यूपी उपचुनाव में 9 में से 7 सीटों पर जमानत जब्त होने के बाद मायावती ने रविवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा-ईवीएम के जरिए फर्जी वोट डाले जा रहे हैं। हमारी पार्टी अब कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी। BSP को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। बसपा सुप्रीमो ने मीडिया से बात करते हुए कहा- चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया गया। सभी दल हमें रोकने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने दलित समाज से निकले छोटे दलों को भी निशाना बनाया। दलित वोटरों से अपील किया कि इनको वोट न दें। यह दूसरे दलों की तरफ से बनाई गईं पार्टियां हैं। यह सब बहुजन समाज पार्टी को पीछे करने के लिए किया जा रहा है। जिससे कि दलित समाज को आगे न आने दिया जाए। 9 सीट पर काफी कुछ देखने को मिला। ऐसी पार्टी को वोट न दे जो बिकाऊ हो। केवल बीएसपी को वोट दो। विरोधी पार्टियों के लोगों से सावधान रहना है। यह समय की मांग है। सर्वजन हिताए और सर्वजन सुखाए के लिए यह सबसे जरूरी है। मायावती ने कहा- साल 2007 के बाद से सभी दलों ने हमें रोकने का काम किया। दलित समाज के कुछ बिकाऊ लोगों ने इनके सहयोग से पार्टी बनाई। यह पार्टी अपने वोटरों के माध्यम से एक या दो सीट भी जीता देती हैं। यह लोग हेलिकाॅप्टर से लेकर बड़ी–बड़ी गाड़ियों में घुमने का काम करते हैं। माना जा रहा है कि मायावती का इशारा नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की तरफ था। हालांकि, उन्होंने चंद्रशेखर का एक बार भी नाम नहीं लिया। घोषणा के पीछे की वजह: सिर्फ दो सीटों पर जमानत बचा पाई है बसपा
उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ रही बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी केवल कटेहरी और मझंवा में अपनी जमानत बचा सकी। यहां उसे तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। जबकि कुंदरकी और मीरापुर में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। कुंदरकी में बसपा को अब तक का सबसे कम वोट मात्र 1051 वोट ही हासिल हुए। वहीं मीरापुर में बसपा साढ़े तीन हजार वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यहां उसे 3248 वोट मिले। कानपुर की सीसामऊ सीट जहां सपा की नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की है, वहां बसपा को मात्र 1410 वोट ही मिले। विधानसभा आम चुनाव में बसपा को खैर सीट पर 65 हजार वोट मिले थे। इस बार वह 13 हजार वोटों पर सिमट गई। माना जाता है कि दलितों में जाटव वोट बैंक बसपा के साथ अब भी है। लेकिन इस चुनाव में वो मिथक भी टूट गया। बसपा को केवल दो सीटों पर 12 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए। 35 साल में सबसे खराब दौर से गुजर रही है बसपा
बहुजन समाज पार्टी बीते 35 सालों में अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। लोकसभा में बसपा का एक भी सांसद नहीं है। विधानसभा में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह है। विधान परिषद में भी बसपा का एक भी सदस्य नहीं है। राज्यसभा में भी बसपा के एक मात्र सदस्य है। यूपी उपचुनाव में 9 में से 7 सीटों पर जमानत जब्त होने के बाद मायावती ने रविवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा-ईवीएम के जरिए फर्जी वोट डाले जा रहे हैं। हमारी पार्टी अब कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी। BSP को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। बसपा सुप्रीमो ने मीडिया से बात करते हुए कहा- चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया गया। सभी दल हमें रोकने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने दलित समाज से निकले छोटे दलों को भी निशाना बनाया। दलित वोटरों से अपील किया कि इनको वोट न दें। यह दूसरे दलों की तरफ से बनाई गईं पार्टियां हैं। यह सब बहुजन समाज पार्टी को पीछे करने के लिए किया जा रहा है। जिससे कि दलित समाज को आगे न आने दिया जाए। 9 सीट पर काफी कुछ देखने को मिला। ऐसी पार्टी को वोट न दे जो बिकाऊ हो। केवल बीएसपी को वोट दो। विरोधी पार्टियों के लोगों से सावधान रहना है। यह समय की मांग है। सर्वजन हिताए और सर्वजन सुखाए के लिए यह सबसे जरूरी है। मायावती ने कहा- साल 2007 के बाद से सभी दलों ने हमें रोकने का काम किया। दलित समाज के कुछ बिकाऊ लोगों ने इनके सहयोग से पार्टी बनाई। यह पार्टी अपने वोटरों के माध्यम से एक या दो सीट भी जीता देती हैं। यह लोग हेलिकाॅप्टर से लेकर बड़ी–बड़ी गाड़ियों में घुमने का काम करते हैं। माना जा रहा है कि मायावती का इशारा नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की तरफ था। हालांकि, उन्होंने चंद्रशेखर का एक बार भी नाम नहीं लिया। घोषणा के पीछे की वजह: सिर्फ दो सीटों पर जमानत बचा पाई है बसपा
उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ रही बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम नजर आई। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी केवल कटेहरी और मझंवा में अपनी जमानत बचा सकी। यहां उसे तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। जबकि कुंदरकी और मीरापुर में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। कुंदरकी में बसपा को अब तक का सबसे कम वोट मात्र 1051 वोट ही हासिल हुए। वहीं मीरापुर में बसपा साढ़े तीन हजार वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यहां उसे 3248 वोट मिले। कानपुर की सीसामऊ सीट जहां सपा की नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की है, वहां बसपा को मात्र 1410 वोट ही मिले। विधानसभा आम चुनाव में बसपा को खैर सीट पर 65 हजार वोट मिले थे। इस बार वह 13 हजार वोटों पर सिमट गई। माना जाता है कि दलितों में जाटव वोट बैंक बसपा के साथ अब भी है। लेकिन इस चुनाव में वो मिथक भी टूट गया। बसपा को केवल दो सीटों पर 12 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए। 35 साल में सबसे खराब दौर से गुजर रही है बसपा
बहुजन समाज पार्टी बीते 35 सालों में अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। लोकसभा में बसपा का एक भी सांसद नहीं है। विधानसभा में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह है। विधान परिषद में भी बसपा का एक भी सदस्य नहीं है। राज्यसभा में भी बसपा के एक मात्र सदस्य है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर