बिजली विभाग के निजीकरण से यूपी में 27,600 बिजली कर्मियों की छंटनी होगी। 1523 सहायक अभियंता की भी इससे नौकरी जाएगी। इसके विरोध में यूपी के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके विरोध में उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने गुरुवार को बैठक की। बताया गया कि वाराणसी और आगरा में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा। घाटे के चलते इसमें सुधार की जरूरत है, लेकिन निजीकरण करने की प्रक्रिया का विरोध होगा। अभियंता संघ निजीकरण के किसी स्वरूप को स्वीकार नहीं करेगा। आगरा डिस्कॉम में 10411 और वाराणसी में 17,189 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन निगमों का निजीकरण होते ही कुल 27,600 कर्मचारी सरप्लस हो जाएंगे, जिन्हें छंटनी का सामना करना होगा। अभियंता संवर्ग के इन दोनों निगमों में 1523 पद समाप्त होंगे। समझौते का हो रहा उल्लंघन
उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर घाटे के नाम पर गलत आंकड़े देकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौता हुआ था। समझौते में लिखा है कि उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। अब इस समझौते के विपरीत निजीकरण किया जाना समझौते का सीधा-सीधा अनादर है। केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, आगरा, बरेली, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, नोएडा, अलीगढ़, अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज, बांदा, कानपुर, झांसी, सीतापुर आदि क्षेत्रों एवं परियोजनाओं से सैकड़ों की संख्या में पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित हुए। बिजली विभाग के निजीकरण से यूपी में 27,600 बिजली कर्मियों की छंटनी होगी। 1523 सहायक अभियंता की भी इससे नौकरी जाएगी। इसके विरोध में यूपी के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके विरोध में उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने गुरुवार को बैठक की। बताया गया कि वाराणसी और आगरा में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा। घाटे के चलते इसमें सुधार की जरूरत है, लेकिन निजीकरण करने की प्रक्रिया का विरोध होगा। अभियंता संघ निजीकरण के किसी स्वरूप को स्वीकार नहीं करेगा। आगरा डिस्कॉम में 10411 और वाराणसी में 17,189 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन निगमों का निजीकरण होते ही कुल 27,600 कर्मचारी सरप्लस हो जाएंगे, जिन्हें छंटनी का सामना करना होगा। अभियंता संवर्ग के इन दोनों निगमों में 1523 पद समाप्त होंगे। समझौते का हो रहा उल्लंघन
उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर घाटे के नाम पर गलत आंकड़े देकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौता हुआ था। समझौते में लिखा है कि उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। अब इस समझौते के विपरीत निजीकरण किया जाना समझौते का सीधा-सीधा अनादर है। केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, आगरा, बरेली, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, नोएडा, अलीगढ़, अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज, बांदा, कानपुर, झांसी, सीतापुर आदि क्षेत्रों एवं परियोजनाओं से सैकड़ों की संख्या में पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित हुए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर