प्रयागराज महाकुंभ मेला के साथ अयोध्या में राम मंदिर, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ जैसे धार्मिक स्थलों और ताजमहल की सुरक्षा आसमान से ड्रोन परखेंगे। यूपी पुलिस 9 टेथर्ड ड्रोन खरीदने जा रही है। इसके साथ ही इन जगहों को एंटी ड्रोन सिग्नल से लैस किया जाएगा। एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन हमले को रोकता है। यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल। अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को हवा में ही मार गिराता है। वहीं, सॉफ्ट किल के तहत दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है। यूपी पुलिस के सुरक्षा मुख्यालय के प्रस्ताव को गृह मंत्रायल ने मंजूर कर लिया है। ड्रोन खरीदने के लिए 4.61 करोड़ रुपए मंजूरी हुए हैं। गृह विभाग की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक, एक टेथर्ड ड्रोन की कीमत 51.33 लाख रुपए प्रस्तावित की गई है। आगे पहले टेथर्ड ड्रोन, फिर एंटी ड्रोन सिस्टम के बारे में जानते हैं… क्या होते हैं टेथर्ड ड्रोन
टेथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल सेना बॉर्डर की निगरानी के लिए करती है। आसमान से करीब ढाई किलोमीटर की रेंज की निगरानी की जा सकती है। बैटरी के बजाए इसे जेनसेट से तार या केबल के जरिए जोड़ा जाता है, इसलिए इसकी उड़ान भरते की टाइमिंग अनलिमिटेड होती है। तार के जरिए ग्राउंड स्टेशन से जुड़े होने की वजह से इनमें डेटा ट्रांसमिशन बेहतर तरीके से होता है और पावर सप्लाई में भी रुकावट नहीं आती है। केबल के जरिए जुड़े होने के चलते इनके क्रैश या हैक होने की आशंका न के बराबर होती है। केबल से बंधे होने के कारण इनका मूवमेंट काफी कम होता है, इसके चलते इन्हें चलाने के लिए पायलट स्किल की बहुत जरूरत नहीं होती है। बेसिक ट्रेनिंग देकर पुलिसकर्मी इन्हें आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं। एंटी ड्रोन सिग्नल से लैस होगा महाकुंभ
महाकुंभ को एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस किया जाएगा। सेटअप हो जाने के बाद सिक्योरिटी टीम के अलावा कोई भी ड्रोन हवा में नहीं जाने दिया जाएगा। तकनीक के जरिए ऐसा किया जाएगा। यदि कोई ड्रोन उड़ाने की कोशिश करेगा तो कंट्रोल रूम में रेड सिग्नल आएंगे। सिस्टम से लोकेशन ट्रेस होगी। पता चलेगा कि कौन-सा ड्रोन है? उसमें क्या है? दूरी कितनी है? किस साइड से हवा में जाने की कोशिश की गई? ये सारा डेटा टीम को पलभर में पता चल जाएगा। महाकुंभ की सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि एंटी ड्रोन सिस्टम मांगा गया है। इसके इंतजामों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता, यह पूरा सेटअप सुरक्षा से जुड़ा है। भारत के पास D4 एंटी ड्रोन सिस्टम
भारत के पास ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय सिस्टम यानी D4 ड्रोन है। यह पहला स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे DRDO ने तीन सालों में विकसित किया है। DRDO के अनुसार, D4 ड्रोन हवा में 3 किमी की रेडियस में दुश्मन का पता लगाकर 360 डिग्री की कवरेज देता है। दुश्मन का पता लगाने के बाद यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल। अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है। वहीं, सॉफ्ट किल के तहत D4 ड्रोन दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है। किन देशों के पास है एंटी ड्रोन सिस्टम
एंटी ड्रोन के मामले में इजराइल सबसे आगे है। इजराइल के पास ड्रोन डोम है, जो 360 डिग्री की कवरेज देता है और इसमें जैमर और सटीक लेजर गन भी होती है। यह रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन का पता लगाता है। वहीं, अमेरिका ड्रोन हंटर का इस्तेमाल करता है, जो नेट गन से ड्रोन को निशाना बनाने के साथ हवा में ही उस पर कब्जा भी कर लेता है। अखाड़ा परिषद की चिंता- महाकुंभ मेले में हो सकता है आतंकी हमला
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने महाकुंभ की सुरक्षा पर चिंता जताई है। दुनिया के हालात का हवाला देकर उन्होंने फुलप्रूफ सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की है। उनका कहना है कि महाकुंभ के दौरान किसी तरह आतंकी या अप्रिय घटना न हो, इसके लिए मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए। चार अक्टूबर को निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरी ने कहा- महाकुंभ मेले के दौरान किसी प्रकार की आतंकी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। दुनियाभर के हालातों के साथ ही उन्होंने इजराइल में हो रहे हमले का हवाला देते हुए कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया में असुरक्षित माहौल है। प्रयागराज महाकुंभ मेला के साथ अयोध्या में राम मंदिर, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ जैसे धार्मिक स्थलों और ताजमहल की सुरक्षा आसमान से ड्रोन परखेंगे। यूपी पुलिस 9 टेथर्ड ड्रोन खरीदने जा रही है। इसके साथ ही इन जगहों को एंटी ड्रोन सिग्नल से लैस किया जाएगा। एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन हमले को रोकता है। यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल। अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को हवा में ही मार गिराता है। वहीं, सॉफ्ट किल के तहत दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है। यूपी पुलिस के सुरक्षा मुख्यालय के प्रस्ताव को गृह मंत्रायल ने मंजूर कर लिया है। ड्रोन खरीदने के लिए 4.61 करोड़ रुपए मंजूरी हुए हैं। गृह विभाग की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक, एक टेथर्ड ड्रोन की कीमत 51.33 लाख रुपए प्रस्तावित की गई है। आगे पहले टेथर्ड ड्रोन, फिर एंटी ड्रोन सिस्टम के बारे में जानते हैं… क्या होते हैं टेथर्ड ड्रोन
टेथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल सेना बॉर्डर की निगरानी के लिए करती है। आसमान से करीब ढाई किलोमीटर की रेंज की निगरानी की जा सकती है। बैटरी के बजाए इसे जेनसेट से तार या केबल के जरिए जोड़ा जाता है, इसलिए इसकी उड़ान भरते की टाइमिंग अनलिमिटेड होती है। तार के जरिए ग्राउंड स्टेशन से जुड़े होने की वजह से इनमें डेटा ट्रांसमिशन बेहतर तरीके से होता है और पावर सप्लाई में भी रुकावट नहीं आती है। केबल के जरिए जुड़े होने के चलते इनके क्रैश या हैक होने की आशंका न के बराबर होती है। केबल से बंधे होने के कारण इनका मूवमेंट काफी कम होता है, इसके चलते इन्हें चलाने के लिए पायलट स्किल की बहुत जरूरत नहीं होती है। बेसिक ट्रेनिंग देकर पुलिसकर्मी इन्हें आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं। एंटी ड्रोन सिग्नल से लैस होगा महाकुंभ
महाकुंभ को एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस किया जाएगा। सेटअप हो जाने के बाद सिक्योरिटी टीम के अलावा कोई भी ड्रोन हवा में नहीं जाने दिया जाएगा। तकनीक के जरिए ऐसा किया जाएगा। यदि कोई ड्रोन उड़ाने की कोशिश करेगा तो कंट्रोल रूम में रेड सिग्नल आएंगे। सिस्टम से लोकेशन ट्रेस होगी। पता चलेगा कि कौन-सा ड्रोन है? उसमें क्या है? दूरी कितनी है? किस साइड से हवा में जाने की कोशिश की गई? ये सारा डेटा टीम को पलभर में पता चल जाएगा। महाकुंभ की सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि एंटी ड्रोन सिस्टम मांगा गया है। इसके इंतजामों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता, यह पूरा सेटअप सुरक्षा से जुड़ा है। भारत के पास D4 एंटी ड्रोन सिस्टम
भारत के पास ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय सिस्टम यानी D4 ड्रोन है। यह पहला स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे DRDO ने तीन सालों में विकसित किया है। DRDO के अनुसार, D4 ड्रोन हवा में 3 किमी की रेडियस में दुश्मन का पता लगाकर 360 डिग्री की कवरेज देता है। दुश्मन का पता लगाने के बाद यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल। अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है। वहीं, सॉफ्ट किल के तहत D4 ड्रोन दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है। किन देशों के पास है एंटी ड्रोन सिस्टम
एंटी ड्रोन के मामले में इजराइल सबसे आगे है। इजराइल के पास ड्रोन डोम है, जो 360 डिग्री की कवरेज देता है और इसमें जैमर और सटीक लेजर गन भी होती है। यह रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन का पता लगाता है। वहीं, अमेरिका ड्रोन हंटर का इस्तेमाल करता है, जो नेट गन से ड्रोन को निशाना बनाने के साथ हवा में ही उस पर कब्जा भी कर लेता है। अखाड़ा परिषद की चिंता- महाकुंभ मेले में हो सकता है आतंकी हमला
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने महाकुंभ की सुरक्षा पर चिंता जताई है। दुनिया के हालात का हवाला देकर उन्होंने फुलप्रूफ सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की है। उनका कहना है कि महाकुंभ के दौरान किसी तरह आतंकी या अप्रिय घटना न हो, इसके लिए मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए। चार अक्टूबर को निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरी ने कहा- महाकुंभ मेले के दौरान किसी प्रकार की आतंकी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। दुनियाभर के हालातों के साथ ही उन्होंने इजराइल में हो रहे हमले का हवाला देते हुए कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया में असुरक्षित माहौल है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर