सेवानिवृत्त BSF को निधन के बाद किया गया सम्मानित:किन्नौर में डीआईजी BSF के पद पर थे तैनात, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाला सबसे उम्रदराज भारतीय

सेवानिवृत्त BSF को निधन के बाद किया गया सम्मानित:किन्नौर में डीआईजी BSF के पद पर थे तैनात, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाला सबसे उम्रदराज भारतीय

भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF) ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सेवानिवृत्त उप महानिरीक्षक (DIG) स्वर्गीय शरब चंदूब नेगी को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए मरणोपरांत प्रतिष्ठित नैन सिंह-किशन सिंह लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया है। 8 मार्च 1950 को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में जन्मे नेगी की पर्वतारोहण में विरासत अद्वितीय है। 56 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़े एक पर्वतारोही के रूप मे उनका अभियान उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों तक ले गया। विशेष रूप से 2006 में बीएसएफ अभियान के हिस्से के रूप में माउंट एवरेस्ट पर उन्होंने चढ़ाई की, एक ऐसी उपलब्धि जिसने उनका नाम पर्वतारोहण इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। 56 साल की उम्र में, नेगी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे उम्र दराज भारतीय बन गए। 2010 में हुए थे सेवानिवृत्त नेगी के अन्य उल्लेखनीय अभियानों में 1996 में माउंट सासेर कांगड़ी-IV, 2005 में माउंट सतोपंथ और माउंट चंद्र भागा श्रृंखला (1994) शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के नेसंग गांव से ताल्लुक रखने वाले नेगी ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान बीएसएफ बटालियन की कमान भी संभाली थी। 33 साल की सेवा के बाद वह 2010 में सेवानिवृत्त हुए। 2012 से 2020 तक हिमाचल प्रदेश एवरेस्टर एसोसिएशन (HPE) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेगी ने क्षेत्र में पर्वतारोहण और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 3 पर्वतरोहियों को बचाने में निभाई थी भूमिका नेगी 2012 और 2020 के बीच, उन्होंने हिपा, शिमला के सहयोग से किन्नौर के युवाओं के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और पर्वतीय बचाव, प्राथमिक चिकित्सा और अग्निशमन प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने सहित कई पहलों का समन्वय किया। 2006 में, नेगी ने एक और दुर्लभ उपलब्धि हासिल की, जब BSF एवरेस्ट अभियान के दौरान, उन्होंने 23,520 फीट की ऊंचाई से 3 पर्वत रोहियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शरब चंदूब की 29 सितंबर, 2020 को किन्नौर जिले में मौत हो गई, जब वे स्वेच्छा से चीन सीमा के लिए एक छोटा रास्ता खोजने के लिए एक टोही मिशन का नेतृत्व कर रहे थे। शरब चंदूब नेगी के निधन से पर्वतारोहण समुदाय में एक खालीपन आ गया, लेकिन उनकी विरासत साहसी लोगों की नई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF) ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सेवानिवृत्त उप महानिरीक्षक (DIG) स्वर्गीय शरब चंदूब नेगी को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए मरणोपरांत प्रतिष्ठित नैन सिंह-किशन सिंह लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया है। 8 मार्च 1950 को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में जन्मे नेगी की पर्वतारोहण में विरासत अद्वितीय है। 56 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़े एक पर्वतारोही के रूप मे उनका अभियान उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों तक ले गया। विशेष रूप से 2006 में बीएसएफ अभियान के हिस्से के रूप में माउंट एवरेस्ट पर उन्होंने चढ़ाई की, एक ऐसी उपलब्धि जिसने उनका नाम पर्वतारोहण इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। 56 साल की उम्र में, नेगी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे उम्र दराज भारतीय बन गए। 2010 में हुए थे सेवानिवृत्त नेगी के अन्य उल्लेखनीय अभियानों में 1996 में माउंट सासेर कांगड़ी-IV, 2005 में माउंट सतोपंथ और माउंट चंद्र भागा श्रृंखला (1994) शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के नेसंग गांव से ताल्लुक रखने वाले नेगी ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान बीएसएफ बटालियन की कमान भी संभाली थी। 33 साल की सेवा के बाद वह 2010 में सेवानिवृत्त हुए। 2012 से 2020 तक हिमाचल प्रदेश एवरेस्टर एसोसिएशन (HPE) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेगी ने क्षेत्र में पर्वतारोहण और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 3 पर्वतरोहियों को बचाने में निभाई थी भूमिका नेगी 2012 और 2020 के बीच, उन्होंने हिपा, शिमला के सहयोग से किन्नौर के युवाओं के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और पर्वतीय बचाव, प्राथमिक चिकित्सा और अग्निशमन प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने सहित कई पहलों का समन्वय किया। 2006 में, नेगी ने एक और दुर्लभ उपलब्धि हासिल की, जब BSF एवरेस्ट अभियान के दौरान, उन्होंने 23,520 फीट की ऊंचाई से 3 पर्वत रोहियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शरब चंदूब की 29 सितंबर, 2020 को किन्नौर जिले में मौत हो गई, जब वे स्वेच्छा से चीन सीमा के लिए एक छोटा रास्ता खोजने के लिए एक टोही मिशन का नेतृत्व कर रहे थे। शरब चंदूब नेगी के निधन से पर्वतारोहण समुदाय में एक खालीपन आ गया, लेकिन उनकी विरासत साहसी लोगों की नई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।   हिमाचल | दैनिक भास्कर