लद्दाख में छात्रों और युवाओं का प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुका है। राजधानी लेह में बुधवार को छात्रों ने BJP कार्यालय और CRPF वाहन में आग लगा दी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। प्रदर्शनकारियों की बिगड़ी तबीयत और भी तनाव बढ़ा रही है।
क्यों भड़का प्रदर्शन?
छात्रों और युवाओं का गुस्सा मुख्य रूप से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने पर है। 2019 में जब लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब छात्रों और स्थानीय युवाओं को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें विशेष अधिकार और संवैधानिक सुरक्षा दी जाएगी। लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी ये वादे पूरे नहीं हुए, जिससे गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा।
छात्र आंदोलन का नेतृत्व जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे हैं। वे पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। उनकी और कुछ प्रदर्शनकारियों की बिगड़ी तबीयत ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया।
आंदोलन का स्वरूप:
- छात्र लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और धीरे-धीरे इसमें स्थानीय लोग भी शामिल हो रहे हैं।
- प्रदर्शन के दौरान लेह हिल काउंसिल की इमारत पर पथराव हुआ।
- प्रदर्शनकारियों की मांग लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करना और राज्य का दर्जा देना है।
- महिलाओं और पुरुषों की बड़ी संख्या में भागीदारी देखने को मिली है।
सरकारी प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति:
- गृह मंत्रालय ने लद्दाख के नेताओं से बातचीत शुरू कर दी है।
- अगली बैठक 6 अक्टूबर, नई दिल्ली में होगी।
- अधिकारियों ने संवेदनशील स्थलों और प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी है।
कारगिल में भी आंदोलन:
- आंदोलन के समर्थन में कारगिल में पूर्ण बंद की घोषणा की गई है।
- आंदोलन धीरे-धीरे पूरे लद्दाख में फैल रहा है।
स्थानीय और राष्ट्रीय चिंता:
स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि यह आंदोलन आगे और व्यापक रूप ले सकता है। जैसे-जैसे छात्र और आम लोग इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि केंद्र सरकार इस बढ़ते असंतोष का सामना कैसे करेगी और लद्दाख के भविष्य के लिए क्या रणनीति बनाएगी।
