यति नरसिंहानंद गिरि ने पैगंबर मोहम्मद पर बयान दिया था। इसका वीडियो एएलटी न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने X पर पोस्ट था। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इस FIR को चुनौती देते हुए मोहम्मद जुबैर ने याचिका दाखिल की। ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में है। इस मामले में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस की सुनवाई टल गई। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की बेंच ने इस केस से खुद को अलग कर लिया है। ये दूसरी बेंच है, जिसे यह केस सौंपा गया था। अब हाईकोर्ट की इस बेंच ने भी सुनवाई से इनकार करते हुए खुद को अलग कर लिया। ऐसे में मो. जुबैर और यति नरसिंहानंद के मामले के लिए अब नई बेंच का गठन होगा। विस्तार से जानिए पूरा मामला… मोहम्मद जुबैर ने दाखिल याचिका में यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट लिस्टिंग हो गई है। दाखिल याचिका पर 27 नवंबर को सुनवाई होगी। यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया गया है कि जुबैर ने नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप 3 अक्टूबर को पोस्ट की थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया। संपादित क्लिप पोस्ट करने का आरोप शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने X पर यति नरसिंहानंद की संपादित क्लिप पोस्ट की। जिसमें महंत के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाएं भड़काने के लिए पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी थी। अपने X पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को ‘अपमानजनक’ बताया था। जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), धारा 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जुबैर ने याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया है। मैंने सिर्फ सतर्क किया था जुबैर ने याचिका में बताया कि मैंने पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में सतर्क किया था। कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी, और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने जैसा नहीं हो सकता है। उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के खिलाफ अपने वीडियो साझा करके कार्रवाई की मांग करना, जो पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में हैं, मानहानि नहीं हो सकती। याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय, नरसिंहानंद एक अन्य हेट स्पीच मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त में कहा गया था कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देता हो। उल्लेखनीय है कि यति नरसिंहानंद को पैगंबर मोहम्मद और पवित्र ग्रंथ कुरान के खिलाफ सवाल उठाने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से एक जनहित याचिका लंबित है। …… यह भी पढ़ें
बदायूं जामा मस्जिद में नीलकंठ मंदिर का दावा: हिंदू पक्ष बोला- सर्वे से क्यों डर रहे, मुस्लिम पक्ष का जवाब- सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश यूपी में संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद असल में नीलकंठ महादेव का मंदिर है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने सर्वे की मांग रखी तो मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया कि ये सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश है। पढ़िए पूरी खबर… यति नरसिंहानंद गिरि ने पैगंबर मोहम्मद पर बयान दिया था। इसका वीडियो एएलटी न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने X पर पोस्ट था। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इस FIR को चुनौती देते हुए मोहम्मद जुबैर ने याचिका दाखिल की। ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में है। इस मामले में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस की सुनवाई टल गई। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की बेंच ने इस केस से खुद को अलग कर लिया है। ये दूसरी बेंच है, जिसे यह केस सौंपा गया था। अब हाईकोर्ट की इस बेंच ने भी सुनवाई से इनकार करते हुए खुद को अलग कर लिया। ऐसे में मो. जुबैर और यति नरसिंहानंद के मामले के लिए अब नई बेंच का गठन होगा। विस्तार से जानिए पूरा मामला… मोहम्मद जुबैर ने दाखिल याचिका में यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट लिस्टिंग हो गई है। दाखिल याचिका पर 27 नवंबर को सुनवाई होगी। यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया गया है कि जुबैर ने नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप 3 अक्टूबर को पोस्ट की थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया। संपादित क्लिप पोस्ट करने का आरोप शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने X पर यति नरसिंहानंद की संपादित क्लिप पोस्ट की। जिसमें महंत के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाएं भड़काने के लिए पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी थी। अपने X पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को ‘अपमानजनक’ बताया था। जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), धारा 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जुबैर ने याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया है। मैंने सिर्फ सतर्क किया था जुबैर ने याचिका में बताया कि मैंने पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में सतर्क किया था। कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी, और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने जैसा नहीं हो सकता है। उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के खिलाफ अपने वीडियो साझा करके कार्रवाई की मांग करना, जो पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में हैं, मानहानि नहीं हो सकती। याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय, नरसिंहानंद एक अन्य हेट स्पीच मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त में कहा गया था कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देता हो। उल्लेखनीय है कि यति नरसिंहानंद को पैगंबर मोहम्मद और पवित्र ग्रंथ कुरान के खिलाफ सवाल उठाने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से एक जनहित याचिका लंबित है। …… यह भी पढ़ें
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