यूपी DGP प्रशांत कुमार कहीं नहीं जा रहे:अखिलेश के दुलारों की पोल खुली, बाबू के पीछे पड़ गए आगरा डीएम

यूपी DGP प्रशांत कुमार कहीं नहीं जा रहे:अखिलेश के दुलारों की पोल खुली, बाबू के पीछे पड़ गए आगरा डीएम यह बात खरी है… हर रोज हम आपको बताते हैं कि यूपी की राजनीति और सरकारी विभागों में अंदरखाने क्या चल रहा है? ऊपर VIDEO पर क्लिक करें…

IPS संजीव त्यागी का 18 दिन में दूसरी बार ट्रांसफर:शिवहरि मीना का 24 दिनों में दूसरा तबादला; दो दिन बाद यूपी DGP रिटायर होंगे

IPS संजीव त्यागी का 18 दिन में दूसरी बार ट्रांसफर:शिवहरि मीना का 24 दिनों में दूसरा तबादला; दो दिन बाद यूपी DGP रिटायर होंगे योगी सरकार ने 5 सीनियर IPS अफसरों के ट्रांसफर किए हैं। IPS संजीव त्यागी का 18 दिनों में दूसरी बार तबादला हुआ है। पहले उन्हें आगरा के एडिशनल कमिश्नर से हटाकर लखनऊ में DIG कारागार बनाया था। अब उन्हें DIG बस्ती की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह, शिवहरि मीना का भी 24 दिनों में दूसरी बार तबादला हुआ है। पहले उन्हें अपर पुलिस आयुक्त नोएडा से हटाकर DIG तकनीकी सेवाएं, लखनऊ बनाया गया था। अब उन्हें ACP (लॉ एंड ऑर्डर), वाराणसी नियुक्त किया है। गोरखपुर के DIG आनंद सुरेश राव कुलकर्णी को पुलिस मुख्यालय भेजा गया है। उन्हें DIG तकनीकी सेवाएं, लखनऊ की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, वाराणसी के ACP (लॉ एंड ऑर्डर) शिवासिंप्पी चनप्पा को DIG गोरखपुर की कमान सौंपी गई है। बस्ती के DIG दिनेश कुमार पी. को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भेजा गया है। पिछले एक महीने की बात करें तो 31 आईपीएस के तबादले हुए हैं। DGP प्रशांत कुमार 2 दिन बाद यानी 31 मई को रिटायर हो रहे हैं। देखिए लिस्ट- अब पांचों सीनियर IPS अफसरों के बारे में जानिए- 1- संजीव त्यागी: विवादों से रहा है गहरा नाता संजीव त्यागी का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। 2020 में इनका तबादला बिजनौर से प्रतापगढ़ एसपी के पद पर हुआ था, लेकिन खुद के तबादले के बाद थानेदारों के तबादलों की वजह से इन पर उंगली उठी थी। प्रतापगढ़ जॉइन करने जा रहे संजीव को लखनऊ वापस बुला लिया गया था। डीजी आफिस अटैच कर दिया गया था। डीजीपी ऑफिस में सात महीने अटैच रहने के बाद इन्हें कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में अपर पुलिस आयुक्त बनाया गया । 2010 बैच के IPS संजीव गाजियाबाद के मोरटा गांव के रहने वाले हैं। संजीव पांच भाई हैं। 2017 में संजीव की जिंदगी में एक बड़ा हादसा हुआ। गाजियाबाद में उनके पिता ईश्वर चंद त्यागी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप संजीव के भाई अनुज पर ही लगा था। 2- शिवासिंप्पी चनप्पा: कुंभ में बेहतर काम का इनाम मिला शिवासिंप्पी चनप्पा को कुंभ में बेहतर काम करने का इनाम मिला है। उन्हें गोरखपुर रेंज का DIG बनाया गया है। उनकी गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती रही है। इससे पहले, 2021 में वे हाथरस में SP रहे। फिर फरवरी 2022 में उन्हें लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में DCP नॉर्थ बनाया गया था। उसके बाद उन्हें वाराणसी में अपर पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 3- आनंद कुलकर्णी: तेज-तर्रार अफसरों में होती है गिनती आनंद कुलकर्णी की गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती रही है। वे 2008 बैच के IPS अधिकारी हैं। 2009 में उनकी पहली पोस्टिंग गोरखपुर जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई थी। बतौर पुलिस कप्तान वे वाराणसी, प्रयागराज, आजमगढ़, बस्ती, बाराबंकी, उन्नाव, महोबा और सीतापुर में तैनात रहे हैं। अपर पुलिस आयुक्त गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट से उन्हें गोरखपुर रेंज का DIG बनाया गया था। उन्होंने यहां 11 जनवरी 2024 को कार्यभार ग्रहण किया था। वे यहां 1 साल 5 महीने 19 दिन तक रहे। आनंद कुलकर्णी महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं। 4- दिनेश कुमार पी: 14 साल के करियर में 20 से ज्यादा ट्रांसफर दिनेश कुमार पी को हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए NOC दी थी। इसके बाद अब उन्हें वहां से हटाकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है। दिनेश कुमार पी को 2 दिसंबर 2024 को बस्ती रेंज का DIG बनाया गया था। 2009 बैच के IPS दिनेश तमिलनाडु के सेलम जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है। वे सहारनपुर, शामली, गोरखपुर, झांसी, पीलीभीत, हमीरपुर, जौनपुर और कन्नौज जैसे जिलों में कप्तान रह चुके हैं। 14 साल के करियर में उनका 20 से अधिक बार ट्रांसफर हो चुका है। 5- शिवहरि मीणा: 24 दिनों में दूसरा तबादला शिवहरि मीणा फील्ड के अफसर माने जाते हैं। इनका भी 24 दिनों में दूसरा तबादला हुआ है। वे 2010 बैच के IPS अधिकारी हैं। झांसी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रामपुर, कासगंज, रायबरेली, इटावा, मऊ, बस्ती, हापुड़ और महाराजगंज के SP रह चुके हैं। शिवहरि राजस्थान के दौसा जिले के गढ़ी मोजपुर गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता चिमनलाल मीणा BSNL में अधीक्षक थे। शिवहरि ने गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा 3 तक पढ़ाई की। इसके बाद वे कोटा पढ़ने चले गए। महात्मा गांधी स्कूल से उन्होंने हाईस्कूल सेकेंड डिवीजन में पास किया। 2000 में कोटा गर्वनमेंट कॉलेज से बीए किया। इसके बाद कोटा से ही 2002 में पॉलिटिकल साइंस में एमए किया। चौथे अटेम्प्ट में UPSC क्रैक कर IPS बने। ———————— ये खबर भी पढ़ें- यूपी में लॉरेंस विश्नोई का शार्प शूटर एनकाउंटर में ढेर:2 घंटे मुठभेड़, 14 राउंड फायरिंग, सीने में गोली लगी; दरोगा-सिपाही भी घायल यूपी के हापुड़ में STF ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शार्प शूटर को एनकाउंटर में मार गिराया है। बुधवार रात नोएडा STF और दिल्ली पुलिस ने शूटर को घेरा तो उसने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसमें एक दरोगा और सिपाही गोली लगने से घायल हो गए, जबकि एक इंस्पेक्टर और दरोगा बुलेटप्रूफ जैकेट में गोली लगने से बाल-बाल बच गए। जवाबी फायरिंग में बदमाश नवीन कसाना के सीने में गोली लग गई। पढ़ें पूरी खबर

लखनऊ में बारिश, आज 50 जिलों में भी अलर्ट:मिर्जापुर में 8 लोगों पर बिजली गिरी, 2 बहनों की मौत, अभी दो दिन ऐसा ही रहेगा मौसम

लखनऊ में बारिश, आज 50 जिलों में भी अलर्ट:मिर्जापुर में 8 लोगों पर बिजली गिरी, 2 बहनों की मौत, अभी दो दिन ऐसा ही रहेगा मौसम यूपी में बारिश का दौर जारी है। लखनऊ में सुबह कई इलाकों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश हुई। बादल छाए हैं। आज 50 जिलों में बारिश का अलर्ट है। यहां 30 से 40 Km प्रति घंटे की स्पीड से तेज हवा चल सकती है। पिछले 24 घंटे की बात करें 42.4 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ बांदा सबसे गर्म रहा। कानपुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर, रामपुर, फर्रुखाबाद में तेज बारिश हुई। सबसे ज्यादा गौतमबुद्धनगर में 2 मिमी पानी बरसा। मौसम विभाग के मुताबिक, 31 मई तक मौसम ऐसा ही बना रहेगा। मिर्जापुर में बुधवार दोपहर तेज बारिश के बीच 8 लोगों पर बिजली गिर गई। इसमें 2 सगी बहनों की मौत हो गई। वहीं, अलग-अलग परिवार के 6 लोग झुलस गए। वाराणसी के BHU के मौसम वैज्ञानिक अतुल सिंह ने कहा- नौतपा के दौरान अब तक यूपी के किसी भी शहर में लू (हीटवेव) नहीं चली है। दिन का तापमान भी सामान्य से ज्यादा रिकॉर्ड नहीं हुआ है। उन्होंने बताया 2 दिनों तक अच्छी बारिश होगी। नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, अचानक गिरी बिजली
बिजली गिरने से 6 झुलसे लोगों में फूल कुमारी का मिर्जापुर में मायका है। वह मायके आई थी। बुधवार दोपहर फूल कुमारी अपने बच्चों जागृति, सोनम, रनिया और अमन के साथ नीम के पेड़ के नीचे बैठी थी। फूल कुमारी के साथ उनकी दो भतीजियां साधना और खुशबू भी बैठी थीं। इनके अलावा उनका पड़ोसी लल्लू भी वहीं पेड़ के नीचे बैठा था। अचानक बिजली गिरने से साधना और खुशबू की मौत हो गई। जबकि बाकी लोग झुलसकर घायल हो गए। मानसून में सामान्य से ज्यादा होगी बरसात
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि इस मानसून में जून से सितंबर के दौरान चार माह में पूर्वी यूपी में सामान्य से 10 प्रतिशत और पश्चिमी यूपी में सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक बारिश की संभावना है। जून माह में देश भर में सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक बारिश होगी। इस बार यूपी में मानसून 18 जून तक एक्टिव हो जायेगा। अगले 3 दिन मौसम का पूर्वानुमान 29 मई – पूर्वी और पश्चिमी जिलों में बारिश होगी। 30-40Km के रफ्तार से हवा चलेगी। 30 मई – पूर्वी और पश्चिमी जिलों में बारिश के साथ-साथ 30-40Km के रफ्तार से हवा चलेगी। 31 मई – 30-40 Km प्रति घंटे की स्पीड से तेज हवा चलेगी। ———————– ये खबर भी पढ़िए- कोविड की चौथी लहर 28 दिन तक एक्टिव रहेगी:BHU के प्रोफेसर बोले- वैक्सीनेशन करवाने वाले भी संक्रमित होंगे; कानपुर IIT एक्सपर्ट की राय- ये फ्लू जैसा यूपी में कोविड के नए वैरिएंट से पहली मौत आगरा में हुई है। 40 एक्टिव पेशेंट होम आइसोलेशन में हैं। सबसे ज्यादा एक्टिव पेशेंट नोएडा, गाजियाबाद में मिले हैं। एक्सपर्ट मान रहे हैं- कोविड की चौथी लहर आती है, तो उसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगा। हालांकि, यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी। जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, वह भी एहतियात बरतें, क्योंकि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता। इतना जरूर है कि पुराने वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई है। यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लड़ने में मदद जरूर कर सकती है। पढ़िए, एक्सपर्ट क्या कहते हैं…

जिस मेट्रो ट्रेन का पीएम करेंगे लोकार्पण, वो बेहद खास:स्टेशन पर एक भी डार्क स्पॉट नहीं; लिफ्ट के चलने से भी बनती है बिजली

जिस मेट्रो ट्रेन का पीएम करेंगे लोकार्पण, वो बेहद खास:स्टेशन पर एक भी डार्क स्पॉट नहीं; लिफ्ट के चलने से भी बनती है बिजली 30 मई को कानपुर दौरे के दौरान PM नरेंद्र मोदी कानपुर मेट्रो के अंडरग्राउंड सेक्शन लोगों को सौंप देंगे। अभी तक मेट्रो सिर्फ 9 स्टेशन तक चल रही थी, जो आईआईटी कानपुर से मोतीझील तक थे, लेकिन अब इसमें 5 नए स्टेशन और जुड़ गए हैं। ये स्टेशन हैं– चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज और कानपुर सेंट्रल। अब मेट्रो कुल 14 स्टेशनों पर दौड़ेगी। अंडरग्राउंड सेक्शन पर पहला सफर बच्चों को कराया जाएगा। मोदी जब ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे तो इसमें बच्चे सवार होंगे। कानपुर सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन को रवाना किया जाएगा। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम, कानपुर नगर से सांसद रमेश अवस्थी, अकबरपुर से सांसद देवेंद्र सिंह भोले और मिश्रिख सांसद अशोक रावत भी मौजूद रहेंगे। मोदी के साथ मंच पर करीब 24 लोग मौजूद रहेंगे। पढ़िए कितनी खास है कानपुर की मेट्रो… कानपुर के ये स्टेशन जुड़ेंगे हर स्टेशन में दिखेगी कानपुर और इसके इतिहास की झलक मेट्रो से इन इलाकों में जाना होगा आसान ……………………………….

यूपी में लॉरेंस विश्नोई का शार्प शूटर एनकाउंटर में ढेर:दो पुलिसवालों को गोली मारी तो STF ने मार गिराया, हाशिम बाबा संग करता था वारदात

यूपी में लॉरेंस विश्नोई का शार्प शूटर एनकाउंटर में ढेर:दो पुलिसवालों को गोली मारी तो STF ने मार गिराया, हाशिम बाबा संग करता था वारदात यूपी के हापुड़ में STF ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शार्प शूटर को एनकाउंटर में मार गिराया है। STF चीफ अमिताभ यश ने बताया कि बुधवार रात नोएडा STF और दिल्ली पुलिस ने शूटर को घेरा तो उसने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसमें दो पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए। जवाबी फायरिंग में बदमाश नवीन को गोली लग गई। पुलिस उसे अस्पताल लेकर गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, दोनों घायल पुलिसकर्मियों का इलाज जारी है। बुधवार रात करीब 11 बजे कोतवाली क्षेत्र के प्रीत विहार में यह मुठभेड़ हुई। नवीन लॉरेंस बिश्नोई गैंग का सक्रिय सदस्य था। वह गैंग के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर हाशिम बाबा के साथ मिलकर दिल्ली और यूपी में अपराध करता था। नवीन ने कई हाई-प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाया था। नवीन गाजियाबाद के लोनी का रहने वाला था। उस पर हत्या, अपहरण, डकैती और मकोका जैसे 20 संगीन मामले दिल्ली और यूपी में दर्ज थे। इनमें से दिल्ली के दो मामलों में उसे सजा भी हो चुकी थी। दिल्ली सेल ने STF को दिया था इनपुट पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिल्ली स्पेशल सेल को नवीन के हापुड़ में होने की सूचना मिली थी। स्पेशल सेल ने यूपी एसटीएफ को इसकी जानकारी दी। इसके बाद एक टीम को उसकी तलाश में हापुड़ भेजा गया। मुखबिर के इशारे पर टीम ने आरोपी की पहचान कर उसे घेर लिया। नोएडा के एएसपी एसटीएफ आरके मिश्रा ने बताया- टीम ने उसे सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन उसने पुलिस पर गोली चला दी। उसकी गोली सिपाही अंकुर और विजेंद्र को लग गई। इसके बाद टीम ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं। एक गोली बदमाश को जाकर लगी। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इधर, देर रात मुठभेड़ की सूचना मिलते ही पुलिस और आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया। मुठभेड़ के बाद इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। STF ने बदमाश के पास से बाइक और ऑटोमैटिक पिस्टल बरामद की है। नवीन जिस लॉरेंस बिश्नोई का शूटर था, उसके बारे में जानिए
गैंगस्टर लॉरेंस पर करीब 84 FIR दर्ज हैं। 2016 में उसे नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में ही बंद है। इस वक्त वह गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। करीब 9 साल से वह जेल से बाहर नहीं आया है। इसके बावजूद देश में हुए मर्डर केसों में उसका नाम आया है। जिनमें मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला, राजस्थान के करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी का मर्डर भी शामिल है। इसके अलावा वह काले हिरण के शिकार के आरोपों से घिरे बॉलीवुड स्टार सलमान खान के भी पीछे पड़ा है। छात्र से गैंगस्टर कैसे बना लॉरेंस 11 दिनों में 5 बदमाश ढेर, 2 पुलिसकर्मियों की मौत पिछले 11 दिनों में यूपी पुलिस ने 5 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इस दौरान दो पुलिसकर्मियों की मौत हुई है। 8 साल में 23 पुलिसवाले शहीद, 234 बदमाश मारे गए पिछले 8 सालों की बात करें तो यूपी में 2017 से अब तक 234 बदमाश मारे गए हैं। इस दौरान 23 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। 1650 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। —————————— एनकाउंटर से जुड़ी हुई ये खबर भी पढ़ें- बस कंडक्टर को लूटने वाले बदमाश का एनकाउंटर:लखनऊ में आधी रात को पुलिस में घेरा, भागे तो पैर में मारी गोली; एक फरार लखनऊ के आलमबाग इलाके में पुलिस और बदमाश के बीच मुठभेड़ हो गई। बस कंडक्टर से लूट करने वाले मुख्य आरोपी गौरव के पैर में गोली लगी। उसको इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। उसका साथी शुभम अंधेरे में पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। पुलिस मामले में एक आरोपी को पहले गिरफ्तार कर चुकी है। पढ़ें पूरी खबर

दादी गला रेतती रही…दादा-बुआ खड़े देखते रहे:सहारनपुर में बहू को जेल भिजवाने चाहते थे; पुलिस के सामने रोने का नाटक करते रहे

दादी गला रेतती रही…दादा-बुआ खड़े देखते रहे:सहारनपुर में बहू को जेल भिजवाने चाहते थे; पुलिस के सामने रोने का नाटक करते रहे सहारनपुर में 5 महीने की इशिका की हत्या उसी के दादा-दादी और बुआ ने की थी। दादा ब्लेड देकर बोला-‘ले काट दे इसकी गर्दन’ दादी ने बच्ची का मुंह दबाया। फिर धीरे-धीरे ब्लेड से गले पर वार करती रही। बच्ची की बुआ भी पास खड़ी होकर ये सब देखती रही। पुलिस ने बुधवार देर रात तीनों को अरेस्ट कर लिया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो बहू को फंसाना चाहते थे। उसे जेल में डलवाना चाहते थे। उसके साथ कई दिनों से लड़ाई चल रही थी। अब विस्तार से पढ़िए ब्लेड से गला रेतकर मारा
कुतुबपुर के कुसेनी गांव में 28 मई को इशिका की हत्या कर दी गई थी। हत्या में कोई बाहर का नहीं, बल्कि दादा, दादी और बुआ शामिल थे। इसका खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ। पुलिस को पता चला कि ब्लेड से गला कर हत्या की गई है। पुलिस को यकीन था कि इस हत्याकांड में परिवार का कोई है। पुलिस ने शक पर दादा धर्मेंद्र, दादी सरिता और बुआ वंशिका से पूछताछ की। इसके बाद उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। बहू को फंसाने का था प्लान
SSP रोहित सिंह ने बताया-जब बच्ची की मौत का पता चला। तब पुलिस ने अलग-अलग सबसे बातचीत की। तभी मृतका की दादी सरिता आई और पुलिस के सामने अजीब सा बर्ताव करने लगी। आते ही बोली-मेरी बहू ने ही मेरी पोती की हत्या की है। इसे पकड़ लो। ये ही इस घर के लोगों को खाकर रहेगी। सबको मार दे, इससे पहले इसे पकड़कर ले जाओ। इसके बाद पुलिस ने दादा से बात की। दोनों की बातचीत पर पुलिस को शक हुआ। फिर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पूरा यकीन हो गया। बच्ची को कैसे मारा?
पुलिस ने पूछा कि पोती को कैसे और क्यों मारा। दादी सरिता ने बताया कि वह कई दिनों से इसकी योजना बना रही थी। सुबह 4 बजे जब देखा कि सब सो गए है। तब उसने अपने पति धर्मेंद्र को उठाया और बेटी वंशिका को भी। उसके पति ने उसे ब्लेड दिया। ब्लेड लेकर चारपाई के पास आई। सबसे पहले पोती का मुंह दबाया। इसके बाद धीरे से ब्लेड से गला रेत दिया। तब तक मुंह दबाकर रखा जब तक मासूम इशिका की सांसें नहीं थम गई। जानिए पूरा घटनाक्रम
28 मई को 5 महीने की इशिका की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। ये हत्या तब हुई, जब बच्ची की मां शिवानी सो रही थी। सुबह 5 बजे जब शिवानी की आंख खुली देखी। तब उसके बिस्तर पर खून-खून था। ये देखकर वो चिल्ला उठी। तभी बराबर में सोई बुआ अंशिका ने भी शोर मचाने का नाटक किया। तब सभी परिवार के लोग आए और बच्ची की हालत देखकर उसे डॉक्टर के पास ले गए। लेकिन, उसकी मौत की पुष्टि डॉक्टर ने कर दी। मृतक बेटी का पिता राजन तीन माह से घर पर नहीं है। वो केरल में सैलून चलाते हैं।

जहां कॉन्स्टेबल की हत्या…वहां 200 मकान खाली:गाजियाबाद में सड़कों-बाजारों में सन्नाटा, लोग बोले-पुलिस लोगों को आधी रात ट्रक में भरकर ले गई

जहां कॉन्स्टेबल की हत्या…वहां 200 मकान खाली:गाजियाबाद में सड़कों-बाजारों में सन्नाटा, लोग बोले-पुलिस लोगों को आधी रात ट्रक में भरकर ले गई कॉन्स्टेबल सौरभ की हत्या के बाद नाहल गांव के ज्यादातर लोग घर छोड़कर चले गए हैं। 200 मकान खाली पड़े हैं। सड़कों पर सन्नाटा है। सड़कों पर सिर्फ हथियार लिए पुलिस के जवान दिख रहे। जिन लोगों से घरों के अंदर मुलाकात हुई, उन्होंने बताया- पुलिस वाले आधी रात को दरवाजों पर राइफल की बट मारते हैं, ट्रक में भर-भरकर लोगों को कहीं ले जाते हैं। जो लोग बचे हैं, वो गांव छोड़कर रिश्तेदार और दोस्तों के यहां चले गए हैं। कुछ घरों में महिलाएं और बच्चे हैं, मगर उन्हें रोजमर्रा की चीजें नहीं मिल पा रही हैं। घर से बाहर निकलते ही पुलिस तमाम सवाल करती हैं, भगा देती है। ज्यादातर वक्त गांव के ऊपर ड्रोन उड़ता हुआ दिखता है। ये सब 25 मई की रात के बाद हुआ। जब नोएडा पुलिस हिस्ट्रीशीटर कादिर को पकड़ने आई थी। जहां कादिर को छुड़ाते हुए उसके भाई और गुर्गों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। पथराव करते हुए पुलिस पर फायरिंग कर दी। आरोपियों ने बीच गांव में ही नोएडा पुलिस के सिपाही सौरभ कुमार की हत्या कर दी। पुलिस अब तक मुख्य आरोपी कादिर समेत 14 लोगों को अरेस्ट कर जेल भेज चुकी है, 15 से ज्यादा लोग हिरासत में हैं। गांव का माहौल कैसा है, घटना को लेकर लोग क्या कह रहे हैं, वो आरोपियों और पुलिस कार्रवाई के बारे में क्या कहते हैं? ये सब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर गाजियाबाद में मसूरी थाने से 5 किमी दूर नाहल गांव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… गांव का माहौल सड़कों पर सन्नाटा, स्कूल में टीचर नहीं आ रहे
टीम नाहल पहुंचीं तो कस्बे के मार्केट की दुकानों के शटर गिरे मिले। कॉन्स्टेबल की हत्या हुए 4 दिन बीत चुके हैं। मगर हालात नॉर्मल नहीं हुए हैं। सड़क पर सिर्फ कुछ जानवर नजर आए। ये जानवर उन घरों के बताए गए, जो लोग गांव छोड़कर जा चुके थे। अब हम हिस्ट्रीशीटर कादिर की कोठी की तरफ चल पड़े। यहां पर PAC की ट्रक खड़ी थी, कादिर के घर के बाहर पुलिस वाले कुर्सियों पर बैठे थे। हमने उनसे बात करने का प्रयास किया, मगर उन्होंने साफ मना कर दिया। कहा- आप गांव से चले जाइए। हम गांव के प्राथमिक स्कूल तक पहुंचे, यहां भी ताला लगा हुआ था। हमने अंदाजा लगाया कि इस खौफ के माहौल में शायद टीचर भी स्कूल नहीं आ रहे थे। एक्सप्रेसवे की तरफ से चलते हुए हम गांव के दूसरे छोर पर पहुंचे। यहां कुछ चहल पहल जरूर थी, मार्केट की दुकानें भी खुली हुई थी। कुछ लोग खरीदारी करते हुए दिख रहे थे। पुलिस ट्रक से लोगों को पकड़कर ले गई
गांव में 100 मीटर अंदर चलने पर मो. दानिश से मुलाकात हुई। वह गांव से बाहर जा रहे थे। हमने उन्हें रोका और पूछा- आप गांव के ही रहने वाले हैं? उन्होंने कहा- हां…। हमने फिर पूछा- आप कहां जा रहे हैं और गांव में सन्नाटा क्यों है? दानिश बोले- मेरी किराने की दुकान है। सिपाही की हत्या के बाद से गांव के ज्यादातर घर खाली हैं। कोई सब्जी और फल खरीदने वाला भी नहीं है। तीन दिन हो गए पुलिस की गाड़ी आती है। बुधवार रात पुलिस ट्रक से लोगों को लेकर गई। पुलिस का इतना खौफ है कि लोग घरों में ताले लगा कर चले गए। जो हैं वो डर के कारण बाहर नहीं निकल रहे। लोग बोले- पुलिस दुकानें बंद करवा देती है, अब हम क्या करें
अब हमने घरों के अंदर मौजूद लोगों से बातचीत शुरू की। मोहम्मद मुनसेद ने कहा- इस मामले में वो लोग परेशान किए जा रहे हैं, जिनका कोई लेनादेना नहीं। सारा गांव क्रिमिनल तो नहीं हो सकता है। पुलिस सबको परेशान कर रही है। कासिम ने कहा- पुलिस दुकानें बंद करवाए रही है, लोगों के पास पैसा नहीं हैं। घर कैसे चलाएंगे, इसलिए लोग परिवार को रिश्तेदारों के घर भेज रहे हैं। क्या कर सकते हैं? ग्राम प्रधान हाजी तवस्सुर से मोबाइल पर बात हुई, उन्होंने बताया- मैं गांव के बाहर हूं। पुलिस के डर से आधे घरों से फरार हैं। पूरे गांव में कोई भी युवा नहीं मिलेगा। इस गांव में करीब 600 घर हैं। यहां की ज्यादातर आबादी मुस्लिम है। हमारा बस इतना ही कहना है कि जिसने अपराध किया है उसी को पुलिस जेल भेजे। लेकिन किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए। इस समय गांव में पुलिस की इतनी दहशत है कि लोग डरकर पलायन कर गए। कादिर समेत 14 को जेल भेजा, 7 और हमलावर भी चिह्नित
नोएडा पुलिस के SI सचिन राठी की तरफ से मसूरी थाने में कादिर, उसके भाई समेत अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। इसकी जांच इंस्पेक्टर योगेंद्र पंवार को दी गई है। अभी तक जिन हमलावरों को जेल भेजा गया है। उन सभी पर कॉमन धारा लगाई गई हैं। जिसमें सभी ने घेरकर एक साथ पुलिस पर हमला किया। पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर कादिर, नन्हू, अब्दुल सलाम, मुशाहिद, अब्दुल खालिद, जावेद, मुरसलीन, इनाम, महताब, मेहराज, जावेद, हसीन, मुरसलीम,अब्दुल रहमान को अरेस्ट किया है। 7 अन्य हमलावर भी चिह्नित किए गए हैं, जो घर से फरार बताए जा रहे हैं। अब कॉन्स्टेबल सौरभ हत्याकांड की पूरी कहानी समझिए पुलिस पर पथराव, गाड़ी के पीछे छिपकर जान बचाई
रविवार रात 11.40 बजे नोएडा पुलिस की टीम हिस्ट्रीशीटर को पकड़कर ले जा रही थी, तभी उसके साथियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिसवालों ने गाड़ी रोकी और भागकर जान बचाई। मौका मिलते ही हिस्ट्रीशीटर कादिर (24) भाग गया। फिर उसने साथियों के साथ मिलकर पुलिस पर गोलियां बरसा दीं। दरअसल, सातों पुलिसवालों की हत्या करने की साजिश थी। 20-25 राउंड से ज्यादा गोलियां चलाई गईं। इसी बीच, कादिर की चलाई गोली सिपाही सौरभ के सिर में लग गई। यह देखकर कादिर अपने साथियों के साथ वहां से भाग गया। वहीं, हमले के बाद पुलिसकर्मी सिपाही को ऑटो से अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। शासन ने सौरभ के परिवार को 50 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। साथ ही परिवार के 1 सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। हालांकि, रविवार रात 12 बजे ही पुलिस ने कादिर को दोबारा गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ हत्या, लूट जैसे 24 से ज्यादा केस दर्ज हैं। ……….
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यूपी पुलिस पर कैसे भारी पड़े हिस्ट्रीशीटर: गाजियाबाद में 7 पुलिसकर्मी को मारने वाले थे, बदमाश बोले- कोई बचना नहीं चाहिए नाहल गांव में आज भी पुलिस के बूटों की थाप सुनाई पड़ रही थी। ये वही गांव है, जहां हिस्ट्रीशीटर कादिर ने यूपी पुलिस के कॉन्स्टेबल की हत्या कर दी। लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। हालांकि सिर्फ 2 घंटे के अंदर पुलिस ने कादिर को दोबारा अरेस्ट कर लिया। पढ़िए पूरी खबर…

सत्ता की चाहत में जयंत के कोर वोट-बैंक में दरार:आरएलडी का क्यों बिखर रहा कुनबा, बीजेपी से गठबंधन में किसे फायदा और नुकसान

सत्ता की चाहत में जयंत के कोर वोट-बैंक में दरार:आरएलडी का क्यों बिखर रहा कुनबा, बीजेपी से गठबंधन में किसे फायदा और नुकसान राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की कमान तीसरी पीढ़ी के जयंत चौधरी के हाथों में है। वर्तमान में रालोद के 2 सांसद लोकसभा में हैं। खुद जयंत राज्यसभा में सांसद एवं केंद्र में मंत्री हैं। यूपी विधानसभा में पार्टी के 9 विधायक हैं। पार्टी के एक विधायक को यूपी मंत्रिमंडल में भी जगह मिली हुई है। वहीं, विधान परिषद में भी पार्टी के एक सदस्य हैं। सांसद-विधायकों की संख्या के लिहाज से रालोद प्रदेश की चौथी बड़ी पार्टी है। हालांकि, रालोद में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। बीजेपी से गठबंधन और हाल ही में लोकसभा से पास किए गए वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम नेताओं में नाराजगी है। पिछले 1 साल में पार्टी के 7 बड़े चेहरे पार्टी को अलविदा कर चुके हैं। सवाल है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले रालोद का कुनबा क्यों बिखर रहा? क्या रालोद के कोर वोटरों में शामिल जाट-मुस्लिम साथ छोड़ रहे? बीजेपी से गठबंधन का रालोद को फायदा हुआ या नुकसान? पढ़िए ये रिपोर्ट… सबसे तगड़ी चोट, शाहजेब रिजवी का इस्तीफा
रालोद के प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी, जयंत पर ‘भटक जाने’ और मुसलमानों से विश्वासघात का सीधा आरोप लगाया। मेरठ के रसूलपुर निवासी रिजवी ने कहा- जयंत चौधरी ने उस समुदाय को धोखा दिया, जिसने उन्हें आंखों का तारा बना रखा था। वक्फ बिल पर समर्थन से हम आहत हैं। शाहजेब वही नेता हैं, जिन्होंने 2020 में एक आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने वाले युवक के सिर पर 51 लाख का इनाम घोषित कर दिया था। अब वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से जुड़ गए हैं। शाहजेब ने इस्तीफा देते समय जयंत चौधरी पर सियासी हमला बोला था। शाहजेब ने कहा था कि उनके सभी विधायक वहां से जीते हैं, जहां मुस्लिमों का अच्छा खासा वोट बैंक है। 2027 के चुनाव में ही सब कुछ पता चल जाएगा। मुसलमानों को इन्हें एहसास कराना चाहिए कि हमने आप पर भरोसा किया, लेकिन आप हमें छोड़कर चले गए। मोहम्मद जकी का आरोप- सत्ता मोह में रालोद भटक गई
हापुड़ के जिला महासचिव भी वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन करने के बाद पार्टी से अलग हो गए। उन्होंने जयंत चौधरी के रुख पर नाराजगी जताते हुए कहा- रालोद से भारी मन से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन, पार्टी के नेतृत्व, नीतियों और आपने जिस तरह से मुसलमानों व अन्य वंचित समुदायों की उपेक्षा की, उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया था। रालोद पार्टी का दावा था कि वह सभी समुदायों को साथ लेकर चलेगी, लेकिन आज पार्टी सत्ता के मोह में सब कुछ भूल चुकी है। रूहेलखंड में शमशाद अंसारी का है वर्चस्व
रालोद के रूहेलखंड प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रहे शमशाद अंसारी ने सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दिया था। वे भी वक्फ विधेयक के समर्थन से नाराज थे। शमशाद अंसारी समाजवादी पार्टी की पूर्व चेयरपर्सन रुखसाना परवीन के पति हैं। उन्होंने इस्तीफा देते वक्त कहा था कि जयंत चौधरी की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के कारण बड़ी संख्या में लोग रालोद से जुड़े थे। लेकिन, वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख से मुस्लिम समाज खुद को ठगा महसूस कर रहा है। अब पढ़िए बीजेपी से गठबंधन के बाद पार्टी छोड़ने वाले नेताओं के बारे में
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से गठबंधन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था- मैं जयंत चौधरी जी और RLD में अपने साथियों का आभारी हूं। आज जब भारत का संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है, तो खामोश रहना पाप है। मैं जयंत जी का आभारी हूं, पर भारी मन से RLD से दूरी बनाने के लिए मजबूर हूं। भारत की एकता, अखंडता विकास और भाईचारा सर्वप्रिय है। इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी और धरम है। शाहिद, जयंत के पिता अजीत सिंह के करीबी थे। वे रालोद में 6 साल रहे। जबकि पार्टी के युवा शाखा के प्रदेश प्रवक्ता रोहित जाखड़ ने भाजपा के पूर्व सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे को लोकसभा में केसरगंज से टिकट मिलने से नाराज होकर इस्तीफा दिया था। तब खिलाड़ियों ने ब्रजभूषण के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा था। उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा था- भाजपा बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ कर रही है। वे राष्ट्रीय लोकदल की नीतियों से आहत हैं। रालोद के राष्ट्रीय कैंपेन इंचार्ज ने मोदी को तानाशाह बता पार्टी छोड़ी थी
रालोद के राष्ट्रीय कैंपेन इंचार्ज प्रशांत कनौजिया ने भी लोकसभा 2024 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘तानाशाह’ बताते हुए पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने तब सोशल मीडिया पर इस्तीफे की कॉपी पोस्ट करते हुए लिखा था- मुझे नरेंद्र मोदी में श्रद्धेय चौधरी चरण सिंह नहीं, बल्कि एक क्रूर तानाशाह नजर आता है। 700 किसानों की शहादत के लिए जिम्मेदार, लखीमपुर खीरी में गाड़ी से कुचलने वाले और महिला पहलवानों को प्रताड़ित करने वालों का साथ दिया तो मानवता के साथ देश के साथ गद्दारी होगी। उन्होंने जयंत चौधरी को कम उम्र में बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए धन्यवाद दिया था। वहीं, रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे भूपेंद्र चौधरी ने भी मुस्लिम समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था। उन्होंने इस्तीफे में लिखा था- मुस्लिमों के कारण रालोद में जान पड़ी थी। लेकिन भाजपा से गठबंधन कर उन्हें धोखा दिया गया। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में परखेगी रालोद खुद की ताकत
रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे कहते हैं- पंचायत चुनाव पूरी तरह से कार्यकर्ताओं का चुनाव होता है। ये चुनाव किसी सिंबल पर नहीं होते। पार्टी के विस्तार के लिए अभी सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। जो कार्यकर्ता अधिक संख्या में सदस्य बनाएगा, उसे पंचायत चुनाव में मौका दिया जाएगा। पार्टी का बेस पश्चिमी यूपी है, लेकिन हम पूर्वांचल, बुंदेलखंड और मध्य यूपी में भी मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी कार्यकर्ताओं को इसके संकेत दिए हैं। हालांकि अंतिम निर्णय वही लेंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि रालोद पंचायत चुनाव के बहाने खुद की ताकत को परखना चाहती है। इसी के आधार पर 2027 में वह बीजेपी के साथ सीटों की मोलभाव करने की स्थिति में होगी। ये भी पता चल जाएगा कि पार्टी के साथ उसके कोर वोटर माने जाने वाले मुस्लिम और जाट में किसने कितना साथ दिया। सपा के साथ गठबंधन में 8 सीटों पर रालोद को मिली थी जीत
रालोद को 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में कुल 8 सीटें मिलीं, जबकि उसने 33 सीटों पर सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। रालोद-सपा गठबंधन ने पश्चिमी यूपी की शामली, मुरादाबाद सीटों पर सौ फीसदी और मेरठ-मुजफ्फरनगर बेल्ट में शानदार प्रदर्शन किया था। पश्चिमी यूपी के 24 जिलों में 126 सीटें हैं। 2017 में बीजेपी की 100 सीटें आई थीं। 2022 में बीजेपी की 85 सीटें आईं। हालांकि जो लोग सपा-रालोद गठबंधन के लिए 100 फीसदी सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें परिणाम से झटका लगा। रालोद-सपा गठबंधन को 41 सीटें ही मिलीं। इसमें रालोद की सिर्फ 8 सीटें थीं। रालोद ने बाद में एक सीट उपचुनाव में जीता था। पश्चिमी यूपी में 26.21% मुसलमान वोटर्स निर्णायक
अब रालोद का सपा से गठबंधन टूट चुका है। बीजेपी के साथ गठबंधन में रालोद ने अपने कोटे की दोनों लोकसभा सीटें जीत ली हैं। लेकिन, वक्फ संशोधन विधेयक के बाद मुस्लिम वोटरों में काफी नाराजगी है। ऐसे में 2027 में रालोद के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। पश्चिमी यूपी में 26.21 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। कई जिले में मुस्लिम आबादी 30 से 50% तक है। इसमें मुरादाबाद में 50.8%, रामपुर में 50.6%, बिजनौर में 43.0% सहारनपुर में 42.0%, मुजफ्फरनगर में 41.3%, अमरोहा में 40.8%, बरेली में 34.5% और मेरठ में 34.4% आबादी मुस्लिमों की है। सपा की वजह से जो मुस्लिम वोट बैंक रालोद को विधानसभा चुनाव में मिला था, वो अब भाजपा गठबंधन और वक्फ संशोधन विधेयक के बाद छिटक सकता है। मुजफ्फरनगर दंगों में छिटका, 2022 में रालोद के साथ वापस जुड़ा जाट वोट
अब बात करते हैं जाट वोट बैंक की। पश्चिमी यूपी की 14 लोकसभा सीटों और 76 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स प्रभावशाली हैं। 76 सीटों पर 15 फीसदी से ज्यादा और 24 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा जाट वोटर हैं। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बीजेपी ने 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी में बंपर सीटें जीती थीं। जाट वोट बैंक रालोद से छिटक कर बहुतायत में बीजेपी की ओर ट्रांसफर हो गया था। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किसान बिल के चलते जाट वोट बैंक एक बार फिर बंटकर रालोद की ओर आया। सपा के साथ गठबंधन में मुस्लिम-जाट समीकरण से रालोद को 8 सीटों पर जीत मिली। अब RLD के जाट-मुस्लिम समीकरण का क्या होगा
यूपी में सपा, बसपा और रालोद सिर्फ अपने-अपने जातीय आधार वाले वोटों के साथ प्लस मुस्लिम वोटों के इर्द-गिर्द पूरी राजनीति करती रही हैं। रालोद पूरी तरह पश्चिमी यूपी आधारित पार्टी है। उसके सियासी आधार भी जाट और मुस्लिम वोटों पर टिका है। पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित काफी अहम भूमिका अदा करते हैं। रालोद का कोर वोट बैंक जाट-मुस्लिम माना जाता है। अब मुस्लिम वोटर छिटक चुका है। अकेले जाट वोटों के सहारे जयंत चौधरी कुछ खास नहीं कर सकते। पिछले लोकसभा से ऐन पहले रालोद ने भाजपा से गठबंधन किया, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच वो अंडरस्टैंडिंग नहीं दिखी थी। यही कारण रहा था कि पहले चरण में जिन 8 सीटों पर चुनाव हुआ था, उसमें से छह सीट भाजपा गठबंधन हारी थी। बिजनौर रालोद के खाते में और पीलीभीत सीट भाजपा ने जीती थी। बाकी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मुरादाबाद, रामपुर सीट पर सपा-कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था। नगीना सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने जीत दर्ज की थी। मुस्लिम मतदाताओं ने इंडी गठबंधन के पक्ष में एकतरफा मतदान किया था। जिस मुजफ्फरनगर सीट पर 2019 में बीजेपी के संजीव बालियान ने रालोद, सपा और बसपा के समर्थन के बावजूद चौधरी अजित सिंह को 6 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था। उस पर 2024 में बीजेपी हार गई। इस बार रालोद साथ आई तो माना जा रहा था कि संजीव बालियान आराम से यह सीट जीत जाएंगे। लेकिन नतीजा आया तो हरेंद्र मलिक चुनाव जीत गए। भाजपा-रालोद गठबंधन से दोनों फायदे में
पश्चिमी यूपी की राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र प्रताप राणा के मुताबिक, 2027 के विधानसभा चुनाव में रालोद के पास कोई ऐसा कोई विकल्प नहीं बचा कि वह बीजेपी गठबंधन से बाहर होगा। रालोद का कोर वोटर किसान, जिसमें बहुसंख्यक जाट शामिल हैं और मुसलमान थे। बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते मुसलमान पूरी तरह से छिटक गया है। हालांकि, रालोद ये कह सकती है कि उसके दो विधायक मुस्लिम हैं। पर उन्हें भी क्षेत्र में असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने से मुस्लिम वोटरों की नाराजगी और बढ़ चुकी है। मुस्लिम वोटरों के खिसकने से रालोद का अब इंडी गठबंधन या सपा के साथ आने की संभावना नहीं बची है। जाट वोटर जरूर एकजुट हुआ है। पहले जाट वोटरों का एक हिस्सा बीजेपी में और एक रालोद में बंटा हुआ था। लेकिन, जाट समुदाय खेती-बाड़ी से जुड़ा है। रालोद गन्ने का भुगतान या कीमत नहीं बढ़वा पाया। इसे लेकर उसके नेताओं को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जहां तक रालोद का सवाल है, तो उसके पास 2027 में एनडीए गठबंधन में ही चुनाव लड़ने का विकल्प बचा है। सीटों में फेरबदल हो सकता है। जैसे बागपत लोकसभा क्षेत्र में कई सीटें बीजेपी के पास है। इसकी गुंजाइश कम है कि बीजेपी वहां की सीटें गठबंधन में रालोद को देगी। वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र प्रताप राणा कहते हैं- बीजेपी से गठबंधन का रालोद को फायदा ये मिला कि मोदी कैबिनेट और यूपी सरकार में उसे मंत्री पद मिल गया। उसके दो मेंबर आयोग के अध्यक्ष हैं। एक एमएलसी का पद मिल गया। पर रालोद का जो जलवा विपक्ष में रहते हुए था, वो अब नहीं रहा। इसका अंदाज पिछले दिनों रालोद कोटे से यूपी सरकार में मंत्री अनिल कुमार की एक समीक्षा बैठक से लगा सकते हैं। मंत्री अनिल कुमार बकाया गन्ना भुगतान का रिव्यू करने पहुंचे तो बैठक में बागपत के डीएम और एसएसपी ही नहीं पहुंचे। चीनी मिलों के जीएम तक नहीं पहुंचे। इसके बाद उन्होंने बैठक अगले दिन के लिए टाल दिया। पर बाद में वे खुद इस बैठक में नहीं पहुंचे। अंदरखाने की बात ये है कि गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण ने इसके लिए मना कर दिया था। जबकि मलकपुर चीनी मिल पर किसानों का 90% (लगभग 450 करोड़ से अधिक) बकाया है। इसे लेकर किसानों में नाराजगी है, जो रालोद का कोर वोटर हैं। हालांकि जाट अभी तक साइलेंट हैं। इस गठबंधन से बीजेपी को ये फायदा हुआ कि किसान आंदोलन के बाद जो एंटी किसान बीजेपी का माहौल था। रालोद से गठबंधन के बाद पश्चिमी यूपी में वो साइलेंट हो गया। किसान आंदोलन को जाट ही लीड करते थे। रालोद से गठबंधन के चलते किसान अब साइलेंट हैं। यही इस गठबंधन की मजबूती है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… जो मेरा विरोध करेगा, भगवान उसे दंड देंगे, गोंडा में बृजभूषण बोले- सच सामने आया; यौन शोषण में बरी होने पर किए हनुमानगढ़ी के दर्शन नाबालिग पहलवान से यौन शोषण मामले में बरी होने के बाद बृजभूषण सिंह पहली बार अयोध्या पहुंचे। एयरपोर्ट पर 1000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया। इसके बाद वे हनुमानगढ़ी पहुंचे और हनुमान जी के दर्शन-पूजन किए। बृजभूषण बोले- मैंने कहा था कि अगर मेरे ऊपर लगे आरोप साबित हो जाते हैं, तो मैं खुद फांसी पर लटक जाऊंगा। कोर्ट के फैसले ने मेरी उस बात को सही साबित कर दिया। भूपेंद्र हुड्डा 11 बजे तक मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन संत्री भी नहीं बन पाए। आम आदमी पार्टी का तो सत्यानाश हो गया। पढ़ें पूरी खबर

कोविड की चौथी लहर 28 दिन तक एक्टिव रहेगी:BHU के प्रोफेसर बोले- वैक्सीनेशन करवाने वाले भी संक्रमित होंगे; कानपुर IIT एक्सपर्ट की राय- ये फ्लू जैसा

कोविड की चौथी लहर 28 दिन तक एक्टिव रहेगी:BHU के प्रोफेसर बोले- वैक्सीनेशन करवाने वाले भी संक्रमित होंगे; कानपुर IIT एक्सपर्ट की राय- ये फ्लू जैसा यूपी में कोविड के नए वैरिएंट से पहली मौत आगरा में हुई है। 40 एक्टिव पेशेंट होम आइसोलेशन में हैं। सबसे ज्यादा एक्टिव पेशेंट नोएडा, गाजियाबाद में मिले हैं। एक्सपर्ट मान रहे हैं- कोविड की चौथी लहर आती है, तो उसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगा। हालांकि, यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी। जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, वह भी एहतियात बरतें, क्योंकि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता। इतना जरूर है कि पुराने वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई है। यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लड़ने में मदद जरूर कर सकती है। आखिर कोरोना का नया वैरिएंट क्या है? ये कितना खतरनाक है? क्या वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों को दोबारा कोरोना हो सकता है? ऐसे ही जरूरी सवालों के साथ BHU के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे और IIT कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल से बात की गई। पढ़िए, एक्सपर्ट क्या कहते हैं… पहले BHU के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे की राय
सवाल : कोविड का नया वैरिएंट कितना खतरनाक है? जवाब : भारत में एक बार फिर COVID-19 के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। इसकी बड़ी वजह नया JN.1 वैरिएंट है। यह ओमिक्रॉन का ही एक सब-वेरिएंट है, जो तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। JN.1 को सबसे ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है, क्योंकि यह उन्हें भी संक्रमित कर सकता है जो पहले कोविड से ठीक हो चुके हैं। हालांकि, यह कोविड-19 की शुरुआती लहरों जितना घातक नहीं है। सवाल : कोविड का ये वैरिएंट गर्मी में ही क्यों एक्टिव हो रहा? जवाब : इस पर बहुत से रिसर्च हुए हैं, लेकिन अभी तक सही वजह नहीं पता लगी है। इसका मेजर कनेक्शन हमारे शरीर में एंटीबॉडी के लेवल के डाउन होने से है। वेदर को लेकर रिसर्च किया था कि अगर यह सर्दी में फैलता, तो इसका असर ज्यादा घातक होता? या कितना असर होता? इसमें रिजल्ट आया कि अप्रैल महीने यानी गर्मी में यह ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित करता है। सवाल : JN.1 वैरिएंट की संक्रमण स्पीड को देखते हुए क्या दोबारा कोविड टेस्टिंग शुरू होनी चाहिए? जवाब : टेस्टिंग और सीक्वेंसिंग की इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे यह पता चल जाएगा कि क्या कोई नया वैरिएंट भी एक्टिव हो रहा है। अब यह भी जरूरी है कि लोग अवेयर हों कि अगर कोविड पॉजिटिव हो जाए, तो घबराए नहीं। खुद को कैसे सुरक्षित रखना है, इस पर ध्यान दें। सवाल : अगर कोविड की चौथी लहर आती है, तो उसका असर कब तक रहेगा? जवाब : कोविड महामारी की अलग-अलग लहरों में संक्रमण की अवधि और असर अलग-अलग रहा है। पहली लहर के दौरान देश में सख्त लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपाय किए गए। इससे संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाया जा सका था। इसी कारण यह लहर लगभग दो महीने तक सक्रिय रही और धीरे-धीरे थम गई। दूसरी लहर में हालात कुछ अलग थे। लॉकडाउन जैसे सख्त प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे। इसके अलावा वायरस का R-नॉट रेट (संक्रमण फैलने की दर) भी अधिक थी, इस कारण यह लहर लगभग 21 दिनों में चरम पर पहुंच गई। तीसरी लहर की शुरुआत सबसे पहले अफ्रीका में देखी गई थी, वहां यह 32 दिनों तक सक्रिय रही। भारत में यह लहर लगभग 28 दिनों तक चली। अब जब चौथी संभावित लहर की आशंका जताई जा रही है, तो इसका असर 21 से 28 दिनों के भीतर कम हो सकता है। यह अनुमान सिंगापुर जैसे देशों में देखे गए हालिया संक्रमण के ट्रेंड पर आधारित है, जहां संक्रमण की अवधि सीमित रही है। सवाल : NB.1.8 का फैलाव कैसा है? जवाब : एशिया में सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और अमेरिका में कोरोना के मामलों में उछाल की वजह NB.1.8 ही है, इसलिए कह सकते हैं कि यह पुराने वैरिएंट्स की तुलना में तेजी से फैलता है। हालांकि, इसमें डेल्टा या शुरुआती ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण होने वाली शुरुआती कोरोना की लहरों के विपरीत संक्रमण के मामले हल्के हैं। इसलिए हॉस्पिटल में कम मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। नए कोरोना वैरिएंट्स भी पुराने कोविड-19 की तरह फैलते हैं… कोविड संक्रमण पर सटीक भविष्यवाणी करने वाले IIT कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल का व्यू सवाल : क्या कोविड संक्रमण को लेकर कोई गणितीय मॉडल तैयार किया है?
जवाब : अभी जो संख्या बढ़ती हुई दिख रही है, देश की आबादी के हिसाब से नंबर बहुत कम हैं। ऐसे में जब इतनी कम संख्या होती है तो गणितीय मॉडल उस पर ठीक से काम नहीं करता है। इसलिए मॉडल के हिसाब से तो मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ये जरूर है कि ये ओमिक्रॉन का ही एक वैरिएंट है, जो इस समय फैल रहा है। सवाल : क्या यह वैरिएंट घातक साबित होगा? जवाब : 2022 के बाद कई बार नए वैरिएंट की वजह से कोविड पेशेंट की संख्या में इजाफा हुआ। मगर एक समय के बाद ये संख्या थम गई। किसी प्रकार की कोई गंभीर स्थिति नहीं देखी गई। इसलिए मेरा अंदाज है कि इस बार भी यही होने वाला है, इससे बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। जो भी रिपोर्ट डॉक्टरों की आ रही है, वो काफी माइल्ड वैरिएंट है। इसमें ज्यादा तबीयत खराब नहीं होती है। अब यूपी में कोविड संक्रमण की स्थिति को समझें… भारत में मिले कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट
भारत के कई राज्यों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच देश में चार नए वैरिएंट मिले हैं। ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। इम्यूनिटी को कमजोर करता है​​​​​ JN.1 वैरिएंट
JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। यह अगस्त 2023 में पहली बार पाया गया था। दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 पहले के वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक कहीं भी रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं। ———————— ये खबर भी पढ़िए- देश में कोरोना से 12 मौतें, 1081 एक्टिव केस; केरल में सबसे ज्यादा 430 मामले देशभर में कोरोना वायरस के एक्टिव केसों की संख्या 1081 पहुंच गई है। मंगलवार को कर्नाटक में 36, गुजरात में 17, बिहार में 6 और हरियाणा में 3 नए मामले सामने आए हैं। गुजरात में 13 मरीज रिकवर हुए हैं। केरल में सबसे ज्यादा 430 कोरोना पेशेंट हैं। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में मंगलवार को 78 साल के कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत हो गई। यह राज्य में कोविड के नए वैरिएंट से पहली मौत है। इसके अलावा, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। कुल मृतक की संख्या 12 पहुंच गई है। पढ़ें पूरी खबर…

स्मगलिंग का गोल्ड पेट से निकालने को स्पेशल टॉयलेट सीट:30–30 हजार में दुबई जाते हैं कूरियर बॉय, 1 KG सोने पर 20 लाख की कमाई

स्मगलिंग का गोल्ड पेट से निकालने को स्पेशल टॉयलेट सीट:30–30 हजार में दुबई जाते हैं कूरियर बॉय, 1 KG सोने पर 20 लाख की कमाई यूपी के मुरादाबाद में 23 मई को पकड़े गए 4 सोना तस्करों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि रामपुर में कस्बा टांडा क्षेत्र के करीब 150 युवक तस्करी में शामिल हैं। फाइनेंसर उन्हें अपने खर्चे पर दुबई भेजते हैं। उसके बदले गोल्ड मंगवाते हैं। एक गोल्ड कैप्सूल 30 से 35 ग्राम का होता है। एक स्मगलर एक बार में औसत 6 से 8 कैप्सूल अपने पेट में डालकर लाता है। दुबई एयरपोर्ट पर चेक-इन सिक्योरिटी में सेंधमारी करके ये गैंग भारत में एंट्री पा लेता है। ये गैंग मेंबर जिस सीक्रेट जगह पेट से सोना बाहर निकालते है, वहां बाथरूम भी स्पेशल हैं। मतलब, टॉयलेट सीट के ऊपर स्टील जाली होती है, ताकि पेट से जितना मल निकले, वो जाली के ऊपर गिरे और बाद में उसको पानी से साफ करके सोने के कैप्सूल अलग निकाल लिए जाएं। दैनिक भास्कर ने गैंग की मोडस ऑपरेंडी, दुबई से भारत का रूट चार्ट समझा। टांडा इलाका क्यों बदनाम है, ये भी जानने की कोशिश की। पढ़िए ये खास रिपोर्ट… स्मगलर बताते हैं- दुबई एयरपोर्ट पर किस गेट से होना है चेक-इन इस पूरे केस का सुपरविजन कर रहे मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- रामपुर जिले के टांडा क्षेत्र में इस गैंग से जुड़े लोगों के छोटे-छोटे ग्रुप बने हुए हैं। 3-4 युवकों का ग्रुप एक साथ दुबई जाता है। वहां 7 से 10 दिन गुजारते हैं और गोल्ड खरीदकर भारत ले आते हैं। इनके फ्लाइट टिकट से लेकर दुबई में रुकने तक के इंतजाम फाइनेंसर करते हैं। हमने पूछा- क्या दुबई एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग में सोना नहीं पकड़ा जाता? इस सवाल पर वे कहते हैं- थर्मल स्कैनिंग सिर्फ बैग (लगेज) की होती है। इंसान की चेकिंग मैनुअली मेटल डिटेक्टर के थ्रू होती है। इस गैंग की पहुंच सिक्योरिटी तक है। दुबई एयरपोर्ट पर मौजूद गैंग मेंबर पहले बता देता है कि किस गेट से एंट्री करनी है। जैसे ही स्मगलर चेक-इन गेट तक पहुंचता है, सिक्योरिटी को इशारा करके उस व्यक्ति को बिना जांच आगे निकाल दिया जाता है। इसके बाद दुबई एयरपोर्ट से भारत तक कोई चेकिंग नहीं होती। भारत में मुंबई, दिल्ली या नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट पर जब चेक-आउट करते हैं, तब किसी भी यात्री की कोई जांच नहीं होती। मतलब इस गैंग को सिर्फ दुबई एयरपोर्ट की चेकिंग में सेंध लगानी होती है, बाकी जगह नहीं। गोल्ड कैप्सूल का साइज नॉर्मल कैप्सूल जैसा, पानी से निगल जाते हैं
स्मगलर गोल्ड कैप्सूल को कैसे निगलते हैं? इस पर मुरादाबाद के SSP सतपाल अंतिल बताते हैं- आरोपियों ने सामान्य कैप्सूल की तरह ही इसको मुंह के रास्ते निगलने की बात कबूली है। गोल्ड कैप्सूल का साइज सामान्य कैप्सूल जितना था, सिर्फ मोटाई थोड़ा ज्यादा है। वजन 30 से 35 ग्राम है। अब ये लोग गोल्ड कैप्सूल निगलने के हैबिचुअल हो चुके हैं। ज्यादातर बार ये कैप्सूल निगलने के बाद सीधे मल द्वार तक पहुंच जाते हैं। कई बार कैप्सूल पेट की दूसरी जगहों पर ही अटके रह जाते हैं। अटके हुए कैप्सूल को निकालने के लिए इस गैंग के टच में डॉक्टर भी हैं। फिलहाल जो 4 स्मगलर पकड़े गए हैं, उनमें से एक आरोपी मुत्तलिब के पेट में एक कैप्सूल अटका हुआ है। दुबई से चलने से लेकर भारत में अपने ठिकाने पहुंचने तक ये स्मगलर शौच करने नहीं जाते। 23 मई को जो गोल्ड स्मगलर जुल्फिकार पकड़ा गया है, वह ट्रैवल चार्ट के मुताबिक 40 से ज्यादा बार दुबई जा चुका है। जुल्फिकार करीब 7 साल से गोल्ड तस्करी के धंधे से जुड़ा था। गैंग में ज्वैलर्स से लेकर ट्रैवल एजेंट और डॉक्टर तक शामिल
क्या इन स्मगलरों के पास इतना पैसा है कि ये दुबई से 1-1 करोड़ रुपए का सोना एक बार में ले आएं? इसके जवाब में मुरादाबाद के SP सिटी रणविजय सिंह बताते हैं- हमें अब तक मुरादाबाद और रामपुर के कुल 8 नाम मिल गए हैं। ये सभी फाइनेंसर हैं। ये सर्राफा व्यापारी, ट्रैवल एजेंट, डॉक्टर और कुछ अमीर लोग हैं। यही लोग स्मगलरों का पासपोर्ट बनवाते हैं। उनके फ्लाइट टिकट कराते हैं। दुबई के होटल तक की बुकिंग यहीं से एडवांस करते हैं। इसके अलावा प्रति व्यक्ति को 20-30 हजार रुपए देते हैं। फिर उससे लाखों रुपए का सोना मंगवा लेते हैं। स्मगलरों को ये फायदा होता है कि उन्हें महीने में कम से कम एक बार दुबई फ्री में घूमने का मौका मिल जाता है। वो आलीशान होटल में ठहरते हैं, वहां मौज-मस्ती करते हैं। ऊपर से उन्हें 20-30 हजार रुपए भी मिल जाते हैं। वे एक तरह से कूरियर बॉय हैं। गोल्ड तस्करी की मुख्य जड़ फाइनेंसर हैं, जिन्हें पुलिस पकड़ने का प्रयास कर रही है। एक फाइनेंसर जाहिद पकड़ा गया है। ये प्रॉपर्टी कारोबारी है और सभासद का चुनाव लड़ चुका है। जाहिद ने ही 30-30 हजार रुपए देकर चारों स्मगलरों को दुबई भेजा था। किसकी क्या भूमिका? डॉक्टर : अगर किसी स्मगलर के पेट में गोल्ड कैप्सूल फंसा रह जाए तो उसे ऑपरेशन या दूसरे तरीकों से निकालने की जिम्मेदारी इन स्पेशल डॉक्टरों की होती है। डॉक्टर इसके बदले पैसा वसूलते हैं। कई बार सोने में उनकी हिस्सेदारी भी होती है। शर्त होती है कि वो पुलिस या किसी और को इसके बारे में नहीं बताएंगे। ट्रैवल एजेंट : गोल्ड तस्करी के लिए दुबई जाने वाले स्मगलरों के पासपोर्ट बनवाना, उनके फ्लाइट टिकट करवाना और दुबई में ठहरने के लिए होटल की बुकिंग करने का काम इन्हीं एजेंट्स पर होता है। पुलिस तक जानकारी न पहुंचे, इसलिए ये ट्रैवल एजेंट्स स्मगलर की डिटेल्स सीक्रेट रखते हैं। सर्राफा व्यापारी : बताते हैं, दुबई के गोल्ड की प्योरिटी भारत से कहीं ज्यादा होती है। इसलिए उसे खरीदने वाले सर्राफा व्यापारी एडवांस में ही ऑर्डर दे देते हैं। जो गोल्ड दुबई से आता है, अगर उसमें मामूली मिलावट भी कर दी जाए, तब भी उसकी प्योरिटी भारत के गोल्ड से कमतर नहीं होती। इसलिए सर्राफा व्यापारी उस गोल्ड को खरीदकर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। सोना तस्करी, पुरानी करेंसी और जासूसी के लिए टांडा बदनाम अब जानिए क्या है पूरा मामला? रामपुर जिले में कस्बा टांडा क्षेत्र के मोहम्मद मुत्तलिब, अजहरुद्दीन, शाने आलम और जुल्फिकार अली 23 मई को दुबई की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे। मुंबई से फ्लाइट लेकर दिल्ली IGI एयरपोर्ट पर उतरे। यहां से टैक्सी लेकर रामपुर आ रहे थे। दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर मुरादाबाद जिले में बाइपास पर बंद पड़े टोल प्लाजा पर कुछ युवकों ने कस्टम ऑफिसर बताकर उनकी कार रुकवा ली। जांच के बहाने उन्हें एक जंगल में ले जाने लगे। इस दौरान स्मगलरों का एक साथी चलती गाड़ी से कूदकर भाग निकला। उसने नजदीकी गांववालों को किडनैप की जानकारी दी। गांववालों ने डायल-112 पर कॉल कर दिया। तत्काल पुलिस पहुंच गई। दो किडनैपर और चार गोल्ड स्मगलर पकड़े गए। इन चारों के पेट से अब तक गोल्ड के 28 कैप्सूल निकल चुके हैं। प्रति कैप्सूल का वजन 30-35 ग्राम है। यानि एक करोड़ रुपए से ज्यादा का गोल्ड रिकवर हो चुका है। दरअसल, जिस तरह गोल्ड स्मगलरों का रैकेट है, उसी तरह इन्हें लूटने-ठगने वाला भी एक रैकेट है। दोनों किडनैपर्स इसी दूसरे रैकेट के मेंबर थे। इनके तार भी दुबई से जुड़े हैं। दुबई एयरपोर्ट से जैसे ही स्मगलर गोल्ड लेकर भारत के लिए निकलते हैं, इन किडनैपर्स को खबर पहुंच जाती है और ये एक्टिव हो जाते हैं। चूंकि गोल्ड स्मगलिंग का होता है, इसलिए लूट-ठगी होने पर कोई पुलिस से कंप्लेंट भी नहीं करता। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सिखों ने गरीबी-बेरोजगारी के चलते धर्म छोड़ा, पैसे और मकान का लालच मिला तो बन गए ईसाई नेपाल बॉर्डर से सटे उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के 3 गांवों में धर्मांतरण करने वाले लोगों में 3 बातें कॉमन रहीं। सभी को बीमारी से मुक्ति दिलाने, पैसे देने और भविष्य में मकान बनवाने का लालच दिया गया। पैसा नहीं मिलने या दूसरी वजहों से ईसाई धर्म छोड़कर सिख धर्म में वापस आए कई परिवारों ने कैमरे पर यह बात कबूली। पढ़ें पूरी खबर