हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला में बढ़ती ठंड के कारण पूरा क्षेत्र शुष्क ठंड में तब्दील हो गया है। जिससे बच्चों में शुष्क खांसी के साथ नाक बहना, जुकाम आम बात हो गई है। ठंड के चलते ऊंचाई वाले इलाकों में बहते पानी के साथ कई क्षेत्रों में जल स्रोत भी जमने लगे है। जिससे कई क्षेत्रों में अभी से ही पानी की समस्या उत्पन्न होने लगी है। किन्नौर जिला के शीत मरुस्थल वाले इलाकों में अधिकांश नदी नाले पूरी तरह फ्रीज होना शुरू हो गए है। दिन में खिल रही अच्छी धूप जिला के ऊंचाई वाले अधिकांश क्षेत्रों में बहता पानी भी तेजी से बर्फ की सीलियों में तब्दील हो रहा है। बता दे कि बर्फबारी व बारिश नही होने से जिला में दिन के वक्त अच्छी धूप खिल रही है, लेकिन सुबह शाम ठंड काफी ज्यादा महसूस हो रही है। करीब 12 हज़ार फीट की ऊंचाई एनएच 505 मलिंग नाला के पास सड़क पर बहता पानी जमने से सड़क फिसलन भरी हो गया है। जिससे सुबह शाम वाहन चलाना जोखिम भरा है। मिट्टी डाल पिघलाया जा रहा सड़क पर जमा पानी ऐसे में सीमा सड़क संगठन ने सड़क पर जमी पानी पर मिट्टी डाल कर पिघलाया जा रहा है, ताकि वाहन न फिसले। उधर जिला पुलिस ने सभी से अपील किया है कि ठंड से मलिंग नाला में पानी जमने लगा है। सड़क पर फिसलन ज्यादा हो गई है। आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर शाम 5 से सुबह 7 बजे के बीच यात्रा करने से बचने व पुलिस द्वारा दिए निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला में बढ़ती ठंड के कारण पूरा क्षेत्र शुष्क ठंड में तब्दील हो गया है। जिससे बच्चों में शुष्क खांसी के साथ नाक बहना, जुकाम आम बात हो गई है। ठंड के चलते ऊंचाई वाले इलाकों में बहते पानी के साथ कई क्षेत्रों में जल स्रोत भी जमने लगे है। जिससे कई क्षेत्रों में अभी से ही पानी की समस्या उत्पन्न होने लगी है। किन्नौर जिला के शीत मरुस्थल वाले इलाकों में अधिकांश नदी नाले पूरी तरह फ्रीज होना शुरू हो गए है। दिन में खिल रही अच्छी धूप जिला के ऊंचाई वाले अधिकांश क्षेत्रों में बहता पानी भी तेजी से बर्फ की सीलियों में तब्दील हो रहा है। बता दे कि बर्फबारी व बारिश नही होने से जिला में दिन के वक्त अच्छी धूप खिल रही है, लेकिन सुबह शाम ठंड काफी ज्यादा महसूस हो रही है। करीब 12 हज़ार फीट की ऊंचाई एनएच 505 मलिंग नाला के पास सड़क पर बहता पानी जमने से सड़क फिसलन भरी हो गया है। जिससे सुबह शाम वाहन चलाना जोखिम भरा है। मिट्टी डाल पिघलाया जा रहा सड़क पर जमा पानी ऐसे में सीमा सड़क संगठन ने सड़क पर जमी पानी पर मिट्टी डाल कर पिघलाया जा रहा है, ताकि वाहन न फिसले। उधर जिला पुलिस ने सभी से अपील किया है कि ठंड से मलिंग नाला में पानी जमने लगा है। सड़क पर फिसलन ज्यादा हो गई है। आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर शाम 5 से सुबह 7 बजे के बीच यात्रा करने से बचने व पुलिस द्वारा दिए निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल: राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन ट्रांसफर की इजाजत:धार्मिक संस्था के आगे झुकी सरकार; बदला लैंड सीलिंग एक्ट, राष्ट्रपति को भेजा जाएगा
हिमाचल: राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन ट्रांसफर की इजाजत:धार्मिक संस्था के आगे झुकी सरकार; बदला लैंड सीलिंग एक्ट, राष्ट्रपति को भेजा जाएगा हिमाचल प्रदेश में राधा स्वामी सत्संग ब्यास को 30 एकड़ जमीन सहयोगी संस्था के नाम ट्रांसफर करने की इजाजत मिल गई है। धार्मिक संस्था के दबाव में हिमाचल सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदल डाला है। दूसरी धार्मिक संस्थाएं भी 30 एकड़ तक जमीन ट्रांसफर कर पाएगी। कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 को पारित कर दिया है। इसमें सरकार ने एक्ट की 5(आई) में छूट देने का फैसला लिया है। विधानसभा में पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी को भेजा जाएगा। इसके बाद छूट मिल पाएगी। 1972 में बने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के बाद चैरिटी के लिए 30 एकड़ जमीन पर बने ढांचे को हस्तांतरित किया जा सकेगा। पूर्व में लोगों द्वारा धार्मिक संस्थाओं को दान की गई जमीन को ट्रांसफर करने की इजाजत नहीं थी। ऐसा करने से जमीन सरकार में वेस्ट (निहित) हो जाती थी। कांग्रेस सरकार ने संशोधन के उद्देश्यों में स्पष्ट किया कि सत्संग ब्यास संस्था धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करने वाला संगठन है। इसने राज्य में नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं। हिमाचल के हमीरपुर जिला के भोटा में इस संस्था ने एक अस्पताल भी बना रखा है, यहां स्थानीय लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही है। सत्संग ब्यास के पास सीलिंग से ज्यादा जमीन इस संस्था के पास लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन है, जिसे लैंड सीलिंग एक्ट के तहत छूट दी गई है। सत्संग ब्यास कई बार सरकार से अनुरोध कर चुका है कि उसे भोटा चैरिटेबल अस्पताल की भूमि और भवन को चिकित्सा सेवाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए सहयोगी संस्था जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को हस्तांतरित करने की अनुमति दी जाए। मगर 1972 के एक्ट 5 की उप धारा 5(आई) इसके आड़े आ रही थी। राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करके हस्तांतरण की इजाजत दे दी है। जाने क्या है पूरा मामलां हिमाचल में राधा स्वामी सत्संग ब्यास सहित दूसरी धार्मिक संस्थाओं को लोगों ने सैकड़ों बीघा जमीन दान कर रखी है। कायदे से यह जमीन 1972 के लैंड सीलिंग एक्ट के तहत सरकार में वेस्ट होनी थी। 1972 में सैकड़ों बीघा जमीन सरकार में वेस्ट हुई 1972 में जब लैंड सीलिंग एक्ट बना तो उसके बाद जिस व्यक्ति या परिवार के पास पानी वाली 50 बीघा से ज्यादा जमीन, एक फसल देने वाली 75 बीघा से अधिक, बगीचा वाली 150 बीघा जमीन तथा ट्राइबल एरिया में जिसके पास 350 बीघा से ज्यादा जमीन थी, उनकी वजह से जमीन सरकार में वेस्ट हो गई। इससे राजा-रजवाड़ाओं, देवी देवताओं, बड़े बड़े साहुकारों की सैकड़ों बीघा जमीन सरकार में वेस्ट हो गई। धार्मिक संस्थाओं, पावर प्रोजेक्ट, उद्योगों, चाय के बागानों के अलावा राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों, स्थानीय निकायों, की जमीन को सीलिंग से छूट दी गई है। हिमाचल की पूर्व वीरभद्र सरकार ने प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट 1972 में साल 2014 में संशोधन कर इसमें इसकी धारा 5 में उप धारा 5(आई) को जोड़ा। इस शर्त से धार्मिक संस्थाएं तिलमिला गई, क्योंकि 5(आई) की वजह से धार्मिक संस्थाएं न तो दान की जमीन बेच सकती है, न गिफ्ट कर सकती है और न ही सोयाइटी के नाम जमीन ट्रांसफर कर सकती है। यदि धार्मिक संस्था द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह जमीन सरकार में निहित (वेस्ट) हो जाएगी। कुछ संस्थाएं अब दान की जमीन बेचकर मोटा मुनाफा कमाना चाह रही है। इसलिए समय समय पर एक्ट को बदलने का दबाव बनता रहा। पूर्व की जयराम सरकार ने भी इस एक्ट को बदलने की कोशिश की। मगर तब विपक्ष में कांग्रेस ने इसका विरोध किया और इसे हिमाचल बेचने जैसा प्रयास बताया। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार पर भी राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने इसका दबाव डाला। यही नहीं सत्संग ब्यास ने भोटा अस्पताल को बंद करने की चेतावनी दी। इसके बाद हमीरपुर में लोग सड़कों पर उतरे। तब मुख्यमंत्री सुक्खू में एक्ट बदलने का भरोसा दिया। सीलिंग से ज्यादा जमीन को किया गया सील प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. वाइएस परमार ने 1972 में हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट इसलिए बनाया था, ताकि भूमि के व्यक्तिगत उपयोग की सीमा तय की जा सके। यह भू-सुधारों में सबसे बड़ा कदम था। इसमें बोनाफाइड हिमाचलियों के लिए भी लैंड होल्डिंग की सीमा निर्धारित की गई। इस कानून को बेक डेट यानी 1971 से लागू किया गया, क्योंकि जब लोगों को पता चला कि सरकार सीलिंग एक्ट बनाने जा रही है तो कुछ लोगों ने जमीन को एक दूसरे के नाम ट्रांसफर कर सीलिंग से बचने की कोशिश की।
हिमाचल संजौली मस्जिद केस पर सुनवाई आज:मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने दायर की थी याचिका, 20 दिसंबर तक निपटाना है मामला
हिमाचल संजौली मस्जिद केस पर सुनवाई आज:मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने दायर की थी याचिका, 20 दिसंबर तक निपटाना है मामला शिमला की संजौली मस्जिद को गिराने के नगर निगम (MC) आयुक्त के आदेशों पर स्टे वाली याचिका पर आज जिला कोर्ट में सुनवाई होगी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में लोकल रेजिडेंट को इस केस में पार्टी बनने वाली अर्जी को खारिज कर दिया था। अब ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी की याचिका की मैंटेनेबिलिटी पर सुनवाई होगी। दरअसल, स्थानीय लोगों को इस केस में बीते 11 नवंबर की सुनवाई के दौरान पार्टी बनने को जिला अदालत में अर्जी दी थी। बता दें कि, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रमुख नजाकत अली ने नगर निगम आयुक्त के बीते 5 अक्टूबर के आदेशों को जिला कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया गया MC आयुक्त कोर्ट के आदेश डिफैक्टेड है। याचिका में दलील दी गई कि आयुक्त ने यह फैसला संजौली मस्जिद कमेटी द्वारा दिए गए हलफनामे के आधार पर सुनाया है। उन्होंने दावा किया कि संजौली मस्जिद कमेटी रजिस्टर नहीं है। ऐसे में उसके अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा सही नहीं है। नजाकत अली का दावा है कि उन्होंने मस्जिद बनाने के लिए पैसा दिया था। इसलिए वह भी पीड़ित पक्ष है। उन्हें भी सुना जाना चाहिए और मस्जिद की तीन मंजिल गिराने के फैसले पर स्टे दिया जाए। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला संजौली मस्जिद मामले में MC आयुक्त कोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। मस्जिद की एटिक यानी छत को हटाने का काम पूरा हो गया है। अब टॉप की मंजिल की दीवारों को तोड़ा जाना है। इस बीच मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। संजौली मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर ऊपर की 3 मंजिल तुड़वाने का काम कर रही है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए शिमला MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 2010 से चल रहा है। इसे देखते हुए लोकल रेजिडेंट ने 21 अक्टूबर को एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और जल्दी फैसला सुनाने के लिए MC आयुक्त को निर्देश देने का आग्रह किया। इस पर हिमाचल हाईकोर्ट ने MC आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने के आदेश दिए। इन आदेशों के अनुसार, MC आयुक्त को 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद का केस निपटाना है। संजौली मस्जिद से पूरे प्रदेश में हुआ था विवाद संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा था। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिला में भी जगह-जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस बीच बीते 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। निगम आयुक्त के मस्जिद की तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद यह मामला पूरी तरह शांत हो गया।.
विनोद कुमार को सौंपा एसपी बद्दी का कार्यभार:इल्मा अफरोज के छुट्टी से लौटने तक रहेंगे; HPPS-2007 बैच के अधिकारी
विनोद कुमार को सौंपा एसपी बद्दी का कार्यभार:इल्मा अफरोज के छुट्टी से लौटने तक रहेंगे; HPPS-2007 बैच के अधिकारी हिमाचल प्रदेश के बद्दी के एसपी का कार्यभार विनोद कुमार को दिया गया है। जब तक इल्मा अफरोज छुट्टी से नहीं लौटती, तब तक विनोद कुमार उनका कार्यभार देखेंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने मंगलवार को आदेश जारी कर दिया है। विनोद कुमार HPPS-2007 बैच के अधिकारी हैं। जो 8वीं बटालियन होम गार्ड चंबा में बतौर कमांडेंट सेवाएं दे रहे थे। जिसके अब उन्हें बद्दी का एसपी बनाया गया है। अचानक छुट्टी पर गई एसपी अफरोज बता दें कि एसपी इल्मा अफरोज अचानक छुट्टी पर चली गई। जिसके बाद चर्चाएं थी कि सीपीएस राम कुमार चौधरी की पत्नी के पोकलेन मशीन व टिप्पर को अवैध माइनिंग पर उन्होंने चालान काटा था। इसके अलावा खेड़ा में बीते माह हुए फर्जी गोलीकांड में एसपी की निष्पक्ष कार्रवाई से जोड़ा जा रहा था कि उन पर केस को दबाने का दबाव बनाया जा रहा है। जिस कारण एसपी अफरोज को रातों-रात छुट्टी पर भेज दिया गया।