जिस बेटे को आंखों का तारा बना कर रखा उसी ने बुढ़ापे में बेघर कर दिया। अब ना तो बेटा हमारा रहा और ना ही घर। भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाएं। अब कभी याद भी नहीं करता है। ये दर्द है रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाली बुजुर्ग शकुंतला देवी के। वह अकेली महिला नहीं हैं जिसे अपनों का इंतजार हैं। यहां आश्रम में रहने वाले कई बुजुर्ग हैं जिन्हें अपनों ने ठुकराया है। लेकिन अब वह यहां खुशी हैं लेकिन आंखों में आंसू जरूर त्योहारों पर छलक उठते हैं। आश्रम में इस दीपावली बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान तो थी, लेकिन दिल में गहरी उदासी थी। बुजुर्ग शकुंतला देवी ने कहा- बेटा शराब का आदी है। मुझे और मेरे पति श्यामलाल खंडेलवाल को 2-2 दिन तक भूखा प्यासा रखता था। खाना नहीं देता था। हमें घर से निकाल दिया। और बोला- अपनी सूरत भी मत दिखाना। अब तो वह हमें याद तक नहीं करता। उन्होंने कहा- मैं और मेरे पति श्यामलाल अब काम बहुत मुश्किल से कर पाते हैं। अब दर्द को नहीं सह पाते हैं। अब तो यहीं परिवार लगने लगा है राजेश ने कहा- मुझे और मेरी पत्नी को कोई उम्मीद नहीं है कि हमारा बेटा आएगा। हमें नहीं लगता कि उसे हमारी याद आती है। इसलिए इस दीपावली हम अपने साथी आश्रमवासियों के साथ ही त्योहार मनाएंगे। यही अब हमारा परिवार है। 12 साल से अपनों के आने का कर रही हूं इंतजार राधारानी गोयल ने कहा- 12 सालों में कोई आया नहीं तो अब क्या आएंगे। अब तो ये ही है हमारा परिवार। वृद्धाश्रम में मौजूद बुजुर्गों ने मिलकर दीये जलाए। एक-दूसरे को “शुभ दीपावली” की शुभकामनाएं दीं और अपनापन महसूस किया। लगभग 350 बुजुर्ग इस साल आश्रम में ही दीपावली मना रहे हैं। जिस बेटे को आंखों का तारा बना कर रखा उसी ने बुढ़ापे में बेघर कर दिया। अब ना तो बेटा हमारा रहा और ना ही घर। भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाएं। अब कभी याद भी नहीं करता है। ये दर्द है रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाली बुजुर्ग शकुंतला देवी के। वह अकेली महिला नहीं हैं जिसे अपनों का इंतजार हैं। यहां आश्रम में रहने वाले कई बुजुर्ग हैं जिन्हें अपनों ने ठुकराया है। लेकिन अब वह यहां खुशी हैं लेकिन आंखों में आंसू जरूर त्योहारों पर छलक उठते हैं। आश्रम में इस दीपावली बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान तो थी, लेकिन दिल में गहरी उदासी थी। बुजुर्ग शकुंतला देवी ने कहा- बेटा शराब का आदी है। मुझे और मेरे पति श्यामलाल खंडेलवाल को 2-2 दिन तक भूखा प्यासा रखता था। खाना नहीं देता था। हमें घर से निकाल दिया। और बोला- अपनी सूरत भी मत दिखाना। अब तो वह हमें याद तक नहीं करता। उन्होंने कहा- मैं और मेरे पति श्यामलाल अब काम बहुत मुश्किल से कर पाते हैं। अब दर्द को नहीं सह पाते हैं। अब तो यहीं परिवार लगने लगा है राजेश ने कहा- मुझे और मेरी पत्नी को कोई उम्मीद नहीं है कि हमारा बेटा आएगा। हमें नहीं लगता कि उसे हमारी याद आती है। इसलिए इस दीपावली हम अपने साथी आश्रमवासियों के साथ ही त्योहार मनाएंगे। यही अब हमारा परिवार है। 12 साल से अपनों के आने का कर रही हूं इंतजार राधारानी गोयल ने कहा- 12 सालों में कोई आया नहीं तो अब क्या आएंगे। अब तो ये ही है हमारा परिवार। वृद्धाश्रम में मौजूद बुजुर्गों ने मिलकर दीये जलाए। एक-दूसरे को “शुभ दीपावली” की शुभकामनाएं दीं और अपनापन महसूस किया। लगभग 350 बुजुर्ग इस साल आश्रम में ही दीपावली मना रहे हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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बिहार चुनाव: ‘हमें जवाब चाहिए…’, दरभंगा में BJP प्रत्याशी सुजीत सिंह को ग्रामीणों ने घेरा
बिहार चुनाव: ‘हमें जवाब चाहिए…’, दरभंगा में BJP प्रत्याशी सुजीत सिंह को ग्रामीणों ने घेरा <p style=”text-align: justify;”>बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार अभियान के दौरान रविवार ( 19 अक्टूबर ) को दरभंगा जिले के गौड़ा बौराम विधानसभा क्षेत्र के आधारपुर गांव में बीजेपी प्रत्याशी सुजीत सिंह को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी प्रत्याशी सुजीत सिंह में प्रचार के दौरान जैसे ही वे अपने समर्थकों के साथ गांव पहुंचे. गांव में प्रचर के दौरान ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और विकास कार्यों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>ग्रामीणों ने बीजेपी प्रत्याशी का किया विरोध</h3>
<p style=”text-align: justify;”>ग्रामीणों ने खुलेआम नाराजगी जताते हुए बीजेपी नेता सुजीत सिंह का विरोध किया. ग्रामीणों ने कहा कि नेता चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं, जबकि चुनाव जीतने के बाद गांव की सुध लेने कोई नहीं आता है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार रहते हुए भी आधारपुर गांव में अब तक कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है. न तो सड़कों की मरम्मत हुई, न ही पेयजल या रोजगार की सुविधा में सुधार हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक ग्रामीण ने कहा कि पिछली बार भी आपने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब तक एक भी सड़क नहीं बनी. हर बार सिर्फ झूठे वादे किए जाते हैं. ग्रामीणों का कहना था कि जब तक गांव में वास्तविक विकास कार्य शुरू नहीं होंगे, वे किसी भी नेता को वोट नहीं देंगे.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>आधारपुर में तैयार की जाएगी विशेष योजना- सुजीत सिंह</h3>
<p style=”text-align: justify;”>सुजीत सिंह ने मौके की नाजुक स्थिति को संभालने की कोशिश की और लोगों को भरोसा दिलाया कि अगर वे उन्हें एक बार फिर मौका देंगे तो इस बार गांव में अधूरे विकास कार्य पूरे किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आधारपुर के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी, जिसमें सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, ग्रामीणों का गुस्सा कम नहीं हुआ. कई लोगों ने कहा कि अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा, काम दिखना चाहिए. गांव में पूरे दिन यही चर्चा रही कि जनता को नेता सिर्फ चुनाव के वक्त ही याद आते हैं.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”>ग्रामीणों के विरोध के बाद गांव छोड़ गए सुजीत सिंह</h3>
<p style=”text-align: justify;”>इस विरोध के बाद सुजीत सिंह को बिना ज्यादा देर रुके गांव छोड़ना पड़ा. ग्रामीणों का यह विरोध चुनावी मौसम में नेताओं और जनता के बीच बढ़ते अविश्वास को भी उजागर करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में अब मतदाता पहले से ज्यादा सजग हो चुके हैं और केवल घोषणाओं के आधार पर किसी को वोट देने से परहेज कर रहे हैं. आधारपुर की यह घटना इस बात का संकेत है कि जनता अब जवाब मांगने लगी है और यह चुनाव विकास के मुद्दों पर लड़ा जाएगा.</p>

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