भारत ने एक्सपोर्ट किया 2.7 मिलियन टन चावल:पाकिस्तान से छह गुना आगे, 170 देशों में बासमती की खुशबू

भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक के सिर्फ पांच महीनों में देश ने 2.7 मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के मुकाबले चार लाख टन ज्यादा है। जहां पाकिस्तान महज एक मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करता है, वहीं भारत छह मिलियन टन से अधिक एक्सपोर्ट कर रहा है। इस बार एक्सपोर्टर्स ने 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है। विश्वभर में बासमती के उत्पादन और एक्सपोर्ट की बात करें तो यह केवल दो देशों- भारत और पाकिस्तान तक सीमित है। लेकिन एक्सपोर्ट की मात्रा में भारत, पाकिस्तान से छह गुना आगे निकल चुका है। पाकिस्तान हर साल केवल एक मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत 6 मिलियन टन तक का निर्यात कर चुका है। अब इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में लक्ष्य 6.5 मिलियन टन तक पहुंचने का रखा गया है। हरियाणा का कितना और करनाल का कितना योगदान सतीश गोयल ने बताया कि एक्सपोर्ट में 35-40% योगदान हरियाणा का है। इसमें अगर करनाल जिले की बात की जाये तो वह करीब 70 प्रतिशत है। वही अमेरिका को टोटल वॉल्यूम का 5 प्रतिशत भी एक्सपोर्ट नहीं होता। जैसा कि अमेरिका ने जबरदस्ती हमारे ऊपर 50% का टेरिफ लगा दिया, अगर अमेरिका चावल नहीं भी लेगा तो भी हमारे एक्सपोर्टर्स को या फार्मर को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर अमेरिका को 2 या अढ़ाई लाख टन माल नहीं जाएगा तो भी कोई असर नहीं। U.S टेरिफ़ के बाद हमने नई नई कंट्रीज की तलाश शुरू कर दी है। हाल ही में भारत सरकार के साथ हमारी एसोसिएशन जापान गई थी और उम्मीद है कि जापान के लोगों को भी हमारे बासमती चावल की महक पसंद आएगी। हमारा जितना भी टारगेट है उसको हम अचीव करेंगे। बासमती सिर्फ 2 ही देशों के पास है-हिंदुस्तान और पाकिस्तान। पाकिस्तान हमारे सामने बच्चा है। अगर सरकार की भूमिका की बात करे तो बीते दस सालों में हमारा एक्सपोर्ट दोगुना हो चुका है-क़ीमत वाइज भी और कवांटिटी वाइज भी।
बासमती फ़सल का हर साल होता है सेटेलाइट सर्वेंकरनाल के नूर महल में राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन की जरनल बॉडी की मीटिंग हुई थी। जिसकी अध्यक्षता अपेडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने की थी। इस मीटिंग में पुरे हिंदुस्तान के 150 से पौने 200 एक्सपोर्टस शामिल हुए थे। पुरे देश में जो बासमती की फ़सल पैदा होती हैं, उसका एक सर्वें करवाया जाता है, यह सर्वें सेटेलाइट से भी होता है और फीड सर्वें भी होता है, यह सर्वें अवनिक कंपनी द्वारा किया गया था, जिसको हमने हायर किया था। उसकी जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार पंजाब में फल्ड के कारण तो थोड़ा नुकसान जरूर हुआ था, लेकिन ओवरआल डाटा देखे तो ज्यादा नुकसान नहीं है, वह केवल एक प्रतिशत है।

पांच महीनों में 4 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेजीडेंट सतीश गोयल के अनुसार, 1 अप्रैल से 30 अगस्त 2025 तक 2.7 मिलियन टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.3 मिलियन टन एक्सपोर्ट किया गया था। यानी केवल पांच महीनों में चार लाख टन की वृद्धि दर्ज हुई। यह भारत के बासमती उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। पिछले साल तोड़ा गया एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड साल 2024-25 में भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। उस वित्तीय वर्ष में 6 मिलियन टन बासमती का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि उससे पिछले साल यानी 2023-24 में यह आंकड़ा केवल 5 मिलियन टन था। यानी एक ही साल में एक मिलियन टन की बढ़ोतरी दर्ज हुई। उद्योग के जानकारों के मुताबिक, सरकारी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय मांग में लगातार वृद्धि की वजह से एक्सपोर्ट में यह उछाल आया है। अमेरिका में टैरिफ बढ़ाए जाने के बावजूद बना रहेगा एक्सपोर्ट स्तर अमेरिका में टैरिफ बढ़ने के बावजूद भारतीय बासमती की मांग में कोई गिरावट नहीं आई है। पिछले वर्ष जहां टैरिफ लागू नहीं था, तब भी भारत ने 2 लाख 70 हजार टन एक्सपोर्ट किया था। अब टैरिफ लगने के बावजूद राइस एक्सपोर्टर्स को उम्मीद है कि इस वर्ष भी उतनी ही मात्रा यानी 2 लाख 70 मिलियन टन बासमती अमेरिका भेजा जाएगा। 170 देशों तक पहुंची भारतीय बासमती की खुशबू सतीश गोयल के अनुसार, भारत का बासमती अब 170 देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। इनमें सऊदी अरब, ईरान और इराक प्रमुख देश हैं। अकेले सऊदी अरब में हर साल करीब 1 मिलियन टन बासमती चावल भेजा जाता है, जबकि ईरान और इराक मिलाकर 2 मिलियन टन का एक्सपोर्ट होता है। इन तीन देशों में कुल 3 मिलियन टन चावल की डिलीवरी होती है, जो भारत के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा हिस्सा है। सरकारी नीतियों से बढ़ी एक्सपोर्ट क्षमता बासमती एक्सपोर्ट में इस तेजी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को दिया जा रहा है। राइस एक्सपोर्टर्स के अनुसार, केंद्र सरकार की अनुकूल नीतियों, स्थिर विदेशी व्यापार नीति और क्वालिटी कंट्रोल पर फोकस के कारण भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी साख मजबूत की है। यही कारण है कि आज भारत 170 देशों में बासमती का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। अगले साल 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य तय 2025-26 में भारत ने 6.5 मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करने का टारगेट रखा है। राइस एक्सपोर्टर्स को भरोसा है कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। बढ़ती वैश्विक मांग, क्वालिटी में सुधार और सरकार की नीतिगत स्थिरता से बासमती उद्योग को लगातार बूस्ट मिल रहा है। भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक के सिर्फ पांच महीनों में देश ने 2.7 मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के मुकाबले चार लाख टन ज्यादा है। जहां पाकिस्तान महज एक मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करता है, वहीं भारत छह मिलियन टन से अधिक एक्सपोर्ट कर रहा है। इस बार एक्सपोर्टर्स ने 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है। विश्वभर में बासमती के उत्पादन और एक्सपोर्ट की बात करें तो यह केवल दो देशों- भारत और पाकिस्तान तक सीमित है। लेकिन एक्सपोर्ट की मात्रा में भारत, पाकिस्तान से छह गुना आगे निकल चुका है। पाकिस्तान हर साल केवल एक मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत 6 मिलियन टन तक का निर्यात कर चुका है। अब इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में लक्ष्य 6.5 मिलियन टन तक पहुंचने का रखा गया है। हरियाणा का कितना और करनाल का कितना योगदान सतीश गोयल ने बताया कि एक्सपोर्ट में 35-40% योगदान हरियाणा का है। इसमें अगर करनाल जिले की बात की जाये तो वह करीब 70 प्रतिशत है। वही अमेरिका को टोटल वॉल्यूम का 5 प्रतिशत भी एक्सपोर्ट नहीं होता। जैसा कि अमेरिका ने जबरदस्ती हमारे ऊपर 50% का टेरिफ लगा दिया, अगर अमेरिका चावल नहीं भी लेगा तो भी हमारे एक्सपोर्टर्स को या फार्मर को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर अमेरिका को 2 या अढ़ाई लाख टन माल नहीं जाएगा तो भी कोई असर नहीं। U.S टेरिफ़ के बाद हमने नई नई कंट्रीज की तलाश शुरू कर दी है। हाल ही में भारत सरकार के साथ हमारी एसोसिएशन जापान गई थी और उम्मीद है कि जापान के लोगों को भी हमारे बासमती चावल की महक पसंद आएगी। हमारा जितना भी टारगेट है उसको हम अचीव करेंगे। बासमती सिर्फ 2 ही देशों के पास है-हिंदुस्तान और पाकिस्तान। पाकिस्तान हमारे सामने बच्चा है। अगर सरकार की भूमिका की बात करे तो बीते दस सालों में हमारा एक्सपोर्ट दोगुना हो चुका है-क़ीमत वाइज भी और कवांटिटी वाइज भी।
बासमती फ़सल का हर साल होता है सेटेलाइट सर्वेंकरनाल के नूर महल में राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन की जरनल बॉडी की मीटिंग हुई थी। जिसकी अध्यक्षता अपेडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने की थी। इस मीटिंग में पुरे हिंदुस्तान के 150 से पौने 200 एक्सपोर्टस शामिल हुए थे। पुरे देश में जो बासमती की फ़सल पैदा होती हैं, उसका एक सर्वें करवाया जाता है, यह सर्वें सेटेलाइट से भी होता है और फीड सर्वें भी होता है, यह सर्वें अवनिक कंपनी द्वारा किया गया था, जिसको हमने हायर किया था। उसकी जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार पंजाब में फल्ड के कारण तो थोड़ा नुकसान जरूर हुआ था, लेकिन ओवरआल डाटा देखे तो ज्यादा नुकसान नहीं है, वह केवल एक प्रतिशत है।

पांच महीनों में 4 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेजीडेंट सतीश गोयल के अनुसार, 1 अप्रैल से 30 अगस्त 2025 तक 2.7 मिलियन टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.3 मिलियन टन एक्सपोर्ट किया गया था। यानी केवल पांच महीनों में चार लाख टन की वृद्धि दर्ज हुई। यह भारत के बासमती उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। पिछले साल तोड़ा गया एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड साल 2024-25 में भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। उस वित्तीय वर्ष में 6 मिलियन टन बासमती का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि उससे पिछले साल यानी 2023-24 में यह आंकड़ा केवल 5 मिलियन टन था। यानी एक ही साल में एक मिलियन टन की बढ़ोतरी दर्ज हुई। उद्योग के जानकारों के मुताबिक, सरकारी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय मांग में लगातार वृद्धि की वजह से एक्सपोर्ट में यह उछाल आया है। अमेरिका में टैरिफ बढ़ाए जाने के बावजूद बना रहेगा एक्सपोर्ट स्तर अमेरिका में टैरिफ बढ़ने के बावजूद भारतीय बासमती की मांग में कोई गिरावट नहीं आई है। पिछले वर्ष जहां टैरिफ लागू नहीं था, तब भी भारत ने 2 लाख 70 हजार टन एक्सपोर्ट किया था। अब टैरिफ लगने के बावजूद राइस एक्सपोर्टर्स को उम्मीद है कि इस वर्ष भी उतनी ही मात्रा यानी 2 लाख 70 मिलियन टन बासमती अमेरिका भेजा जाएगा। 170 देशों तक पहुंची भारतीय बासमती की खुशबू सतीश गोयल के अनुसार, भारत का बासमती अब 170 देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। इनमें सऊदी अरब, ईरान और इराक प्रमुख देश हैं। अकेले सऊदी अरब में हर साल करीब 1 मिलियन टन बासमती चावल भेजा जाता है, जबकि ईरान और इराक मिलाकर 2 मिलियन टन का एक्सपोर्ट होता है। इन तीन देशों में कुल 3 मिलियन टन चावल की डिलीवरी होती है, जो भारत के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा हिस्सा है। सरकारी नीतियों से बढ़ी एक्सपोर्ट क्षमता बासमती एक्सपोर्ट में इस तेजी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को दिया जा रहा है। राइस एक्सपोर्टर्स के अनुसार, केंद्र सरकार की अनुकूल नीतियों, स्थिर विदेशी व्यापार नीति और क्वालिटी कंट्रोल पर फोकस के कारण भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी साख मजबूत की है। यही कारण है कि आज भारत 170 देशों में बासमती का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। अगले साल 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य तय 2025-26 में भारत ने 6.5 मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करने का टारगेट रखा है। राइस एक्सपोर्टर्स को भरोसा है कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। बढ़ती वैश्विक मांग, क्वालिटी में सुधार और सरकार की नीतिगत स्थिरता से बासमती उद्योग को लगातार बूस्ट मिल रहा है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर