हिमाचल कैबिनेट की मीटिंग आज:बस किराया बढ़ाने, स्कूल-कालेज के युक्तिकरण पर फैसला, राज्यपाल के अभिभाषण को मिलेगी मंजूर

हिमाचल कैबिनेट की मीटिंग आज:बस किराया बढ़ाने, स्कूल-कालेज के युक्तिकरण पर फैसला, राज्यपाल के अभिभाषण को मिलेगी मंजूर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज कैबिनेट मीटिंग लेंगे। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले होंगे। आज की मीटिंग में राज्यपाल के अभिभाषण को मंजूरी दी जाएगी, क्योंकि हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र 10 मार्च से शुरू होना है। कैबिनेट में बस किराया बढ़ाने को लेकर भी फैसला हो सकता है। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने बस किराया बढ़ाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज रखा है। प्राइवेट बस ऑपरेटर भी काफी समय से किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। एचआरटीसी ने न्यूनतम बस किराया 10 रुपए करने का प्रस्ताव सरकार को भेज रखा है। मीटिंग में चर्चा के बाद सरकार इस पर फैसला करेगी। प्रदेश में काफी समय से बस किराया नहीं बढ़ा है और महिलाओं को 50 प्रतिशत छूट दी जा रही है। इसलिए कैबिनेट आज फैसला लेगी कि बजट सत्र से पहले किराया बढ़ाया जाए या नहीं। स्कूल-कालेज के युक्तिकरण पर होगा फैसला वहीं शिक्षा विभाग ने स्कूल कालेज के युक्तिकरण का प्रस्ताव भी सरकार को भेज रखा है। सरकार यदि स्कूलों का युक्तिकरण करती है तो 25 बच्चों से कम संख्या वाले 257 स्कूल बंद हो सकते हैं। इसी तरह 100 बच्चों के कम संख्या वाले कालेजों पर ताला लटक सकता है। शिक्षा निदेशालय के गठन पर चर्चा कैबिनेट में आज शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन को लेकर भी चर्चा होगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू चाह रहे हैं कि पहली से 12वीं कक्षा के लिए एक ही निदेशालय हो और कालेज के लिए अलग डायरेक्टोरेट बनाया जाए। इस पर भी आज कैबिनेट में चर्चा होगी। HRTC को बस खरीद की मिल सकती है मंजूरी कैबिनेट मीटिंग में आज हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) को बस खरीद की मंजूरी मिल सकती है। प्रदेश में काफी समय से इलैक्ट्रिक बसों की खरीद का मामला लटका हुआ है। इस पर आज कैबिनेट में चर्चा के बाद सरकार फैसला करेगी। कैबिनेट में विभिन्न विभागों में भर्तियों को लेकर भी फैसला होगा।

यौन शोषण मामले में आज राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई:पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में होंगे पेश, मुख्य पीड़िता के दर्ज होंगे बयान

यौन शोषण मामले में आज राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई:पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में होंगे पेश, मुख्य पीड़िता के दर्ज होंगे बयान दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में महिला पहलवानों के कथित यौन शोषण मामले की सोमवार को सुनवाई होगी। कैसरगंज से पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर कोर्ट में पेश होंगे। दोपहर 2 बजे होने वाली सुनवाई में मुख्य पीड़िता को बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट ने समन भेजा है। पीड़िता इससे पहले 4 फरवरी, 22 फरवरी और 9 जनवरी को बयान के लिए नहीं पहुंची थी। 24 फरवरी को भी उन्हें बुलाया गया था। एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत बंद कमरे में पीड़िता का बयान दर्ज करेंगी। बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद से ट्रायल चल रहा है। अब तक अभियोजन पक्ष के 2 गवाहों के ही बयान दर्ज हुए हैं। बृजभूषण ने निचली अदालत की कार्रवाई को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 27 जनवरी को महिला पहलवानों की खराब तबीयत के कारण बयान नहीं हो पाए थे। बृजभूषण की लंबी तारीख की मांग कोर्ट ने खारिज कर दी थी। 26 जुलाई को अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने बयान दर्ज कराया था, जबकि दूसरा गवाह कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाया था। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत इस मामले की लगातार सुनवाई कर रही है। नाबालिग पहलवान ने वापस ले लिए थे आरोप
दरअसल, मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद पुलिस ने बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। छह खिलाड़ियों ने शिकायत दर्ज कराई थी। जून में राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। एक नाबालिग पहलवान ने बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली और बयान बदल दिया। आरोप तय करने पर सुनवाई के दौरान बृजभूषण सिंह ने कहा था कि मामला ‘झूठा और प्रेरित’ है। ‘दोषी ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री’
अदालत ने 10 मई, 2024 को बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की विनम्रता को अपमानित करना) और 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोपी को दोषी ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है। कितनी सजा का प्रावधान धारा 354: महिला की शालीनता को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला, अपमानित करना। कितनी सजा: एक से पांच साल की सजा का प्रावधान। जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 354 ए: यौन उत्पीड़न। इसमें गलत तरीके से छूना, यौन प्रस्ताव, अश्लील टिप्पणी करना शामिल। कितनी सजा: एक से तीन साल की सजा। जुर्माने का भी प्रावधान। 1974 से 2007 के बीच बृजभूषण पर 38 मामले दर्ज हुए
1974 और 2007 के बीच बृजभूषण पर चोरी, दंगा, हत्या, आपराधिक धमकी, हत्या का प्रयास, अपहरण आदि सहित विभिन्न आरोपों के तहत 38 मामले दर्ज हुए थे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उस अवधि में यूपी गुंडा अधिनियम के तहत एक मामला और कड़े गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत तीन और मामले दर्ज किए गए। उनके करीबियों की मानें तो बीजेपी के कद्दावर नेता को इन सभी मामलों में बरी कर दिया गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दायर हलफनामे में बृजभूषण ने कहा था कि केवल चार मामले लंबित थे और दो में बरी कर दिया गया था। दो लंबित मामले आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित हैं।

सहारनपुर में नाले में मिला लापता युवक अंकित का शव:24 फरवरी को हुआ था रेलवे स्टेशन से गायब, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप

सहारनपुर में नाले में मिला लापता युवक अंकित का शव:24 फरवरी को हुआ था रेलवे स्टेशन से गायब, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप सहारनपुर रेलवे स्टेशन के पास नाले में लापता युवक का शव मिला है। युवक 24 फरवरी से लापता था। पुलिस, रेलवे पुलिस और एनडीआरएफ की टीम युवक की तलाश कर रही थी। एनडीआरएफ की टीम ने युवक के शव को नाले से बाहर निकाला। मौके पर फोरेंसिक की टीम को बुलाया गया। जिसने घटनास्थल से सैंपल लिए है। वहीं परिजन हत्या का आरोप लगा रहे हैं। पुलिस चार युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। थाना सिटी कोतवाली के नुमाइश कैंप का रहने वाला अंकित गगनेजा 24 फरवरी को रेलवे स्टेशन के पास से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गया था। युवक की चप्पल पुलिस को मिली थी। अंकित गगनेजा (22) का शव एक सप्ताह बाद रेलवे स्टेशन के पास नाले में फंसा हुआ मिला है। युवक की तलाश में रेलवे स्टेशन के पास नाले में एनडीआरएफ की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया और देर रात शव बरामद किया। परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है। अंकित गगनेजा कपड़े की दुकान में काम करता था। वो 24 फरवरी को संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गया था। देर रात तक घर न लौटने पर परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। परिजनों ने नगर कोतवाली पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद जांच शुरू हुई। छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि अंकित को आखिरी बार रेलवे स्टेशन पर चार युवकों के साथ देखा गया था। सीसीटीवी फुटेज में भी उसकी गतिविधियां कैद हुईं। जांच के दौरान रेलवे स्टेशन के पास कोर्ट रोड पुल के नजदीक रेलवे ट्रैक किनारे अंकित की चप्पल और मोबाइल फोन बरामद हुए था। जीआरपी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की और चार संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान पता चला कि अंकित रेलवे ट्रैक किनारे बने गटर में गिर गया था। घटना के एक सप्ताह बाद रविवार को एनडीआरएफ की टीम ने जीआरपी और सदर बाजार पुलिस की मदद से नाले में उतरकर सर्च ऑपरेशन चलाया। रविवार देर रात तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद एनडीआरएफ की टीम को नाले में अंकित का शव मिला। जीआरपी इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। मृतक अंकित के परिजनों का आरोप है कि उसकी हत्या की गई है। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है। उधर, पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह सामने आएगी। वहीं, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उन युवकों से भी पूछताछ की जाएगी, जो आखिरी बार अंकित के साथ दिखाई दिए थे।

महाकुंभ के बाद कहां जाते हैं अखाड़ों के नागा:रविंद्र पुरी बोले- पुलिस सिस्टम की तरह होती है तैनाती; नए साधु 12 साल तप करेंगे

महाकुंभ के बाद कहां जाते हैं अखाड़ों के नागा:रविंद्र पुरी बोले- पुलिस सिस्टम की तरह होती है तैनाती; नए साधु 12 साल तप करेंगे महाकुंभ में 3 अमृत स्नान के बाद सभी 7 शैव अखाड़े काशी में मौजूद हैं। घाट पर बने आश्रम में लोग नागा साधुओं से आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। अखाड़े के महामंडलेश्वर और नागा साधु इन दिनों पंचकोशी परिक्रमा और मसाने की होली खेलने की तैयारी कर रहे हैं। पंचकोशी परिक्रमा और मसाने की होली के बाद ये अखाड़े काशी से भी कूच कर जाएंगे। सवाल उठता है कि अखाड़े कहां जाते हैं? हजारों नए नागा साधुओं की भूमिका क्या होगी? दोबारा उनके दर्शन कब और कहां होंगे? इनके जवाब के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज से कुछ सवाल किए। पढ़िए… क्या कुंभ के बाद भी नागा साधु निर्वस्त्र ही रहते हैं?
रविंद्र पुरी महाराज ने कहा- महाकुंभ में पहला स्नान नागा साधु करते हैं। तब वह दिगंबर स्वरूप में होते हैं, यानी निर्वस्त्र। लेकिन, सामान्य दिनों में वह दिगंबर स्वरूप में नहीं होते। समाज में दिगंबर स्वरूप स्वीकार नहीं होता। इसलिए भस्म, रुद्राक्ष, जानवरों की खाल लपेटे यह लोग आश्रम में रहते हैं। नागा साधु दिगंबर स्वरूप में क्यों रहते हैं?
कुंभ में ज्यादातर नागा साधु 2 विशेष अखाड़ों से आते हैं। पहला- वाराणसी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा, दूसरा- पंच दशनाम जूना अखाड़ा। इन दोनों अखाड़ों के नागा साधु कुंभ का हिस्सा बनते हैं। दिगंबर का अर्थ है, धरती और अंबर। नागा साधुओं का मानना है कि धरती उनका बिछौना है, अंबर उनका ओढ़ना। इसलिए वे कुंभ की अमृत वर्षा के लिए नागा स्वरूप में आते हैं। जब कुंभ खत्म हो जाता है, तब नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं। महाकुंभ में कितने नए नागा साधु जुड़े, वे क्या करेंगे?
महाकुंभ में हजारों नए नागा संन्यासी तैयार हुए हैं। इन नागा संन्यासियों का जीवन अब 12 साल तक कठिन तपस्या से गुजरेगा। इनके ऊपर उनके गुरु, थानापति के साथ सभापति की खास निगाह रहेगी। अगर संन्यासी परंपरा का जरा भी पालन नहीं होता, तो इन्हें तत्काल अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा। नए नागा संन्यासियों की पहचान कैसे की जाती है?
जो नए नागा संन्यासी बने हैं, उनके लिए वाराणसी में मोर मुकुट, आईकार्ड और अखाड़े के कानूनी दस्तावेज जारी किए जाएंगे। जो हमारे संरक्षक और अध्यक्ष के सिग्नेचर के जरिए इन्हें दिए जाएंगे। यह सब होली से पहले दिए जाएंगे। उनके गुरु निर्धारित होंगे। गुरु के आदेश पर ये संन्यास परंपरा और कठिन तप का पालन करेंगे। संन्यास लेते वक्त उनके गले में एक सफेद रंग के धागे में सिंगल रुद्राक्ष डाला गया है, वह उन्हें हमेशा धारण करना होगा। अखाड़ों में अन्य नागा साधुओं का काम क्या है?
रविंद्र पुरी ने कहा- इन अखाड़ों में नागा साधु ध्यान और साधना करते हैं। साथ ही, धार्मिक शिक्षा भी देते हैं। इनकी तपस्वी जीवनशैली होती है। बहुत से नागा साधु हिमालय, जंगलों और अन्य एकांत स्थानों में तपस्या करने चले जाते हैं। वे कठोर तप करते हैं, फल-फूल खाकर जीवन बिताते हैं। महाकुंभ के बाद अखाड़ों का क्या काम होता है?
अखाड़ों के संत और संन्यासी धार्मिक व आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते हैं। गांव-गांव और शहर-शहर जाकर कथा, प्रवचन और सत्संग करते हैं। इन प्रवचनों में गीता, वेद, पुराण और उपनिषदों की शिक्षाओं को सरल भाषा में लोगों तक पहुंचाया जाता है। वे नियमित रूप से योग, ध्यान और धार्मिक अनुष्ठानों का अभ्यास करते हैं। उनका उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देना होता है। अखाड़ों और नागा साधुओं का प्रशासन कैसे चलता है?
नागा संन्यासी सनातन परंपरा की एक ऐसी अद्भुत कड़ी हैं, जिसे सनातन की रक्षा के लिए शंकराचार्य ने तैयार किया। अलग-अलग अखाड़े के नागा संन्यासियों का कार्यक्षेत्र और उससे जुड़ी उनकी कार्यशैली भी अलग-अलग होती है। जिस तरह से आम जनजीवन में लोगों की सुरक्षा के लिए एसपी, थानेदार, चौकी इंचार्ज होते हैं, वैसे ही अखाड़े में सभापति, थानापति और क्षेत्र रक्षक के रूप में भी नागा संन्यासियों को तैनात किया जाता है। चारों दिशाओं यानी उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम के लिए अलग-अलग थानापतियों की नियुक्ति होती है। क्या नागा साधुओं पर सर्दी का असर नहीं होता?
इन्हें ठंड या गर्मी का कोई असर नहीं होता। कुंभ में सिर्फ इसलिए आते हैं, क्योंकि हमारे अखाड़े की पेशवाई और अखाड़ों का शक्ति प्रदर्शन होता है। इसके बाद सभी का अपना अलग-अलग रास्ता होता है। कोई हिमालय की तरफ निकलेगा तो कोई उत्तराखंड, हरिद्वार, नैनीताल और हिमाचल के पहाड़ों की तरफ चला जाएगा। हमें सुकून और शांति चाहिए। अखाड़े के महमंडलेश्वर क्या करते हैं?
हमारे झूंडी महंत होते हैं। वे गांव में और जहां भी उन्हें पसंद होता है, वहां घूम घूम कर सनातन का प्रचार करते हैं। हमारे महामंडलेश्वर भी पूरी मंडली लेकर भारत में भ्रमण करते हैं। हमारे अखाड़े में पंच होते हैं। उन सभी की जिम्मेदारी होती है कि सनातन का प्रचार-प्रसार करें। महामंडलेश्वर की बातों का पालन करें। सबसे ज्यादा नागा संत कहां पाए जाते हैं?
रविंद्र पुरी ने कहा- अखाड़े में जो भी होता है, वह नागा ही होता है। लेकिन जिन्हें आप नंगे बाबा के नाम से कहते हैं, वह बहुत कम संख्या में रहते हैं। सबसे ज्यादा नागा नर्मदा खंड में मिलते हैं, जो मध्य प्रदेश में है। वहां पर वह धूनी रमाते हैं, 3 साल 3 महीने की परिक्रमा करते हैं। इसमें हमारे साधु-संत भी शामिल होते हैं। अब आप लोगों से अगली मुलाकात कहां होगी?
रविंद्र पुरी ने कहा- होली तक हम सभी अखाड़े यहां पर रुकेंगे। हमारे आचार्य महामंडलेश्वर काशी आएंगे और हम यहां पर पंचकोशी परिक्रमा भी करेंगे। उसके बाद हम सभी अपना दंड और कमंडल लेकर यहां से अलग-अलग राज्यों में चले जाएंगे। इसके बाद नासिक और उज्जैन में मुलाकात होगी। ————————— यह खबर भी पढ़िए महाकुंभ में कैसे बदली यूपी की अर्थव्यवस्था, श्रद्धालुओं ने सिर्फ होटल-ट्रांसपोर्ट और खानपान पर खर्च किए 2.25 लाख करोड़ रुपए ‘महाकुंभ ने दुनिया को आस्था और आर्थिकी का बेहतर समन्वय दिया है। ऐसा कहीं नहीं होता कि किसी शहर के विकास पर साढ़े 7 हजार करोड़ खर्च करें, उससे उस प्रदेश की अर्थव्यवस्था साढ़े 3 लाख करोड़ बढ़ जाए। ऐसा दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता, लेकिन महाकुंभ ने ये करके दिखाया है।’सीएम योगी आदित्यनाथ का ये बयान प्रयागराज महाकुंभ के समापन के दूसरे दिन (27 फरवरी) का है। आर्थिक विशेषज्ञ भी गिनाते हैं कि महाकुंभ में आए 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने औसतन 5 हजार रुपए खर्च किए, तो यह कुल 3.30 लाख करोड़ होता है। पूरी खबर पढ़िए

​​​​​​​यूपी में मुखौटा पहनकर निकल रहे ग्रामीण:तेंदुए का ऐसा आतंक कि लोहे के जाल से गांवों को कवर किया, इंसान बन रहे निवाला

​​​​​​​यूपी में मुखौटा पहनकर निकल रहे ग्रामीण:तेंदुए का ऐसा आतंक कि लोहे के जाल से गांवों को कवर किया, इंसान बन रहे निवाला चेहरे के पीछे मुखौटा, हाथों में लाठी-बल्लम, एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर से निकलना। ये किसी डकैत गिरोह की कहानी नहीं, बल्कि बिजनौर के गांवों में तेंदुए का खौफ है। दिन में भी चौक-चौराहे और रास्ते सब वीरान पड़े हैं। बच्चे घरों में और जानवर बाड़े में कैद हैं। लोग खिड़की दरवाजे तक बंद रख रहे। गांवों को लोहे के जाल से कवर कर दिया है। फिर भी शाम ढलते ही जगह-जगह आग जलाई जा रही। कई गांवों में तेंदुओं का इतना आतंक है कि वहां कुत्ते तक नहीं बचे। दर्जनों गाय, भैंस और बकरी को शिकार बना चुके हैं। ये हालात धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील के दर्जनों गांवों के हैं। यहां ग्रामीणों का हर पल डर में बीत रहा है। दैनिक भास्कर एप की टीम तेंदुआ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। लोगों से वहां के हालात जानें, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले तेंदुए के हमले और उनके कारण पढ़िए… बिजनौर में 3 साल में 27 लोगों को खा चुका है तेंदुआ
बिजनौर हमेशा से तेंदुआ प्रभावित रहा है। 3 सालों में इनका आतंक ज्यादा बढ़ गया है। जिले में 1200 गांव हैं। धामपुर, चांदपुर और सदर तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित है। 3 साल में 27 लोगों को तेंदुआ खा चुका है। 100 से ज्यादा गंभीर घायल हुए हैं, जबकि 1000 से ज्यादा लोगों को हल्की चोट आई हैं। बात पिंजरों की करें तो, वन विभाग केवल उन गांवों में पिजड़े लगवा रहा है, जहां से तेंदुआ दिखने की खबर आती है। कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक पिंजरे नहीं लगे हैं। पूरे बिजनौर में अब तक केवल 100 पिंजरे ही लगाए गए। पढ़िए वो कारण, जिस वजह से 3 सालों में ज्यादा बढ़ा तेंदुए का आतंक तेंदुआ 10 किलोमीटर एरिया पर रखता है कब्जा
वन रेंजर महेश गौतम ने बताया, लैंड एरिया कम होने पर जानवर आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ते हैं, क्योंकि उनके रहने का स्थान कम हो जाता है। जो बड़े जानवर होते हैं उन्हें रहने के लिए ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है। अगर तेंदुआ अपने परिवार के साथ रहता है तो लगभग 10 किलोमीटर एरिया अपने कब्जे में रखता है। अकेला रहने पर 4 किलोमीटर का एरिया अपने कब्जे में रखता है। उस एरिया में वो किसी की भी उपस्थिति बर्दाश्त नहीं करता है। वन रेंजर ने यह भी बताया, 3 साल में तेंदुए ज्यादा इसलिए भी बढ़ें हैं क्योंकि मादा तेंदुए ने कई बच्चे दिए हैं। क्षेत्र में कई तेंदुए के बच्चे भी देखे गए हैं। तेंदुए के आबादी क्षेत्र में आने का एक कारण और है। अगर एक बार तेंदुए के मुंह में इंसान का खून लग जाता है तो वो आदमखोर बन जाता है। उसके बाद वो इंसान की महक सूंघते हुए आबादी क्षेत्र में आ जाता है। उन पर हमला करता है। अब पढ़िए ग्रामीणों से बातचीत… भास्कर की टीम बिजनौर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर चांदपुर तहसील के चौधेड़ी गांव पहुंची। यहां पला चला कि 26 फरवरी को तेंदुआ एक महिला को खा गया। सुमन खेत पर काम करके घर लौट रही थी, तभी तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। महिला का आधा शव घरवालों को मिला था। तेंदुआ पेट, गर्दन और चेहरे का मांस खा गया था। गांव में टीम की मुलाकात महिला के बेटे योगेश से हुई। उन्होंने बताया, मैं मां को खोजते हुए खेत में पहुंचा। देखा तो तेंदुआ मां को खा रहा था। उसके मुंह में मां की गर्दन थी। वो उनके दोनों पैर खा चुका था। मुझे देखते ही तेंदुआ भाग गया। चौधेड़ी गांव की आबादी लगभग 1000 हजार है। गांव के ज्यादातर लोग खेती-किसानी और मजदूरी करते हैं। जिस महिला (सुमन) को तेंदुए ने खाया था, उसका पति जयपाल मिस्त्री है। बेटा योगेश और बेटी अभी गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। पति-पत्नी मिलकर घर का खर्चा चलाते थे, लेकिन सुमन की मौत के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। गांव में सुमन की मौत के बाद वन विभाग ने 3 पिंजरे लगाए हैं। वन विभाग सही काम नहीं कर रहा- पूर्व प्रधान
गांव के पूर्व प्रधान नैन सिंह ने बताया, गांव में तेंदुए का आतंक है। स्कूल, खेत, रास्ते सब खाली पड़े हैं। हालत ये है कि ज्यादा पैसे लेकर भी मजदूर काम करने को तैयार नहीं हैं। इस पूरे मामले में वन विभाग सही से काम नहीं कर रहा। बस 3 पिंजरे लगाए गए हैं। 1 पिंजरा और लगना बचा है। बहुत ज्यादा डर का माहौल है। सबकी जान को खतरा है। सबसे ज्यादा मादा तेंदुआ हैं। वही बच्चों को जन्म दे रही हैं। तभी तेंदुए की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग या तो तेंदुआ पकड़े या फिर उसको मार दे। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो जान का खतरा
चांदपुर के चौधेड़ी गांव से निकल कर हम 12 किलोमीटर दूर पिलाना गांव पहुंचे। यहां की आबादी ज्यादा नहीं है। गांव में 6 महीने पहले एक किशोरी और एक महिला की तेंदुए के हमले से मौत हो गई थी। तेंदुए के बारे में पूछने पर एक ग्रामीण बोले, हम लोगों की जिंदगी हमेशा डर के साए में रहती है। घर के अंदर बैठो तो खाने का संकट और बाहर निकलो तो तेंदुए से जान जाने का डर। मेरे सामने तेंदुआ पानी पी रहा था
इसके बाद टीम की मुलाकात गांव के प्रदीप त्यागी से हुई। प्रदीप खेती-किसानी करते हैं। उन्होंने बताया, हम लोग जान हथेली पर रखकर काम करने जाते हैं। तेंदुए हर जगह हैं। 10 दिन पहले की बात है। मैं फावड़ा लेकर खेत में पानी लगाने जा रहा था। तभी रास्ते में मुझे तेंदुआ पानी पीते दिख गया। उसने मुझे देखा भी, लेकिन मैं खड़ा था शायद इसलिए उसने हमला नहीं किया। वन विभाग वाले बताए थे, तेंदुआ बैठे लोगों पर ज्यादा हमला करता है। तेंदुए ने पीछे से पकड़ ली थी महिला की गर्दन
चांदपुर तहसील का सराय रफी गांव…1 महीने पहले यहां खेत पर काम करने वाली पूनम पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। पूनम बताती हैं- मैं जंगल की ओर जा रही थी। तभी अचानक से तेंदुआ मेरे ऊपर कूद गया। उसने पीछे से मेरी गर्दन पकड़ ली। मेरी चीख सुनकर सभी लोग आ गए। मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। मैं तो बेहोश हो गई। लेकिन इतना सब होने के बाद भी वन विभाग ने हमारी कोई मदद नहीं की। तेंदुए के हमले में गंभीर घायल हो गई थी युवती
चांदपुर तहसील के बाद भास्कर टीम बिजनौर की सबसे बड़ी तहसील धामपुर पहुंची। ये तहसील जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर है। इस तहसील में लगभग 250 गांव आते हैं। 40 किलोमीटर की रेंज में सारे गांव बसे हैं। यहां पता चला कि इस तहसील के मुकरमपुर गांव में 14 फरवरी को एक किशोरी पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। जिसमें वो गंभीर घायल हो गई थी। हथियार पास में रखकर खेतों में काम कर रहे ग्रामीण
धामपुर तहसील के जेतरा गांव की आबादी 1500 के आसपास है। गांव में अभी गन्ने की कटाई का काम चल रहा है। यहां पर खेत में कुछ ग्रामीण झुंड में काम करते दिखे। उनके पास डंडे और नुकीले हथियार रखे हुए थे। खेत पर काम करने वाली एक महिला ने बताया, हम लोगों को तो आए दिन तेंदुआ दिखता रहता है। उसके पैर के निशान भी दिखते रहते हैं। तेंदुआ हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया
जेतरा गांव से 20 किलोमीटर दूर तय्यब सराय गांव में तेंदुए की चहलकदमी बहुत ज्यादा है। चलते फिरते तेंदुआ दिख जाता है। इस गांव की ज्यादा आबादी मुस्लिम है। तय्यब सराय के 70 साल के किसान शमसेद ने बताया, हम लोग आए दिन तेंदुए को टहलते देखते हैं। वो तो हमारे गांव के सारे कुत्ते खा गया। अब पढ़िए बिजनौर के शहरी क्षेत्र से तेंदुए की दहशत की रिपोर्ट बिजनौर मुख्यालय से सदर तहसील केवल 1 किलोमीटर दूर है। भास्कर टीम इस तहसील के झकडी बंगर गांव और फरीदपुर काजी गांव पहुंची। इन गांवों की स्थिति भी दूसरे गांवों की तरह है। झकडी बंगर गांव के नदीम अहमद ने बताया, हम लोग कहीं अकेले जा नहीं पाते हैं। लोगों के दिल में तेंदुए की दहशत है। तेंदुआ हमारी फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। फरीदपुर काजी गांव के रहने वाले शकीला ने बताया, डर की वजह से काम बंद है। प्रशासन ने कोई खास इंतजाम नहीं किए हैं। यहां कई तेंदुए हैं। हमेशा हथियार साथ रखना पड़ता है। ऐसा कभी नहीं होगा कि तेंदुआ हमेशा के लिए चला जाए- वन रेंजर
बिजनौर रेंज के रेंजर महेश गौतम ने कहा, बिजनौर में तेंदुए की उपस्थिति है। गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा। मुखौटा बांटा जा रहा है। तेंदुआ हमेशा पीछे से हमला करता है, अगर ग्रामीण फेस के पीछे मुखौटा पहने रहेंगे तो तेंदुआ हमला नहीं करेगा। क्योंकि उसको लगेगा कि उसको देखा जा रहा है। गांव में रात और दिन के समय में वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है। बाकी ग्रामीणों को पूरी सुरक्षा के साथ रहना पड़ेगा, क्योंकि ऐसा कभी नहीं हो पाएगा कि तेंदुआ यहां से हमेशा के लिए चला जाए। ———————————– ये भी पढ़ें: पालतू बिल्ली की मौत, सदमे में महिला ने जान दी:अमरोहा में 3 दिन तक शव को सीने से लगाकर रोती रही, फिर पंखे से लटक गई अमरोहा में पालतू बिल्ली की मौत से सदमे में आई 30 साल की महिला ने सुसाइड कर लिया। उसकी मां ने बताया- बेटी तीन दिनों तक बिल्ली के शव के साथ रही। वह शव को सीने से लगाकर लगातार रोती रही। हमने उसे समझाया, लेकिन उसने मेरी नहीं सुनी। मां ने बताया कि शनिवार रात 8 बजे मैं बेटी को खाना खाने के लिए बुलाने गई। देखा तो उसका शव कमरे में पंखे से लटका हुआ था। घटना हसनपुर के रहरा अड्डा गांव की है। (पढ़ें पूरी खबर)

डकैत कुसुमा नाइन की मौत पर उसके गांव में जश्न:औरैया में परिवार बोले- घी के दीए जलाएंगे, 14 लोगों को मार डाला था

डकैत कुसुमा नाइन की मौत पर उसके गांव में जश्न:औरैया में परिवार बोले- घी के दीए जलाएंगे, 14 लोगों को मार डाला था इटावा जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही औरैया की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन की रविवार को लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। उस पर हत्या समेत करीब 24 केस दर्ज थे। देश में जितनी भी दस्यु सुंदरियां हुई हैं, उनमें कुसमा सबसे खूंखार मानी जाती थी। कुसुमा नाइन की मौत के बाद उसे गांव अस्ता में जश्न का माहौल है। गांव वाले कह रहे कि अब हम घी के दीपक जलाएंगे। अब उन 14 लोगों की आत्मा को शांति मिलेगी, जिनका कुसुमा ने नरसंहार किया था। चंबल के बीहड़ों में आतंक का दूसरा नाम रही कुसुमा नाइन ने 12 लोगों को गोलियों से भून दिया था। साथ ही दो लोगों को जिंदा जला दिया था। उसके डकैतों ने दो लोगों की आंखें निकाल ली थीं। गांव वालों का कहना है कि हमें देर से ही सही, इंसाफ तो मिल गया। कुसुमा नाइन कौन थी, लोगों में उसकी दहशत किस कदर थी, उसने कैसे चंबल के बीहड़ों में अपना वर्चस्व बनाया। यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम अस्ता गांव पहुंची। पीड़ित परिवारों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले कुसुमा नाइन कौन थी, कैसे बीहड़ों की दहशत बनी? कुसुमा नाइन का बचपन रईसी में बीता
1964 में जालौन जिले के टिकरी गांव में जन्मी कुसुमा नाइन का बचपन रईसी में बीता। पिता गांव के प्रधान और सरकारी राशन दुकान के मालिक थे। लेकिन कुसुमा को पड़ोसी माधव मल्लाह से प्यार हो गया। घरवालों ने विरोध किया, लेकिन वह भागकर उसके साथ दिल्ली चली गई। पुलिस ने उसे पकड़ लिया और पिता ने उसकी शादी दूसरी जगह कर दी। लेकिन, तब तक माधव मल्लाह डाकू बन चुका था। वह गैंग के साथ आया और कुसुमा को उसके पति से छीनकर बीहड़ों में ले गया। यहीं से उसकी जिंदगी की दिशा और दशा दोनों बदल गई। डकैत कुसुमा नाइन की पूरी कहानी बताएंगे, लेकिन पहले उसके गांव वालों ने जो कुछ कहा…पढ़िए अस्ता गांव में जो हुआ, उसे यहां के लोग कभी भूल नहीं सकते। नरसंहार में जान गंवाने वालों में भगवानदीन, धनीराम, महादेव, लक्ष्मीनारायण, लालाराम, छोटेलाल, शंकर, रामशंकर, बांकेलाल, रामेश्वरदयाल, दर्शनलाल और शंभूदयाल शामिल थे। शिवकुमारी और उनका पांच साल का बेटा मुनेश घर में लगी आग में जिंदा जल गए थे। नरसंहार के बाद सरकार ने गांव में ‘शहीद चबूतरा’ बना दिया। लेकिन जो परिवार उजड़े, वे कभी अपनी जिंदगी पहले जैसी नहीं जी सके। दैनिक भास्कर से डकैत कुसुमा नाइन के सताए लोगों ने खुलकर बात की…. अब उनकी बात, जिनकी कुसुमा नाइन ने आंखें निकाल ली थीं संतोष बोले- 15 डकैतों ने गवाह के घर को घेर लिया
अस्ता गांव के संतोष ने बताया- दस्यु फक्कड़ बाबा उर्फ राम आसरे के भांजे रमाकांत, मोहन और पप्पू ने गांव के कामता प्रसाद की हत्या कर दी थी। इस मामले का मैं चश्मदीद था। गवाही से भांजों को सजा होने के डर से फक्कड़ बाबा ने मुझे सबक सिखाने का ऐलान किया था। 15 ​दिसंबर, 1996 की रात करीब 10 बजे कुसुमा नाइन की अगुवाई में करीब 15 डकैतों ने मेरे घर को घेर लिया। डकैत मुझे और मेरे घर पर सो रहे मित्र राजबहादुर समेत गांव के 6 लोगों को बंधक बनाकर गांव से 4 किलोमीटर दूर बीहड़ में ले गए। वहां डकैतों ने मेरे साथ बेरहमी से मारपीट की। इसके बाद धारदार ह​थियार से मेरी और राजबहादुर की आंखें फोड़ दीं। मेरे 4 साथी हम दोनों को किसी तरह गांव लेकर गए। इस घटना की रिपोर्ट राजबहादुर के भाई महलवान सिंह ने अयाना थाना में दर्ज कराई थी। डकैतों के विरोध में आंखें गंवाने वाले दोनों दोस्तों का कहना है कि डकैतों ने बीहड़ पर जमकर कहर बरपाया।​ जिससे आज तक बीहड़ उबर नहीं सका है। इस घटना के बाद से अस्ता गांव विकास की पटरी से ऐसा उतरा कि आज तक वापस न चढ़ सका। गांव के युवाओं को रोजगार तलाशने के लिए अपना आ​शियाना छोड़ना पड़ रहा है। अब पढ़िए डकैत कुसुमा नाइन की पूरी कहानी डकैतों की बंदूक थामी, फूलन देवी की गुलामी से तंग आई
कुसुमा नाइन जब बीहड़ में पहुंची, तो फूलन देवी ने उसे गुलाम बना लिया। उससे पानी भरवाती, खाना बनवाती और बुरी तरह प्रताड़ित करती थी। माधव मल्लाह भी फूलन के साथ हो गया। कुसुमा के अंदर बदले की आग धधकने लगी। फूलन के कहने पर विक्रम मल्लाह ने उसे लालाराम गैंग में भेज दिया, ताकि वह उसे मार सके। लेकिन कुसुमा लालाराम की गैंग से जुड़ गई और विक्रम मल्लाह की हत्या करवा दी। इस एनकाउंटर में माधव मल्लाह भी मारा गया। अब कुसुमा लालाराम की सबसे भरोसेमंद सदस्य बन चुकी थी। खूंखार डकैत बनी, बेरहमी की सारी हदें पार कीं
कुसुमा नाइन की क्रूरता के किस्से चंबल में दहशत की तरह फैले थे। जो भी उसके गिरोह की गिरफ्त में आता, उसे जिंदा नरक भोगना पड़ता। कभी वह अपहरण किए गए लोगों के नाखून उखाड़ देती, तो कभी जलती लकड़ी से उनके शरीर को दाग देती। 1995 में उसने रिटायर्ड ADG हरदेव आदर्श शर्मा का अपहरण किया और फिरौती मांगी। जब पैसे नहीं मिले, तो उसे गोली मारकर नहर में फेंक दिया। इस वारदात के बाद उस पर 35 हजार का इनाम रखा गया, लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई। फक्कड़ बाबा से प्रभावित होकर सरेंडर किया
कुख्यात डकैत पुतली बाई के बाद कुसुमा नाइन चंबल की सबसे बड़ी महिला डकैत बन चुकी थी। लेकिन फक्कड़ बाबा नाम के डकैत ने उसके अंदर छिपे साध्वी को जगा दिया। साल 2004 में कुसुमा नाइन और फक्कड़ बाबा ने अपनी पूरी गैंग के साथ सरेंडर करने का फैसला किया। कुसुमा ने शर्त रखी कि वह यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के सामने ही सरेंडर करेगी, लेकिन मुलायम व्यस्त थे और नहीं आ सके। इसके बावजूद, कुसुमा नाइन ने हथियार डाल दिए और जेल चली गई। वहां उसने 20 साल की सजा भी काटी। इटावा जेल में बंद थी। टीबी होने पर उसे सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ी तो लखनऊ केजी एमयू रेफर किया गया। यहां रविवार सुबह उसकी मौत हो गई। कुसुमा ने बेहमई कांड का लिया था बदला
26 मई, 1984 को कुख्यात डकैत लालाराम, श्रीराम और कुसुमा नाइन ने अस्ता गांव में जो खून की होली खेली थी। उसकी चीखें आज भी लोगों के जेहन में गूंजती हैं। उन्होंने 12 लोगों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया था। पूरे गांव को आग के हवाले कर दिया, जिसमें एक मां और उसके मासूम बेटे की जलकर मौत हो गई थी। गांव की गलियों में सिर्फ चीखें ही सुनाई दे रही थीं। इस नरसंहार के पीछे फूलन देवी का कुख्यात बेहमई कांड था, जिसमें 1981 में 20 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा कर गोली मार दी गई थी। अस्ता गांव में ठाकुरों की संख्या अधिक थी, इसलिए कुसुमा नाइन और उसकी गैंग ने यहां हमला बोला। ————————- ये खबर भी पढ़ेंः- रामपुर में जिस दुल्हन को दूल्हे ने थप्पड़ मारा…उसका दर्द:भरे स्टेज पर बेइज्जत किया, अब नाक रगड़ेगा तो भी उससे शादी नहीं करूंगी ‘6 महीने पहले हमारी शादी तय हुई थी। तब से हम दोनों फोन पर बात करते थे। उसने मुझे बताया था- मेरे ट्रक चलते हैं। बड़ा बिजनेस मैन हूं। अब वह नाक रगड़ेगा तो भी उससे शादी नहीं करूंगी। उसने बोलेरो के लिए स्टेज पर मुझे थप्पड़ मारा। मेरी बेइज्जती की…। पढ़ें पूरी खबर…

यूपी में मार्च से मई तक होगी भीषण गर्मी:ला-नीना के एक्टिव नहीं होने से कम पड़ी ठंड; 125 साल में सबसे गर्म रहा फरवरी

यूपी में मार्च से मई तक होगी भीषण गर्मी:ला-नीना के एक्टिव नहीं होने से कम पड़ी ठंड; 125 साल में सबसे गर्म रहा फरवरी 1 मार्च से आधिकारिक रूप से ठंड का सीजन खत्म और गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है। हालांकि, पिछले 2 दिनों से राज्य पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) एक्टिव हो गया है। इससे बादल, बारिश और तेज हवाओं ने ठंड को थोड़ा बढ़ा दिया है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें, तो ऐसा अधिकतम एक हफ्ते तक रह सकता है। उसके बाद तापमान में कमी नहीं आएगी और गर्मी बढ़ती जाएगी। कैसा रहा इस बार सर्दियों का मौसम? गर्मियों के लिए क्या अनुमान हैं? इस रिपोर्ट में पढ़िए- पिछले 3 साल में सबसे गर्म सर्दी रही
लखनऊ मौसम विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश बताते हैं- यूपी में इस बार पिछले 2-3 साल के मुकाबले ठंड कम पड़ी। दिसंबर से लेकर फरवरी के आखिरी तक औसत अधिकतम और न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य से अधिक रहे। सर्दियों के लिए उत्तर भारत के लिए अधिकतम औसत तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 10 से 15 डिग्री सेल्सियस निर्धारित है। मोहम्मद दानिश इसे लेकर कहते हैं कि इस सर्दी के सीजन में प्रदेश में यह दोनों तापमान औसत रूप से ज्यादा रहे। इस बार पूरी सर्दी के दौरान कोई शीतलहर या एक्सट्रीम ठंड देखने को नहीं मिली। वहीं, मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश कहते हैं कि इस बार उत्तर भारत में पिछले 10 सालों में दूसरी बार सबसे कम सर्दी पड़ी है। 125 साल में सबसे गर्म रहा फरवरी का महीना
मौसम विभाग का कहना है कि फरवरी 125 साल में पूरे देश में सबसे गर्म महीना रहा। 1901 के बाद यह पहली बार था, जब फरवरी में औसत न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना रहा। साल 1901 वही समय है, जबसे भारत समेत दुनिया भर में तापमान का लेखा-जोखा रखा जाता है। दूसरी ओर, 1901 के बाद से तीसरी बार जनवरी सबसे गर्म महीना रहा। 2024 की सर्दियां अब तक की सबसे गर्म रहीं
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक, 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। पृथ्वी का तापमान इस बार 1.55 डिग्री सेल्सियस बढ़ा। ऐसे में यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में इसका असर ठंड के सीजन पर भी दिखा। मौसम विभाग के मुताबिक, 27 फरवरी की रात दिल्ली में अब तक की सर्दियों की सबसे गर्म रात दर्ज की गई। यहां पिछले 74 साल में पहली बार इस दिन 19.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। यह 1951 से तापमान का रिकॉर्ड रखने में पहली बार है। मौसम के इस बदले मिजाज का असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला। कम ठंड पड़ने की बड़ी वजह क्या? ला-नीना का एक्टिव नहीं होना
मोहम्मद दानिश के मुताबिक, इस बार ला-नीना का एक्टिव ना होना भी कम सर्दियों की वजह रहा। ला-नीना एक जलवायु पैटर्न है। इसका दुनिया भर के मौसम में असर पड़ता है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें पानी भाप बनकर ऊपर जाता है। इससे आसमान में बादल छा जाते हैं और फिर बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश या ठंड और गर्मी ला-नीना पर ही निर्भर करती है। साल 2024 में ठंड की शुरुआत में मौसम विभाग ने अनुमान जताया था कि इस साल ला-नीना एक्टिव हो सकता है। इसकी वजह से उत्तर भारत में ठंड ज्यादा पड़ सकती हैं। लेकिन, अनुमान के मुताबिक प्रशांत महासागर में ला-नीना की स्थिति नहीं बनी। इस वजह से ठंड में बढ़ोतरी नहीं हुई। ठंड के सीजन की शुरुआत में नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्लाइमेट प्रिडिक्शन सेंटर ने अनुमान लगाया था कि इस बार सर्दी के सीजन में 60 फीसदी चांस है कि ‘ला नीना’ एक्टिव हो जाए। फिर मार्च तक इसका असर रहे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पश्चिमी विक्षोभ कम एक्टिव रहा तो बारिश कम हुई
मौसम वैज्ञानिक बताते हैं- इस बार प्रदेश में सर्दियों के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) की सक्रियता भी कम रही। इससे ठंड के सीजन में इस बार बारिश भी सामान्य से कम हुई। कई दिनों तक लगातार बादल और कोहरे के छाए रहने से ठंड बढ़ती है। वह भी इस सीजन में देखने को नहीं मिला। ज्यादातर जिलों में दिन में धूप निकली। मौसम विभाग के मुताबिक, 1 जनवरी से 26 फरवरी के बीच उत्तर भारत समेत पूरे देश में सामान्य से 62% कम बारिश हुई। मध्य भारत की बात करें, तो यहां पिछले 2 महीनों में सामान्य से 89% कम बारिश हुई। इस सीजन में देश भर में सामान्य रूप से 38 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए। लेकिन जनवरी-फरवरी महीने को मिलाकर पूरे देश में सिर्फ 14.4 मिलीमीटर बारिश हुई। आने वाले दिनों में कैसी पड़ेगी गर्मी मार्च से मई तक तापमान सामान्य से गर्म रहेगा
मौसम विभाग के मुताबिक, पूरे देश में मार्च से मई के दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इसमें सिर्फ मार्च महीने में पूरे भारत में अधिकतम और न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना है। साथ ही हीट वेव के दिनों के संख्या भी सामान्य से ज्यादा रहेगी। सिर्फ पूर्वोत्तर भारत और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में आने वाले महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में हीट वेव के दिन सामान्य रहेंगे। मौसम विभाग की मानें, तो खासकर मध्य भारत में, जिसका उत्तर प्रदेश भी हिस्सा है, मार्च में हीं हीट वेव की शुरुआत हो जाएगी। साल 2024 के लिए भी मौसम विभाग ने अधिकतम और न्यूनतम तापमान के सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान लगाया था। IMD के मौसम वैज्ञानिक डीएस पाई के अनुसार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सामान्य से अधिक हीट वेव वाले दिन पड़ेंगे। लगातार 3 दिन से ऊपर 40 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना सामान्य हीट वेव के दिन होते हैं। गर्म मार्च महीना गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाएगा
साल के ज्यादातर महीनों में सामान्य से ज्यादा तापमान का सीधा असर फसलों पर भी पड़ेगा। मार्च के भी सामान्य से ज्यादा गर्म रहने के अनुमान के बीच इसका असर गेहूं और सरसों की फसल पर पड़ेगा। इसके अलावा पिछले हफ्ते हुई बारिश का असर दलहन और तिलहन की फसल पर देखने को मिल सकता है। ————— ये खबर भी पढ़ें… मायावती ने भतीजे आकाश को उत्तराधिकारी पद से हटाया, एक साल में दूसरी बार सभी पद छीने; बोलीं- जीते-जी किसी को जिम्मेदारी नहीं दूंगी बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। एक साल में दूसरी बार आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा- जीते-जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी। पढ़ें पूरी खबर

हिमाचल में आज भारी बारिश-बर्फबारी की चेतावनी:लाहौल-स्पीति में ग्लेशियर गिरने का अलर्ट, कल 5 जिलों में बरसेंगे बादल, परसों से खिलेगी धूप

हिमाचल में आज भारी बारिश-बर्फबारी की चेतावनी:लाहौल-स्पीति में ग्लेशियर गिरने का अलर्ट, कल 5 जिलों में बरसेंगे बादल, परसों से खिलेगी धूप हिमाचल प्रदेश के ऊंचे क्षेत्रों में मौसम खराब हो गया है। मौसम विभाग (IMD) ने आज भारी बारिश व बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। चंबा, कांगड़ा व लाहौल स्पीति जिला को ऑरेंज अलर्ट दिया गया है। इन जिलों में एक-दो स्पेल हैवी स्नोफॉल का हो सकता है। इसी तरह किन्नौर को छोड़कर अन्य सभी 7 जिलों में बारिश व बर्फबारी को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। IMD के अनुसार, ऑरेंज अलर्ट वाले जिलों में आज 70 सेंटीमीटर तक बर्फबारी और येलो अलर्ट वाले जिलों में 70 मिलीमीटर तक बारिश हो सकती है। अगले कल 6 जिलों कांगड़ा, कुल्लू, मंडी शिमला, सोलन और सिरमौर जिला में बारिश व बर्फबारी का पूर्वानुमान है। अन्य जिलों में मौसम साफ रहेगा। परसों यानी 5 मार्च से वेस्टर्न डिस्टरबेंस कमजोर पड़ेगा और अगले तीन-चार दिन तक प्रदेशभर में मौसम साफ हो जाएगा। ग्लेशियर गिरने की चेतावनी इस बीच लाहौल स्पीति प्रशासन ने जिला में हिमखंड गिरने की चेतावनी जारी की है, क्योंकि जिला में बीते 25 फरवरी से 1 मार्च तक भारी हिमपात हुआ है। कई जगह 6 फीट से भी ज्यादा हिमपात हुआ है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने को कहा गया है। ऊंचे क्षेत्रों में बर्फ के पहाड़ कभी भी जान व माल का नुकसान कर सकते हैं। बीते दो दिनों के दौरान लाहौल स्पीति, चंबा और किन्नौर जिला में चार से पांच घटनाएं बर्फ के पहाड़ गिरने की पेश आ चुकी है। बीते कल ग्यू आईटीबीपी चौकी पर और शुक्रवार रात को अटल टनल के साउथ पोर्टल पर भी हिमखंड गिर चुका है। 170 सड़कें, 250 ट्रांसफॉर्मर बंद वहीं प्रदेश में बीते दिनों की बर्फबारी के बाद 170 से ज्यादा सड़कें और 250 बिजली के ट्रांसफर अभी भी बंद पड़े है। इन्हें बहाल करने का काम जारी है। मगर आज ताजा बारिश व बर्फबारी इस काम में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

अंसल API की 21 टाउनशिप..7000 लोगों का रुपया फंसा:CBI-ED जांच कर रही, लखनऊ में निवेशक बोले- यूपी का सबसे बड़ा फ्रॉड; CM योगी मदद करें

अंसल API की 21 टाउनशिप..7000 लोगों का रुपया फंसा:CBI-ED जांच कर रही, लखनऊ में निवेशक बोले- यूपी का सबसे बड़ा फ्रॉड; CM योगी मदद करें अंसल API को महज 83 करोड़ रुपए न देने पर दिवालिया घोषित करना। ये सब एक साजिश का हिस्सा है। कंपनी को दिवालिया घोषित करवाने के लिए इसके मालिक NCLT चले गए। कंपनी ने छह महीने में 250 करोड़ की संपत्ति बेची है। इस फैक्ट से पूरे खेल को समझा जा सकता है। यूपी में रियल स्टेट में अंसल ने सबसे बड़ा घोटाला किया है। सरकार को प्रबंधकों का पासपोर्ट सबसे पहले जब्त करना चाहिए ताकि ये लोग देश से भाग ना सकें। हम निवेशकों का पैसा न डूबे, इसके लिए प्रदेश सरकार को आगे आना होगा। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को अपने अंडर में लें। यह कहना है निवेशक गगन टंडन का। इन्होंने 15 साल पहले अंसल से प्लाट लिया था। अब तक प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हुई है। गगन ने बताया कि अंसल API ने फेज-1,2,3 और 4 में बिना जमीन खरीदे 2009 से लोगों को जमीन बेचना शुरू कर दिया था। हजारों ने अपनी मेहनत की कमाई लगा दी। कंपनी के दिवालिया घोषित होने के बाद निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। 7000 से ज्यादा निवेशकों का करोड़ों रुपया फंसा 1967 में अंसल एपीआई नाम से रियल स्टेट कंपनी रजिस्टर्ड हुई। 2025 तक 7000 से ज्यादा निवेशकों ने इसमें रुपया लगाया। राजधानी लखनऊ, दिल्ली एनसीआर समेत पांच राज्यों में अंसल एपीआई ने अपनी 21 से ज्यादा टाउनशिप बनाई हैं। कम दाम में फ्लैट, मकान और जमीन देने का वादा करने वाले अंसल के खिलाफ CBI और ED की जांच चल रही है। अलग-अलग जिलों में सैकड़ों मुकदमे भी दर्ज हैं। मौजूदा समय में लखनऊ के सुशांत गोल सिटी में निवेश करने वालों को कहना हैं- अंसल ने उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला किया है। निवेशक बोले- CM दखल दें..बड़ा घोटाला हुआ है आवंटी कुमार राजेश सिंह ने बताया कि अंसल द्वारा हाईटेक सिटी के नाम पर शोषित किया जा रहा है। कहा गया था कि 24 घंटे लाइट रहेगी। अब तो बिजली कनेक्शन ही काट दिया है। प्रोजेक्ट बना था वो आज तक अधूरा आवंटी मनोहर राम यादव ने बताया- 2010 प्रोजेक्ट बना था वो आज तक अधूरा है। जबरदस्ती हम लोगों से अधूरे निर्माण और असुविधाओं का पैसा लिया जाता है। रेरा में 400 से ज्यादा शिकायत हुईं अंसल API के खिलाफ रेरा में 400 से ज़्यादा शिकायत दर्ज हैं। रेरा ने साल 2019 में प्रदेश भर में अंसल एपीआई के 91 प्रोजेक्टों का फारेंसिक ऑडिट करवाया था। इसमें सैकड़ों आवंटियों का पैसा जमा होने के बावजूद डेवलपर्स ने न तो उन्हें पैसा वापस किया, ना ही कब्जा दे रहा था। इसके अलावा भी कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ था। 11 मार्च तक क्लेम फाइल करने का समय अंसल के दिवालिया होने के बाद उसकी देनदारी और निवेशकों की दिक्कतों का समाधान तलाशने के लिए NCLT की तरफ से तैनात इंट्रिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशन ने अपनी टीम गठित कर दी है। IRP की तरफ से क्लेम दाखिल करने का आवेदन फॉर्म जारी कर दिया है। निवेशकों को 11 मार्च तक क्लेम फाइल करने को कहा गया है। इसके बाद 24 अगस्त तक IRP इन सभी क्लेम के मुताबिक देनदारियां तय करते हुए फाइनल प्रस्ताव NCLT को देगा। इस प्रस्ताव के बाद ही आवंटी और निवेशकों की देनदारी का खाका फाइनल हो सकेगा। अंसल ने ऐसे बढ़ाया अपना दायरा… उत्तर प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप पॉलिसी के तहत साल 2003 में अंसल को करीब 1335 एकड़ में टाउनशिप का लाइसेंस दिया गया था। पांच साल बीत जाने के बाद भी डेवलपर्स इसका विकास नहीं कर सके। इसके बावजूद 2008 में तत्कालीन सरकार ने टाउनशिप का दायरा बढ़ाकर 3530 एकड़ कर दिया। इतना ही नहीं डेवलपर्स को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने नियमों को ही बदल दिया। टाउनशिप पॉलिसी के तहत केवल एक बार ही एक्सटेंशन मिल सकता था, लेकिन अंसल API को दूसरा एक्सटेंशन देते हुए टाउनशिप का दायरा साल 2012 में बढ़ा कर 6500 एकड़ कर दिया था। सिंचाई विभाग की जमीन पर भी किया था कब्जा अंसल प्रबंधक ने सुशांत गोल्फ सिटी में नहर की जमीन पर कब्जा करके उसे एक निजी स्कूल को बेच दिया था। स्कूल ने उस जमीन पर बिल्डिंग खड़ी कर दी थी। सिंचाई विभाग के अफसरों के संज्ञान में आने के बाद बिल्डर और स्कूल प्रशासन को नोटिस जारी किया गया था। मामला हार्ई कोर्ट पहुंच गया था। जहां से आदेश के बाद कब्जे वाले हिस्से को तोड़ा गया था। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अवैध रूप से जमीन की बिक्री, गोल्फ कोर्स की जमीन को अवैध रूप से बेचे जाने सहित कई शिकायत आने के बाद अंसल कम्पनी की रजिस्ट्री पर रोक लगा थी। वीसी की ओर से निबंधन विभाग का पत्र भी लिखा गया था। लेकिन इसके बाद भी प्रबंधक रजिस्ट्री करता रहा। दिल्ली से गिरफ्तार हुए थे मालिक अंसल ग्रुप के मालिक सुशील अंसल के पुत्र प्रणव अंसल के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ था। सितंबर 2019 में उसे लंदन जाने के दौरान दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। भुगतान नहीं करने पर बिजली कटी अंसल सुशांत गोल्फ सिटी ने 6.78 करोड़ रुपए का बकाया बिजली बिल नहीं जमा किया है। बिजली विभाग टाउनशिप प्रबंधन को कई बार नोटिस भेज चुका था। बिजली बिल नहीं जमा किया जा रहा था। बिल नहीं जमा होने पर बीते शुक्रवार को बिजली विभाग ने कनेक्शन काट दिया था। जिसके बाद प्रबंधक ने 50 लाख का भुगतान किया था। करीब 4 घंटे के बाद बिजली कनेक्शन जोड़ा गया था। यहां विकसित की टाउनशिप
अंसल API दिल्ली एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 19 टाउनशिप विकसित कर रही हैं। इसमें मोहाली, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, जयपुर, जोधपुर, अजमेर, सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, गुड़गांव, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा और लखनऊ शहर शामिल हैं। ……………………….. यह खबर भी पढ़े लखनऊ में अंसल ग्रुप वसूल रहा पांच गुना बिजली बिल: आवंटी बोले- बिल्डर ने किया घोटाला, 5 हजार से अधिक लोगों को ठगा लखनऊ में सबसे बड़ी टाउनशिप विकसित करने वाला अंसल ग्रुप आवंटियों से सरकारी रेट से ज्यादा बिजली के दाम वसूल रहा है। जोकि एडवांस में ले लेता है। सड़क पर स्ट्रीट लाइट नहीं जल रही है। पॉवर बैकअप के नाम पर टाउनशिप में तीन जनरेटर लगाए हैं जोकि ज्यादा देर नहीं चल पाते हैं। यहां पढ़े पूरी खबर

UP BOARD- 12वीं एग्जाम तैयारी स्पेशल:कॉमर्स स्टूडेंट्स अकाउंटेंसी में पार्टनरशिप को अच्छे से पढ़ें, शेयर और बैलेंस शीट भी इंपोर्टेंट

UP BOARD- 12वीं एग्जाम तैयारी स्पेशल:कॉमर्स स्टूडेंट्स अकाउंटेंसी में पार्टनरशिप को अच्छे से पढ़ें, शेयर और बैलेंस शीट भी इंपोर्टेंट कॉमर्स स्ट्रीम स्टूडेंट्स के लिए अकाउंटेंसी विषय बेहद महत्वपूर्ण होता है। ज्यादातर स्टूडेंट्स CA, CS जैसी फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं। ऐसे में इस विषय की तैयारी में लापरवाही ठीक नहीं हैं। बोर्ड पेपर में पार्टनरशिप के पोर्शन पर सबसे ज्यादा फोकस करना चाहिए। अकेले इससे 40 से 45 मार्क्स के सवाल एग्जाम में पूछे जाते हैं। साथ ही शेयर, बैलेंस शीट को अच्छे से तैयार करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा कैश फ्लो और रेश्यो एनालिसिस पर बेस न्यूमेरिकल्स की तैयारी जरूरी है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 129वें एपिसोड में कॉमर्स (अकाउंटेंसी) प्रवक्ता मोहित शुक्ला से खास बातचीत.. मोहित शुक्ला ने कहा- एग्जाम में ओवरराइटिंग न करें। साथ ही कैलकुलेशन मिस्टेक को लेकर भी सतर्क रहें। यदि कैलकुलेशन मिस्टेक हो गया है तो बैलेंस शीट की क्वेश्चन में जरूर से ज्यादा समय वेस्ट होगा। ऐसे में इन बातों का विशेष ध्यान रखना है। एक सीक्वेंस को फॉलो करते हुए पूरे पेपर को सॉल्व करें।