संभल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अजमेर दरगाह प्रमुख ने किया स्वागत, मंदिर के दावे पर कही ये बात

संभल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अजमेर दरगाह प्रमुख ने किया स्वागत, मंदिर के दावे पर कही ये बात

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ajmer Dargah News:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की निचली अदालत से कहा कि वह मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित कोई आदेश पारित न करे. इसने उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया. वहीं इस आदेश का अजमेर शरीफ दरगाह प्रमुख सैय्यद जैनुल आबेदिन अली खान ने स्वागत किया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने इसी तरह अजमेर दरगाह में मंदिर मामले को लेकर उन्होंने मंदिर का दावा पेश करने वाले विष्णु गुप्ता को इतिहास पढ़ने और समझने की भी सलाह दी. दरगाह प्रमुख ने अजमेर दरगाह और इतिहासकार हरविलास शारदा को लेकर भी मीडिया में जानकारी साझा की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मौजूदा सरकार की भी दरगाह में आस्था'</strong><br />सैय्यद जैनुल आबेदिन अली खान ने मुगल काल से लेकर मौजूदा सरकार तक अजमेर दरगाह से उनकी आस्था भी बताई. अजमेर के इतिहास को लेकर कई किताबों का हवाला भी दिया और बताया कि अजमेर चिश्तिया सिलसिले का एक बड़ा मरकज है जहां समय समय पर राजा रजवाड़ा और बादशाहों ने अपनी अपनी तरफ से कई बतौर नज़राना इमारतें तामीर करवाई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मंदिर होने का दावा गलत'</strong><br />उन्होंने आगे कहा कि हजरत ख्वाजा गरीब नवाज से राजा महाराजा से लेकर मुगल बादशाहों, अंग्रेजों के हुक्मरानों के रिश्ते और आस्था का भी जिक्र किया. आखिर में मीडिया को दरगाह प्रमुख ने बताया कि दरगाह में मंदिर होने का दावा बिल्कुल गलत है जिसके सबूत कई इतिहास के पन्नों पर लिखे हुए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों पक्षों ने किया स्वागत</strong><br />इस आदेश का स्वागत करते हुए मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वारसी ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बेहतर है. वहीं, हिन्दू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा ने कहा, “शीर्ष अदालत का निर्णय सिर आंखों पर है.” उन्होंने कहा कि चाहे निचली अदालत का फैसला हो, चाहे उच्च न्यायालय का फैसला हो या शीर्ष अदालत का आदेश हो, उसका पालन सभी को करना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर मामला सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ajmer Dargah News:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की निचली अदालत से कहा कि वह मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित कोई आदेश पारित न करे. इसने उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया. वहीं इस आदेश का अजमेर शरीफ दरगाह प्रमुख सैय्यद जैनुल आबेदिन अली खान ने स्वागत किया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने इसी तरह अजमेर दरगाह में मंदिर मामले को लेकर उन्होंने मंदिर का दावा पेश करने वाले विष्णु गुप्ता को इतिहास पढ़ने और समझने की भी सलाह दी. दरगाह प्रमुख ने अजमेर दरगाह और इतिहासकार हरविलास शारदा को लेकर भी मीडिया में जानकारी साझा की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मौजूदा सरकार की भी दरगाह में आस्था'</strong><br />सैय्यद जैनुल आबेदिन अली खान ने मुगल काल से लेकर मौजूदा सरकार तक अजमेर दरगाह से उनकी आस्था भी बताई. अजमेर के इतिहास को लेकर कई किताबों का हवाला भी दिया और बताया कि अजमेर चिश्तिया सिलसिले का एक बड़ा मरकज है जहां समय समय पर राजा रजवाड़ा और बादशाहों ने अपनी अपनी तरफ से कई बतौर नज़राना इमारतें तामीर करवाई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मंदिर होने का दावा गलत'</strong><br />उन्होंने आगे कहा कि हजरत ख्वाजा गरीब नवाज से राजा महाराजा से लेकर मुगल बादशाहों, अंग्रेजों के हुक्मरानों के रिश्ते और आस्था का भी जिक्र किया. आखिर में मीडिया को दरगाह प्रमुख ने बताया कि दरगाह में मंदिर होने का दावा बिल्कुल गलत है जिसके सबूत कई इतिहास के पन्नों पर लिखे हुए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों पक्षों ने किया स्वागत</strong><br />इस आदेश का स्वागत करते हुए मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वारसी ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बेहतर है. वहीं, हिन्दू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा ने कहा, “शीर्ष अदालत का निर्णय सिर आंखों पर है.” उन्होंने कहा कि चाहे निचली अदालत का फैसला हो, चाहे उच्च न्यायालय का फैसला हो या शीर्ष अदालत का आदेश हो, उसका पालन सभी को करना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर मामला सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.</p>  राजस्थान Bihar Crime: भागलपुर में प्रेमिका से बात करना प्रेमी को पड़ा महंगा, भाई ने मारी गोली, पुलिस ने किया खुलासा