किन्नर समाज ने पेश की मिसाल, हर साल 10 गरीब हिंदू-मुस्लिम लड़कियों की शादी करा रहीं नीतू मौसी
किन्नर समाज ने पेश की मिसाल, हर साल 10 गरीब हिंदू-मुस्लिम लड़कियों की शादी करा रहीं नीतू मौसी <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> इस महंगाई के दौर में लोगों को अपने बच्चों का लालन-पालन करने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन राजस्थान के भरतपुर शहर में किन्नर समाज की मुखिया 69 वर्षीय नीतू मौसी द्वारा हर वर्ष की तरह 10 गरीब घरों की लड़कियों की शादी कराई गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भरतपुर के किन्नरों ने समाज में एक अनूठी मिसाल कायम की है. क्योंकि पूरे साल यह किन्नर समुदाय द्वारा जो भी कमाई की जाती है उस कमाई को हर वर्ष गरीब हिंदू-मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए खर्च की जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक ही मंडप में गरीब हिंदू-मुस्लिम लड़कियों का एक साथ विवाह कराया जाता है. इन कन्याओं की शादी में गृहस्थी के सभी सामान दिये जाते हैं और बारातियों को भोजन भी कराया जाता है. शादी में दुल्हन को उपहार में सोने चांदी के जेवरात और घर के लिए फ्रिज,बर्तन,बेड सहित सभी जरूरत के सामान दिये जाते हैं और गरीब बेटियों की शादी का यह सिलसिला विगत 14 वर्षों से लगातार चला आ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आज भी किन्नर नीतू मौसी ने 10 गरीब बेटियों की शादी करवाई. एक ही मंडप में हिन्दू और मुस्लिम बेटियों की एक साथ शादी करवाई गई है. सभी हिन्दू व् मुस्लिम बेटियों की शादी एक साथ एक ही मंडप में करवाई गई है. जहाँ हजारों की संख्या में बाराती व् घराती शादी में पहुंचे. सभी के लिए खाना और नाश्ते का भी इंतजाम किया गया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है की हर वर्ष 10 गरीब हिंदू – मुस्लिम लड़कियों की अपने खर्चे से शादी कराने वाले किन्नरों की शहर में चारों तरफ प्रशंसा की जा रही है. पूरे साल घरों में जाकर नवजात शिशु को आशीर्वाद देने, विवाह के अवसर पर आशीर्वाद देने वाले किन्नर जो कमाई करते हैं सारा खर्चा हर वर्ष इन गरीब कन्याओं की शादी में खर्च कर दिया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या कहना है नीतू मौसी का </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नीतू किन्नर ने बताया है की आज 13वां सर्वधर्म विवाह सम्मेलन है. आज तक 130 गरीब कन्याओं की शादी की जा चुकी है. हर वर्ष हिन्दू और मुस्लिम कन्याओं का विवाह कराया जाता है. आज भी 8 कन्या हिन्दू धर्म से है और 2 कन्या मुस्लिम धर्म की है. एक ही मंडप में सभी शादिया कराई जाती है. समाज में किन्नरों को हीन भावना से देखा जाता था तो मैंने सोचा की ऐसा काम करना चाहिए जिससे मरने के बाद मुझे कोई हीन भावना से नहीं देखे और मैंने सोचा की कन्याओं का सभी जगह पूजन किया जाता है इसलिए गरीब कन्याओं की शादी कराना शुरू कर दिया.</p>
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