजार है। इन सभी बच्चियों की उम्र छह माह के आसपास है। गवर्नर ने भी बच्चियों को गोद में उठाया था
कुछ दिन पहले पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया ने हेवनली पैलेस का दौरा किया तो उस समय उन्होंने इन बच्चियों को गोद में रखा था। बच्चियां गवर्नर की गोद में आने पर खुश हुईं तो वो भावुक हो गए थे और उन्होंने कहा था कि इन बच्चियों की किस्मत किसी अच्छी जगह पर पहुंचने की है। इसलिए इनके मां बाप ने इन्हें छोड़ा है। हर साल नवरात्र में कन्या पूजन समारोह होता है
हेवनली पैलेस के संस्थापक अनिल के मोंगा अमेरिका में रहते हैं और वो हर साल अप्रैल व अक्टूबर में आने वाले नवरात्रों में लुधियाना आते हैं और 9-9 दिन तक हेवनली पैलेस में दुर्गा पूजन करवाते हैं। इस दौरान यहां पल रही कन्याओं का पूजन करते हैं। अनिल के. मोंगा का कहना है कि उनका मकसद उन बच्चों को एक अच्छी जिंदगी देना है जिन्हें उनके मां-बाप त्याग देते हैं। 134 बच्चे पल रहे हैं यहां
हेवनली पैलेस में इस समय 134 बच्चे हैं। यहां रहने वाले बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की गई है। इस साल दो बच्चों को पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में दाखिला मिला है। दोनों बीकॉम कर रहे हैं और उन्हें स्कॉलरशिप के आधार पर दाखिला मिला है।
