शिमला में एक ट्रक रात के वक्त खाई में जा गिरा, जिससे हादसे में ड्राइवर की मौत हो गई। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंच कर जायजा लिया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। जिला के उपमंडल सुन्नी में सोमवार की रात एक ट्रक सीमेंट लाद कर जा रहा था। रास्ते में गाड़ी बेकाबू होकर सुन्नी- लुहरी मार्ग पर मालगी गांव के पास सड़क से नीचे लुढ़क गई। मंगलवार सुबह करीब 7:30 बजे पुलिस थाना सुन्नी में फोन के जरिए सूचना मिली। जिसके बाद पुलिस ने एक टीम मौके के लिए रवाना की। मौके पर पहुंचे जांच अधिकारी ने पाया कि हिमाचल नंबर HP11-5762 का ट्रक सड़क से करीब 100 मीटर गहरी खाई में गिरा हुआ था। ट्रक में चालक की इस हादसे में मौत हो चुकी थी। मृतक की पहचान होशियार सिंह उम्र 48साल गांव खलयाड़ डाकघर बरोट तहसील पधर जिला मंडी के रूप में हुई है। फिलहाल सड़क हादसे के कारणों का पता नही चल पाया है, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और घटना की सूचना परिजनों को दी है। पुलिस ने बताया कि ट्रक सीमेंट से लदा हुआ था। पुलिस ने बताया कि फिलहाल सड़क हादसे के कारणों का पता नही चल पाया है, पुलिस मामले की जांच कर रही है। शिमला में एक ट्रक रात के वक्त खाई में जा गिरा, जिससे हादसे में ड्राइवर की मौत हो गई। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंच कर जायजा लिया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। जिला के उपमंडल सुन्नी में सोमवार की रात एक ट्रक सीमेंट लाद कर जा रहा था। रास्ते में गाड़ी बेकाबू होकर सुन्नी- लुहरी मार्ग पर मालगी गांव के पास सड़क से नीचे लुढ़क गई। मंगलवार सुबह करीब 7:30 बजे पुलिस थाना सुन्नी में फोन के जरिए सूचना मिली। जिसके बाद पुलिस ने एक टीम मौके के लिए रवाना की। मौके पर पहुंचे जांच अधिकारी ने पाया कि हिमाचल नंबर HP11-5762 का ट्रक सड़क से करीब 100 मीटर गहरी खाई में गिरा हुआ था। ट्रक में चालक की इस हादसे में मौत हो चुकी थी। मृतक की पहचान होशियार सिंह उम्र 48साल गांव खलयाड़ डाकघर बरोट तहसील पधर जिला मंडी के रूप में हुई है। फिलहाल सड़क हादसे के कारणों का पता नही चल पाया है, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और घटना की सूचना परिजनों को दी है। पुलिस ने बताया कि ट्रक सीमेंट से लदा हुआ था। पुलिस ने बताया कि फिलहाल सड़क हादसे के कारणों का पता नही चल पाया है, पुलिस मामले की जांच कर रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल: CPS केस में कांग्रेस-BJP के मूव पर सबकी नजरें:ECI से विधायकी खत्म करने की मांग कर सकती है BJP; कांग्रेस सरकार SC जाएगी हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के बाद अब सबकी नजरें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अगले मूव पर है। कांग्रेस सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मगर बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले। मगर कानूनी पहलुओं पर विचार करने में जरूर जुट गई है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी जल्द राज्यपाल से मिलकर CPS बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती हैं। राज्यपाल के माध्यम से सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिखा जा सकता है। अब तक CPS बनाए गए इन विधायकों को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 की प्रोटेक्शन मिली हुई थी। मगर बीते कल हाईकोर्ट ने इस एक्ट को ही गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में भाजपा, CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। बीजेपी के एडवोकेट ने दिए संकेत हाईकोर्ट में बीजेपी विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट वीर बहादुर ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की लीगल टीम सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। इस स्टेज पर इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा ज सकता। कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी वहीं कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है, जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने इसे लेकर अदालत में दलीलें दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। किसी भी लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता कोई भी विधायक दरअसल, कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता है। मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार, सीपीएस बनाए गए छह विधायक मंत्री के समान सुख-सुविधाएं ले रहे थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बनाया था। जिसके बाद कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग डेढ़ साल तक यह मामला कोर्ट में चला। अब जाकर हाईकोर्ट का फैसला आया है। यह सुक्खू सरकार के झटका माना जा रहा है। सरकार ने इन्हें लगा रखा था CPS जिन 6 विधायकों को सरकार ने CPS बनाया था, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों का एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं। हिमाचल मे 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। भाजपा का आरोप है कि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए, उन्हें एडजस्ट करने के लिए CPS नियुक्त कर सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला गया। 2. हर महीने 2.20 लाख रुपए वेतन-भत्ते याचिका में आरोप लगाया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
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