पंजाब का ऐसा गांव, जहां भैंसों ने बदली दिवाली परंपरा:200 साल से देश से अलग दूसरे दिन सेलिब्रेशन; 2 साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट से है पहचान

पंजाब के मोहाली जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां दीपावली पूरे देश से अलग दिन मनाई जाती है। इस गांव का नाम है, चिल्ला गांव। यहां हमेशा से परंपरा रही है कि गांव में दिवाली अगले दिन मनाई जाएगी, जबकि सारा देश एक दिन पहले सेलिब्रेशन कर चुका होता है। यह रिवाज करीब 200 वर्षों से चला आ रहा है, जिसके पीछे भैंसों से जुड़ी कहानी मानी जाती है। हालांकि, इस परंपरा कोई उल्लेख किसी किताब या धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता, फिर भी लोग अपने बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को बिना कोई सवाल उठाए निभा रहे हैं। इस साल गांव में दिवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जबकि देश में यह फेस्टीवल 20 अक्टूबर को सेलिब्रेट होगा। 20 अक्टूबर की रात ग्रामीण घरों में छोटी दीपमाला करेंगे और रिश्तेदारों से मिलेंगे, जबकि मुख्य उत्सव अगले दिन पूरे गांव में होगा। इस अवसर पर गांव में मेला भी आयोजित किया जाएगा। खास बात यह है कि इस गांव में 2 नेशनल लेवल के इंस्टीट्यूट है और यहां के कई लोग विदेशों में भी बसे हैं, इसके बावजूद इस परंपरा में बदलाव नहीं आया है। देश से अलग क्यों होता है दीपावली सेलिब्रेशन, ग्रामीणों की जुबानी जानिए… 200 साल पहले खो गई थी भैंसे, ढूंढने में निकल गई रात
गांव के पूर्व सरपंच अजैब सिंह, जिनकी उम्र 81 साल है। वे बताते हैं कि उनके बचपन से ही गांव में दिवाली एक दिन बाद मनाई जाती है। वे कहते हैं कि बुजुर्गों के अनुसार करीब 200 साल पहले दिवाली वाले दिन गांव की भैंसे खो गई थी। उस दिन पूरे गांव के लोग भैंसों को तलाशते रहे। जब तक पशु मिले, दिवाली वाली रात निकल गई थी और घरों में लक्ष्मी पूजन नहीं हो पाया। तब से ही गांव में दिवाली अगले दिन मनाने की परंपरा शुरू हो गई। गांव बना एजुकेशन सिटी, सभी लोग शिक्षित
प्रोफेसर जगतार सिंह बताते हैं कि गांव की आबादी करीब साढ़े 500 के आसपास है। यह गांव मोहाली के सेक्टर 80-81 क्षेत्र में आता है। उन्होंने बताया कि चिल्ला गांव आज आधुनिक और शिक्षित गांवों में गिना जाता है। यहां एजुकेशन सिटी है, जिसके एक ओर नैनो टेक्नोलॉजी संस्थान और दूसरी ओर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) स्थित है। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) भी गांव में है। इसके बावजूद लोग पुरानी परंपराओं को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं। जो लोग गांव से बाहर बस चुके हैं, वे भी इस दिन विशेष रूप से गांव लौटकर दिवाली का उत्सव मनाते हैं। रिवाज कब शुरू हुआ, इसका किसी को पता नहीं
गांव के ही गुरचरण सिंह का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से पूरे भारत में दिवाली जिस दिन मनाई जाती है, उसके अगले दिन चिल्ला गांव में दिवाली मनाई जाती है। यह परंपरा कब और किसने शुरू की, यह किसी को नहीं पता, लेकिन आज भी पूरा गांव इसे श्रद्धा और एकजुटता से निभा रहा है। गांव के लोग विदेश तक बसे, फिर भी निभाते है परंपरा
वहीं, गांव के गगनदीप बताते हैं कि चिल्ला मोहाली के सबसे विकसित गांवों में से एक है। यहां देश के दो बड़े साइंस और रिसर्च संस्थान हैं, साथ ही इंडियन बिजनेस स्कूल भी है। गांव हवाई अड्डे के पास स्थित है। करमजीत सिंह के अनुसार, गांव के लगभग सभी लोग शिक्षित हैं। कई लोग नौकरीपेशा हैं, कई व्यवसायी हैं और कई विदेशों में भी बसे हैं। इसके बावजूद सभी लोग गांव की इस परंपरा का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं। गुरुद्वारा साहिब और खेड़े पर माथा टेकते हैं। PHOTOS में देखिए गांव चिल्ला की आधुनिकता… —————————–
पंजाब के इन फेमस गांवों के बारे में भी पढ़िए… ये है पंजाब का अयाली गांव… दर्जनों इंटरनेशनल ब्रांड्स के आउटलेट, चकाचौंध ऐसी कि शहर को भी पीछे छोड़ देती है पंजाब के लुधियाना से लगभग 13 किलोमीटर दूर अयाली गांव किसी भी शहर से कम नहीं है। यहां मैक्डी, बरिस्ता जैसे दर्जनों इंटरनेशनल ब्रांड्स के आउटलेट खुले हुए हैं। इस गांव की मार्केट को साउथ सिटी का नाम दिया गया है। (पूरी खबर पढ़ें) पंजाब के मोहाली जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां दीपावली पूरे देश से अलग दिन मनाई जाती है। इस गांव का नाम है, चिल्ला गांव। यहां हमेशा से परंपरा रही है कि गांव में दिवाली अगले दिन मनाई जाएगी, जबकि सारा देश एक दिन पहले सेलिब्रेशन कर चुका होता है। यह रिवाज करीब 200 वर्षों से चला आ रहा है, जिसके पीछे भैंसों से जुड़ी कहानी मानी जाती है। हालांकि, इस परंपरा कोई उल्लेख किसी किताब या धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता, फिर भी लोग अपने बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को बिना कोई सवाल उठाए निभा रहे हैं। इस साल गांव में दिवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जबकि देश में यह फेस्टीवल 20 अक्टूबर को सेलिब्रेट होगा। 20 अक्टूबर की रात ग्रामीण घरों में छोटी दीपमाला करेंगे और रिश्तेदारों से मिलेंगे, जबकि मुख्य उत्सव अगले दिन पूरे गांव में होगा। इस अवसर पर गांव में मेला भी आयोजित किया जाएगा। खास बात यह है कि इस गांव में 2 नेशनल लेवल के इंस्टीट्यूट है और यहां के कई लोग विदेशों में भी बसे हैं, इसके बावजूद इस परंपरा में बदलाव नहीं आया है। देश से अलग क्यों होता है दीपावली सेलिब्रेशन, ग्रामीणों की जुबानी जानिए… 200 साल पहले खो गई थी भैंसे, ढूंढने में निकल गई रात
गांव के पूर्व सरपंच अजैब सिंह, जिनकी उम्र 81 साल है। वे बताते हैं कि उनके बचपन से ही गांव में दिवाली एक दिन बाद मनाई जाती है। वे कहते हैं कि बुजुर्गों के अनुसार करीब 200 साल पहले दिवाली वाले दिन गांव की भैंसे खो गई थी। उस दिन पूरे गांव के लोग भैंसों को तलाशते रहे। जब तक पशु मिले, दिवाली वाली रात निकल गई थी और घरों में लक्ष्मी पूजन नहीं हो पाया। तब से ही गांव में दिवाली अगले दिन मनाने की परंपरा शुरू हो गई। गांव बना एजुकेशन सिटी, सभी लोग शिक्षित
प्रोफेसर जगतार सिंह बताते हैं कि गांव की आबादी करीब साढ़े 500 के आसपास है। यह गांव मोहाली के सेक्टर 80-81 क्षेत्र में आता है। उन्होंने बताया कि चिल्ला गांव आज आधुनिक और शिक्षित गांवों में गिना जाता है। यहां एजुकेशन सिटी है, जिसके एक ओर नैनो टेक्नोलॉजी संस्थान और दूसरी ओर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) स्थित है। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) भी गांव में है। इसके बावजूद लोग पुरानी परंपराओं को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं। जो लोग गांव से बाहर बस चुके हैं, वे भी इस दिन विशेष रूप से गांव लौटकर दिवाली का उत्सव मनाते हैं। रिवाज कब शुरू हुआ, इसका किसी को पता नहीं
गांव के ही गुरचरण सिंह का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से पूरे भारत में दिवाली जिस दिन मनाई जाती है, उसके अगले दिन चिल्ला गांव में दिवाली मनाई जाती है। यह परंपरा कब और किसने शुरू की, यह किसी को नहीं पता, लेकिन आज भी पूरा गांव इसे श्रद्धा और एकजुटता से निभा रहा है। गांव के लोग विदेश तक बसे, फिर भी निभाते है परंपरा
वहीं, गांव के गगनदीप बताते हैं कि चिल्ला मोहाली के सबसे विकसित गांवों में से एक है। यहां देश के दो बड़े साइंस और रिसर्च संस्थान हैं, साथ ही इंडियन बिजनेस स्कूल भी है। गांव हवाई अड्डे के पास स्थित है। करमजीत सिंह के अनुसार, गांव के लगभग सभी लोग शिक्षित हैं। कई लोग नौकरीपेशा हैं, कई व्यवसायी हैं और कई विदेशों में भी बसे हैं। इसके बावजूद सभी लोग गांव की इस परंपरा का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं। गुरुद्वारा साहिब और खेड़े पर माथा टेकते हैं। PHOTOS में देखिए गांव चिल्ला की आधुनिकता… —————————–
पंजाब के इन फेमस गांवों के बारे में भी पढ़िए… ये है पंजाब का अयाली गांव… दर्जनों इंटरनेशनल ब्रांड्स के आउटलेट, चकाचौंध ऐसी कि शहर को भी पीछे छोड़ देती है पंजाब के लुधियाना से लगभग 13 किलोमीटर दूर अयाली गांव किसी भी शहर से कम नहीं है। यहां मैक्डी, बरिस्ता जैसे दर्जनों इंटरनेशनल ब्रांड्स के आउटलेट खुले हुए हैं। इस गांव की मार्केट को साउथ सिटी का नाम दिया गया है। (पूरी खबर पढ़ें)   पंजाब | दैनिक भास्कर