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1 पद और 6 दावेदार…महाराष्ट्र में चुनाव के बीच CM फेस पर क्या है नेताओं का स्टैंड? जानें
1 पद और 6 दावेदार…महाराष्ट्र में चुनाव के बीच CM फेस पर क्या है नेताओं का स्टैंड? जानें <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra CM Race:</strong> महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. इस बीच पक्ष-विपक्ष दोनों ही गठबंधन में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान मची है. महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी खुलकर तो दावेदारी नहीं पेश कर रही, लेकिन इच्छा तीनों ही दलों के नेता जाहिर कर चुके हैं. इनका कहना है कि फैसला चुनाव के बाद होगा. महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में भी कमोबेश यही स्थिति है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले दिनों मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एबीपी लाइव से बातचीत में सीएम चेहरे के सवाल पर कहा कि हमारी टीम मिलकर चुनाव लड़ेगी. हम टीम के रूप में पहले चुनाव जीतने लिए काम करेंगे फिर देखेंगे सीएम कौन होगा? इस दौरान उन्होंने खुद की दावेदारी से इनकार नहीं किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>देवेंद्र फडणवीस क्या बोले?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने रिपब्लिक टीवी से बातचीत में कहा कि महायुति में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने कहा, ”मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार के प्रमुख हैं और इसी सरकार को सामने रखकर हम चुनाव में जा रहे हैं. चुनाव के बाद शिवसेना अध्यक्ष <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a>, एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार और हमारा संसदीय बोर्ड इस पर फैसला लेगा. इसमें जो भी तय होगा वही सभी को मंजूर होगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>जब उप-मुख्यमंत्री और एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार से इसी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस पर टिप्पणी करके कोई नया विवाद खड़ा नहीं करना चाहता. उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ”हमारा पहला लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि महायुति को अधिकतम सीटें मिलें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अजित पवार जता चुके हैं मुख्यमंत्री की इच्छा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अजित पवार समय-समय पर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताते रहे हैं, हालांकि संख्याबल में उनकी पार्टी काफी पीछे है. सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र की 288 सीटों में बीजेपी के 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है. शिवसेना महायुति में 100 से अधिक और एनसीपी 60 से अधिक सीटों की मांग कर रही है. माना जा रहा है कि शिवसेना को 90 से 95 और एनसीपी को 40 से 45 सीटें मिल सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिवसेना (यूबीटी) ने दिया संदेश</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कुछ ऐसी ही परिस्थिति विपक्षी खेमे में है. हालांकि महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) खुलकर सीएम पद पर दावेदारी करती रही है. दशहरा के मौके पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिवाजी पार्क में कहा कि उद्धव ठाकरे आपको इसी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी है. माना गया कि शिवसेना (यूबीटी) ने अपने गठबंधन साथियों कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) सो साफ-साफ संदेश दे दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले नाना पटोले?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि जब सोमवार (14 अक्बटूर) को सीएम पद पर सवाल किया गया तो कांग्रेस ने कहा कि चुनाव बाद इसपर फैसला किया जाएगा. हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी करती रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, ”महायुति को अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने दें, MVA भी उसका अनुसरण करेगा.” शरद पवार भी मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव बाद फैसला लेने की बात कहते रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दोनों ही गठबंधन के नेताओं के बयान के बाद माना जा रहा है कि चुनाव बाद जीत की स्थिति में पार्टियां संख्याबल के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर फैसला लेगी, यानि जिस पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिलेंगी उसका मुख्यमंत्री होगा. ऐसे में सीट बंटवारे में सभी पार्टी अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”महायुति सरकार ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड, रामदास अठावले भी रहे मौजूद, क्या मिलेंगी सीटें?” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-assembly-election-2024-mahayuti-eknath-shinde-government-released-report-card-ramdas-athawale-ajit-pawar-devendra-fadnavis-2804646″ target=”_self”>महायुति सरकार ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड, रामदास अठावले भी रहे मौजूद, क्या मिलेंगी सीटें?</a></strong></p>
Udaipur News: उदयपुर आरोपी की पत्नी का दावा, जिस मकान पर बुलडोजर चला वो किराए का था
Udaipur News: उदयपुर आरोपी की पत्नी का दावा, जिस मकान पर बुलडोजर चला वो किराए का था <p style=”text-align: justify;”><strong>Udaipur Violence Update:</strong> राजस्थान के उदयपुर में शुक्रवार (16 अगस्त) को दो स्कूली छात्रों में चाकूबाजी मामले में एक्शन लेते हुए पुलिस प्रशासन ने आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया था. अब आरोपी सलीम शेख की पत्नी का दावा है कि जिस मकान को ढहाया गया है, वो असल में किराए का था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, एबीपी न्यूज से बातचीत में आरोपी सलीम की पत्नी ने दावा किया कि जिस मकान में वो लोग रह रहे थे, वो उसे भाई का है. ये पूछे जाने पर कि क्या वो अपने भाई को किराया देती है? आरोपी की पत्नी ने जवाब में बताया कि वो हर महीने किराए के लिए पैसे देती है, लेकिन इसकी कोई रसीद उसके पास नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उदयपुर में दिखे बंद जैसे हालात</strong><br />गौरतलब है कि शनिवार, 17 अगस्त को उदयपुर में हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन चाकूबाजी की घटना के बाद से बाजारों में लगभग बंद जैसी स्तिथि है. बहुत ही कम दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली हैं. हालांकि, किसी भी संगठन ने बंद का आह्वान नहीं किया था, इसके बावजूद बंद जैसे हालात नज़र आए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्कूल के पास मिले खून के निशान</strong><br />उदयपुर शहर के भटियानी चौहट्टा इलाके के जिस स्कूल में शुक्रवार को एक छात्र को चाकू मारा गया था, उस जगह आज एफ़एसएल की टीम पहुंची. टीम ने मौके से सबूत जमा किए. स्कूल के बाहर वाली गली में अभी भी खून के ढेर सारे निशान हैं जिन्हें फॉरेंसिक टीम ने बतौर सबूत इकट्ठा किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान किसी भी व्यक्ति को स्कूल तक जाने नहीं दिया गया. देवराज का ख़ून सड़क पर बहा था, उसके निशान दूर से भी देखे जा सकते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>शुक्रवार को चाकूबाजी की घटना के बाद ही चाकूबाज अयान शेख और उसके पिता सलीम शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद उनके मकान पर बुलडोजर चलाने की तैयारी की गई. बता दें, स्कूली छात्र अयान शेख पर अपने सहपाठी देवराज को चाकू मारने का आरोप था. गिरफ्तारी के बाद प्रशासन ने आरोपी के शहर की दीवान शाह कॉलोनी में बने घर पर बुलडोजर चलाया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वन भूमि पर मकान होने का दावा</strong><br />वहीं, सलीम शेख के नाम पर वन विभाग और उदयपुर नगर निगम ने मकान के वन भूमि पर बने होने का नोटिस जारी कर दिया. सुबह 5.00 बजे सलीम शेख के घर पर ये नोटिस चस्पा कर दिए गए. सलीम शेख की पत्नी शबनम का कहना है कि उनका मकान काफ़ी पुराना है और उनके भाई के नाम पर है, फिर उनके पति के नाम पर नोटिस क्यों दिया गया?</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”जयपुर में रोड रेज की घटना में हत्या के बाद बवाल, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा की पुलिस से नोक-झोंक” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/jaipur-road-rage-incident-man-death-bjp-civil-line-mla-gopal-sharma-scuffle-with-police-2763356″ target=”_blank” rel=”noopener”>जयपुर में रोड रेज की घटना में हत्या के बाद बवाल, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा की पुलिस से नोक-झोंक</a></strong></p>
घरौंडा में कांग्रेस की वापसी पर संकट:भीतरघात का खतरा, मंच से गायब टिकट के प्रबल दावेदार, 3 दशक से नहीं बना पार्टी का विधायक
घरौंडा में कांग्रेस की वापसी पर संकट:भीतरघात का खतरा, मंच से गायब टिकट के प्रबल दावेदार, 3 दशक से नहीं बना पार्टी का विधायक हरियाणा में करनाल जिले की घरौंडा विधानसभा सीट पर 3 दशक से कांग्रेस पार्टी अपना विधायक नहीं बना पाई है। विधानसभा-2024 के चुनावी कैंपेन में भी घरौंडा के बड़े चेहरे कांग्रेस प्रत्याशी के मंच पर नजर नहीं आ रहे। टिकट के मजबूत दावेदारों में टिकट कटने की टीस अभी तक नजर आ रही है। सतीश रणा को छोड़कर कोई भी बड़ा कांग्रेस का नेता मंच पर नजर नहीं आ रहा है। टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान और युवा नेता भूपिंद्र सिंह लाठर तो पहले ही घोषणा कर चुके है कि वे राठौर के साथ मंच सांझा नहीं करेंगे। सतपाल कश्यप भी इशारा कर चुके है कि वे कांग्रेस के साथ है। वीरेंद्र राठौर ने अनिल राणा, रघबीर संधू, सतीश राणा से मुलाकात की। नेताओं से गले मिलते हुए तस्वीरें भी सामने आई, लेकिन नेताओं के शायद दिल नहीं मिले। नतीजन, नरेंद्र सांगवान, भूप्पी लाठर, सतपाल कश्यप, वीरेंद्र लामरा, रघबीर संधू जैसे टिकट के प्रबल दावेदार मंच से गायब है। कांग्रेस का भीतर घात राठौर के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कांग्रेस में बीजेपी की सेंधमारी घरौंडा सीट से 40 नेताओं ने टिकट के लिए अप्लाई किया था, लेकिन कांग्रेस ने 3 बार हारे हुए प्रत्याशी को टिकट दे दिया। सूत्रों की माने तो टिकट कटने से खफ़ा कांग्रेस नेताओं को बीजेपी अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी है। गुप्त बैठकों का भी दौर जारी है। ऐसे में अगर बीजेपी नाराज कांग्रेसियों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाती है तो वीरेंद्र सिंह राठौर को मोटा नुकसान होगा। 1991 के बाद नहीं आई कांग्रेस 1991 के बाद कांग्रेस घरौंडा विधानसभा में कभी वापसी नहीं कर पाई। 32 साल के सूखे को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने कोशिशें की, लेकिन नाकाम रही। 1967 से आज तक कांग्रेस सिर्फ 3 बार ही घरौंडा में अपना विधायक बना पाई है। 1967 में मूलचंद जैन, 1982 में वेदपाल और 1991 में कंवर रामपाल कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने। 1972 में लाला रूलिया राम इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) से विधायक बने थे, क्योंकि 12 नवंबर 1969 में कांग्रेस अलग हो गई थी। जिसके मुख्य लीडर के. कामराजा और मोराजी देसाई थे। जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर) की मेन लीडर इंदिरा गांधी थी। 2005 से रहा है त्रिकोणीय मुकाबला घरौंडा विधानसभा चुनाव में 2005 से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। 2019 में आमने-सामने की टक्कर देखी गई थी, और 2024 में भी आमने सामने की टक्कर ही नजर आ रही है। आप पार्टी, इनेलो और जेजेपी तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है। 2005 में इनेलो से रेखा राणा, आजाद उम्मीदवार जयपाल शर्मा और कांग्रेस से वीरेंद्र राठौर के बीच मुकाबला था, राठौर तीसरे नंबर पर रहे थे। 2009 में नरेंद्र सांगवान इनेलो, वीरेंद्र राठौर कांग्रेस और हरविंद्र कल्याण बीएसपी के बीच टक्कर थी। राठौर दूसरे नंबर पर रहे थे। 2014 में हरविंद्र कल्याण बीजेपी, नरेंद्र सांगवान इनेलो और वीरेंद्र राठौर कांग्रेस के बीच फाइट हुई, और राठौर फिर तीसरे नंबर पर आए। 2019 में बीजेपी को कांग्रेस के अनिल राणा ने टक्कर दी थी और हार गए थे। नरेंद्र सांगवान के प्रतिद्वंदी थे राठौर 2009 में नरेंद सांगवान इनेलो में थे और इन्होंने राठौर को 1660 वोट से हराया था। 2014 में भी सांगवान दूसरे स्थान पर रहे थे और राठौर तीसरे पर, तब भी सांगवान ने राठौर को 468 वोट से पछाड़ा था। विशेषज्ञों की माने तो राठौर, नरेंद्र सांगवान के प्रतिद्वंदी रहे है और उन्होंने राठौर को बार-बार हराया है।
कांग्रेस के बीच अंदरूनी तौर पर छिड़ी इस गहमागहमी के बीच कांग्रेस का घरौंडा में विधायक बनाने का सपना सिर्फ सपना ही रह सकता है। हालांकि नेता डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर कर रहे है, लेकिन डैमेज कंट्रोल होता नजर नहीं आ रहा। वह देखना है कि आने वाले दिनों में बड़े नेताओं की एंट्री से कितना फर्क पड़ेगा। फिलहाल इतना जरूर है कि बीजेपी के प्रति एंटी इनकेंबेंसी जरूर है, लेकिन कांग्रेस इसका कितना फायदा ले सकती है, वह समय के घेरे में है।