रेप केस में समझौते के लिए मस्जिद की शिकायत:बागपत कोर्ट ने भी अवैध माना, बुजुर्ग बोले- हमने बचपन से यहां मस्जिद देखी

रेप केस में समझौते के लिए मस्जिद की शिकायत:बागपत कोर्ट ने भी अवैध माना, बुजुर्ग बोले- हमने बचपन से यहां मस्जिद देखी ‘मैंने आज तक यहां पर कभी तालाब नहीं देखा। सिर्फ मस्जिद ही देखी है। यह तो ऊपर वाले का घर है। कोर्ट जो भी माने, लेकिन हम तो इसे मस्जिद ही मानेंगे।’ यह कहना है 70 साल के अख्तर का। अख्तर बागपत जिले में राजपुर खामपुर गांव के रहने वाले हैं। इस गांव की करीब 65-70 साल पुरानी मस्जिद को तहसील कोर्ट ने खाली करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना है कि ये मस्जिद तालाब की जमीन पर बनी है। गांव के लोग इस फैसले के खिलाफ हैं। अपनी पूरी जिंदगी इसी गांव में बिता चुके बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने इस जगह पर आज तक तालाब नहीं देखा। यहां पहले खाली जमीन थी, फिर मस्जिद बनी। इस बात का समर्थन हिंदू और मुसलमान दोनों ही करते हैं। लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ मस्जिद पक्ष ने ऊपरी अदालत में अपील दायर की है। जिस पर लंबी सुनवाई चलने की उम्मीद है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जारी विवाद के बीच अब उत्तर प्रदेश में भी मस्जिदों पर विवाद शुरू हो गया है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर जाकर इस पूरे केस की पड़ताल की और सभी पहलुओं को समझा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले पूरा मामला समझिए…
यूपी के बागपत जिले में हरियाणा बॉर्डर से सटा हुआ खादर का गांव है राजपुर खामपुर। 28 अक्टूबर, 2024 को सहायक कलेक्टर/तहसीलदार अभिषेक कुमार सिंह ने 5 पेज का आदेश जारी किया। इसमें लिखा था कि खसरा नंबर-603, तालाब के क्षेत्रफल 0.630 में से 0.282 हेक्टेयर पर अवैध कब्जा करके मस्जिद बनाने पर फरियाद पुत्र वहीद को बेदखल किया जाता है। फरियाद पर 4,12,650 रुपए का अर्थदंड (जुर्माना) और 5000 रुपए निष्पादन व्यय (execution expenses) लगाया जाता है। इस आदेश में कहीं पर भी मस्जिद गिराने का जिक्र लिखित तौर पर नहीं है। इस आदेश के बाद तहसील की एक टीम ने गांव का दौरा करके मस्जिद की भौगोलिक स्थिति भी देखी है। तीन तालाबों पर कब्जे की HC में हुई थी शिकायत
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत साल, 2019 से हुई। मस्जिद से करीब 500 मीटर दूर गुलशार का घर है। उनकी शिकायत पर तहसील कोर्ट ने मस्जिद को अवैध निर्माण मानते हुए खाली करने का आदेश दिया। पूरा मसला समझने के लिए हम सबसे पहले गुलशार के घर पहुंचे। दोनों पैरों से दिव्यांग गुलशार घर के बाहर वाले कमरे में बेड पर बैठे मिले। गुलशार बताते हैं- मैं समाजसेवी हूं। मुझे पता चला कि हमारे गांव में तीन तालाब हुआ करते थे। बाद में तीनों तालाबों पर अवैध कब्जे हो गए। खसरा नंबर- 603 पर एक मस्जिद और 6 मकान, खसरा नंबर- 617 पर 30 से ज्यादा मकान बने हैं। खसरा नंबर- 636 पर फसल खड़ी है। ये तीनों खसरा नंबर सरकारी कागजातों में तालाब के नाम पर हैं। मैंने 2019 में सबसे पहले बागपत DM को शिकायत भेजी। उन्होंने तत्कालीन लेखपाल विनोद वर्मा से जांच कराई। जांच में लेखपाल ने बताया कि तालाब की जमीन पर सिर्फ मस्जिद बनी है, बाकी कुछ और नहीं। मैंने इस जांच रिपोर्ट पर 2020 में मेरठ कमिश्नर के यहां आपत्ति दाखिल की। वहां से फिर जांच का आदेश हुआ। दूसरी जांच में भी लेखपाल ने पहले जैसी रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद 2022 में मैं मुख्यमंत्री कार्यालय, लखनऊ गया। प्रशासनिक स्तर पर एक्शन नहीं होने पर मैंने 15 जुलाई, 2024 को सीधे इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। महज 14 दिन बाद ही 29 जुलाई, 2024 को हाईकोर्ट ने बागपत तहसील कोर्ट को आदेश दिया कि मामले का 90 दिन में निस्तारण करें। ठीक एक महीने के भीतर यानी 28 अक्टूबर, 2024 को बागपत तहसील कोर्ट ने मस्जिद को अवैध निर्माण पाते हुए इसे खाली करने का आदेश दे दिया। मैंने कुल तीन तालाबों पर अवैध कब्जों की शिकायत हाईकोर्ट में की थी। हाईकोर्ट ने पूरी शिकायत निस्तारित करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद तहसील कोर्ट ने सिर्फ एक तालाब के अवैध निर्माण पर फैसला सुनाया है। गुलशार बोले- शिकायत करने पर मेरा दरवाजा तोड़ दिया
शिकायतकर्ता गुलशार बताते हैं- मेरे शिकायत करने के बाद गांव के कुछ लोगों ने मुझ पर जुल्म करने शुरू कर दिए। एक बार उन्होंने मेरे घर का गेट तोड़ दिया। मुझे और भी कई तरह से प्रताड़ित किया। इस वजह से मेरा मोबाइल रिपेयरिंग का काम-धंधा बंद हो गया। घर के एक कोने में टूटा-फूटा रखा दुकान का काउंटर दिखाते हुए गुलशार कहते हैं- मैं चाहता हूं कि गांव के तीनों तालाब पहले की तरह हों। बुजुर्ग बोले- जो शिकायत कर रहा, वो रेप केस में फंसा है
यहां से हम सीधे उस मस्जिद पर पहुंचे, जिसको लेकर पूरा विवाद है। गांव के बाहरी छोर पर सरकारी स्कूल के सामने एक रास्ता जाता है। इसी रास्ते पर मस्जिद बनी है। मस्जिद के बगल में दोनों तरफ करीब 5-6 मकान बने हैं। दोपहर के साढ़े 12 बज रहे थे। मस्जिद में ताला लगा था। पता चला, फरियाद सिर्फ सुबह-शाम के वक्त नमाज पढ़ाने के लिए आते हैं। यहां पर हमने स्थानीय बुजुर्गों से बात करके तालाब की जमीन पर मस्जिद निर्माण की असलियत समझनी चाही। 70 साल के मोहम्मद अख्तर बताते हैं- मैंने आज तक यहां पर कभी तालाब नहीं देखा। यहां सिर्फ मस्जिद ही देखी है। ये तो ऊपर वाले का घर है। वो आगे बताते हैं- दरअसल, ये आपस की लड़ाई है। जो युवक मस्जिद की शिकायत कर रहा, वो पहले रेप केस में फंस चुका है। जिस परिवार ने मुकदमा दर्ज कराया था, वो मस्जिद के पास ही रहता है। शिकायतकर्ता चाहता है कि रेप केस में समझौता हो जाए तो मस्जिद और घरों के अवैध निर्माण की शिकायत वापस ले लेगा। गांव के बुजुर्ग शीदा बताते हैं- हमें 70 साल हो गए देखते हुए, ये मस्जिद ही है। सिर्फ एक व्यक्ति ने शिकायत की है कि तालाब की जमीन पर मस्जिद बनाई गई है। पूरे गांव में उसके अलावा कोई और ये बात नहीं कह रहा। वो व्यक्ति पूरे गांव के खिलाफ है। उसे सिर्फ पैसे चाहिएं। ‘मस्जिद को ऐसे तो नहीं ढहाने देंगे’
इसी मोहल्ले में रहने वाले संजीव बताते हैं- 70-75 साल पहले मस्जिद बनी थी। हम शुरू से ही इसको मस्जिद देखते आ रहे हैं। यहां तालाब जैसा कुछ नहीं है। शिकायतकर्ता पैसे मांग रहा है और ब्लैकमेल कर रहा है। हम मस्जिद को ऐसे थोड़े ही ढहाने देंगे। अगर ऐसा हुआ तो फिर पूरा मोहल्ला ही खत्म हो जाएगा। ‘सिर्फ एक व्यक्ति बताता है तालाब, कोई और नहीं’
स्थानीय युवकों से बातचीत के बाद हम गांव के प्रधान रामसेवक के घर पर पहुंचे। 80 साल के रामसेवक घर के बाहर चारपाई पर बैठे मिले। वो ऑन कैमरा बातचीत को तैयार नहीं हुए। इन्हीं के पास 65 साल के रामफल बैठे थे। वो बोले- हमने आज तक उस जमीन पर तालाब नहीं देखा। हमारे बुजुर्गों ने भी तालाब जैसी बात कभी नहीं बताई। हमारा गांव शांत है। यहां कभी झगड़ा नहीं हुआ। सिर्फ एक व्यक्ति गुलशार कहता है कि उस जमीन पर कभी तालाब हुआ करता था। ये बात उसके अलावा कोई और नहीं कह रहा। यहीं पर मौजूद कुछ अन्य युवकों ने नाम न छापने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया- गुलशार के खिलाफ कई साल पहले रेप का मुकदमा दर्ज हुआ था। इस वजह से वह मस्जिद और पूरे मोहल्ले से रंजिश मानता है। इसी के चलते उसने ये शिकायत की है, ताकि वो अपने खिलाफ दर्ज रेप के मुकदमे में समझौता करने का दबाव बना सके। गुलशार बोला- मुझे झूठा फंसाया, मस्जिद प्रकरण से इसका मतलब नहीं
मुकदमे की सच्चाई जानने के लिए हमने फिर से गुलशार से बातचीत की। उन्होंने बताया- मैंने साल 2019 में तत्कालीन प्रधान सतेंद्र चौधरी के खिलाफ विकास कार्यों में किए गए गड़बड़झाले की शिकायत की थी। जांच में आरोप सही पाए गए। डीएम ने तत्कालीन प्रधान से 1 करोड़ 28 लाख रुपए की रिकवरी करने का आदेश दिया। इसमें 58 लाख रुपए की रिकवरी हो भी गई थी। तत्कालीन प्रधान पक्ष ने इस केस में समझौते के लिए मुझ पर खूब दबाव बनाया। वो 10 लाख रुपए लेकर मेरे घर भी आए, लेकिन मैंने समझौता करने से मना कर दिया। गुलशार ने बताया- मेरे 20 हजार रुपए एक महिला पर उधार थे। पूर्व प्रधान ने उस महिला को मेरे खिलाफ इस्तेमाल किया और मुझ पर साल 2021 के आखिर में थाना बड़ौत में रेप की FIR करा दी। बागपत कोर्ट में अब ये केस ट्रायल पर चल रहा है। मैं इस केस में पूरी तरह निर्दोष हूं। वकील के जरिए मैं अपना पक्ष मजबूती से कोर्ट में रखूंगा। ग्रामीणों की ये बात पूरी तरह गलत है कि मैं इस केस में समझौते के लिए अवैध निर्माण की शिकायत कर रहा हूं। इस केस का मस्जिद प्रकरण से कोई मतलब नहीं है। वकील बोले- कोर्ट के आदेश के खिलाफ आपत्ति दायर
सबसे आखिर में हम मस्जिद के मुतवल्ली (देख-रेख करने वाले) फरियाद के घर पहुंचे। गांव के बाहर मुख्य रास्ते पर ही उनका घर है। घर पर वो फर्नीचर बनाने का काम करते हैं। फरियाद हमें फर्नीचर बनाते मिले। फरियाद ने कोई भी बात करने से इनकार कर दिया और अपने वकील का मोबाइल नंबर दे दिया। हमने मस्जिद पक्ष के वकील दिनेश शर्मा से फोन पर बात की। वकील ने बताया- तहसील कोर्ट के फैसले के खिलाफ हमने डीएम कोर्ट में आपत्ति दायर कर दी है। वहां हम पूरा पक्ष रखेंगे। इस आपत्ति पर डीएम कोर्ट में 18 नवंबर को सुनवाई होगी। रिपोर्ट सहयोगी : आशीष त्यागी ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में प्रदूषण से 8 साल उम्र घटी, 30 साल में हवा 1000% खराब हुई; दुनिया के सबसे खराब हवा वाले शहरों में गाजियाबाद-नोएडा दिवाली के बाद से यूपी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी यूपी के शहरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। दिल्ली के पास के गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ जैसे जिलों में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही, हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। नवंबर के पहले हफ्ते से ही इन शहरों का AQI 300 से ऊपर दर्ज हो रहा है। AQI से ही हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। 300 से ऊपर AQI खराब कैटेगरी में आता है। दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ सहित और आसपास के जिलों में भी AQI 150 से ऊपर रह रहा है। यह हवा भी हेल्थ पर बुरा असर डालने वाली होती है। खासकर बीमार, बुजुर्ग और बच्चों के लिए। WHO के मुताबिक, बढ़े प्रदूषण की वजह से यूपी के लोगों की औसत उम्र में 8.6 साल की कमी आई है। पढ़ें पूरी खबर…

काशी इतिहास से भी पुराना और किंवदंतियों से भी प्राचीन:भगवान शिव से पहले विष्णु का निवास स्थान था; 4 जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली, बुद्ध ने यहीं पहला उपदेश दिया

काशी इतिहास से भी पुराना और किंवदंतियों से भी प्राचीन:भगवान शिव से पहले विष्णु का निवास स्थान था; 4 जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली, बुद्ध ने यहीं पहला उपदेश दिया आज वो दिन है जब सब देवतागण भगवान शिव से मिलने उनके घर काशी में उतरेंगे। ये वजह है बनारस में भव्य देव दीपावली मनाने के पीछे। मान्यता है कि काशी भगवान शिव का घर है। हजारों साल पहले जब उन्होंने देवताओं को बचाने के लिए त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया तो सभी देवगण भगवान शिव से मिलने काशी नगरी पहुंचे। यहां देवताओं ने गंगा स्नान किया और दीपदान किया। तभी से काशी इस दुनिया में अपने तरह के इकलौते और दिव्य पर्व का गवाह बनती आ रही है। काशी यानी बनारस की प्राचीनता, शहर को लेकर कौतूहल, इसका मिजाज, यहां का रहन-सहन हमेशा से ही दुनिया की तमाम नजरों को आकर्षित करता रहा है। इस देव दीपावली पर जानिए इस शहर की प्राचीनता से लेकर इसका शिव के घर-आंगन और सब माया से मुक्त करने वाले मोक्ष की राजधानी बनने की पूरी कहानी… ‘बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबको एक जगह कर दिया जाए तो उस संग्रह से भी दोगुनी प्राचीन है।’ ये बातें अमेरिका के महान लेखकों में शुमार मार्क ट्वेन ने अपनी किताब ‘ट्रवेलॉग फॉलोइंग द इक्वेटर’ में लिखी। बनारस की प्राचीनता, उसकी दिव्यता और उसके मस्तमौलापन पर ना जाने कितना कुछ लिखा गया है। उन सबकी प्रतिध्वनि इन पंक्तियों में आती है। बनारस अपने आप में एक अलग दुनिया है। एक अलग संस्कृति है। काशी का जिक्र वेदों से लेकर पुराणों, महाकाव्य महाभारत और रामायण में मिलता है। कभी तीर्थ के रूप में, तो कभी मोक्ष दायिनी नगरी के रूप में, तो कभी शिव के त्रिशूल के बीचो-बीच नोंक पर टिकी सहस्त्र तो कभी सदियों से बहती सभ्यता के रूप में। आर्कियोलॉजिकल साक्ष्यों में भी दुनिया के प्राचीनतम शहरों में काशी
ऐसा नहीं है कि दुनिया के प्राचीनतम शहरों का एक मात्र दावेदार काशी है। इस फेहरिस्त में ग्रीस की राजधानी एथेंस, सीरिया की राजधानी दमास्कस (दमिश्क), लेबनान का बाइब्लोस शहर और बुल्गारिया के प्लोवदीव शहर पर भी अपना दावा मजबूत करते हैं। ऐसे में, जब प्राचीनता के ठोस आधार आर्कियोलॉजिकल सबूतों पर जाते हैं तो ये सभी शहर समय में करीब 8 से 10 हजार साल पीछे जाते हैं। वाराणसी के पड़ोसी जिले चंदौली में विंध्य की गुफाओं में पाषाण काल में लोगों के रहने के सबूत मिलते हैं। यह क्षेत्र कभी काशी का ही हिस्सा थे। दुनिया के दूसरे प्राचीन शहरों की प्राचीनता भी वहां मिले ऐसे रॉक सेल्टर्स से साबित होती है। ऋग्वेद से लेकर महाभारत में काशी का जिक्र
काशी की प्राचीनता को लेकर ना उस शहर को किसी प्रमाण की जरूरत रही, ना ही वहां के बाशिंदों को। उन्हें पता है कि ऋग्वेद से लेकर पुराणों में काशी आती है। रामायण और महाभारत काल में काशी देवताओं का निवास स्थान बनी। काशी ऋग्वेद के तीसरे, छठे और सातवें मंडल में आती है। यहां श्लोकों में काशी को ‘प्रकाश का शहर’ कहा गया है। काशी शब्द खुद संस्कृत के ‘कस’ शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है- वो जिसमें रोशनी हो। ऋग्वेद से आगे बढ़ते हैं तो काशी पहुंचाती है स्कंद पुराण में। इसमें काशी खंड नाम से पूरा एक हिस्सा है। इसमें कुल 1500 श्लोकों में काशी नगर की महिमा का गान किया गया है। हरिवंश पुराण में काशी का पवित्र नगरी के रूप में जिक्र मिलता है। मत्स्य और शिव पुराण में वरुणा और असी नदी से मिलकर वाराणसी नाम पड़ने का जिक्र है। इससे आगे बढ़ने पर उपनिषदों के साथ ही रामायण और महाभारत में भी काशी का उल्लेख है। इस तरह प्राचीन भारत से जुड़े हिंदू धर्म के जितने भी ग्रंथ हैं उनमें काशी का वास है। यही वजह है कि काशी को कई आधुनिक लेखक और दार्शनिक इन ग्रंथों से भी प्राचीन बताते हैं। काशी मतलब शिव और शिव मतलब काशी। यह हम नहीं खुद पुराण कहते हैं। वहां का मानस कहता है। यहां सवाल उठता है कि काशी नगरी शिव का घर कैसे बनी? काशी शिव का पर्याय कैसे बना? तो जवाब मिलता है पुराणों में। स्कंद पुराण के एक श्लोक में भगवान शिव कहते हैं- तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास स्थान है काशी। पुराणों के ही मुताबिक काशी पहले भगवान विष्णु की पुरी थी। यहां श्रीहरि के आनंदश्रु् गिरे थे। इससे वहां बिंदु सरोवर बन गया और प्रभु वहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। लेकिन फिर भगवान शिव को काशी भा गई। ऐसी रमी कि उन्होंने भगवान विष्णु से इसे अपना आवास बनाने के लिए मांग लिया। कहा जाता है कि तब से भी काशी भगवान शिव का स्थाई पता बन गई। एक दूसरी कहानी के मुताबिक इस शहर का निर्माण स्वयं भगवान शिव ने किया था और इस पृथ्वी पर अपना घर चुना था। एक अन्य मान्यता के मुताबिक भगवान शिव पहले तपस्वी थे। वो हिमालय पर रहते थे, लेकिन उन्होंने एक राजकुमारी यानी देवी पार्वती से शादी की तो सुखी पारिवारिक जीवन बिताने के लिए मैदानी इलाके यानी काशी में आ गए। बाद में किसी कारणवश भगवान शिव और पार्वती को काशी छोड़ कर मंदार पर्वत पर जाना पड़ा। आज भी माना जाता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है और इस शहर पर भगवान शिव की विशेष कृपा है। स्कंद पुराण और हरिवंश पुराण में काशी का तीर्थ के रूप में व्यापक रूप से उल्लेख मिलता है। इन पुराणों में बताया गया है कि कैसे काशी में पग-पग पर एक तीर्थ स्थल मौजूद है। इनके मुताबिक इस शहर में एक तिल के बराबर भी ऐसी जगह नहीं है जहां भगवान शिव का लिङ्ग ना हो। स्कंद पुराण के सिर्फ काशी खंड के दशवें अध्याय में चौसठ शिवलिङ्गो का उल्लेख है। मत्स्यपुराण के मुताबिक काशी में पांच प्रमुख तीर्थ हैं- पहला दशाखमेध, दूसरा लोलार्क कुंड, तीसरा केशव, चौथा बिंदुमाधव और पांचवा मणिकर्णिका। पुराणों में काशी जैसे पवित्र तीर्थ स्थल पर दान की महिमा का भी जिक्र मिलता है। इसी तरह काशी का विद्या के साथ भी पुराना नाता है, जो आज तक चला आ रहा है। प्राचीन समय से यहां के मठ और मंदिर विद्या के केंद्र के रूप में स्थापित हुए। अमेरिकी लेखक ने यहां हिंदू धर्म और संस्कृत की शिक्षा पद्धति को देखकर इसे ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ इंडिया’ कह डाला। यह क्रम आज भी जारी है। आज यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालयों का केंद्र है। जैन और बौद्ध धर्म की भी पावन धरा है काशी काशी जैन धर्म के चार तीर्थंकरों की जन्मस्थली है। तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभु, श्रेयांशनाथ और पार्श्वनाथ का जन्म काशी की धरती पर हुआ। ये काशी ही है जहां महात्मा बुद्ध छठी शताब्दी ईसापूर्व में आए और सारनाथ में पांच शिष्यों के सामने अपना पहला उपदेश दिया। यही बाद में बौद्ध धर्म की स्थापना का आधार बना। जिस जगह पर महात्मा बुद्ध ने उपदेश दिया आज भी वह सारनाथ में सुरक्षित है। जिस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया वो बोधि वृक्ष भी उस प्रांगण में है। फिर आठवीं सदी में काशी में ही आदि शंकराचार्य आए और ऐसा माना जाता है कि उन्हें भगवान शिव ने यहीं आध्यात्मिक विनम्रता का ज्ञान दिया था। मध्य और आधुनिक काल में भी काशी विद्वानों का कौशल स्थल रही मध्यकाल यानी 10वीं सदी के बाद भी काशी विद्वानों की धरा बनी रही। यहीं लमही में 15वीं सदी में संत कबीर का जन्म हुआ। वह काशी के घाटों पर पले बढ़े। यहीं उन्होंने अपनी पवित्र वाणी से लोगों को सही मार्ग दिखाया। उनके जीवनकाल में उन्होंने जो कुछ कहा वो आज बीजक नाम के ग्रंथ में असर है। वो आज भी उतना ही प्रासंगिक और मारक है। वो काशी ही है जहां 16वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस जैसा ग्रंथ लिखा। हनुमान चालीसा सहित कई कालजयी ग्रंथों की रचना उन्होंने काशी में रहकर की। कर्नाटक के महान संगीज्ञ हुए मुत्तुस्वामी दीक्षितार यहां संगीत सीखने आए और हिंदुस्तानी राग को शिखर पर पहुंचाया। सिख गुरु, गुरुनानक देव 1506 में काशी आए और मंत्रमुग्ध हो गए। आधुनिक काल में यह हिंदी के महान लेखकों और कवियों का गढ़ बनी। इसमें प्रेमचंद से लेकर आचार्य रामचंद्र शुक्ल और जयशंकर प्रसाद जैसे लेखक और कवि शामिल हैं। इंसानी शरीर से मुक्त होकर किसने मोक्ष पाया?, इसकी गवाही इस संसार में कोई नहीं दे सकता। लेकिन काशी वो शहर है जो इस मोक्ष को पाने का रास्ता के रूप में वैदिक काल से स्थापित है। आज भी इस शहर में हजारों लोग उम्र के अंतिम पड़ाव पर रहने आ जाते हैं। 1908 में बकायदा यहां एक भवन बनाया गया। नाम दिया गया- मुक्ति भवन। इसमें मोक्ष की इच्छा लेकर आने वाले लोगों के लिए सुख-सुविधा से रहने की व्यवस्था की गई। काशी मोक्ष की राजधानी के रूप में कब से स्थापित हुआ इसके लिए करीब 4 हजार साल पहले वैदिक काल की तरफ ही रुख किया जाता है। भारत सदियों से तमाम विदेशी यात्रियों का पनाहगार रहा है। इस धरा के आकर्षण से वो यहां खींचे चले आते रहे हैं। यह सिलसिला भी काफी पुराना है। विदेशी यात्रियों में सबसे पहले जिक्र चीनी यात्री फाहियान का आता है, क्योंकि इनकी भारत में यात्रा और उनके लिखे दस्तावेज बाद में मिल पाए। चौथी सदी में गुप्त शासनकाल के समय भारत आए फाहियान के यात्रा विवरणों में काशी का जिक्र मिलता है। इसमें काशी में विशाल पन्ने का शिवलिंग होने और उसके पूजा के बारे में बताते हैं। वो खुद वाराणसी संस्कृत सीखने आए थे। फाहियान ने बताया कि वह हिंदू धर्म से काफी प्रभावित हुए। 7वीं सदी में दूसरे चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आए। अपनी यात्रा के दौरान वह भी काशी से होकर गुजरे। काशी से सटे प्रयाग के तट पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगीत सम्मेलन का आयोजन भी कराया था। 17वीं सदी में भारत आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने काशी को देखकर इसे ‘भारत का एथेंस’ कहा। 18वीं सदी में मिर्जा गालिब ने काशी को लेकर लिखा- लोग कहते हैं वो जा पहुंचा बनारस जिंदा। हमको उस घास के तिनके से यह उम्मीद न थी। ————————- ये भी पढ़ें… काशी में देव दीपावली, 40 देशों के मेहमान आएंगे:एक रात स्टे का 25 से 80 हजार तक खर्च: 39 साल पहले हुई थी शुरुआत देव दिवाली… मतलब देवताओं के धरती पर उतरकर दीपावली मनाने का उत्सव। काशी में 15 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी। इसे देखने के लिए 40 देशों के मेहमान काशी आ रहे हैं। करीब 15 लाख भी टूरिस्ट भी आएंगे, जो आयोजन का गवाह बनेंगे। इस आयोजन की शुरुआत 80 दीयों से हुई, जब काशी के सभी घाट पर 1-1 दीया जलता था। अब यह आयोजन 20 लाख दीयों तक पहुंच गया है। इस बार प्रशासन ने 17 लाख दीये जलाने का टारगेट रखा है। संत रविदास घाट से लेकर आदिकेशव घाट तक और वरुणा नदी के तट से लेकर मठों-मंदिरों तक कुल 25 लाख दीपक जगमगाएंगे। पढ़ें पूरी खबर…

कुंदरकी में भाजपा ‘रामपुर मॉडल’ चला रही:बर्क के पोते की सीट पर रामवीर मजबूत, मुस्लिम वोट नहीं बंटा, तो सपा फायदे में

कुंदरकी में भाजपा ‘रामपुर मॉडल’ चला रही:बर्क के पोते की सीट पर रामवीर मजबूत, मुस्लिम वोट नहीं बंटा, तो सपा फायदे में रामपुर में जैसा इलेक्शन हुआ, वैसा ही कुंदरकी में हो रहा है। सौ बात की एक बात…यहां 60% मुस्लिम हैं। लेकिन, रामवीर का नाम चल रहा है। यह कहना है कुंदरकी के लालपुर गांव में रहने वाले मो. रियासत ने कहा। कुंदरकी उपचुनाव से 6 दिन पहले यहां का हर चौथा आदमी ऐसी ही प्रतिक्रिया दे रहा है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है। सीएम योगी के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यहां चुनावी जनसभा कर चुके हैं। भाजपा ने ठाकुर रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने तीन बार विधायक रहे चुके हाजी रिजवान पर भरोसा जताया है। इस सीट पर 3 दशक से तुर्क नेताओं का कब्जा रहा है। सपा के अलावा बसपा और AIMIM ने यहां तुर्क कैंडिडेट उतारे हैं। तमाम सियासी समीकरण मौजूदा समय में भाजपा की स्थिति मजबूत बता रहे हैं। लेकिन, चुनाव के अंतिम दिन तक स्थिति बदल सकती है। तुर्कों के सबसे बड़े लीडर माने जाने वाले डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही कुंदरकी को सपा अपनी मजबूत सीट मानती है। अगर वह अपने कोर वोटर को एकजुट कर लेती है। बसपा और ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी कुछ खास प्रभाव नहीं डालते, तो सपा को फायदा हो सकता है। कुंदरकी सीट पर क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे? क्या यहां बड़ा उलट-फेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? यह जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची… सबसे पहले कुंदरकी का सियासी समीकरण… ​​​​​​ कुंदरकी में 31 साल पहले भाजपा जीती थी। इसके बाद यहां सपा और बसपा का कब्जा रहा। सपा लगातार तीन बार चुनाव जीत चुकी है। वह भी तब, जब मोदी और योगी लहर चल रही थी। 2022 में डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर रहमान बर्क रिकॉर्ड 43 हजार 162 वोटों से जीते। इससे पहले सपा का जीत का मार्जिन घटता नजर आया। 2017 चुनाव में हाजी रिजवान ने भाजपा के रामवीर सिंह को 10 हजार 821 वोटों से हराया, जबकि 2012 में यह अंतर 17,201 वोट था। अब 7 साल बाद फिर से हाजी रिजवान और रामवीर सिंह के बीच मुकाबला है। यह चुनाव दोनों का पॉलिटिकल करियर भी तय करेगा। अब एक नजर कुंदरकी में चल रहे प्रचार पर
दिवाली के बाद यहां चुनाव प्रचार ने तेजी पकड़ी। भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह लगातार मुस्लिम बहुल इलाकों में गए। इससे पहले वह हिंदू बहुल इलाकों में एक्टिव थे। मुस्लिम कम्युनिटी के इवेंट में रामवीर सिंह ने जालीदार टोपी पहनकर यूपी की सियासत गर्म कर दी। सपा की तरफ से हाजी रिजवान लगातार भाजपा पर माइक्रो मैनेजमेंट का आरोप लगा रहे हैं। तुर्क बिरादरी के वोटर को साधने के लिए असली-नकली जैसा बयान दे रहे हैं। इसके अलावा अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले के साथ डोर-टू-डोर कैंपेनिंग कर रहे हैं। अब बात वोटर्स की…
जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी दूर स्थित कुंदरकी ग्रामीण इलाका है। लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। यहां हम अलग-अलग इलाकों में गए। करीब 150 लोगों से बात की। लालपुर के रहने वाले किसान रियासत ने कहा- यहां प्रशासन की दबिश में चुनाव हो रहा है। हम छोटे आदमी हैं, बड़ी बातें क्यों करें? अभी रामवीर सिंह के पक्ष में हवा दिखाई दे रही है। यहां रामपुर की तरह इलेक्शन हो रहा है। लोगों के पहचान पत्र तक लिए जा रहे हैं। यही प्रशासन की दबिश है। लालपुर हमीर के रहने वाले किसान यूनुस पहलवान ने कहा- इस बार बदलाव हो रहा है। हमारे मिलने वाले, यार दोस्त भी रामवीर के नाम की चर्चा कर रहे हैं। हम हिंदू-मुस्लिम नहीं जानते। हम सिर्फ इंसानियत को जानते हैं। जो काम करेगा, वोट उसी को देंगे। रामवीर सिंह को हम पहले से जानते हैं। रौनक अली कहते हैं- बगैर मुस्लिमों के रामवीर नहीं जीत सकते, यह बात तो तय है। सरकार की बहुत सख्ती है। इस बार रामवीर जीत रहे हैं। कुंदरकी मार्केट में हमारी मुलाकात ईश्वर पाल यादव से हुई। उन्होंने कहा- यहां सपा जीत रही है। हम किसी के विरोधी नहीं हैं। लेकिन, युवाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या नौकरी की है। 2020 के बाद 2024 में पुलिस की नौकरी के लिए एग्जाम हुआ। इससे पहले पेपर लीक हुए। नौकरी निकल ही नहीं रही। सपा की सरकार में कम से कम नौकरी तो निकलती थीं। मूंढापांडे इलाके के रहने वाले किसान खोपचंद ने कहा- हवा तो भाजपा की चल रही है। योगी की रैली में भी मुस्लिम लोग दिखाई दिए। वही जीतते दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह बस्तौर के किसान सतीश कुमार ने कहा- भाजपा का ही माहौल है। लंबे समय से पार्टी नहीं जीती है। इस बार उनकी सरकार है। फरीदपुर के किसान बांके ने कहा- यहां रामवीर सिंह का माहौल है। वह अच्छे आदमी हैं। उन्हीं को लोग जिता रहे हैं। मुस्लिम वोटर भी भाजपा की तरफ हैं। वह 2017 में जीतने से चूक गए थे, लेकिन इस बार जीत सकते हैं। वह भाजपा के मजबूत कैंडिडेट हैं। कुंदरकी में हम मूंढापांडे, लालपुर, लानपुर सीकरी, चक कोलकू, हीरापुर, गदईखेड़ा, रनियाठेर, जगर, रौंडा, गतौरा, गणेशपुर, शहरिया, मानपुर पट्‌टी, नऊवा नगला, भजनपुरी, दौलारी, भदासना, शिवपुरी, समदा रामसहाय गांव में गए। यहां भाजपा मजबूत स्थिति में है। कुंदरकी, डोमघर, भीकनपुर, दलपतपुर, वीरपुर थान, सरकड़ा खास, मुनीमपुर, सलेमपुर, बरवाला खास, खरबरिया भूड़, खाईखेड़ा, विनावाला, नियामतपुर, सिकंदरपुर, पट्‌टी, चमरौआ, खानपुर लक्की, दौलरा, याकबूपुर छप्परा गांव में लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। अब पॉलिटिकल एक्सपर्ट की बात… ढाई साल भाजपा को देने का मन बना चुके वोटर
कुंदरकी की राजनीति को करीब से जानने वाले सीनियर जर्नलिस्ट सुनील सिंह ने कहा- कुंदरकी चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव की जनसभा के बाद धीरे-धीरे पोलराइजेशन शुरू होने लगा है। माहौल ऐसा है कि अधिकतर मतदाता अगले ढाई साल तक सत्ता के साथ जाने का मन बना रहे हैं। ऐसे में लग रहा है कि उपचुनाव में भाजपा को बढ़त मिल सकती है। सुनील सिंह ने कहा- इसके पीछे की वजह यह कि वोटर को लग रहा है कि इस चुनाव से सरकार न बननी है और न बिगड़नी है। इसलिए सत्ता के साथ रहा जाए। इससे उनके क्षेत्र में विकास के कुछ काम हो जाएंगे। अगर वो विपक्ष के विधायक को चुनते हैं, तो उनकी सुनने वाला कोई नहीं होगा। उन्हें बाकी के ढाई साल भी उपेक्षित रहना पड़ेगा। ऐसे में मतदाताओं को लग रहा है कि उनका अपना चुना हुआ विधायक सत्ताधारी दल से होगा, तो कम से कम वो उनकी बात सुनेगा। भाजपा का जो मकसद था, उसमें वो कामयाब होती दिख रही है। वोटर को यह समझ में आने लगा है कि फिलहाल सत्ता के साथ रहने में ही उनका फायदा है। अब पॉलिटिकल पार्टी की बात… हमें हर वर्ग का समर्थन, भाजपा जीतेगी उपचुनाव
मुरादाबाद के भाजपा जिलाध्यक्ष आकाश पाल ने कहा- पार्टी कुंदरकी उपचुनाव को भारी मतों के साथ जीतेगी। हमें हर जाति और हर एक वर्ग का समर्थन मिल रहा है। सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत ने भाजपा को हर वर्ग में लोकप्रियता दी है। आकाश पाल ने कहा- भाजपा की योजनाओं और विकास के मुद्दों के चलते कुंदरकी की जनता तय कर चुकी है कि भाजपा को जिताना है। हम कुंदरकी विधानसभा सीट पर नया इतिहास रचने जा रहे हैं। प्रशासन परेशान न करे, तो एकतरफा होगा चुनाव
सपा के जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने दैनिक भास्कर से कहा- कुंदरकी उपचुनाव में हमारी पार्टी की स्थिति मजबूत है। अगर हमारा वोट पड़ेगा, तो हम 100% जीतेंगे। हमारे कार्यकर्ताओं को बस पुलिस प्रशासन से खतरा है। बाकी कुंदरकी में चुनाव एकतरफा है। जयवीर सिंह ने कहा- यह सपा की सेफ सीट है। पहले भी हम इसे 53 हजार वोटों से जीते हैं। हमें बस प्रशासन से दिक्कत है कि वो हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान न करें और वोटर को बूथ तक जाने से न रोकें। अब एक नजर कुंदरकी में हुए पिछले 4 चुनाव के रिजल्ट पर ………………………….. यह खबर भी पढ़ें गाजियाबाद में अखिलेश का दलित कार्ड कितना असरदार, 20 साल का सूखा खत्म हो पाएगा; BJP प्रत्याशी घर बदलकर पड़ रहे भारी गाजियाबाद की सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। यह चुनाव लाइन पार VS शहर एरिया पर आकर टिक गया है। दरअसल, सदर सीट का 65% वोटर लाइन पार और 35% सिटी में है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट…

हरियाणा में छात्रा को कुचलने का VIDEO:वैन का टायर गर्दन के ऊपर से गुजरा, बच्ची ने पिता की गोद में दम तोड़ा

हरियाणा में छात्रा को कुचलने का VIDEO:वैन का टायर गर्दन के ऊपर से गुजरा, बच्ची ने पिता की गोद में दम तोड़ा हरियाणा के पानीपत में 6 साल की छात्रा को वैन ने कुचल दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। छात्रा इसी वैन में स्कूल से लौटी थी। जैसे ही वह अपने पिता की तरफ बढ़ने लगी, वैन ड्राइवर ने लापरवाही बरतते हुए वैन को तेज गति से चला दिया। जिससे पहले छात्रा को टक्कर लगी। इसके बाद वह नीचे गिर गई। चालक की तरफ से अगला पहिया और उसी तरफ से पिछला पहिया उसे कुचलते हुए आगे बढ़ गया। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। बच्ची की मौत उसके पिता की गोद में ही हो गई। छात्रा की पहचान रुचि के रूप में हुई है। वह जेएमडी स्कूल फ्लोरा चौक में एलकेजी कक्षा में पढ़ती थी। उधर, पुलिस ने पिता की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पहले देखिए हादसे से जुड़ी 3 तस्वीरें…. पिता ने बताई हादसे की पूरी कहानी… बिहार का रहने वाला है परिवार
मृतक छात्रा के पिता अभिनंदन ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी तीन बेटियां है। जिसमें बड़ी बेटी मासूम 8 वर्षीय है। जो इसी स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ती है। मंजली बेटी रुचि थी जो की एलकेजी की छात्रा थी। तीसरी बेटी जिया 1 साल की है। वह खुद राशन की दुकान चलता है। उसकी पत्नी मनु कुमारी है। मृतक बेटी रुचि का 13 जनवरी 2019 को जन्म हुआ था। स्कूल से घर लौटते समय हुआ हादसा
बेटी 13 नवंबर को दोपहर करीब 1 बजे स्कूल से लौट रही थी। वह ईको वैन में स्कूल जाती थी। वह उसी गाड़ी में स्कूल से लौटी। वह वैन से उतरकर उसके आगे-आगे घर आने के लिए चल रही थी, इसी दौरान चालक ने वैन को तेज गति से भगा दिया। गर्दन के ऊपर निकाला पिछला टायर
जिससे वैन के चालक की तरफ के आगे और पीछे के टायर रुचि की गर्दन और शरीर से निकल गए। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। वह वहीं खड़े होकर अपनी बेटी का इंतजार कर रहा था। हादसे के बाद वह तुरंत अपनी बेटी को निजी अस्पताल ले गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
सेक्टर 29 थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने बताया कि मृतक बच्ची के पिता की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ BNS की धारा 106 और 281 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। आरोपी वैन ड्राइवर फिलहाल फरार है। उसकी पहचान कर ली गई है। आरोपी को पकड़ने की कोशिशें जारी है। उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। …………………………………. हरियाणा में एक्सीडेंट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें – हरियाणा में हाईवे पर रॉन्ग साइड में घुसा ट्रक, 6 लोग कुचले, 5 की मौत; ड्राइवर गिरफ्तार, पुलिस बोली- नशे में था आरोपी हरियाणा के पानीपत शहर में गुरुवार को एक ट्रक ने एलिवेटिड हाईवे पर रॉन्ग साइड में घुसकर मौत का तांडव मचाया। बेकाबू ट्रक ने एक के बाद एक 3 अलग-अलग जगहों पर 6 लोगों को कुचल डाला। इसमें 5 लोगों की मौत हो गई है। जबकि, एक युवक की हालत गंभीर बनी हुई है। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने ट्रक के ड्राइवर को कुछ दूर जाकर पकड़ लिया है। अब आरोपी से पुलिस पूछताछ कर रही है। पूरी खबर पढ़ें

हरियाणा की फिरौती क्वीन की नेटवर्किंग​​​​​​​:​​​​​​​कोर्ट में पति-साथियों से मुलाकात, विदेश में भाई से टास्क, राजस्थान में काटी फरारी, कैश फ्लैटों में छुपाया

हरियाणा की फिरौती क्वीन की नेटवर्किंग​​​​​​​:​​​​​​​कोर्ट में पति-साथियों से मुलाकात, विदेश में भाई से टास्क, राजस्थान में काटी फरारी, कैश फ्लैटों में छुपाया हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर कौशल चौधरी की पत्नी और फिरौती क्वीन के नाम से मशहूर मनीषा चौधरी गुरुग्राम पुलिस के रिमांड पर है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रिमांड के दौरान उसने कई राज उगले हैं। पुलिस अब उसके इन राज को क्रॉस चेक करने में लगी हुई हैं। पिछले 7 माह उसने फरारी के तौर पर ज्यादातर समय राजस्थान में ही बिताया। उसने राजस्थान में जयपुर के अलावा कई जिलों में फ्लैट भी किराए पर लिए। विदेश में बैठे सगे भाई गैंगस्टर सौरव गाड़ौली से ही उसे डायरेक्शन मिल रही थी। गुरुग्राम और राजस्थान में एक्टिव गुर्गों के जरिए मनीषा ने कई बड़े शराब व सट्‌टा कारोबारी और होटल संचालकों से करोड़ों रुपए की वसूली भी की। कितने लोगों से कितने पैसों की वसूली की, इसका आंकड़ा बताने से मनीषा चौधरी बच रही है। फ्लैटों में छिपाकर रखी रंगदारी की रकम
पुलिस की जांच में यह पता चला है कि रंगदारी से वसूली गई रकम उसने जयपुर सहित अन्य शहरों में किराए पर लिए हुए फ्लैटों में छुपाकर रखी थी। रंगदारी के तौर पर वसूली गई रकम की बरामदगी को लेकर पुलिस पिछले 2 दिन से उसे राजस्थान लेकर गई हुई है। राजस्थान के भी कई बड़े कारोबारियों से रंगदारी वसूली गई थी। इसी के चलते सितंबर में राजस्थान के नीमराणा में होटल हाईवे किंग पर 32 राउंड फायरिंग कौशल के गुर्गों ने की थी। होटल संचालक से भी 5 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। जमानत मिलते ही गैंग को खुद संभाला
बता दें कि मनीषा चौधरी और गैंगस्टर अमित डागर की पत्नी ट्विंकल को गुरुग्राम की खांडसा मंडी में रंगदारी वसूलने के केस में 2023 में गिरफ्तार किया गया था। यहां 8 महीने से ज्यादा जेल में रहने के बाद मनीषा चौधरी फरवरी 2024 में जमानत पर छूटी थी। कौशल चौधरी और अमित डागर दोनों गुरुग्राम की भोंडसी जेल में बंद है। मनीषा चौधरी ने भी इसी जेल में 8 महीने गुजारे। जमानत के बाद मनीषा ने कौशल गैंग को सक्रिय किया। इसमें मनीषा के सगे भाई सौरव गाड़ौली, पवन उर्फ शौकीन व दिनेश उर्फ गांधी ने अहम रोल निभाया। ये तीनों विदेश में बैठ कर मनीषा के साथ फिरौती का रैकेट चला रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, मनीषा चौधरी इन तीनों के सीधे टच में थी। यहां से डायरेक्शन मिलने के बाद वह गुर्गों को भेजकर वारदात करवाती थी। गुरुग्राम पुलिस के मुताबिक, मनीषा चौधरी पति कौशल चौधरी व अमित डागर से उस वक्त मुलाकात करती थी जब उन्हें अलग-अलग शहरों में कोर्ट में पेशी पर लाया जाता था। चारों ने मिलकर गुरुग्राम, राजस्थान, पंजाब और यूपी के कई होटल संचालकों, शराब और सट्टा कारोबारियों से कौशल के नाम पर रंगदारी वसूली। सितंबर माह में जब एक के बाद एक रंगदारी मांगने की कई वारदातें हुई तो पुलिस ने कौशल के गुर्गे विजय काली को पकड़ा। उसने खुलासा किया कि ये पूरा सिंडिकेट मनीषा चौधरी चला रही है। जिसके बाद मनीषा की तलाश शुरू हुई। मनीषा को 10 नवंबर को गुरुग्राम की देवीलाल कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। कौशल के भाई मनीष से राजस्थान में पूछताछ
एक तरफ कौशल की पत्नी मनीषा चौधरी पुलिस रिमांड पर चल रही है। वहीं दूसरी तरफ कौशल के छोटे भाई मनीष को राजस्थान पुलिस ने होटल हाईवे किंग संचालक से रंगदारी मांगने के मामले में जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लिया है। मनीष पर भी 20 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं। उसे नीमराणा थाने में रखा गया है, जहां राजस्थान पुलिस के आला अधिकारी उससे पूछताछ कर रही है। एसीपी बोले-पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे
गुरुग्राम पुलिस के ACP वरूण दहिया ने बताया कि अभी मनीषा के रिमांड के चार दिन पूरे हुए हैं। उसे 6 दिन के रिमांड पर लिया गया है। उससे काफी जानकारियां पुलिस को मिली हैं। इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा। रंगदारी-फिरौती के तौर पर जो रकम वसूल की, उसकी बरामदगी को लेकर मनीषा को अलग-अलग जगह भी ले जाया जा रहा है। ………………………………………….. हरियाणा की फिरौती क्वीन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
हरियाणा की फिरौती क्वीन,जो गैंगस्टर पति का गैंग चला रही:लॉरेंस के दुश्मन की पत्नी, 4 राज्यों की पुलिस ढूंढ रही उत्तर भारत के 4 राज्यों में फिरौती क्वीन के नाम से मशहूर लेडी डॉन मनीषा चौधरी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मनीषा लॉरेंस गैंग के दुश्मन बंबीहा गैंग के सिंडिकेट से जुड़े कौशल चौधरी की पत्नी है। गुरुग्राम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे हाल ही में एक होटल संचालक से 2 करोड़ फिरौती मांगने पर अरेस्ट किया है। पूरी खबर पढ़ें

बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की शराब संग फोटो वायरल:कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही सामने आई; उनके समर्थक जवाब मांग रहे

बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की शराब संग फोटो वायरल:कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही सामने आई; उनके समर्थक जवाब मांग रहे अखिल भारतीय बिश्नोई सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया की कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही मुश्किलें बढ़ गई हैं। देवेंद्र बूड़िया की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। फोटो में शराब से भरी एक बोतल और गिलास है और इस फोटो में देवेंद्र बुड़िया नजर आ रहे हैं। दैनिक भास्कर इस बात की पुष्टि नहीं करता कि यह फोटो नकली है या असली। यह फोटो तब से वायरल हो रही है जब से देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न की उपाधि वापस ली और उन्हें संरक्षक पद से हटाया। इस फोटो के बाद बिश्नोई समाज के लोग देवेंद्र बूड़िया पर हमलावर हो रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे फर्जी और एडिटेड बता रहे हैं। हालांकि, जब हमने इस बारे में देवेंद्र बूड़िया से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। बिश्नोई समाज के लोगों का भी कहना है कि देवेंद्र बूड़िया को इस वायरल फोटो पर आगे आकर बोलना चाहिए। एक कैलाश बिश्नोई नाम के X यूजर ने फोटो शेयर करते हुए लिखा कि ये बहुत निंदनीय है। बता दें कि बुधवार 13 नवंबर को बीकानेर जिले के नोखा स्थित मुकाम धाम में बिश्नोई समाज की एक बैठक हुई थी। जिसमें कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए थे। बिश्नोई समाज की बैठक में लिए गए 5 बड़े फैसले
1. संरक्षक का पद खत्म
कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से पदमुक्त कर दिया गया है। साथ ही फैसला लिया गया है कि अब महासभा के अंदर कोई संरक्षक होगा ही नहीं। यानी कि इस पद को ही खत्म कर दिया गया है। 2. लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव किया जाएगा
महासभा में नए प्रधान का चुनाव अब लोकतांत्रिक तरीके से होगा। पहले संरक्षक प्रधान को चुनते थे। 3. चुनाव तक देवेंद्र रहेंगे प्रधान
कुलदीप बिश्नोई ने ही देवेंद्र को प्रधान बनाया था और फिर उन्होंने ही एक पत्र जारी कर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान नियुक्त किया था, लेकिन कुलदीप के इस कदम के बाद विवाद और बढ़ गया। इस विवाद को खत्म करने के लिए समाज ने फैसला लिया है कि चुनाव तक देवेंद्र ही प्रधान बने रहेंगे। 4. बिश्नोई रत्न वापस लेने का फैसला
बिश्नोई रत्न का सम्मान काफी खास है। आज तक ये सम्मान केवल दो ही लोगों को मिला है। एक पूर्व सीएम भजन लाल और दूसरा कुलदीप बिश्नोई को। उन्हें ये सम्मान चार साल पहले ही मिला है, लेकिन बैठक में फैसला लिया गया कि कुलदीप से ये सम्मान भी वापस लिया जाएगा। 5. कुलदीप बिश्नोई या उनके परिवार का सदस्य नहीं करेगा दखलअंदाजी
कुलदीप बिश्नोई का समाज और महासभा पर अच्छा प्रभाव था, लेकिन बैठक में फैसला लिया गया है कि कुलदीप बिश्नोई या फिर उनके परिवार का कोई भी सदस्य महासभा में कोई भी दखलअंदाजी नहीं करेगा। दोनों ने एक-दूसरे को पदों से हटाया था
महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाने के लिए एक पत्र जारी किया था जिसमें, लिखा था कि आपके बेटे ने अंतरजातीय विवाह किया है। इससे पूरे बिश्नोई समाज में भारी रोष है। ऐसे में आप इस पद पर नहीं रह सकते। वहीं इससे पहले कुलदीप बिश्नोई ने भी प्रधान देवेंद्र बूड़िया को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उनकी जगह पर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान घोषित किया गया था। कुलदीप बिश्नोई ने उन्हें समाज को तोड़ने वाला व्यक्ति बताया था। कैसे शुरू हुआ विवाद, किसने क्या कहा.. देवेंद्र बूड़िया ने कहा- मेरे साथ बुरा बर्ताव किया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर लाइव आकर देवेंद्र बूड़िया ने कहा था कि, “मुझे 2 दिन से रणधीर पनिहार दिल्ली बुला रहे हैं। मैं आया तो मेरे साथ ट्रैजेडी की और मेरे साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया। ये सारी चीजें मैं समाज को बताउंगा। यह बहुत बड़ी घटना है और बहुत बड़ी मेरे साथ ट्रैजेडी हुई है। यह सब चीजें कैमरे में हैं। यह रणधीर पनिहार पता नहीं मुझसे क्या मांगता है।” पनिहार ने कहा- बूड़िया मेरे दोस्त, ऐसा क्यों बोला, मुझे पता नहीं
वहीं देवेंद्र बूड़िया के आरोपों पर विधायक रणधीर पनिहार ने कहा था कि जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, ऐसी कोई बात नहीं है। मनगढंत आरोपों का मैं क्या जवाब दूं। हां, मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। बूड़िया साहब आज भी मेरे अच्छे दोस्त हैं और उनसे मेरी अकसर मुलाकात होती रहती है। सोशल मीडिया पर उन्होंने ऐसा क्यों बोला मुझे इसकी जानकारी नहीं है। बिश्नोई संत बोले-रणधीर पनिहार को छोड़ेंगे नहीं
देवेंद्र बूड़िया के आरोपों पर बिश्नोई समाज के संत लालदास योग गुरु ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। संत लालदास ने कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बुरा व्यवहार करने वाले को छोड़ेंगे नहीं। संत ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के इशारे पर ही सब कुछ हुआ है। कुलदीप बिश्नोई अध्यक्ष से करोड़ों रुपए की डिमांड कर रहे थे। वे इतने पैसे नहीं दे पा रहे तो उसे पद से हटाया जा रहा था, जिसका उन्होंने विरोध किया था। संत लालदास ने कहा था कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बहुत ही बड़ी घटना हुई है। रणधीर पनिहार के नाम वाले किसी व्यक्ति ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के साथ निंदनीय घटना की है। वह कुलदीप बिश्नोई ने कराई है। संत लालदास ने कहा- कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ कठोर फैसला लें
बिश्नोई संत लालदास योग गुरु ने कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाते हुए कहा था कि कुलदीप बिश्नोई राष्ट्रीय अध्यक्ष बूड़िया से करोड़ों रुपए मांगते हैं। कुलदीप कहते हैं कि करोड़ों रुपए दोगे तो अध्यक्ष रहोगे नहीं तो हटा देंगे। उनके पास करोड़ों रुपए नहीं थे, इसलिए उन्होंने लौटा दिया। कुलदीप बिश्नोई कहते हैं कि मुझे और पैसे दोगे तो ही मैं आपको प्रधान रखूंगा, इसलिए आप इस्तीफा दो। इन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो प्रधान से बहुत बड़ी डिमांड की गई। मैं बिश्नोई समाज से निवेदन करना चाहता हूं कि आज देवेंद्र बूड़िया अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष हैं, कल को कोई और अध्यक्ष बन सकता है। क्या कोई इस तरह की डिमांड करेगा। यह तो कुलदीप बिश्नोई का निजी व्यवसाय बन गया है। इसलिए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की कार्यकारिणी और बिश्नोई समाज को मिलकर कठोर फैसला लेना चाहिए, ताकि समाज की इज्जत रह सके। देवेंद्र ने पनिहार और उनके बीच हुई घटना के बार में बताया…
1. रणधीर पनिहार ने हरियाणा भवन बुलाया
देवेंद्र बूड़िया ने कहा था कि मेरे पास रणधीर पनिहार का फोन आया कि आप कब आओगे। मैंने कहा मुझे तकलीफ है। मैं पहले मेदांता में दिखाऊंगा, फिर आऊंगा। पनिहार ने कहा नहीं, आप पहले यहां आओ। हरियाणा भवन में 30 व 31 नंबर में आ जाना। मैं वहां गया। अंदर बैठे रणधीर पनिहार ने कहा आओ अंदर। मुझसे चाय पूछी और कहा आगे क्या करना है। मैंने कहा कि इस्तीफा देना है। पनिहार ने कहा कि आपने कमिटमेंट पूरी नहीं की। मैंने कहा कि मुझसे हो नहीं पाया। 2. पनिहार ने इस्तीफा लिखवाना चाहा, मैंने नहीं लिखा
पनिहार ने मुझे दो कागज दिए और कहा कि इस पर साइन कर दो। मैंने कहा मैं साइन तो बॉस (कुलदीप बिश्नोई) के आगे करूंगा। पनिहार ने कहा कि वो तो आपका मुंह नहीं देखना चाहते। मैंने कहा मैं ऐसे साइन नहीं करूंगा। मैं साइन बॉस के सामने करूंगा। इसके बाद तू तड़ाक हुई। मुझसे पनिहार ने कहा कि आपको साइन करने पड़ेंगे। मैंने कहा मर जाऊंगा, मगर साइन नहीं करूंगा। वह 5 लोग थे, मैं अकेला। मैंने कहा आप ऐसा करो आप गाड़ी में चलो। उसने कहा चलो। इसके बाद एक ने मेरा हाथ पकड़ लिया और दूसरा मेरा वीडियो बनाने लगा। वहां से चलने के बाद मैं फुटपाथ पर आकर बैठ गया। 3. कुलदीप बिश्नोई को फोन मिलाया, मगर फोन नहीं उठाया
बूड़िया ने आगे कहा- मैंने कुलदीप जी को फोन मिलाया, उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैंने भव्य जी को फोन मिलाया। नहीं उठाया, मगर उनका बाद में बैक कॉल आया। उन्होंने कुछ नहीं कहा और फोन काट दिया। इसके बाद मैंने कुलदीप बिश्नोई को वॉयस मैसेज वॉट्सऐप पर भेजे और कहा कि मेरे साथ इस तरह की घटना हो रही है और यह लोग मेरे साथ गलत कर रहे हैं। इसके बाद रणधीर पनिहार ने कहा कि इसको गाड़ी में डालो। इसके बाद मैंने देखा वहां मंत्रियों की गाड़ियां थी और पुलिस वाले भी थे। मैंने शोर मचाया तो वह गाड़ी दौड़ाकर भाग गए। मेरे पास टैक्सी थी। मैं वहां से निकल आया। मैंने इसके बाद कुलदीप जी को फोन किया तो उनका नंबर स्विच ऑफ आया। 4. जिस इंसान को इतना माना, उसने 15 घंटे बाद भी फोन नहीं किया
देवेंद्र बूड़िया ने कहा कि इस घटना के बाद मुझे लगा कहीं रात को मुझे कोई मार ना दे, इसलिए लाइव के माध्यम से मैंने आप लोगों को सब कुछ बताया। 3 साल में हम कोई पत्र भी लिखते हैं तो उनका नाम लिखना जरूरी है। भाषण देते हैं तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं। कुलदीप कहते हैं मेरा नाम लेना जरूरी है और आप कहते हो आप उसके चमचे हो। मगर मेरा उद्देश्य समाज सेवा था, मैं समाज सेवा करना चाहता था ताकि दूसरे समाज के आगे बिश्नोई समाज एक उदाहरण बने। मैंने उस इंसान (कुलदीप बिश्नोई) को काफी माना, मगर 15 घंटे बीतने के बाद भी उसका फोन नहीं आया कि क्या हुआ। …………………………………………………………. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में बवाल,बैठक में लिए 5 फैसले; संरक्षक पद खत्म, कुलदीप से बिश्नोई रत्न वापस लिया जाएगा अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया और पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के बीच चल रहे विवाद में अब नया मोड आ गया है। बिश्नोई समाज के धार्मिक स्थल मुकाम धाम पर बुधवार को बैठक हुई। पूरी खबर पढ़ें..

CPS केस में हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती:सरकार की दलील-आसाम से अलग हिमाचल का एक्ट; BJP ने दी कैविएट, एडमिशन पर फैसला जल्द

CPS केस में हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती:सरकार की दलील-आसाम से अलग हिमाचल का एक्ट; BJP ने दी कैविएट, एडमिशन पर फैसला जल्द हिमाचल सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मामले में हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट (SC) में चुनौती दे दी है। कांग्रेस सरकार के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी ने भी SC का दरवाजा खटखटाया है। अब कांग्रेस सरकार की याचिका और बीजेपी की कैविएट एडमिशन को लेकर सर्वोच्च अदालत फैसला करेगी। जाहिर है कि CPS विवाद जो लगभग डेढ़ साल तक हिमाचल हाईकोर्ट में सुना गया। अब वो SC में सुना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करते हुए CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट ने तुरंत प्रभाव से इनकी सुख सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए है। अदालत के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने भी इनसे गाड़ी, स्टाफ, दफ्तर जैसी सुविधाएं वापस ले ली है। इस बीच सरकार SC पहुंची है। राज्य सरकार की दलील- आसाम जैसा नहीं था हमारा CPS एक्ट राज्य सरकार ने दलील दी है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है। जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने ये दलीलें अदालत में भी दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। इसी ग्राउंड पर सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कोर्ट का फैसला आते ही सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दे दिए थे। मगर सीएम सुखविंदर सुक्खू कोर्ट का फैसले आने के 24 घंटे बाद भी मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लेने की बात करते रहे। BJP ने फाइल की कैविएट राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने CPS मामले में SC का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा ने बीते गुरुवार को ही SC में कैविएट फाइल कर दी है, ताकि हिमाचल सरकार की एसएलपी स्वीकार करने से पहले बीजेपी भी सर्वोच्च अदालत में अपना पक्ष रख सके। बीजेपी ने इसे चौपाल के विधायक बलवीर वर्मा की ओर से फाइल किया है। सुक्खू ने इन्हें लगा रखा था CPS बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से एमएल ब्राक्टा, दून से राम कुमार चौधरी और पालमपुर से आशीष कुमार को CPS बनाया था। इन्होंने दी हाईकोर्ट में चुनौती कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में इनकी नियुक्तियां असंवैधानिक बताई गई। कोर्ट ने भी इनकी नियुक्ति को गैरकानूनी बताया और हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को रद्द करने के आदेश दिए। विधायकों की सदस्यता पर संशय वहीं छह पूर्व सीपीएस की विधायकी समाप्त करवाने के लिए भाजपा के विधि विशेषज्ञ चर्चा कर रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अब सीपीएस एक्ट में मिल रही प्रोटेक्शन भी समाप्त हो गई है।

रोहतक में नवजात बेटे को कूड़े में फेंका:थैले में बंद था शिशु का शव, सुपरवाइजर ​​​​​​​की शिकायत पर केस दर्ज

रोहतक में नवजात बेटे को कूड़े में फेंका:थैले में बंद था शिशु का शव, सुपरवाइजर ​​​​​​​की शिकायत पर केस दर्ज रोहतक में एक महिला द्वारा जन्म के बाद नवजात लड़के को थैले में बंद करके कूड़े के ढेर में फेंकने का मामला सामने आया है। जब सफाई कंपनी के सुपरवाइजर ने उसे देखा तो इसका पता लगा और मामले की सूचना पुलिस को दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच की और शिकायत के आधार पर अज्ञात महिला के खिलाफ पहचान छिपाने के लिए नवजात शिशु को फेंकने का केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। रोहतक के गांव सांघी निवासी देवेंद्र ने शिवाजी कॉलोनी थाना में शिकायत दी। शिकायत में बताया कि वह सफाई वाली कंपनी में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत है। वह SWTP प्लांट पर ड्यूटी करता है। 14 नवंबर को वह ड्रेन नंबर 8 के नजदीक कूड़े के ढेर के पास से गुजर रहा था। इसी दौरान उनकी नजर एक थैले पर पड़ी। जब थैले को खोलकर देखा तो उसमें एक नवजात शिशु मृत अवस्था में मिला। किसी अज्ञात महिला ने अपनी पैदाइश छिपाने के लिए लड़के के जन्म होते ही कूड़े के ढेर में फेंक दिया। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस ने किया केस दर्ज मामले की सूचना डायल 112 को दी गई। ड्रेन नंबर 8 के पास कूड़े के ढेर में नवजात शिशु का शव पड़ा होने की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। पुलिस को मौके पर एक नवजात का शव पड़ा हुआ मिला। नवजात एक लड़का था। इसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर अज्ञात महिला के खिलाफ जन्म के बाद पहचान छिपाने के लिए नवजात बच्चे को फेंकने का मामला दर्ज कर लिया है। वहीं महिला की तलाश की जा रही है।

पंजाब-चंडीगढ़ में धुंध का अलर्ट, बारिश की संभावना:तापमान में गिरावट जारी; चंडीगढ़ में 400 पहुंचा AQI, अमृतसर-रूपनगर में रेड अलर्ट

पंजाब-चंडीगढ़ में धुंध का अलर्ट, बारिश की संभावना:तापमान में गिरावट जारी; चंडीगढ़ में 400 पहुंचा AQI, अमृतसर-रूपनगर में रेड अलर्ट पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के बाद से ही चंडीगढ़ और पंजाब के तापमान में बदलाव देखने को मिल रहा है। अधिकतम के साथ-साथ दिन के न्यूनतम तापमान में भी अब गिरावट देखने को मिल रही है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर पैदा हुए साइक्लोन का असर पंजाब पर भी पड़ रहा है। अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन और पठानकोट में आज हल्की बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। कुछ दिनों से मौसम में आए बदलाव के बाद और बढ़े प्रदूषण के कारण पूरा पंजाब व चंडीगढ़ धुंध की चपेट में है। मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से आज पूरे पंजाब और चंडीगढ़ में धुंध का अलर्ट जारी किया गया है। जिससे आज भी अमृतसर एयरपोर्ट से सुबह 8 बजे तक कोई भी फ्लाइट उड़ान नहीं भर पाएगी। 4 फ्लाइट्स को रीशेड्यूल किया गया है। जानकारी के मुताबिक बैंकॉक के लिए रात 12.30 बजे उड़ान भरने वाली फ्लाइट दोपहर के 3 बजे उड़ान भरेगी। मौसम विभाग के अनुसार 17 नवंबर तक पंजाब में धुंध का असर देखने को मिलेगा। लेकिन उसके बाद हलकी राहत मिलने के आसार बन रहे हैं। चंडीगढ़ और पंजाब के दो शहर रेड जोन में चंडीगढ़ की हवा लगातार रेड जोन में है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार 300 से ऊपर बना हुआ है। इतना ही नहीं, चंडीगढ़ से सेक्टर 22 और 52 में अधिकतम एक्यूआई 500 दर्ज किया गया। यही हालात पंजाब के बने हुए हैं। अमृतसर का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार रेड जोन में है। यहां एक्यूआई 300 पर चल रहा है। इसके अलावा अब रूपनगर में एक्यूआई भी 300 पर पहुंच गया है। आज गुरुपर्व के कारण रात के समय पूरे पंजाब में एक बार फिर पटाखे फोड़े जाएंगें। जिसके बाद पंजाब की हवा की गुणवत्ता और भी नीचे गिरने के आसार हैं। चंडीगढ़ सहित पंजाब के शहरों का तापमान चंडीगढ़- गुरुवार अधिकतम तापमान 25.3 डिग्री दर्ज किया गया। आज तापमान 15 से 25 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है। अमृतसर- गुरुवार शाम तापमान 22.4 डिग्री दर्ज किया गया। तापमान 15 से 24 डिग्री के बीच रह सकता है। जालंधर- सुबह के समय हलके बादल छाने का अनुमान है। आज तापमान 13 से 24 डिग्री के बीच रह सकता है। लुधियाना- गुरुवार तापमान 22.6 डिग्री दर्ज किया गया। तापमान 17 से 23 डिग्री के बीच रह सकता है। पटियाला- बीते दिन अधिकतम तापमान 23.5 डिग्री दर्ज किया गया। तापमान 16 से 22 डिग्री के बीच रह सकता है। मोहाली- गुरुवार अधिकतम तापमान 25.8 डिग्री दर्ज किया गया। तापमान 16 से 25 डिग्री के बीच रह सकता है।

मोहाली से प्रोडक्शन वारंट पर फरीदकोट आया नशा तस्कर:गुरप्रीत हत्याकांड में होगी पूछताछ; शूटरों को पैसे उपलब्ध कराने का शक

मोहाली से प्रोडक्शन वारंट पर फरीदकोट आया नशा तस्कर:गुरप्रीत हत्याकांड में होगी पूछताछ; शूटरों को पैसे उपलब्ध कराने का शक फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह हरीनौ हत्याकांड में पुलिस ने मोहाली जेल में बंद नशा तस्कर को पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आई। उसे यहां की अदालत में पेश करके तीन दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया है। आरोपी जशन सिंह को कुछ दिन पहले ही मोहाली के थाना सदर खरड़ क्षेत्र से अफीम और ड्रग मनी के साथ गिरफ्तार किया गया था। वह कनाडा बेस आतंकी अर्श डल्ला के करीबी गुरजंट सिंह जंटा के लिए कार्य करता है। आरोपी पर शूटरों को पैसे उपलब्ध कराने का शक गुरप्रीत हत्याकांड की पड़ताल के दौरान जशन सिंह की भूमिका भी सामने आई है। उस पर शूटरों को पैसे उपलब्ध करवाए जाने का शक है। इसके आधार पर जिला पुलिस ने जशन सिंह का प्रोडक्शन वारंट जारी करवाया और उसे मोहाली से फरीदकोट लाकर अदालत में पेश किया। डीएसपी कोटकपूरा जतिंदर सिंह ने बताया कि गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पूछताछ के लिए आरोपी को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर पूछताछ की जा रही है।