महाकुंभ भगदड़-12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी:लाशों के बीच अपनों की तलाश, जमीन पर तड़पते लोग; पुलिसकर्मी CPR देते रहे

महाकुंभ भगदड़-12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी:लाशों के बीच अपनों की तलाश, जमीन पर तड़पते लोग; पुलिसकर्मी CPR देते रहे महाकुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या का होता है। कवरेज के लिए हम लोग अलर्ट थे। रात के करीब 2 बजे थे। अचानक एक के बाद एक एंबुलेंस की आवाज आने लगीं। भगदड़ की सूचना मिली। हम सीधे सेक्टर-2 में सेंट्रल हॉस्पिटल पहुंचे। यहां पर बहुत सारी एंबुलेंस एक साथ आ रही थीं। हमारी साथी रिपोर्टर सृष्टि को घायल का परिजन बताकर हॉस्पिटल के अंदर दाखिल किया। इमरजेंसी वार्ड में उसने देखा कि 10 से ज्यादा डेड बॉडी पड़ी थीं। बहुत सारे घायल स्ट्रेचर पर तड़प रहे थे। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे। यह आंखों देखी भास्कर रिपोर्टर सचिन गुप्ता और विकास श्रीवास्तव की है। प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर मची भगदड़ के बाद मेले में बनाए गए केंद्रीय अस्पताल की स्थिति भयावह थी। सबसे पहले भास्कर रिपोर्टर सचिन गुप्ता, विकास श्रीवास्तव और सृष्टि अस्पताल पहुंचे। दैनिक भास्कर के 12 से अधिक रिपोर्टर महाकुंभ का महाकवरेज कर रहे हैं। ये सभी भगदड़ की सूचना के बाद घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, केंद्रीय अस्पताल और स्वरूपरानी अस्पताल पहुंचे। भगदड़ में घायल और मृतक के परिजन से बात की। पढ़िए आधी रात को भास्कर रिपोर्टर्स की आंखों देखी… भास्कर रिपोर्टर सृष्टि के मुताबिक, एंबुलेंस की आवाजें गूंज रही थीं। मैं करीब ढाई बजे हॉस्पिटल पहुंची तो वहां संगम घाट से घायलों को लाया जा रहा था। कई श्रद्धालु गंभीर रूप से चोटिल थे। खून बह रहा था। कई लोग बेहोश पड़े थे। स्ट्रेचर पर लोगों को अंदर ले जाया जा रहा था। 10 से ज्यादा डेड बॉडी मेरी आंखों के सामने लाई गईं, जिन्हें फर्श पर रखा गया। मौके पर अफरा-तफरी का माहौल था। नर्स और डॉक्टर एक्टिव थे। जिन्हें फर्स्ट एड की जरूरत थी, उनका प्राथमिक इलाज किया जा रहा था। कुछ लोगों को इमरजेंसी में ले जाने की जरूरत पड़ी। बाद में देखा कि इमरजेंसी एग्जिट से बहुत-सारी डेड बॉडी को एक-एक कर वहां से बाहर निकाल दिया गया। बाहर पुलिस बल तैनात था। किसी को अंदर जाने की परमिशन नहीं थी। पब्लिक और मीडिया को अंदर नहीं जाने दिया गया। मैंने पुलिस से रिक्वेस्ट की कि मैं अपने परिजन को ढूंढ रही हूं, फिर किसी तरह मैं अंदर गई। अंदर जाकर देखा कि घायल जैसे ही थोड़े नॉर्मल होते, उनका इलाज कर बेड खाली कराया जा रहा था। डॉक्टरों का कहना था कि घबराहट में किसी का ब्लड प्रेशर बढ़ा-घटा तो उसकी मौत नहीं हो जाएगी। गंभीर मरीजों के लिए बेड खाली कराया जा रहा था। घायलों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे थे। मेरे सामने 60 एंबुलेंस आईं
रिपोर्टर सचिन गुप्ता– मेरे सामने 3 घंटे तक लगातार एंबुलेंस आती–जाती रहीं। करीब 60 एंबुलेंस आईं। इनमें घायलों और डेड बॉडी को लाया जा रहा था। यहां पर बेड फुल होने के बाद घायलों को स्वरूपरानी हॉस्पिटल भेजा जाने लगा। रिपोर्टर सचिन गुप्ता और विकास श्रीवास्तव ने प्रत्यक्षदर्शियों से बात की। उनका कहना था कि हादसा 12 से 1 बजे के आसपास हुआ। भगदड़ में लोग दबते रहे। CPR देते रहे पुलिसकर्मी
रिपोर्टर राजेश साहू ने संगम नोज पर देखा कि घटना के बाद घायलों को अस्पताल भेजा जा रहा था। मौके पर गंभीर रूप से घायलों को पुलिस के जवान CPR दे रहे थे। जिस जगह घटना हुई, वहां के आसपास लगाईं बल्लियां और लोहे की जालियां टूटी हुई थीं। कर्नाटक की महिला बोली- उनके ग्रुप के 3 लोगों की मौत
कर्नाटक की महिला ने बताया- उनका 9 लोगों का समूह संगम आया। इस भगदड़ में उनके ग्रुप के 1 पुरुष और 1 महिला की मौत हुई है। तीन की हालत गंभीर है। बाकी 4 सही सलामत हैं। मेरे 3 बच्चे नहीं मिल रहे, मोबाइल भी खो गया
एक महिला ने दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने बताया- कासपुरा से आए हैं। तीन बच्चे लापता हैं। ढूंढ रही हूं, कोई नहीं मिल रहा है। मोबाइल और आधार कार्ड भी खो गए। हमारे साथ का कोई मिल नहीं रहा है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया- संगम पर गहराई है। गहराई पर उतरने-चढ़ने के दौरान थोड़ी-सी दिक्कत हो गई। इसी वजह से ऐसे हालात हुए हैं। भीड़ बहुत है। महिला बोली- 2 घंटे भगदड़ के हालात थे
एक महिला प्रत्यक्षदर्शी ने बताया- करीब 1 बजे की घटना है। लोग सिर के बल दबे रहे। दो घंटे भगदड़ के हालात थे। कई लोग बिजली के खंभे पर चढ़ गए। देवरिया की महिला ने बताया- मेले में हमारे परिवार के 7 लोग आए हैं। मेरी बेटी भीड़-भाड़ की वजह से बेहोश हो गई। नालंदा, बिहार की मीना ने बताया– अभी तो हम लोग नहा भी नहीं पाए थे। इस दौरान धक्का लगा और मारामारी मच गई। लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़ते गए। हम तीन लोग स्नान करने आए थे। हमारी भाभी को चोट आई हैं, वो एडमिट हैं। भगदड़ में हमारा सामान वहीं खो गया। हम जैसे-तैसे जान बचाकर भागे हैं। एक महिला ने बताया– हमारे पिताजी श्याम बहादुर नहीं मिल रहे हैं। मैं उन्हें ढूंढती हुई हॉस्पिटल पर आई हूं, लेकिन अभी कुछ पता नहीं चल रहा है। ललती नाम की महिला भी संगम घाट पर इस भगदड़ में खो गई हैं। परिवार वाले उन्हें ढूंढने खोया-पाया सेंटर पर पहुंचे। खोया पाया केंद्र पर भारी भीड़
हमारी रिपोर्टर लता मिश्रा खोया-पाया केंद्र पर पहुंचीं। उन्होंने बताया- यहां पर भारी भीड़ थी। भगदड़ के बाद लोग अपनों की तलाश में खोया–पाया केंद्र पहुंच गए। वे रो रहे थे। अपनों को तलाशने की गुहार लगा रहे थे। खोया–पाया केंद्र सेक्टर चार पर रात 4 बजे बिहार की एक महिला मिलीं। उन्होंने बताया कि भगदड़ में उनका पति खो गया है। उन्हें ढूंढती हुई यहां पर आई हूं, लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा है। स्वरूपरानी हॉस्पिटल लाए गए घायल और मृतकों के शव
भास्कर रिपोर्टर फरहत खान स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद रहे। फरहत खान के मुताबिक, सुबह चार बजे स्वरूपरानी अस्पताल के बाहर वार्ड बॉय स्ट्रेचर लेकर तैनात थे। कुछ ही देर में एंबुलेंस घायलों और मृतकों को लेकर पहुंचने लगीं। डॉक्टर ने घायलों को चेक करके अस्पताल में भर्ती करने के लिए भेज दिया। मृतकों के शवों पर पर्ची लगाई। —————————————————-
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महाकुंभ- संगम तट पर भगदड़, 14 की मौत:प्रयागराज में श्रद्धालुओं की एंट्री रोकी; हेलिकॉप्टर से निगरानी प्रयागराज के संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई। इसमें 14 से अधिक लोगों की मौत की खबर है। 50 से ज्यादा घायल हैं। स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद भास्कर रिपोर्टर के मुताबिक- 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं। हालांकि, प्रशासन ने मौत या घायलों की संख्या को लेकर कोई जानकारी नहीं दी। पूरी खबर पढ़ें…

महाकुंभ में भगदड़ की 20 तस्वीरें:हॉस्पिटल के फर्श पर पड़े 11 शव, अपनों की तलाश में रोते परिजन; भीड़ हटी तो लाशें दिखीं

महाकुंभ में भगदड़ की 20 तस्वीरें:हॉस्पिटल के फर्श पर पड़े 11 शव, अपनों की तलाश में रोते परिजन; भीड़ हटी तो लाशें दिखीं प्रयागराज के संगम तट पर आधी रात बाद भगदड़ मच गई। इसमें कितनों की मौत हुई? और कितने घायल हैं? प्रशासन ने अभी तक कोई आंकड़ा नहीं जारी किया है। स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद भास्कर रिपोर्टर के मुताबिक- 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं। इससे पहले, केंद्रीय अस्पताल में फर्श पर 11 लाशें रखी दिखीं। भगदड़ वाली जगह से भीड़ हटी तो वहां तड़पते दिखे। कोई अपनों की मौत पर वहां बैठा रोता रहा तो कोई अपनों की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा। भगदड़ की 20 तस्वीरें

मुरादाबाद में आलू के खेत में ब्लॉस्ट, 2 बच्चे झुलसे:बोरे में रखे थे देसी बम, संभल के ताहिर ने बोई थी फसल

मुरादाबाद में आलू के खेत में ब्लॉस्ट, 2 बच्चे झुलसे:बोरे में रखे थे देसी बम, संभल के ताहिर ने बोई थी फसल मुरादाबाद में मंगलवार को देसी बम फटने से दो बच्चे झुलस गए। घटना पाकबड़ा थाना क्षेत्र के गांव करनपुर के जंगल में हुई। जिस स्थान पर धमाका हुआ, उसके पास में ही बच्चे खेल रहे थे। आवाज से इलाके में दहशत फैल गई। पुलिस, फोरेंसिक टीम और बम डिस्पोजल स्क्वायड पड़ताल कर रहे हैं। पूरे इलाके को सील किया गया है। देसी बमों से भरा एक बोरा जंगल में छुपाया गया था। बच्चों ने खेल-खेल में इसे खोला दिया। घायलों में कुलदीप (13) पुत्र विजय पाल सिंह और रोबिन (8) पुत्र अमित कुमार शामिल हैं। दोनों करनपुर गांव के ही रहने वाले हैं। पहले देखिए घटनास्थल की 3 तस्वीरें… संभल का ताहिर सवालों के घेरे में
मुरादाबाद में आलू के खेत में मिले विस्फोटक के मामले में संभल का ताहिर सवालों के घेरे में है। एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि पाकबड़ा थाना क्षेत्र के गांव करनपुर में जिस खेत में एक्सप्लोसिव में ब्लास्ट से 2 बच्चे झुलसे हैं, वो करनपुर के शाहीन का खेत है। शाहीन ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने अपना खेत संभल के ताहिर को ठेके पर दे रखा था। खेत में ताहिर ने आलू की फसल बोई थी। आलू की खुदाई भी हाे चुकी है। इसी खेत में आलू बीनने के लिए गांव के दो बच्चे पहुंचे थे। वहां उन्हें एक पॉलीबैग में कुछ सामान रखा दिखा। बच्चों ने जिज्ञासावश उस बैग को खोला। बैग में विस्फोटक पदार्थ था। इससे पहले कि बच्चे कुछ समझ पाते अचानक तेज धमाके के साथ विस्फोटक पदार्थ फट गया। दोनों बच्चे ब्लास्ट की चपेट में आने से झुलस गए। दोनों बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अलीगढ़ में पुलिस पर पथराव, 4 बाइकें फूंकी:कई पुलिसकर्मी घायल; अंबेडकर की मूर्ति हटाने पर बवाल, 2 आरोपियों को घसीटकर ले गए

अलीगढ़ में पुलिस पर पथराव, 4 बाइकें फूंकी:कई पुलिसकर्मी घायल; अंबेडकर की मूर्ति हटाने पर बवाल, 2 आरोपियों को घसीटकर ले गए अलीगढ़ में मंगलवार की देर शाम बवाल हो गया। अंबेडकर की मूर्ति हटाने पहुंचे पुलिसकर्मियों पर लोगों ने हमला कर दिया। पुलिस पर पत्थर फेंके और उनके साथ मारपीट की। पुलिस की 4 बाइकों को फूंक दिया। फायर ब्रिगेड की गाड़ी में भी तोड़फोड़ की। घटना में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। सूचना पाकर 4 थानों की फोर्स मौके पर पहुंची। लाठी चार्ज कर बवाल करने वालों को खदेड़ा। पुलिस गांव के प्रधान और पूर्व प्रधान को घसीटकर ले गई। घटना रोरावर थाना क्षेत्र के भीमपुर इब्राहिमपुर गांव की है। देखिए 3 तस्वीरें… जानिए पूरा विवाद
भीमपुर इब्राहिमपुर में जाटव समाज ने 25 जनवरी को ग्राम समाज की जमीन पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाई थी। इसी जमीन पर बघेल समाज मंदिर बनवाने की मांग कर रहा था। इस पर गांव के दो पक्षों में पिछले 3 दिनों से तनाव की स्थिति थी। आपस में बातचीत भी हुई, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला। बघेल समाज अंबेडकर मूर्ति का लगातार विरोध कर रहा था। उन्होंने घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस की टीम मंगलवार को मूर्ति हटाने पहुंची। लेकिन जाटव समाज ने इसका विरोध किया। पुलिस लोगों को मूर्ति के पास से हटाने लगी तो भीड़ उग्र हो गई। लोग मूर्ति को घेरकर बैठ गए। जब उन्हें हटाने की कोशिश की तो वह पुलिस से ही भिड़ गए। इसके बाद 4 थानों की पुलिस फोर्स को बुलाकर लोगों को जबरन हटाया गया। पुलिस ने वर्तमान प्रधान निर्देश लोधी और पूर्व प्रधान छत्रपाल को हिरासत में ले लिया है। गांव में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। रात को जाटव समाज के लोगों नेलगा दी अंबेडकर की प्रतिमा
पुलिस-प्रशासन ने तीन दिन पहले दोपहर में जहां बघेल समाज के मंदिर का निर्माण कार्य रुकवा दिया। वहीं, उसी रात को जाटव समाज के लोगों ने दूसरे खाली पड़े ग्राम समाज के प्लॉट पर अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित कर दी। सुबह जब बघेल समाज के लोगों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। लोगों ने बिना अनुमति सरकारी भूमि में लगाई गई प्रतिमा को हटवाने के लिए पुलिस-प्रशासन से शिकायत की। इसके बाद 27 जनवरी को पुलिस और प्रशासन के अधिकारी गांव में पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाकर अंबेडकर की प्रतिमा को हटाने के लिए कहा। प्रतिमा को घेरकर बैठ गए जाटव समाज के लोग
जब पुलिस-प्रशासन ने प्रतिमा को हटाने के लिए कहा तो जाटव समाज के लोग प्रतिमा को घेरकर बैठ गए। इसके चलते गांव में तनाव का माहौल पैदा हो गया। इसके चलते 27 जनवरी को दोबारा पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी गांव में पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की। अधिकारियों ने जाटव समाज को स्वयं प्रतिमा हटाने को समय देने के साथ ही गांव में एहतियातन पुलिस बल भी तैनात कर दिया। प्रतिमा हटाते ही मचा बवाल
28 जनवरी की शाम को पुलिसकर्मी जैसे ही प्रतिमा को हटाकर ले जाने लगे, वैसे ही प्रतिमा स्थल को घेरकर बैठे लोग भडक़ गए। उन्होंने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इसमें पुलिस के साथ हाथापाई भी की गई। पथराव और हाथापाई में आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल भी हो गए। उस समय पुलिसकर्मियों की संख्या कम भी इसीलिए उन्होंने वहां से भागकर खुद को बचाया। जानबचाकर भागे पुलिसकर्मियों के वाहनों को आक्रोशित भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। पुलिस के पहुंचने पर हुई फायरिंग
पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले की सूचना पर थोड़ी ही देर में गांव मे कई थानों की पुलिस पहुंच गई। इसके अलावा पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस बवाल बढ़ता देख अलीगढ़-गोंडा रोड पर ट्रैफिक रोक दिया। इसी दौरान करीब छह-साल राउंड फायरिंग भी की गई। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े। बाद में पुलिस ने गांव में तलाशी अभियान भी चलाया, लेकिन अधिकांश लोग घरों को बंद करके भाग गए। एहतियातन गांव में भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया है। एसएसपी बोले- घटना में लोकल नेता शामिल
SSP संजीव सुमन ने बताया, पुलिस ने मूर्ति स्थापित करने से मना किया था। दोनों पक्ष के लोग एक दिन पहले SDM से मिलने आए थे। तब मूर्ति न लगाने पर सहमत थे। आज शाम को पुलिस पहुंची तो कुछ लोगों ने फोर्स पर पथराव किया। कई पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। जो भी दोषी होगा, उन पर कार्रवाई होगी। घटना में लोकल नेता भी शामिल हैं। उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। कई दिनों से सुलग रहा मामला
अंबेडकर मूर्ति लगाए जाने का मामला कई दिनों से सुलग रहा था। बहुजन समता दल के फाउंडर अभिषेक कुमार जाटव ने X पर प्रशासन को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था, प्रशासन का रवैया हमें अलीगढ़ कूच करने पर मजबूर करेगा। ——————————- ये भी पढ़ें: बीएससी पास बना फर्जी दरोगा, दहेज में ली कार:अमेठी में लोगों से वसूली करता; पुलिस पहुंची तो बोला- फतेहपुर में पोस्टिंग अमेठी पुलिस ने एक फर्जी दरोगा को गिरफ्तार किया है। वह तीन साल से न सिर्फ रौब गांठ कर अवैध वसूली कर रहा था, बल्कि परिवार को भी अंधेरे में रखा। झूठ बोलकर उसने ढाई महीने पहले शादी कर ली। ससुराल वालों से बताया कि वह यूपी पुलिस में दरोगा है। शादी में उसने दहेज में ब्रेजा कार और 10 लाख रुपए नगद लिए…(पढ़ें पूरी खबर)

लखनऊ में 59 दिनों से बाघ की दहशत:वन विभाग की रणनीति फेल, ग्रामीण बोले- बच्चे पढ़ने नहीं जा रहे, खेती चौपट हुई

लखनऊ में 59 दिनों से बाघ की दहशत:वन विभाग की रणनीति फेल, ग्रामीण बोले- बच्चे पढ़ने नहीं जा रहे, खेती चौपट हुई लखनऊ के रहमानखेड़ा जंगल और आसपास के 20 किमी एरिया में 59 दिनों से बाघ की दहशत है। टाइगर अब तक 17 शिकार कर चुका है। वन विभाग के एक्सपर्ट टीम की सारी कवायद फेल हो रही है। वन मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक रहमान खेड़ा आकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले चुके है, लेकिन फिर भी बाघ पकड़ से दूर है। करीब दो महीने से चल रहे ऑपरेशन में आधा दर्जन से ज्यादा एक्सपर्ट लगाए गए हैं। बाघ को पकड़ने के लिए ट्रेंकुलाइजर गन, गड्ढे, पिंजरे और बछड़ों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। इन सब के बीच 50 से ज्यादा गांवों के किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ग्रामीणों की जिंदगी थम सी गई है। पहले जानते है स्थानीय लोगों ने क्या कहा… बच्चों की पढ़ाई प्रभावित दुगौली निवासी पवन यादव ने कहा-स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। घर पर पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती। परीक्षा नजदीक है, लेकिन बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं। बाघ की दहशत से हर कोई परेशान सहिलामऊ निवासी होरी लाल ने कहा- खेती और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हैं। बाघ की दहशत से हर कोई परेशान है। वन विभाग को तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। सरसों और गेहूं की फसल चौपट मीठे नगर के रहने वाले बागवान राघवेंद्र मौर्य ने कहा- वन विभाग के प्रयास विफल हो रहे हैं। बाघ के चलते सरसों और गेहूं की फसल चौपट हो रही है। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है। वन विभाग पर उठ रहे सवाल वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अफसरों को चेतावनी दी गई है कि अगर दो दिन में बाघ नहीं पकड़ा गया तो सस्पेंशन की कार्रवाई की जाएगी। विभाग के अधिकारी खुद सही योजना नहीं बना पा रहे, जबकि विशेषज्ञों की टीम भी निष्क्रिय दिखाई दे रही हैं। बाघ को जल्द पकड़ लेंगे DFO सितांशु पांडेय ने कहा- बाघ को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे है। ग्रामीणों को सतर्क किया गया है। जल्द से जल्द बाघ को पकड़ा जाएगा। …………………………… यह खबर भी पढ़े लखनऊ में बाघ को देख पेड़ पर चढ़ा किसान:1 घंटे रेस्क्यू टीम का इंतजार किया, बोला- जान बच गई, अब बाग नहीं जाऊंगा लखनऊ के रहमानखेड़ा में आम के बाग में पानी लगा रहे किसान के सामने बाघ आ गया। घबराए किसान ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। करीब एक घंटे तक पेड़ पर बैठे रहने के बाद उसने गांव के लोगों को खबर दी। सूचना पाकर गांव के लोग बाग की ओर दौड़ पड़े। यहां पढ़े पूरी खबर

78% संपत्ति वक्फ की नहीं…दावे को नकारा:लखनऊ के उलमा ने जताई नाराजगी, बोले-सरकारी दावे का कोई आधार नहीं, इमामबाड़ों के कागज मौजूद

78% संपत्ति वक्फ की नहीं…दावे को नकारा:लखनऊ के उलमा ने जताई नाराजगी, बोले-सरकारी दावे का कोई आधार नहीं, इमामबाड़ों के कागज मौजूद ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी गठित होने के बाद वक्फ संपत्ति को लेकर लगातार घमासान मचा हुआ है। लखनऊ में जेपीसी कमेटी की बैठक के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई कि 78% वक्फ संपत्ति सरकारी है। 14000 हेक्टेयर में 11000 हेक्टेयर जमीन वक्फ की नहीं है। इन आंकड़ों को लेकर लखनऊ के उलेमा ने नाराजगी जताई। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन ने ये दावा निराधार बताया। 21 जनवरी को लखनऊ के एक निजी होटल में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर सुझाव लेने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम बैठक थी। यूपी शासन की ओर से जेपीसी को बताया गया कि यूपी में वक्फ बोर्डों की 78 प्रतिशत जमीन सरकारी है। प्रदेश में कुल 14 हजार हेक्टयेर वक्फ भूमि है, जिसमें से 11 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी है। राजस्व विभाग ने भी किया था दावा बैठक में राजस्व विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। कहा ये जा रहा है राजस्व ने अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि 58 हजार वक्फ संपत्तियां राजस्व रिकॉर्ड में श्रेणी 5 व 6 की हैं। इन दोनों श्रेणियों में सरकारी और ग्राम सभा की जमीन दर्ज होती है। लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में स्थित बहू बेगम का मकबरा भी सरकारी जमीन में बने होने की चर्चा लगातार हो रही है। आंकड़ों का कोई आधार नहीं शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा कि 78 प्रतिशत संपत्ति सरकारी है। ये किस का आधिकारिक बयान है इसकी कोई जानकारी नहीं है। अगर ये आंकड़े सरकारी हैं तो कहां से और किसने जारी किया। जेपीसी कमेटी की बैठक में हम मौजूद थे वहां इस प्रकार की कोई बात नहीं हुई। हम खुद चिंता में हैं कि ये चर्चा का विषय कैसे बना। इमाम बाड़ा हुसैनाबाद ट्रस्ट में दर्ज अली जैदी ने कहा बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा सरकारी जमीन पर है। ये किसका दावा है और किस आधार पर है इसकी भी कोई जानकारी नहीं। इमाम बाड़े का हुसैनाबाद ट्रस्ट एक्ट है। बादशाह मोहम्मद अली शाह की डीड है। इमामबाड़ा और वहां की संपत्तियां उसी के जरिए कंट्रोल होती हैं। हाईकोर्ट के आदेशानुसार जिलाधिकारी इसके अध्यक्ष हैं। डीड के अनुसार हुसैनाबाद ट्रस्ट सभी कार्य कर रहा है। पहले भी हुए हैं संशोधन वक्फ एक्ट में समय-समय पर संशोधन किए गए। एक बार फिर सरकार इसमें संशोधन लेकर आई है। जेपीसी कमेटी में पूरे देश में इसपर विरोध और सुझाव दोनों ही दर्ज किए गए। लखनऊ समेत विभिन्न जनपदों में वक्फ की संपत्ति पर अवैध कब्जों को खाली करवाया गया जिसमें मुख्य रूप से मेरठ, लखनऊ और प्रयागराज शामिल है। वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कदम उठाना चाहिए। अंग्रेजों का विरोध करने पर नजूल में चढ़ी संपत्ति मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि सरकार को गुमराह किया गया है। 78 प्रतिशत सरकार की संपत्ति है ये बिल्कुल गलत है। ये बात कही जा रही है कि नजूल में लिखा हुआ है इसलिए यह सरकारी संपत्ति है। 1857 में जब अंग्रेजों ने कब्जा किया उस समय जिन लोगों ने उनका समर्थन नहीं किया उनकी संपत्ति नजूल में डाल दी गई। नजूल का कानून अंग्रेजों का बनाया हुआ है, जो हमारा अधिकार है वो रहेगा। हमारे बुजुर्गों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी इसलिए उनकी संपत्ति नजूल में चढ़ाई गई। बुजुर्गों की दान की हुई संपत्ति है इस्लामिक सेंटर ऑफ़ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने अपनी निजी संपत्ति को वक्फ किया है। मस्जिद, मदरसा और दरगाहों के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा है। यह किसी की संपत्ति पर कोई अवैध निर्माण नहीं है। सरकार का यह दावा है कि ढाई प्रतिशत संपत्ति सिर्फ वक्फ की है ये गलत आंकड़े हैं। सरकार की ओर से यह बात भी कही जा रही है कि मुसलमान की संपत्ति को ले लिया जाएगा। यह अन्याय है। ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट को प्रदर्शित के साथ लाया जाए।

यात्री बोले- लगता ही नहीं, अमावस्या पर डुबकी लगा पाएंगे:महाकुंभ ट्रेनों में गेट से सीट तक ठसाठस भरे लोग; यूपी के 6 स्टेशनों से रिपोर्ट

यात्री बोले- लगता ही नहीं, अमावस्या पर डुबकी लगा पाएंगे:महाकुंभ ट्रेनों में गेट से सीट तक ठसाठस भरे लोग; यूपी के 6 स्टेशनों से रिपोर्ट ‘हमारा थर्ड AC में रिजर्वेशन है, लेकिन हम कोच में चढ़ भी नहीं पा रहे। ट्रेन के सारे दरवाजे पैक हैं। प्रयागराज महाकुंभ जाने वाले लोग बोगी के दरवाजों पर भी लटके हैं। GRP और RPF के जवान सीटी बजा रहे हैं, मगर कोई हटने को तैयार नहीं है।’ यह कहना है मुकुलानंद का। वे अपनी पत्नी के साथ कोलकाता से वाराणसी आए। अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 से सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस से अब प्रयागराज जा रहे हैं। मगर, बोगी M-1 के दरवाजे पर पहुंचकर वो बेबस महसूस कर रहे हैं। GRP और RPF के जवानों से बहस कर रहे हैं। ये हाल सिर्फ मुकुलानंद नहीं हैं, प्रयागराज की तरफ जाने वाली ट्रेनों के ज्यादातर यात्रियों का है। ट्रेनें 6 से 10 घंटे लेट चल रही हैं। यात्रियों की मुश्किलों को दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप ने वाराणसी, कानपुर, मुगलसराय, मिर्जापुर, जौनपुर, भदोही स्टेशनों से समझा। पढ़िए रिपोर्ट… वाराणसी स्टेशन बंद बोगी के गेट पर लोग हाथ पटक रहे
भास्कर टीम वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां सामान्य दिनों में 80 हजार यात्रियों की आवाजाही होती है। मगर, 13 जनवरी यानी महाकुंभ शुरू होने के बाद हर दिन 1.5 लाख से 2 लाख लोग स्टेशन पर आ रहे हैं। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान के लिए वाराणसी स्टेशन पर प्लेटफार्म-1 से लेकर 4 तक लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। तभी अचानक सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस के प्लेटफार्म नंबर 4 पर आने का ऐलान हुआ। ट्रेन 12.20 की जगह 12.56 बजे पहुंची। प्लेटफार्म पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। पैदल पुल पर पैर रखने को जगह नहीं थी। ट्रेन के ठहरते ही, सिर पर झोला और बैग लादे लोगों ने रिजर्वेशन वाली बोगी के बंद दरवाजे पीटने शुरू कर दिए। दरवाजा खुलते ही हाथापाई
एक बोगी का दरवाजा किसी तरह खुला तो यात्रियों में धक्का-मुक्की के बाद हाथापाई होने लगी। जिन यात्रियों का रिजर्वेशन था, वो बेबस दिखे। स्लीपर और AC बोगी के दरवाजे जबरदस्ती खुलवाने वाले अंदर दाखिल हो रहे थे, रिजर्वेशन वाले अंदर नहीं जा पाए। जनरल बोगी में लोग इमरजेंसी खिड़की से भी अंदर जाते दिखे। यात्रियों की बात… 1 महीने पहले रिजर्वेशन, मगर सीट पर दर्शनार्थी बैठे
प्रफुल्ल शुक्ला बिहार से आए हैं। काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस के स्लीपर कोच से उन्होंने भिलाई जाना था। रिजर्वेशन 1 महीने पहले कराया था। प्रफुल्ल ने बताया- सारनाथ एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस-2 में मेरा और पत्नी का रिजर्वेशन है। ट्रेन आ गई है। मगर हम उसमें चढ़ नहीं पा रहे हैं। प्रयागराज जाने वाले दर्शनार्थी अंदर पहले से ही बैठे हुए हैं। क्या करें? अब हम समझ नहीं पा रहे हैं। पहले गेट नहीं खुले, जब खुले, तब तक छूटने का टाइम हो गया
वाराणसी में कोलकाता के मुकुलानंद का गुस्सा आरपीएफ कर्मियों पर फूट पड़ा। उन्होंने कहा- आप लोग कुछ नहीं कर पाए। अब आ रहे हैं, जब ट्रेन छूटने का टाइम हो गया। मुकुलानंद ने बताया- हमने प्रयागराज के लिए टिकट कराया था। यहां ट्रेन के सामने आए तो पहले तो दरवाजा नहीं खुला। फिर दरवाजा खुला तो उसमें वो लोग चढ़ गए, जिनका टिकट ही नहीं है। दिलीप बोले- कोच के अंदर दम घुट रहा
जयकेश कुमार मिश्रा ने बताया- एसी-3 में मेरा रिजर्वेशन है। लेकिन, हम कोच के गेट नहीं खुल पा रहे हैं। AC बोगी को जनरल बोगी बना दिया है। प्रशासन यहां सिर्फ सीटी मारने के लिए खड़ी है। दिलीप अग्रवाल को रायपुर अपनी पत्नी के साथ जाना था। उन्होंने कहा- एसी कोच के गेट पर और अंदर इस कदर लोग घुस गए हैं कि घुटन हो रही है। हमें बाहर निकलना पड़ा। हमने सारनाथ से ट्रेन पकड़ी थी। एसी में खिड़की खुल नहीं सकती। ऐसे में दम घुट जाएगा। ट्रेनें 30 से 45 मिनट लेट, स्पेशल 1 घंटे पर हो रही रवाना
वाराणसी जंक्शन पर प्रयागराज रूट पर चलने वाली डेली ट्रेनें 30 से 45 मिनट लेट चल रही हैं। वहीं, स्पेशल स्नान महाकुंभ ट्रेनें हर एक घंटे बाद वाराणसी से रवाना हो रही हैं। इसमें कुछ यहां से बनकर चल रही है। तो कुछ अन्य स्टेशनों से वाराणसी पहुंच रही हैं। कानपुर सेंट्रल स्टेशन ठसाठस भरी कामाख्या एक्सप्रेस में चढ़ने की होड़
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। कामाख्या आनंद विहार एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर लगी। ट्रेन पूरी तरह से यात्रियों से भरी हुई थी। बावजूद इसके यात्रियों में पहले चढ़ने की होड़ मच गई। भास्कर टीम ने सफर कर रहे यात्री ओमप्रकाश से बात की। उन्होंने कहा- मैं S4 बोगी में हूं। पूरी बोगी ठसाठस भरी हुई है। स्लीपर और जनरल बोगी में कोई फर्क नहीं रह गया है। प्रयागराज जाने के लिए यात्री किसी तरह से कोच में चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। AC बोगी के गेट बंद, यात्री परेशान
कालका एक्सप्रेस में चढ़ने की कोशिश में अनुज AC कोच का दरवाजा खुलवाने की जद्दो-जहद करते नजर आए। पूछने पर कहा- जो यात्री पहले से अंदर हैं, उन्होंने गेट बंद कर रखे हैं। हमें भी प्रयागराज जाना है, मगर कैसे जाएं। स्लीपर कोच में प्रयागराज के लिए सफर करने वाले यात्री इनाउल कहते हैं- ट्रेन में एक बार जहां पर बैठ गए, वहां से हिल पाना भी मुश्किल हो रहा है। ये सफर बहुत मुश्किल भरा लग रहा है। परेशान हो गए। सुशील बोले- बाथरूम कैसे जाएं, समझ नहीं आ रहा
नॉर्थ ईस्ट ट्रेन में सफर कर रहे सुशील पांडे ने कहा- मेरे पास रिजर्वेशन हैं, मगर ऐसा लग रहा है कि जनरल क्लास में सफर कर रहा हूं। बहुत परेशानी है। प्यास लगे तो पानी नहीं पी सकते। बाथरूम तक जाना भी मुश्किल है। यात्री बोले- ट्रेन का सफर मुश्किल
प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करके वापस आए यात्रियों से भास्कर ने बातचीत शुरू की। इसमें कन्नौज के विकास ने कहा- मैं चोरी-चौरा एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचा हूं। मेरा स्लीपर क्लास से रिजर्वेशन था। मगर, लोग हमारी बोगी में जबरदस्ती चढ़ आए। GRP ने ऐसे यात्रियों को हमारी बोगी से हटाकर नीचे उतारा। तब बैठने लायक जगह हुई। फर्रुखाबाद के उमेश चंद्र ने कहा- प्रयागराज के अंदर व्यवस्थाएं काफी बेहतर थीं। मगर ट्रेन का सफर मुश्किल हो गया है। प्लेटफार्म से लेकर ट्रेन तक लोग ही लोग हैं। मेरठ के मोनू बजरंगी कहते हैं- चोरी चौरा एक्सप्रेस से आया हूं। करोड़ों लोग प्रयागराज पहुंच गए हैं। लेकिन फिर भी प्रशासन की व्यवस्था अच्छी नजर आई। क्योंकि शाही स्नान है, मौनी अमावस्या है, इसलिए ट्रेनों में अधिक भीड़ चल रही है। मुगलसराय स्टेशन भीड़ देखकर लग नहीं रहा कि जा पाएंगे
रवि यादव कहते हैं- हमारी ट्रेन 30 मिनट लेट है, भीड़ देखकर लग नहीं रहा कि हम लोग जा पाएंगे। मगर जो भी कष्ट होगा, हम उठाते हुए जाना चाहते हैं। क्योंकि महाकुंभ 144 साल बाद आया है। हर कोई महाकुंभ जाना चाहता है। मुगलसराय के आशीष विश्वकर्मा कहते है- ट्रेनों में भीड़ ज्यादा चल रही है। 2 ट्रेन हम छोड़ चुके हैं। अब अगली ट्रेन का वेट कर रहे हैं। जाना तो है ही, हर हाल में प्रयागराज पहुंचेंगे। ट्रेनें 1 से 2 घंटा लेट चल रहीं
मुगलसराय स्टेशन पहुंची भास्कर टीम को यात्रियों ने बताया- ज्यादातर ट्रेनें 1 से 2 घंटा लेट चल रही हैं। महाकुंभ है, इसलिए ट्रेनों में भीड़ बहुत ज्यादा है। जो लोग प्लेटफार्म पर नजर आए, वह ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। चहल-पहल बहुत ज्यादा थी। यात्रियों ने बताया कि ट्रेनों के टाइम टेबल में भी बदलाव हुए हैं। इससे यात्री और ज्यादा उलझन में हैं। 8 घंटे लेट पहुंची स्पेशल ट्रेन में बैठने को जगह नहीं
इसी दौरान टूंडला महाकुंभ मेला स्पेशल प्लेटफार्म पर लगी। यह ट्रेन 8 घंटा लेट चल रही थी। खिड़की से दिखा कि स्लीपर क्लास में भी लोग एक-दूसरे के ऊपर बैठे हुए हैं। यात्री आपस में बात करते हुए दिखे। बोले- महाकुंभ तो जाएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। जगह नहीं मिलेगी, तो चलकर जाएंगे। एसी क्लास में भी यह स्थिति कुछ अलग नहीं है। यात्रियों ने बताया कि दो-दो लोग एक सीट पर बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं। रिजर्वेशन का कोई मतलब नहीं रह गया है। लोग गार्ड रूम तक घुस चुके हैं। विशाल कहते हैं- हमने टिकट बुक किया था, लेकिन अब हमें खड़े होकर यात्रा करनी पड़ रही है। महाकुंभ जा रहे रोहित यादव कहते हैं- 144 साल बाद महाकुंभ आया है, बाद में क्या हम जिंदा भी रहेंगे। दोबारा तो जा नहीं पाएंगे, इसलिए जाएंगे जरूर। 42 ट्रेन प्रयागराज की तरफ जा रहीं
इसके बाद हम मुगलसराय स्टेशन की पूछताछ केंद्र पहुंचे। पता चला कि ज्यादातर ट्रेनें लेट चल रही हैं। इनमें 12938 गरबा एक्सप्रेस 5 घंटे, 14620 त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस 3 घंटे, 15657 ब्रह्मपुत्र मेल 4 घंटे, 08417 टूंडला महाकुंभ मेला स्पेशल 8 घंटे, 63557 बरकाखाना वाराणसी मेमू एक्सप्रेस 3 घंटे लेट चल रही हैं। डीडीयू नगर से 42 ट्रेन प्रयागराज के लिए चलाई जा रही हैं। अलग-अलग दिन प्रयागराज के लिए स्पेशल 42 ट्रेन चलाई जा रही हैं। भदोही स्टेशन पुजारी बोले- ट्रेनें आ रही, मगर चढ़ने की जगह नहीं
भदोही स्टेशन पर हमारी मुलाकात पुजारी कनौजिया से हुई। वह कहते हैं- प्रयागराज जाना है, 30 मिनट से खड़े हैं। जो ट्रेन आई थी, उसमें बैठने की जगह भी नहीं है। कोई दरवाजा तक नहीं खोल रहा है कि यात्री अंदर चढ़ सकें। ट्रेनें आ रही हैं, मगर सब में भीड़ है। बिहार से आए श्रद्धालु पंकज ने कहा- लोग भूसे की तरह ट्रेनों में भरे हुए हैं। महाकुंभ में जाने का उत्साह लोगों में देखा जा सकता है। बैठना छोड़िए, ट्रेनों में खड़े होने की जगह भी नहीं है। यात्री अवधेश कहते हैं- यात्री चढ़ नहीं पा रहे हैं। पवन एक्सप्रेस, अयोध्या स्पेशल और चौरी चौरा समेत कई ट्रेनें 5 से 7 घंटे की देरी से चल रही हैं। रेल प्रशासन यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने के लिए पूरा समय दे रहा है। यात्रियों ने सरकार से और अधिक ट्रेनें चलाने की मांग की है। कई परिवारों के सदस्य अलग-अलग ट्रेनों में यात्रा करने को मजबूर हैं, क्योंकि एक साथ जगह नहीं मिल पा रही है। हर 30 मिनट में स्पेशल ट्रेन, फिर भी यात्रियों के लिए जगह नहीं
मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए रेलवे प्रशासन ने हर 30 मिनट पर मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। लेकिन भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। भदोही स्टेशन पर ही वैसे ही हालात मिले। रेलवे 40 मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है। यात्रियों को घंटों इंतजार और भारी मशक्कत के बाद ही ट्रेन में जगह मिल पा रही है। सभी ट्रेनें इतनी भरी हुई हैं कि पैर रखने तक की जगह नहीं बच रही है। स्लीपर, एसी और दिव्यांग बोगी सहित सभी डिब्बे श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हुए हैं। मिर्जापुर स्टेशन GRP जवान ट्रेनों का दरवाजा खुलवा रहे
15 से ज्यादा स्पेशल ट्रेन प्रयागराज कुंभ के लिए चलाई जा रही हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से ही ट्रेनों के भर कर आने से यात्रियों को एंट्री नहीं मिल पा रही है। जीआरपी के जवान ट्रेन की बोगी खुलवाकर यात्रियों को किसी तरह प्रयागराज की ओर रवाना करने में लगे हैं। प्रयागराज कुंभ मेला के लिए दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और प्रयागराज के बीच 15 स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। हर 2 घंटे पर स्पेशल ट्रेनों को रवाना किया जा रहा है। इसके अलावा 120 ट्रेनों का ठहराव किया गया है। ट्रेनों के अंदर बैठे लोगों ने बोगी के गेट बंद कर दिए हैं। यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रिजर्व सीट होने के बावजूद मुंबई की ओर जाने वाले का यात्री अपनी ट्रेन पर सवार नहीं हो सके। लिहाजा उन्हें मायूस होकर अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। बक्सर से प्रयागराज की तरफ सफर कर रहे गोपाल कहते हैं- ट्रेनों में बिल्कुल जगह नहीं है। हम लोग बहुत परेशान हो गए हैं, मगर यात्रा तो करनी है न…। हर हाल में जाएंगे। ट्रेन में सफर कर रहे यात्री अंकुश ने बताया- भीड़ अधिक देखकर दो ट्रेन छोड़ दिया। तीसरी में बैठे हैं, लेकिन इसमें भी तिल रखने भर की जगह नहीं है। जमालुद्दीन, अजय को अपनी मुंबई की यात्रा अंदर से बंद बोगी न खुलने के कारण रद्द करनी पड़ी। जौनपुर स्टेशन ट्रेनें 6-7 घंटे देरी से चल रही, सीट घेरने के लिए लोग घंटों पहले पहुंच रहे
प्रयागराज कुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा है। मंगलवार को जौनपुर-प्रयागराज रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनें खचाखच भरकर आईं। यात्रियों को सीट सुरक्षित करने के लिए 7 घंटे पहले से ही स्टेशन पर डेरा डालना पड़ रहा है। प्रयागराज जाने वाली ट्रेनें 6-7 घंटे देरी से चल रही हैं। जौनपुर से प्रयागराज के लिए एक ट्रेन गोदान और एक इलाहाबाद-प्रयागराज पैसेंजर और दो जोड़ी स्पेशल ट्रेन चल रही हैं। ट्रेन में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की
यात्री अनिकेत सिंह के कहा- शाम 6 बजे की ट्रेन में जगह पाने की आस में वे सुबह 11 बजे से ही स्टेशन पर पहुंच गए। भीड़ का आलम यह है कि यात्री एसी कोच से लेकर स्लीपर और गार्ड रूम तक में घुस रहे हैं। टिकट काउंटर पर यात्रियों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति बनी हुई है और सभी ट्रेनों में टिकट वेटिंग पर चल रहे हैं। जौनपुर स्टेशन अधीक्षक ने बताया- बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेल प्रशासन ने गोदान एक्सप्रेस के अलावा दो अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों की सेवाएं शुरू की हैं। मौनी अमावस्या स्नान के लिए भीड़ अधिक है। रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम कर रहा है, लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। प्रयागराज मंडल के PRO बोले- आउटर में ट्रेन न रोकनी पड़े, इसके अरेंजमेंट किए हैं
यात्रियों से बातचीत में सामने आया कि ट्रेनों को प्रयागराज के आउटर में खड़ा करना पड़ रहा है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अमित सिंह से बात की। उन्होंने कहा- प्रयागराज आने वाली रेगुलर ट्रेनों को आस-पास के दूसरे स्टेशनों पर शेड्यूल किया गया। कई ट्रेन कैंसिल भी करना पड़ा। ताकि मेला से जुड़ी ट्रेन लेट न हो। क्या आउटर में ट्रेन रोकनी पड़ रही है? जवाब में उन्होंने कहा कि प्रयागराज के आउटर में ट्रेन न रोकनी पड़े, इसके अरेंजमेंट किए जा रहे हैं। यह हो सकता है कि लंबे रूट की गाड़ियों को पास करने के लिए लोकल ट्रेनों को आउटर में रोका गया हो।
……………………. यह भी पढ़ें : महाकुंभ जा रही 2 ट्रेनों पर पथराव: कोच के गेट न खुलने से भड़के यात्री, शीशे-दरवाजे तोड़े; RPF बैकफुट पर महाकुंभ जा रही दो ट्रेनों में पथराव और तोड़फोड़ की गई। ट्रेन के अंदर पैर रखने की जगह नहीं थी। ऐसे में यात्रियों ने अंदर से दरवाजे बंद कर लिए। वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी-फतेहपुर पैसेंजर ट्रेन रात सोमवार रात हरपालपुर स्टेशन पर रुकी, यात्री चढ़ने के लिए गेट को धक्का देने लगे। जब गेट नहीं खुला तो पथराव शुरू कर दिया। ऐसा ही वाकया अंबेडकर नगर-प्रयागराज एक्सप्रेस में भी हुआ। यह ट्रेन मध्य प्रदेश के छतरपुर रेलवे स्टेशन पर रुकी थी। RPF भीड़ को संभाल नहीं पाई तो पुलिस को बुलाया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को शांत किया। पथराव में दोनों ट्रेनों की कई बोगियों के शीशे, दरवाजे और खिड़कियों को नुकसान पहुंचा है। पढ़िए पूरी खबर…

गीली मिट्‌टी, क्षमता से ज्यादा भक्त चढ़े, धंस गई बल्ली:क्राउड कंट्रोल के इंतजाम नहीं; बागपत हादसे के जिम्मेदार कौन?

गीली मिट्‌टी, क्षमता से ज्यादा भक्त चढ़े, धंस गई बल्ली:क्राउड कंट्रोल के इंतजाम नहीं; बागपत हादसे के जिम्मेदार कौन? बागपत में जैन धर्म के महोत्सव में 65 फीट ऊंचे मंच की सीढ़ियां टूट गईं। हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। हादसा गीली मिट्‌टी और क्षमता से अधिक भक्तों के सीढ़ी पर चढ़ने की वजह से हुआ। भक्तों को 65 फिट लंबे मान स्तंभ तक ले जाने के लिए बल्लियों और बांस से सीढ़ियां बनाई गई। क्षमता 50 लोगों का भार सहने की थी, लेकिन 100 से ज्यादा लोग एक साथ चढ़ गए। ज्यादा वजन पड़ा और मिट्‌टी गीली होने से बल्ली धंस गई। 50 फीट की ऊंचाई पर एक बल्ली टूट गई। फिर क्या था बल्लियां खिसकने लगीं। देखते ही देखते रस्सियां खुली और ऊपर से सीढ़ियां खुलती चली गईं। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ जैसे हालात बन गए। हादसे में आयोजकों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। सीढ़ियों पर भक्तों को चढ़ने से रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। पुलिस ने ठेकेदार पर केस दर्ज किया है। दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। हादसे की वजह, लापरवाही और सुरक्षा समेत सभी बिंदुओं की जांच-पड़ताल की। घायलों का पक्ष जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले पढ़िए एक नजर में घटना… हादसा बागपत शहर से 20 किमी दूर बड़ौत तहसील में मंगलवार सुबह 7 से 8 बजे के बीच हुआ। महोत्सव में आदिनाथ भगवान को प्रसाद चढ़ाने का कार्यक्रम चल रहा था। 65 फीट ऊंचा लकड़ी का मंच बनाया था। उस पर भगवान की 4-5 फीट ऊंची प्रतिमा रखी थी। भक्त हाथ में लड्डू लेकर सीढ़ियों से आदिनाथ भगवान को भोग लगाने के लिए मचाननुमा सीढ़ियों से ऊपर चढ़ रहे थे। तभी अचानक से सीढ़ियों की एक बल्ली खिसकी और पूरा मचान नीचे गिर गया। हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि 80 से अधिक लोग घायल हो गए। दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। लोगों से बातचीत में पता चला कि निर्वाण महोत्सव का आयोजन 25 सालों से हो रहा है। ये 26वां आयोजन था। हर बार की तरह इस बार भी 65 फिट लंबे मान स्तंभ तक पहुंचने के लिए बल्ली और बांस की सीढ़ियां बनाई गई थीं। आयोजन में कोई बदलाव नहीं किया गया था। हर साल 300 से 400 लोग पहुंचते थे। इस बार 1000 से ज्यादा लोग पहुंच गए। वसीम पिछले 4 साल से सीढ़ी बना रहे
टीम उस जगह पर पहुंची, जहां सीढ़ी बनाई गई थी। पड़ताल में सामने आया कि जिस जगह पर बल्ली के सहारे सीढ़ी बनाई गई थी। वहां की मिट्‌टी गीली थी। बल्लियां मिट्‌टी में धंसी मिलीं। हादसे की यही वजह थी। आस-पास के लोगों ने बताया कि बरनावा के ठेकेदार वसीम पिछले 4 साल से इस आयोजन में सीढ़ियां बना रहे हैं। इस बार सीढ़ी बनाने का बजट 45 हजार रुपए था। एक हफ्ते में 8-10 लोगों की टीम ने सीढ़ियों को बनाकर तैयार किया था। इससे पहले इनके रिश्तेदार यहां सीढ़ियां बनाते थे। तब 41 हजार बजट हुआ करता था। अब पढ़िए प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या कुछ बताया… घटनास्थल पर ही भास्कर की टीम प्रत्यक्षदर्शी राजेश से मिली। उन्होंने बताया- सभी लोग दर्शन के लिए जा रहे थे। बल्ली और बांस की सीढ़ियां बनाई गई थी। भक्त ऊपर चढ़ रहे थे, तभी अचानक एक बल्ली खिसक गई। उसके बाद एक-एक करके सभी बल्लियां खिसकने लगी। ये देखकर भगदड़ मच गई। कुछ लोग सीढ़ियों से लुढ़कते हुए नीचे आए। कुछ सीधे ऊपर से ही नीचे गिर गए। काफी लोग नीचे दबे थे। सभी लोग को मुश्किल से बाहर निकाला गया। अशोक जैन बोले- आयोजकों-ठेकेदार की लापरवाही से हादसा हुआ प्रत्यक्षदर्शी अशोक जैन ने कहा- बल्ली गिरने के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। काफी देर तक समझ नहीं आया क्या करें? काफी लोग नीचे गिरे थे। कुछ नीचे दबे थे। सभी को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। प्रशासन ने बहुत सहयोग किया है। हादसा आयोजकों और ठेकेदार की लापरवाही की वजह से हुआ। पुलिसकर्मी पिंकी बोलीं- भगदड़ की चपेट में ज्यादा लोग आए
टीम घटनास्थल से निकल कर उस अस्पताल पहुंची, जहां घायलों का इलाज चल रहा है। यहां पहले हम घायल पुलिसकर्मी पिंकी से मिले। उन्होंने बताया, मेरी ड्यूटी आयोजन में लगी थी। जिस जगह हादसा हुआ, मैं वहां से थोड़ा दूर खड़ी हुई थी। एक दम से लोगों के चिल्लाने की आवाज आई तो हम लोग दौड़कर अंदर आए। वहां देखा कुछ लोग जमीन पर गिरे हुए हैं। उनको रौंदते हुए लोग भाग रहे हैं। हम लोग स्थिति संभाल रहे थे, तभी मैं भीड़ में गिर गई और लोगों ने मुझे भी रौंद दिया। जिसकी वजह से मेरे हाथ और पैर में गंभीर चोट आई है। मौके पर जो भगदड़ मची है, उसकी वजह से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। आयोजक की जुबानी हादसे की कहानी… आयोजकों की टीम के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, जिस जगह ये सीढ़ियां बनाई गई थीं, वहां की मिट्टी कच्ची (गीली) थी। जिस वजह से जब बल्ली खिसकी और बैलेंस बिगड़ा तो नीचे सहारे के लिए लगी बल्ली मिट्टी में धंसने लगी और फिर टूट गई। इसके अलावा सीढ़ियों पर एक साथ भीड़ को चढ़ने से रोकने के कोई इंतजाम नहीं थे। इन सीढ़ियों की क्षमता एक साथ 50 लोगों के चढ़ने की थी, लेकिन 100 से ज्यादा लोग एक साथ चढ़ रहे थे। 50 फिट की ऊंचाई पर सीढ़ी टूटी थी। उसके बाद बल्लियां खिसकना शुरू हुईं। देखते ही देखते रस्सियां खुलीं और ऊपर से सीढ़ियां गिरनी शुरू हो गईं। जो लोग ऊंचाई पर थे, वो लोग वहीं से कूदने लगे। जहां पर ये मान स्तंभ बना है, उसके चारों ओर कांटे वाली जाली बनी हुई है। जब ऊपर से लोग नीचे कूदे तो उन्हें ये जालियां लग गई। इस वजह से वो लोग ज्यादा घायल हुए। बाकी कुछ लोग सीढ़ियों से गिरते हुए जमीन पर आ गए। बचने के लिए लोग एक दूसरे को धक्का देते हुए भाग रहे थे। जो नीचे गिरे हुए थे, वो उठ ही नहीं पा रहे थे। हम लोग भीड़ को कंट्रोल कर रहे थे। लेकिन कोई रुक नहीं रहा था। भगदड़ इतनी भयानक थी कि कुछ समझना मुश्किल था। हादसे में इनकी हुई माैत
हादसे में तरसपाल (66) पुत्र हुकमचंद गांधी रोड इमली वाली गली, अमित (35) पुत्र नरेश चंद, अरुण (48) पुत्र केशव राम, ऊषा (24) पत्नी सुरेंद्र, शिल्पी (24) पुत्री सुनील जैन, विनीत जैन (40) पुत्र सुरेंद्र, कमलेश जैन (65) पत्नी सुरेश चंद की माैत हुई है। पुलिस ने मान स्तंभ तक जाने वाली सीढ़ियां बनाने वाले ठेकेदार वसीम को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। डीएम ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच करने के निर्देश दिए हैं। एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। ठेकेदार पर आरोप है कि उसने मिट्टी गीली होने पर भी इसकी जानकारी नहीं दी। अब पढ़िए स्तंभ का इतिहास….
दिगंबर जैन कॉलेज के सचिव डीके जैन ने बताया कि दिगंबर जैन कॉलेज प्रबंधन समिति ने 1999 में मान स्तंभ की स्थापना कराई थी। तभी से जैन समाज के लोग यहां पर लड्डू निर्माण महोत्सव का आयोजन करते हैं। बागपत के बड़ौत में श्री दिगंबर जैन का करीब 650 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर में कुल 7 वेदियां है, जिन पर अलग-अलग तीर्थंकरों की मूर्तियां विराजमान हैं। पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा है। निर्वाण महोत्सव में शामिल होने के लिए कई जिलों के लोग आए थे। —————————- इस हादसे से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें- बागपत में जैन धर्म के महोत्सव में हादसा, 7 मौतें:65 फीट ऊंचाई पर मंच, जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां; भीड़ बढ़ी तो ढह गईं उत्तर प्रदेश के बागपत में मंगलवार को जैन समुदाय के निर्वाण महोत्सव के दौरान हादसा हो गया। यहां 65 फीट ऊंचे मंच की सीढ़ियां टूट गईं। इससे कई श्रद्धालु एक दूसरे पर गिरते चले गए। भगदड़ जैसे हालात हो गए। हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि 80 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया है। स्थानीय लोगों ने घटना में खून से लथपथ श्रद्धालुओं को ठेले से अस्पताल पहुंचाया। सीएम योगी ने मामले का संज्ञान लिया। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे। यहां पढ़ें पूरी खबर

महाकुंभ जाना मालदीव, थाईलैंड से महंगा:दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से किराया 30 हजार तक पहुंचा, कनेक्टिंग फ्लाइट्स के टिकट 50 हजार से ज्यादा

महाकुंभ जाना मालदीव, थाईलैंड से महंगा:दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से किराया 30 हजार तक पहुंचा, कनेक्टिंग फ्लाइट्स के टिकट 50 हजार से ज्यादा 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत के साथ ही प्रयागराज देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं का केंद्र बना है। बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग प्रयागराज आ रहे हैं। ऐसे में, कई यात्रियों ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में (DGCA) प्रयागराज तक की फ्लाइट्स के किराए में भारी बढ़ोतरी की शिकायत की है। इसे लेकर 27 जनवरी को DGCA ने एयरलाइन कंपनियों से महाकुंभ के लिए हवाई किराया नहीं बढ़ाने को कहा। देश के प्रमुख शहरों से प्रयागराज आने वाली फ्लाइट्स के किराए में कितना उछाल आया? एयरलाइन कंपनियां कितना किराया वसूल रहीं? इसकी क्या वजह है? इस रिपोर्ट में पढ़िए- सबसे पहले जानिए पूरा मामला
महाकुंभ में इस समय हर दिन लाखों लोग पहुंच रहे हैं। ये लोग यहां पहुंच कैसे रहे हैं? तो जवाब है जिसकी जैसी आर्थिक सामर्थ्य है उसी के मुताबिक बसों, ट्रेनों और हवाई जहाज से यहां पहुंच रहे हैं। इसमें ट्रेनों का संचालन पूरी तरह सरकार के हाथ में है। इस लिहाज से रेलवे ने पहले से तैयारियां कीं और ट्रेनें बढ़ा दीं। सरकारी बसों की संख्या भी बढ़ाई गई। तीसरा साधन आता है हवाई जहाज, जहां सरकार का दायरा सिर्फ नियम-कानून बनाने तक सीमित है। संचालन उसके हाथ में नहीं। ऐसे में, एयरलाइन कंपनियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए देश के प्रमुख शहरों से फ्लाइट्स के टिकट बेतहाशा महंगे कर दिए। तब इसे लेकर कई यात्रियों ने DGCA में इसकी शिकायत की। यात्रियों ने बताया कि कैसे दिल्ली से प्रयागराज तक किराया 25 हजार रुपए तक वसूला जा रहा है। जबकि सामान्य रूप से यह 5 हजार रुपए तक रहता है। यात्रियों की शिकायत पर DGCA का एक्शन
लगातार मिल रही इन शिकायतों पर सोमवार (27 जनवरी) को DGCA ने एक्शन लिया। महानिदेशालय ने एयरलाइन कंपनियों से फ्लाइट्स का किराया नहीं बढ़ाने को कहा है। DGCA ने एयरलाइन कंपनियों से उड़ाने बढ़ाने के लिए भी कहा। बयान जारी कर महानिदेशालय ने कहा कि जनवरी के लिए प्रयागराज के लिए 81 अतिरिक्त उड़ानों को मंजूरी दी गई है। इससे पूरे देश से प्रयागराज के लिए उड़ानों की संख्या 132 हो गई है। इन शिकायतों को लेकर 23 जनवरी को महानिदेशालय के अफसरों ने एयरलाइन कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी की थी। देश के 7 बड़े शहरों से प्रयागराज के लिए 29 जनवरी के फ्लाइट टिकट की कीमतें मौनी अमावस्या के बाद 5 प्रमुख शहरों से प्रयागराज की फ्लाइट के टिकट की कीमतें बाली, मालदीव और थाईलैंड जाने से महंगा हुआ प्रयागराज जाना
आप अगर दिल्ली, बेंगलुरु या जयपुर जैसे शहरों से बाली, मालदीव और थाईलैंड जाना चाहते हैं तो यह महाकुंभ जाने की फ्लाइट टिकट से सस्ता पड़ेगा। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। अगर बेंगलुरु से 31 जनवरी के दिन कोई प्रयागराज की कनेक्टिंग फ्लाइट बुक करता है तो उसे अधिकतम 94 हजार तक चुकाना पड़ सकता है। यह सिर्फ एक तरफ की कीमत है। इसी तरह डायरेक्ट फ्लाइट के लिए 30 से 35 हजार एक तरफ चुकाना पड़ेगा। यानी आना-जाना दोनों मिला दें तो करीब 60 से 70 हजार। अब दिल्ली या बेंगलुरु से मालदीव की फ्लाइट के टिकट का इसी तारीख में दाम देखें तो यह एक तरफ के लिए 16 से 17 हजार के बीच है। इसी तरह इन शहरों से इंडोनेशिया की राजधानी बाली के लिए डायरेक्ट फ्लाइट टिकट की कीमतें 25 से 30 हजार के बीच है। कुछ ऐसे ही हालात थाईलैंड जाने के भी हैं। मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को थाईलैंड 14 हजार में पहुंचा जा सकता है। लेकिन देश दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई से प्रयागराज नहीं। सामान्य दिनों की तुलना में 4 से 5 गुना बढ़े प्रयागराज की फ्लाइट टिकट के दाम
सामान्य दिनों में प्रयागराज के लिए दिल्ली से हवाई टिकट की कीमतें 5 हजार तक की होती हैं। इसी तरह पड़ोस के राज्यों जैसे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से डायरेक्ट फ्लाइट की करीब 2500 रुपए, जयपुर से 5 से 7 हजार, अहमदाबाद से 6 से 7 हजार, बेंगलुरु से 8 से 10 रुपए तक टिकट की कीमतें होती हैं। कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों से जहां से प्रयागराज के लिए सीधी फ्लाइट नहीं है, वहां से सामान्य दिनों में टिकट की कीमतें 10 से 12 हजार के बीच होती हैं। लेकिन, महाकुंभ की वजह से प्रयागराज के लिए मांग बढ़ने पर इन शहरों से एयरलाइन कंपनियों ने टिकटों के दाम 4 से 5 गुना बढ़ा दिए हैं। कीमतें बढ़ने के पीछे क्या वजह?
प्रयागराज में महाकुंभ की वजह से इस शहर में देशभर से पहुंचने वाली डायरेक्ट और कनेक्टिंग फ्लाइट्स के दाम बढ़े हैं। इसके पीछे वजह है डिमांड के मुताबिक सप्लाई कम होना। DGCA की तरफ से जनवरी में 81 फ्लाइट्स की मंजूरी के बाद भी मांग पूरी नहीं हो पा रही। ट्रैवल पोर्टल इक्सिगो ने जनवरी महीने में ही एक सर्वे किया। उसमें निकलकर आया कि दिल्ली से प्रयागराज आने वाली फ्लाइट टिकटों के दाम 21% बढ़ गए। ———————————- यह खबर भी पढ़ें सास पीठ पर…5KM पैदल चलकर महाकुंभ पहुंची, 70 साल की मां को कांवड़ से लाया बेटा; मेले में दिल को छू लेने वाले दृश्य प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ हो रही है। लोगों का खाली हाथ और पैदल चलना भी मुश्किल है। इस आपाधापी के बीच ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जिन्हें देखकर दिल को सुकून मिल रहा। जानिए ऐसे ही कुछ खास लोगों के बारे में…

महाकुंभ का मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान:अखाड़ा संगम के लिए निकला तो प्रशासन ने कुछ देर के लिए रोका, संतों की बैठक चल रही

महाकुंभ का मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान:अखाड़ा संगम के लिए निकला तो प्रशासन ने कुछ देर के लिए रोका, संतों की बैठक चल रही प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान है। मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के लिए भोर में अखाड़ों के नागा साधु और संन्यासी संगम निकले थे। भगदड़ की घटना के बाद प्रशासन ने अखाड़ों से अपील की कि अभी स्नान के लिए न जाएं। इसके बाद अखाड़े के साधु-संत शिविर में लौट आए। यहां साधु-संत बैठक कर रहे हैं। इसके बाद तय होगा कि अखाड़ों का स्नान कब होगा। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा- मेला प्रशासन का मेरे पास फोन आया था। मुझसे जुलूस रोकने का आग्रह किया है। मैंने अपने अखाड़े का जुलूस अभी अंदर ही रोका है। अभी हम वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। 13 अखाड़ों में से सबसे पहले संन्यासी, बैरागी और फिर उदासीन अखाड़े को स्नान करना है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के नागा संन्यासी और संत स्नान करने के लिए भोर में सबसे पहले अखाड़े से निकले थे। इनकी स्नान की टाइमिंग 5 बजे की दी गई थी।