राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक AC स्लीपर बस अचानक आग का गोला बन गई। हादसा इतना भयानक था कि 20 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई और करीब 16 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
बस में कुल 57 यात्री सवार थे। हादसा थईयात गांव के पास हुआ, जो जोधपुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
कैसे लगी आग
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस में अचानक धुआं निकलना शुरू हुआ, फिर कुछ ही सेकंड में लपटें उठने लगीं।
यात्रियों के चिल्लाने के बावजूद ड्राइवर ने बस नहीं रोकी और करीब 800 मीटर तक बस दौड़ती रही। इसी वजह से आग और फैल गई और लोग बाहर नहीं निकल पाए।
आग लगने की वजह को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं —
- शॉर्ट सर्किट की संभावना जताई जा रही है।
- कुछ लोगों का कहना है कि बस में पटाखे या विस्फोटक सामान रखा गया था, जिससे आग तेजी से भड़की।
जांच टीम ने दोनों पहलुओं पर जांच शुरू कर दी है।
राहत और बचाव कार्य
आग लगते ही मौके पर फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम पहुंची। कई लोगों को स्थानीय ग्रामीणों की मदद से बाहर निकाला गया।
गंभीर रूप से झुलसे लोगों को तुरंत ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचाया गया।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और जिला प्रशासन के अधिकारी रात में ही अस्पताल पहुंचे और घायलों का हाल जाना।
मृतक और घायल
इस हादसे में 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
मृतकों में 3 बच्चे भी शामिल हैं। कई शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि DNA टेस्ट से पहचान की जा रही है।
घायलों में इकबाल खान और फिरोज खान नाम के दो लोग शामिल हैं, जो जोधपुर के गंगाना इलाके के रहने वाले हैं। दोनों का इलाज महात्मा गांधी अस्पताल में चल रहा है और उनकी हालत अब सामान्य बताई जा रही है।
एक ही परिवार खत्म
इस हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया।
महेंद्र मेघवाल नाम के व्यक्ति का पूरा परिवार (पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा) इस आग में जिंदा जल गया।
महेंद्र जोधपुर के बालेसर क्षेत्र के लावारान शेतरावा गांव के रहने वाले थे और फिलहाल जैसलमेर की इंद्रा कॉलोनी में किराए पर रहते थे। वे गोला-बारूद डिपो में पोस्टेड थे।
अन्य पीड़ित
मृतकों में एक पत्रकार राजेंद्र चौहान और 79 साल के हुसैन खान का नाम भी शामिल है।
इन दोनों की मौत से क्षेत्र में शोक की लहर है।
घायल की मां का बयान
घायल आशीष की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“बस में आग लगने के बाद भी ड्राइवर नहीं रुका। बस में लपटें उठ रही थीं, लोग चिल्ला रहे थे, लेकिन उसने करीब 800 मीटर तक बस दौड़ाई। अगर वो रुक जाता, तो कई जानें बच सकती थीं।”
बस सिर्फ 5 दिन पुरानी थी
रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस बस में हादसा हुआ, वो सिर्फ 5 दिन पहले ही खरीदी गई थी।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतनी नई बस में आग कैसे लग गई — क्या कोई तकनीकी खराबी थी या लापरवाही?
मदद और मुआवज़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर दुख जताया है और मृतकों के परिवारों को ₹2 लाख तथा घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
राज्य सरकार ने भी अपनी ओर से सहायता राशि की घोषणा की है और जांच के आदेश दिए हैं।
फिलहाल स्थिति
- जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में घायलों का इलाज जारी है।
- पुलिस और फोरेंसिक टीम आग लगने के असली कारणों की जांच कर रही है।
- कुछ शवों की पहचान DNA सैंपलिंग के ज़रिए की जा रही है।
- प्रशासन ने बताया कि हादसे वाली बस को जब्त कर लिया गया है।
यह हादसा पूरे राजस्थान को झकझोर गया है। जिन परिवारों ने अपने अपने लोगों को खोया है, उनके घरों में मातम पसरा हुआ है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक सड़कों पर लापरवाही से लोगों की जान जाती रहेगी।

