हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने तीन विधानसभा उप चुनाव के लिए देर रात टिकटों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने अपने वादे के अनुसार, तीनों सीटों पर निर्दलीय एवं पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया है। नालागढ़ से केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव लड़ेंगे। इनमें होशियार सिंह 2017 और 2022 में दो बार निर्दलीय विधायक जीत चुके हैं, जबकि 2012 में केएल ठाकुर भी एक बार बीजेपी से विधायक और दूसरी बार निर्दलीय चुने गए। 2022 में पार्टी ने इनका टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए लखविंदर राणा को टिकट दिया। इसके बाद केएल ठाकुर ने पार्टी से बगावत की और निर्दलीय चुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे।वहीं हमीरपुर सीट से आशीष शर्मा पहली बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे। इन्होंने बीते 23 मार्च को बीजेपी जॉइन की इन तीनों ने बीते 23 मार्च को ही दिल्ली में भाजपा जॉइन की थी। इनके रिजाइन करने की वजह से ही प्रदेश में तीन सीटों पर उप चुनाव की नौबत आई है। संबंधित क्षेत्र की जनता ने दिसंबर 2022 में ही इन्हें पांच साल के लिए चुनकर विधानसभा भेजा था। मगर इन्होंने 15 महीने में ही अपने पदों से इस्तीफे दे दिए। इस वजह से आई चुनाव की नौबत दरअसल, तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के छह बागियों के साथ मिलकर राज्यसभा चुनाव में बीते 27 फरवरी को बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया था। बीजेपी प्रत्याशी को वोट देने के बाद से सभी पूर्व विधायक एक महीने तक प्रदेश से बाहर रहे। इस दौरान इन्होंने भी अपना छोड़ने का निर्णय लिया और 22 मार्च को अचानक तीनों विधानसभा पहुंचे। यहां पर इन्होंने पहले विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा और बाद में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया को इस्तीफे सौंपे। इसके बाद राजस्व मंत्री जगत नेगी और शिक्षा मंत्री ने स्पीकर के पास एक याचिका दायर की, जिसमें शंका जाहिर की गई कि हो सकता है कि इन पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया। इसलिए इसकी जांच की जाए। इस वजह से इनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हो पाए और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। बीते तीन जून को स्पीकर ने इनके इस्तीफे स्वीकार किए और 9 जून को केंद्रीय चुनाव आयोग ने उप चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने तीन विधानसभा उप चुनाव के लिए देर रात टिकटों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने अपने वादे के अनुसार, तीनों सीटों पर निर्दलीय एवं पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया है। नालागढ़ से केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव लड़ेंगे। इनमें होशियार सिंह 2017 और 2022 में दो बार निर्दलीय विधायक जीत चुके हैं, जबकि 2012 में केएल ठाकुर भी एक बार बीजेपी से विधायक और दूसरी बार निर्दलीय चुने गए। 2022 में पार्टी ने इनका टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए लखविंदर राणा को टिकट दिया। इसके बाद केएल ठाकुर ने पार्टी से बगावत की और निर्दलीय चुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे।वहीं हमीरपुर सीट से आशीष शर्मा पहली बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे। इन्होंने बीते 23 मार्च को बीजेपी जॉइन की इन तीनों ने बीते 23 मार्च को ही दिल्ली में भाजपा जॉइन की थी। इनके रिजाइन करने की वजह से ही प्रदेश में तीन सीटों पर उप चुनाव की नौबत आई है। संबंधित क्षेत्र की जनता ने दिसंबर 2022 में ही इन्हें पांच साल के लिए चुनकर विधानसभा भेजा था। मगर इन्होंने 15 महीने में ही अपने पदों से इस्तीफे दे दिए। इस वजह से आई चुनाव की नौबत दरअसल, तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के छह बागियों के साथ मिलकर राज्यसभा चुनाव में बीते 27 फरवरी को बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया था। बीजेपी प्रत्याशी को वोट देने के बाद से सभी पूर्व विधायक एक महीने तक प्रदेश से बाहर रहे। इस दौरान इन्होंने भी अपना छोड़ने का निर्णय लिया और 22 मार्च को अचानक तीनों विधानसभा पहुंचे। यहां पर इन्होंने पहले विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा और बाद में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया को इस्तीफे सौंपे। इसके बाद राजस्व मंत्री जगत नेगी और शिक्षा मंत्री ने स्पीकर के पास एक याचिका दायर की, जिसमें शंका जाहिर की गई कि हो सकता है कि इन पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया। इसलिए इसकी जांच की जाए। इस वजह से इनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हो पाए और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। बीते तीन जून को स्पीकर ने इनके इस्तीफे स्वीकार किए और 9 जून को केंद्रीय चुनाव आयोग ने उप चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा
हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा हिमाचल में इस बार 2022-23 की तुलना में स्नो कवर एरिया 12.72% कम हुआ है। साल 2022-23 की तुलना में 2023-24 में चिनाब बेसिन में सबसे ज्यादा 15.39% की कमी आई है, जबकि ब्यास बेसिन पर 7.65%, रावी बेसिन पर 9.89% और सतलुज बेसिन पर 12.45% कम हुआ है। यह दावा हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (हिमकॉस्ट) के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण में हुआ है। इसी तरह हिमाचल के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी का ट्रेंड भी बदल रहा है। विंटर सीजन जब पीक पर होता है तो उस दौरान पहाड़ों पर नाममात्र बर्फ गिरी है। इससे दिसंबर से फरवरी के बीच स्नो कवर एरिया में भारी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि मार्च और अप्रैल में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में ज्यादा बर्फबारी हुई है। सतलुज बेसिन पर जनवरी में स्नो कवर एरिया 67% कम हुआ हिमकॉस्ट के अनुसार, दिसंबर से फरवरी के बीच जब विंटर सीजन पीक पर होता है, उस दौरान 2023-24 में सतलुज को छोड़कर तीनों बेसिन के स्नो कवर एरिया में गिरावट दर्ज की गई। जनवरी महीने में स्नो-कवर एरिया में ज्यादा डरावनी गिरावट आई है। चिनाब बेसिन पर जनवरी 2024 में स्नो कवर एरिया में 42%, ब्यास बेसिन पर 43%, रावी बेसिन पर 64% और सतलुज बेसिन पर 67% की स्नो कवर एरिया में कमी आई। हिमकॉस्ट ने चारों रिवर बेसिन पर किया सर्वेक्षण हिमकॉस्ट के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा चारों रिवर बेसिन चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास पर यह सर्वेक्षण किया है। यह सर्वेक्षण सेटेलाईट इमेज के जरिए किया है। स्नो कवर एरिया कम होना हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मार्च-अप्रैल में स्नोफॉल से संजीवनी प्रदेश में एक दशक पहले तक दिसंबर से फरवरी के बीच में अच्छी बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों से मार्च-अप्रैल में बर्फबारी हो रही है। दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाली बर्फबारी लंबे समय तक टिकती है, जबकि मार्च अप्रैल की बर्फबारी जल्दी पिघल जाती है। इसलिए ग्लेशियर और पानी के स्तोत्र रिचार्ज करने के लिए पीक विंटर सीजन के दौरान बर्फबारी जरूरी होती है। रिन्यूएबल एनर्जी और ई-व्हीकल की तरफ जाने की सलाह रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ सालों में हिमालय के तापमान में उछाल से स्नो कवर एरिया घटा है। इससे ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। शिमला में ऐसा पहली बार हुआ, जब यहां बर्फ नहीं गिरी। इसलिए रिपोर्ट में ई-व्हीकल और रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ जाने की सलाह दी गई है।
अनुराग के गढ़ में CM-डिप्टी CM की साख दांव पर:BJP को बढ़त देने वाले इलाके से कांग्रेस ने कैंडिडेट उतार पेंच फंसाया
अनुराग के गढ़ में CM-डिप्टी CM की साख दांव पर:BJP को बढ़त देने वाले इलाके से कांग्रेस ने कैंडिडेट उतार पेंच फंसाया हिमाचल का हमीरपुर जिला, जहां की राजनीति की चर्चा प्रदेश से लेकर सेंटर तक रहती है। इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए हमीरपुर सीट में माहौल गर्म है। यहां से केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी कैंडिडेट अनुराग ठाकुर जीत का चौका पहले ही लगा चुके हैं। अब पार्टी ने उन्हें यहां से पांचवीं बार उम्मीदवार बनाया है। पांचवीं बार जीत से रोकने के लिए कांग्रेस ने इस बार ऊना जिला से संबंध रखने वाले पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को कैंडिडेट बनाया है। ऊना से अनुराग ठाकुर को हर चुनाव में अच्छी बढ़त मिलती रही है। ऐसे में कांग्रेस ने ऊना से कैंडिडेट उतार कर पेंच फंसाया है। वहीं इस सीट पर CM सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री की साख भी दांव पर है। ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान सामने आया कि अनुराग ठाकुर का पलड़ा भारी है। मगर उनके लिए इस बार का मुकाबला पहले चार चुनाव जैसा आसान नहीं रह गया है। CM सुक्खू और डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री दोनों हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं। सुखविंदर सुक्खू हमीरपुर जिला के नादौन विधानसभा से विधायक हैं, जबकि मुकेश अग्निहोत्री ऊना जिला के हरौली विधानसभा से MLA हैं। दोनों चुनाव प्रचार में खूब पसीना बहा रहे हैं। कांग्रेस को हमीरपुर जिला में मुख्यमंत्री सुक्खू और ऊना में मुकेश अग्निहोत्री से करिश्मे की उम्मीद है। 12 में से BJP ने 10 चुनाव जीते
यह सीट बीजेपी का गढ़ रही है। साल 1984 से अब तक 12 बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल दो बार ही जीत दर्ज कर पाई है, जबकि बीजेपी ने 10 बाद चुनाव जीता है। छह बार धूमल परिवार ने जीत हासिल की। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में निर्णायक वोटर राजपूत रहेगा। लगभग 40% राजपूत मतदाता हैं। इसी तरह 20 फीसदी ब्राह्मण वोटर, 22% अनुसूचित जाति, 2 अनुसूचित जनजाति और 15% ओबीसी वोटर हैं। ऊना में इस बार हवा का रुख बदल रहा
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिले की धर्मपुर सीट पड़ती हैं। कांग्रेस ने लगभग 26 साल बाद ऊना जिला से कैंडिडेट दिया है। इसलिए कुछ मतदाता ऊना से सांसद बनाने की बात कह रहे हैं। ऐसा हुआ तो बिलासपुर जिला और धर्मपुर विधानसभा सीट हमीरपुर लोकसभा का डिसाइडिंग फैक्टर साबित होगी। पिछले 4 चुनाव में अनुराग ठाकुर को ऊना से हर बार ज्यादा बढ़त मिली है। ग्राउंड रिपोर्ट में एक बड़ी वजह यह भी सामने आई कि हमीरपुर जिला के युवाओं में जो क्रेज आर्मी में भर्ती को लेकर रहता था, वह कम हो गया है। लोग इसकी वजह अग्निवीर भर्ती योजना बता रहे हैं। अग्निवीर भर्ती योजना बड़ा मुद्दा
कांग्रेस कैंडिडेट सतपाल रायजादा भी इस मुद्दे को बार-बार जनसभाओं में उठा रहे हैं। देश में तीन साल पहले जब यह योजना लाई गई थी तो उस दौरान भी हिमाचल में सत्तारूढ़ बीजेपी एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हार चुकी है। इसके बाद बीजेपी प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव भी हार गई। हमीरपुर सीट पर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) भी मुद्दा बनती नजर आ रही है। कर्मचारी OPS को लेकर अनुराग ठाकुर के पुराने बयान से नाखुश नजर आए। जिसमें अनुराग ने कहा था कि OPS लागू करना संभव नहीं है। वहीं हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी वादे के तहत कर्मचारियों की OPS को बहाल किया है। हमीरपुर सीट पर कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है। हमीरपुर सीट पर ग्राउंड पर क्या हालात हैं, यह जानने दैनिक भास्कर लोगों के बीच पहुंचा। सेना को कमजोर करने की साजिश
हमीरपुर निवासी स्टूडेंट अंकित पटियाल ने अग्निवीर भर्ती योजना को सेना को कमजोर करने की साजिश बताया। उन्होंने बताया कि हमीरपुर में युवाओं में सेना के प्रति क्रेज कम हो गया है। चार साल की नौकरी कोई नहीं करना चाहता। राम मंदिर को मुद्दा बनाया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि रोजगार मुद्दा होना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी के 50 प्रतिशत से ज्यादा रिजर्वेशन पर भी सवाल उठाए और इसे जनरल कैटेगरी के साथ धोखा बताया। अंकित ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बैंकों का निजीकरण करने का बयान भी दुर्भाग्यपूर्ण है। पहले ही सरकारी क्षेत्र में नौकरियां खत्म हो गई हैं। ऐसे में बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करना सही नहीं है। गोल्डी ने कहा- महंगाई-बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या
ऊना निवासी गोल्डी ने बताया कि बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़ी समस्या है। अमीर और ज्यादा अमीर बन रहा है, गरीब और ज्यादा गरीब हो रहा है। यह खाई कम होनी चाहिए। वह इन मुद्दों पर बात करने वाले प्रत्याशी को वोट करेंगे। वरिष्ठ पत्रकार की नजर में हमीरपुर का चुनाव
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश कंवर ने कहा कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में अग्निवीर भर्ती योजना एक बड़ा मुद्दा है। इसका चुनाव में इंपैक्ट नजर आएगा। अग्निवीर योजना को लेकर न केवल बच्चों में बल्कि उनके परिजनों में भी रोष है। बहुत सारे फौजी भी खुले तौर पर इस योजना का विरोध कर रहे हैं। भाजपा लगातार 26 साल से इस सीट पर है। अनुराग ठाकुर लगातार जीतते आ रहे हैं। वह अपने कई काम गिनाते हैं। इसका उन्हें फायदा मिलेगा। वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा मैदान में उतारा है। कांग्रेस इस बार काफी संघर्ष कर रही है और बीजेपी को महंगाई, भ्रष्टाचार, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मुद्दों पर घेरने का प्रयास कर रही है। बेशक अनुराग पिछला चुनाव लगभग चार लाख मतों के अंतर से जीते हैं। मगर इस बार चुनाव जीतना इतना आसान नहीं है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने 25-26 साल बाद ऊना से उम्मीदवार दिया है। इसलिए वहां के लोगों में अंडर करंट चल रहा है कि ऊना से सांसद जिताया जाए। ऐसे में जो पार्टी बिलासपुर का विश्वास जीतेगी, वो चुनाव जीतेगी। अब पढ़िए पार्टी के नेता क्या बोला… शगुन- हमीरपुर में कांग्रेस वर्कर जोश से लबरेज
प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया पैनलिस्ट व स्टेट कॉर्डिनेटर सोशल मीडिया शगुन दत्त शर्मा ने बताया कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का कार्यकर्ता इस बार जोश से लबरेज है। हमीरपुर की जनता ने बीजेपी को 1998 से लेकर निरंतर मौका दिया। मगर सांसद को जो काम करने चाहिए थे, वो नहीं कर पाए। इससे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। 1 लाख रोजगार के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा किा राज्य चयन आयोग का गठन कर दिया गया है। अब भर्तियां जल्द शुरू होंगी। पहले का स्टाफ सिलेक्शन कमीशन भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था। इस वजह से भर्तियां नहीं हो पाई थी। बीजेपी नेता बोले- अग्निवीर को लेकर विपक्ष फैला रहा भ्रांति
BJP के प्रदेश सचिव नरेंद्र अत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और अनुराग के काम ने जनता को प्रभावित किया है। वहीं हिमाचल सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियां पूरी नहीं की। आम जन मानस ने कांग्रेस सरकार पर अपना विश्वास खोया है। युवाओं को एक लाख देने का वादा भी पूरा नहीं किया। महिलाओं को 1500 रुपए नहीं दिए जा रहे। अग्निवीर योजना के सवाल पर उन्होंने कहा देश की आजादी के बाद सेना की सबसे ज्यादा चिंता BJP ने की है। किसी शहीद की पार्थिव देह को उसके घर तक पहुंचाने का कार्य भाजपा सरकार ने किया। अग्निवीर को लेकर अमित शाह को भी देनी पड़ी सफाई
हिमाचल को देवभूमि के साथ वीरभूमि भी कहा जाता है। बीजेपी भी इस बात को समझ रही है कि हिमाचल में अग्निवीर भर्ती योजना मुद्दा बन रही है। खासकर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में, क्योंकि यहां से सबसे ज्यादा युवा सेवा में भर्ती होता है। इसे देखते हुए गृह मत्री अमित शाह ने भी धर्मशाला में दो दिन पहले अग्निवीर योजना को लेकर राहुल गांधी झूठ फैलाने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 4 साल के बाद 75 प्रतिशत अग्निवीरों का कोई भविष्य ही नहीं है, इनका जीवन बर्बाद हो जाएगा। दरअसल, इस योजना के अंतर्गत अगर 100 जवान अग्निवीर बनते बनते हैं तो उनमें से 25 प्रतिशत की तो सीधे सेना में परमानेंट पोस्टिंग हो जाएंगी। 75 प्रतिशत बचे हुए जवानों के लिए भाजपा शासित सभी राज्य सरकारों ने अपनी पुलिस फोर्स में 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत रिजर्वेशन किया है। केंद्र सरकार के पैरामिलिट्री फोर्स में भी 10 प्रतिशत रिजर्वेशन किया गया है। इनको रिज़र्व सीटों के उपरान्त सेलेक्शन में भी बहुत सी रियायतें दी हैं।
हिमाचल के अधिकारियों-कर्मचारियों को झटका:सरकार ने स्टडी लीव पर लगाई शर्तें; वित्त विभाग से लेनी होगी मंजूरी, 40% सैलरी मिलेगी
हिमाचल के अधिकारियों-कर्मचारियों को झटका:सरकार ने स्टडी लीव पर लगाई शर्तें; वित्त विभाग से लेनी होगी मंजूरी, 40% सैलरी मिलेगी हिमाचल सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों की स्टडी लीव पर शर्तें लगा दी है। इसके बाद प्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों को स्टडी लीव लेना आसान नहीं रह गया है। वित्त सचिव ने एक ऑफिस मेमोरेंडम निकालकर स्पष्ट किया कि स्टडी लीव को अब विभागाध्यक्ष (HOD) अपने स्तर पर मंजूरी नहीं दे पाएंगे। स्टडी लीव की मंजूरी अब वित्त विभाग से लेनी होगी। जाहिर है कि इसके बाद किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के लिए स्टडी लीव लेना आसान नहीं रहेगा। अब तक सेंटर सिविल सर्विस रूल्स 1972 के तहत विभागाध्यक्ष द्वारा स्टडी लीव की मंजूरी देने का प्रावधान था।राज्य सरकार ने इस व्यवस्था को बदल दिया है। स्टडी लीव के दौरान 40% वेतन मिलेगा वित्त सचिव के आदेशों के बाद अब स्टडी लीव के दौरान अधिकारी व कर्मचारी को 40 प्रतिशत सैलरी मिलेगा। सेंटर सिविल सर्विस रूल्स के तहत प्रत्येक कर्मचारी को 2 साल की स्टडी लीव लेने का अधिकार है। इस दौरान अधिकारियों व कर्मचारियों को पूरी सैलरी मिलती है। मगर अब नहीं मिलेगी। स्टडी लीव पर जाने के इच्छुक अधिकारियों को झटका सरकार के इस फैसले से उन अधिकारियों व कर्मचारियों की उम्मीदों को झटका लगा है जो स्टडी लीव पर जाने की योजना बना रहे हैं। आपको बता दें कि स्टडी लीव पर ज्यादातर IAS, HAS व क्लास वन ऑफिसर देश व विदेश जाते रहते हैं। इस दौरान उन्हें पूरी सैलरी मिलती थी।