जम्मू कश्मीर HC में आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई, याचिकाकर्ता बोले, ‘संशोधन संविधान का उल्लंघन’

जम्मू कश्मीर HC में आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई, याचिकाकर्ता बोले, ‘संशोधन संविधान का उल्लंघन’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संशोधित आरक्षण नियम 2005 के तहत की गई कोई भी नियुक्ति नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका के परिणाम के अधीन होगी. अदालत पांच उम्मीदवारों की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ताओं ने संशोधित आरक्षण नियमों को अमान्य घोषित करने की मांग की है. न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और मोक्ष खजूरिया काजमी की खंडपीठ ने अगली सुनवाई पर महाधिवक्ता की सहायता मांगी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ताओं के अनुसार, संशोधनों के बाद सरकारी पदों और शैक्षणिक संस्थानों में ओपन मेरिट (ओएम) श्रेणी की सीटों की संख्या 57 प्रतिशत से घटाकर 33 प्रतिशत कर दी गई है. इसी तरह पिछड़े क्षेत्र के निवासी (आरबीए) को आरक्षण 20 प्रतिशत से घटाकर 10, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20, सामाजिक जाति (एससी) को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 8, एएलसी को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 और पीएचसी को 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. सरकार ने नियमों में संशोधन करके नई श्रेणियां जोड़ीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट में सुनवाई&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण, पुलिस कर्मियों के बच्चों के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण और खेल में प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों के लिए 2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.&nbsp;याचिकाकर्ताओं ने जम्मू-कश्मीर में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले ओपन मेरिट और सामान्य श्रेणी का 50 प्रतिशत की सीमा बनाए रखने के लिए आरक्षण में तर्कसंगतता लागू करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका के मुताबिक जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुल आरक्षण किसी भी मामले में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन नियुक्तियों में 70 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान संविधान,</p>
<p style=”text-align: justify;”>सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर में ओपेन मेरिट का प्रतिशत आरबीए से अधिक है. इसलिए आरक्षण अधिनियम, 2005 में ओएम श्रेणी को 57 प्रतिशत सीटें, आरबीए को 20 प्रतिशत और अन्य तीन श्रेणियों को 23 प्रतिशत सीटें रखना तर्कसंगत है. सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा-साहनी बनाम भारत संघ के फैसले में कहा है कि आरक्षण का प्रतिशत कभी भी 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. याचिका संशोधित आरक्षण नियम को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन मानती है. अगली सुनवाई की तारीख 27 दिसंबर तय की गयी है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और राजभवन के बीच खींचतान शुरू, जानिए क्या है मामला?” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/sheikh-abdullah-birth-anniversary-tension-between-lg-manoj-sinha-and-national-conference-government-ann-2836878″ target=”_self”>जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और राजभवन के बीच खींचतान शुरू, जानिए क्या है मामला?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संशोधित आरक्षण नियम 2005 के तहत की गई कोई भी नियुक्ति नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका के परिणाम के अधीन होगी. अदालत पांच उम्मीदवारों की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ताओं ने संशोधित आरक्षण नियमों को अमान्य घोषित करने की मांग की है. न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और मोक्ष खजूरिया काजमी की खंडपीठ ने अगली सुनवाई पर महाधिवक्ता की सहायता मांगी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ताओं के अनुसार, संशोधनों के बाद सरकारी पदों और शैक्षणिक संस्थानों में ओपन मेरिट (ओएम) श्रेणी की सीटों की संख्या 57 प्रतिशत से घटाकर 33 प्रतिशत कर दी गई है. इसी तरह पिछड़े क्षेत्र के निवासी (आरबीए) को आरक्षण 20 प्रतिशत से घटाकर 10, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20, सामाजिक जाति (एससी) को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 8, एएलसी को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 और पीएचसी को 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. सरकार ने नियमों में संशोधन करके नई श्रेणियां जोड़ीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट में सुनवाई&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण, पुलिस कर्मियों के बच्चों के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण और खेल में प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों के लिए 2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.&nbsp;याचिकाकर्ताओं ने जम्मू-कश्मीर में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले ओपन मेरिट और सामान्य श्रेणी का 50 प्रतिशत की सीमा बनाए रखने के लिए आरक्षण में तर्कसंगतता लागू करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका के मुताबिक जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुल आरक्षण किसी भी मामले में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन नियुक्तियों में 70 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान संविधान,</p>
<p style=”text-align: justify;”>सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर में ओपेन मेरिट का प्रतिशत आरबीए से अधिक है. इसलिए आरक्षण अधिनियम, 2005 में ओएम श्रेणी को 57 प्रतिशत सीटें, आरबीए को 20 प्रतिशत और अन्य तीन श्रेणियों को 23 प्रतिशत सीटें रखना तर्कसंगत है. सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा-साहनी बनाम भारत संघ के फैसले में कहा है कि आरक्षण का प्रतिशत कभी भी 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. याचिका संशोधित आरक्षण नियम को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन मानती है. अगली सुनवाई की तारीख 27 दिसंबर तय की गयी है.&nbsp;</p>
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