जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से आज सोमवार दोपहर एक बजे श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिख साहिबानों की बैठक बुलाई है। बैठक में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान पद पर रहे मंत्रियों, पूर्व जत्थेदार, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुखबीर बादल और 2007-17 के दौरान अकाली दल के मंत्रियों को सजा सुनाई जा सकती है। कुछ दिन पहले सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे और उन्होंने मांग की थी कि उन्हें तनखैया घोषित किए हुए तीन महीने से अधिक का समय बीत चुका है और उन्हें अब सजा सुनाई जानी चाहिए। जिसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तकरीबन एक सप्ताह पहले इस बैठक को बुलाने की घोषणा की थी। सुखबीर ने लिखा-सारे वर्कर चाहते थे मैं चुनाव लड़ूं श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपने लिखित आवेदन में कहा था कि पार्टी के सारे वर्कर चाहते थे कि विशेष हालात के चलते मुझे अभी हो रहे उपचुनाव लड़ने और प्रचार की इजाजत दी जाए। उपचुनाव न लड़ पाने के कारण पंथ और पंजाब को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन अकाल पुरख की रजा में उन्होंने यह नुकसान झेला है। इसीलिए उनकी सजा पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए और उन्हें इजाजत दी जाए कि वह पंथ विरोधी ताकतों से डटकर मुकाबला कर सकें। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा सुखबीर बादल को जुलाई महीने में धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ।” बागी गुट की शिकायत के बाद शुरू हुआ था विवाद दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई- 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। 4 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया। जानें क्या लिखा था स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल किया, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्टूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना हुई थी। 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहिब शक्ति और दया प्रदान करें। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से आज सोमवार दोपहर एक बजे श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिख साहिबानों की बैठक बुलाई है। बैठक में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान पद पर रहे मंत्रियों, पूर्व जत्थेदार, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुखबीर बादल और 2007-17 के दौरान अकाली दल के मंत्रियों को सजा सुनाई जा सकती है। कुछ दिन पहले सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे और उन्होंने मांग की थी कि उन्हें तनखैया घोषित किए हुए तीन महीने से अधिक का समय बीत चुका है और उन्हें अब सजा सुनाई जानी चाहिए। जिसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तकरीबन एक सप्ताह पहले इस बैठक को बुलाने की घोषणा की थी। सुखबीर ने लिखा-सारे वर्कर चाहते थे मैं चुनाव लड़ूं श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपने लिखित आवेदन में कहा था कि पार्टी के सारे वर्कर चाहते थे कि विशेष हालात के चलते मुझे अभी हो रहे उपचुनाव लड़ने और प्रचार की इजाजत दी जाए। उपचुनाव न लड़ पाने के कारण पंथ और पंजाब को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन अकाल पुरख की रजा में उन्होंने यह नुकसान झेला है। इसीलिए उनकी सजा पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए और उन्हें इजाजत दी जाए कि वह पंथ विरोधी ताकतों से डटकर मुकाबला कर सकें। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा सुखबीर बादल को जुलाई महीने में धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ।” बागी गुट की शिकायत के बाद शुरू हुआ था विवाद दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई- 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। 4 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया। जानें क्या लिखा था स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल किया, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्टूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना हुई थी। 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहिब शक्ति और दया प्रदान करें। पंजाब | दैनिक भास्कर
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ख़ालिस्तानी आतंकी डल्ला का ट्रायल नहीं होगा सार्वजनिक:ओंटारियो अदालत ने दिया आदेश; कनाडा सरकार ने प्रसारण पर पाबंदी लगाने की रखी थी मांग कनाडा की ओंटारियो अदालत ने गुरुवार को खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के अस्थायी प्रमुख अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला और उसके सहयोगी गुरजंट सिंह के ट्रायल की कार्यवाही पर मीडिया कवरेज, प्रसारण और रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी है। यह निर्णय कनाडा सरकार की मांग पर लिया गया है। दरअसल, कनाडा सरकार के वकील द्वारा अदालत में दाखिल एक अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें अदालत की कार्यवाही के प्रसारण पर प्रतिबंध की मांग की गई थी। इस अर्जी को ओंटारियो अदालत ने मान लिया है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा, जब तक ट्रायल समाप्त नहीं हो जाता। डल्ला के खिलाफ भारत की प्रत्यर्पण की मांग इस मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में, भारत ने अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध करने का संकेत दिया है। डल्ला पर भारत में कई गंभीर आपराधिक मामले और आतंकवाद गतिविधियों में शामिल होने आरोप हैं। डल्ला को 2023 में भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत ने कनाडाई सरकार से डल्ला की अस्थायी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। हालांकि, उस समय यह अनुरोध खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब कनाडा में हुई हालिया गिरफ्तारी ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा- हमने कनाडा में अर्श डल्ला की गिरफ्तारी के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया है। उसे 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, और कनाडाई प्रिंट और दृश्य मीडिया ने इस घटना पर व्यापक रिपोर्टिंग की है। भारत की प्रत्यर्पण की कार्यवाही जैसवाल ने बताया कि डल्ला के भारत में लंबित आपराधिक मामलों और कनाडा में उसकी अवैध गतिविधियों में संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अर्श डल्ला के अपराधों के चलते यह अपेक्षा की जाती है कि उसे भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। हमारी एजेंसियां हाल की गिरफ्तारी के मद्देनजर प्रत्यर्पण पर जरूरी कार्रवाई करेंगी। 2023 में भी गिरफ्तारी की मांग की थी भारत ने 2023 में कनाडा से डल्ला की गिरफ्तारी की मांग की थी। लेकिन कनाडा सरकार ने उस समय इस मांग को खारिज कर दिया था। इसी दौरान भारत ने जनवरी 2023 में कनाडा को डल्ला के संदिग्ध पते, भारत में उसके ट्रांजैक्शन, उसकी संपत्तियों और मोबाइल नंबरों की जानकारी दी थी। भारत ने MLAT संधि (पारस्परिक कानूनी सहायता संधि) के तहत कनाडा से इन जानकारियों को वेरिफाई करने के लिए कहा था। दिसंबर 2023 में, कनाडा के न्याय विभाग ने इस मामले पर भारत से अतिरिक्त जानकारी मांगी थी। भारत ने इसका जवाब इस मार्च में दिया था। 50 से ज्यादा मामलों में नामजद है डल्ला अर्श खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी है और भारत में इस पर 50 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, आतंकी गतिविधियां और टेरर फंडिंग शामिल है। मई 2022 में भारत सरकार ने अर्श डल्ला के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। इसके बाद साल 2023 में उसे आतंकी घोषित कर दिया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्श पंजाब से फरार होकर कनाडा चला गया और वहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लगा। भारत की एजेंसियां लंबे समय से डल्ला को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं।
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अबोहर में प्रॉपर्टी टैक्स न देने पर बिल्डिंग हुई सील:6 लाख टैक्स बकाया; बचने के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करवाया अबोहर में लाखों रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया न होने पर नगर निगम की सुपरिटेंडेंट राजपाल ने आज अपनी टीम के साथ हनुमानगढ़ रोड़ स्थित विपुल मोटर्स की बिल्डिंग को सील कर दिया। इससे पहले मंगलवार को शाम 6 बजे तक नगर निगम की टीम को शोरूम संचालकों ने बिल्डिंग सील नहीं करने दी। जिसके बाद उन्होंने इस विवादित बिल्डिंग में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करवा दिया। जिससे नगर निगम को अपनी कार्रवाई दो दिनों के लिए रोकनी पड़ी। आज पाठ का समापन होते ही निगम की टीम ने शोरूम के सभी शटर सील कर अपनी रिपोर्ट जिला उपायुक्त को सौंप दी। निगम की सुपरिटेंडेंट मैडम राजपाल कौर ने बताया कि जिस बिल्डिंग में विपुल मोटर्स शोरूम संचालित हो रहा है उसके मालिक ने कई सालों से प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करवाया था। जो अब तक करीब 6 लाख 91 हजार 745 रुपए बन गया। नगर निगम की टैक्स शाखा की ओर से बिल्डिंग मालिक को बार-बार नोटिस जारी किया गया। लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद जिला उपायुक्त ने इस बिल्डिंग को सील करने के आदेश जारी कर दिए। इधर विवादित जगह पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करवाने पर कई सिख संस्थाओं ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। उनका कहना है कि श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अकाल तख्त साहिब की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी विवादित स्थल पर इस प्रकार से गुरु साहिब का प्रकाश नहीं करवाया जा सकता। इसके बावजूद भी ग्रंथी राजविंद्र सिंह को धोखे में रखकर शोरूम संचालकों ने सिख मर्यादा का अपमान किया है।