मोदी-राहुल की तारीफ कर केजरीवाल के साथ गए अवध ओझा:गलत संगत में फंसे तो कमरे में बंद किए गए, मां ने बताई पूरी कहानी

मोदी-राहुल की तारीफ कर केजरीवाल के साथ गए अवध ओझा:गलत संगत में फंसे तो कमरे में बंद किए गए, मां ने बताई पूरी कहानी

अवध ओझा सर…आप इस नाम से वाकिफ होंगे। सोशल मीडिया पर रील्स में देखा भी होगा। ओझा सर यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को पढ़ाते हैं। 2 दिसंबर को अवध ओझा ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) जॉइन कर ली। वह साल 2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसके पहले भी वह कांग्रेस और भाजपा से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके थे। अवध ओझा की मां कहती हैं- कैसरगंज से भाजपा ने टिकट ऑफर भी किया, लेकिन हमने बेटे को मना कर दिया था। आज हम अवध ओझा की रियल लाइफ के बारे में जानेंगे। जहां उनका बचपन बीता वहां चलेंगे। जिनके साथ रहकर वह बड़े हुए, उनसे कहानियां जानेंगे। जिन्होंने पढ़ाया, उनसे जानेंगे कि अवध ओझा का व्यक्तित्व कैसा रहा? अवध के स्ट्रगल से लेकर विवाद तक सब कुछ जानेंगे। चलते हैं यूपी के गोंडा जिला में अवध ओझा के वजीरगंज गांव स्थित ओझा पुरवा… किराए के घर में अवध ओझा का बचपन बीता
गोंडा के पोस्ट ऑफिस में माता प्रसाद ओझा पोस्ट मास्टर थे। अपनी पत्नी संतोष के साथ शहर में ही गोड़ाई इलाके में किराए के मकान में रहते थे। घर यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर वजीरगंज के ओझा पुरवा गांव में था। 3 जुलाई, 1976 को गोंडा शहर के महिला हॉस्पिटल में अवध ओझा का जन्म हुआ। जन्म के कुछ दिन बाद ही माता प्रसाद का बलरामपुर और फिर बहराइच ट्रांसफर हो गया। संतोष पढ़ी-लिखी महिला थीं, इसलिए उन्हें पढ़ाई का महत्व पता था। उन्होंने बहराइच में ही एक नामी स्कूल में अवध का एडमिशन करा दिया। हम लखनऊ से गोंडा होते हुए वजीरगंज के ओझा पुरवा गांव पहुंचे। करीब 20 परिवारों के इस गांव में अवध ओझा का पुस्तैनी घर है। हम गांव के लोगों से पूछते हुए घर तक पहुंचे। घर अब जर्जर हो चुका है। छत गिर चुकी है। पीछे के हिस्से में अवध ओझा के परिवार के ही कुछ लोग रहते हैं। हम माइक लेकर अंदर गए। हमें देखते ही वह लोग घर के अंदर चले गए। उनकी तरफ से जवाब आया- यहां कोई भी आपसे बात नहीं करेगा। हम पड़ोस में रहने वाले राकेश ओझा के घर पहुंचे। वहां हमें उनकी पत्नी शकुंतला मिलीं। वह कहती हैं- अवध के परिवार के लोग तो यहां से बहुत पहले ही चले गए थे। अवध ओझा जब गोंडा आते हैं, तो बीच-बीच में यहां भी आते हैं। पिछले साल यहां एक शादी में आए थे। हमारे पति से कहते थे, जब हम चुनाव लड़ेंगे, तो मदद करेंगे न? तब हमारे पति कहते थे कि हम सब पूरी मदद करेंगे। हालांकि कहां से चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे, इसके बारे में मुझे नहीं पता। यहां उनके परिवार के लोग हैं, लेकिन उन सबसे उनका विवाद है। 42 साल से गोंडा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं अवध की मां
गांव से निकलकर हम गोंडा पहुंचे। हमें पता चला कि अवध ओझा की मां संतोष ओझा इस वक्त गोंडा कचहरी में प्रैक्टिस करती हैं। हम सीधे कचहरी पहुंच गए। संतोष के आसपास दो जूनियर वकील और कुछ क्लाइंट बैठे थे। पूछने पर संतोष कहती हैं- हम यहां 42 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। जब हमने प्रैक्टिस शुरू की थी, तब यहां कोई भी महिला वकील प्रैक्टिस करने वाली नहीं थी। अकेले आते थे। चुनौती थी, लेकिन उसका सामना किया। आज बार एसोसिएशन में वरिष्ठ उपाध्यक्ष हूं। हमने कचहरी के शोर-शराबे से हटकर किसी शांत जगह पर बात करने की इच्छा जताई। इसके बाद हम बार एसोसिएशन के एक चैंबर में गए। वहां वह अवध के बारे में पूरी कहानी बताना शुरू करती हैं। कहती हैं- मेरे पति पोस्ट मास्टर थे, इसलिए समय-समय पर उनका ट्रांसफर होता रहा। अवध की जब स्कूल भेजने की उम्र आई, तब हम बहराइच में थे। वहीं सेवन सीजन स्कूल में नर्सरी में एडमिशन करा दिया। 2 साल वहीं पढ़ाई की, तभी पति का गोंडा ट्रांसफर हो गया। इसके बाद हमने शहर के फातिमा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अवध का पहली क्लास में एडमिशन कराया। 1986 में हमने यहां जमीन ले ली थी, लेकिन घर 2020 में बनवा पाए थे। तब तक किराए पर ही रहते थे। संतोष कहती हैं- फातिमा में एडमिशन के लिए एंट्रेंस परीक्षा होती है। अवध पेंसिल लेकर 10 मिनट बाद क्लास में पहुंचा और 10 मिनट पहले ही निकल आया। हमें लगा कि इसका एडमिशन नहीं होगा। लेकिन अगले दिन स्कूल से फोन आया। कहा गया कि आपका बच्चा पहले नंबर पर है। हमने तुरंत एडमिशन करवा दिया। 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई अवध ने उसी स्कूल से की। गलत संगत में पड़ कर बदमाशी करने लगे थे अवध
संतोष कहती हैं- अवध नटखट स्वभाव का था। जब वह 9वीं क्लास में पहुंचा तो फातिमा स्कूल के ही कुछ गलत लड़कों की संगत में पड़ गया। स्कूल से बहुत शिकायत आती थीं। कई बार स्कूल भी जाना पड़ता। हमने उसके लिए साइकिल और स्कूटर खरीद रखा था। जो उसके साथ के लड़के थे, वे इसी स्कूटर के पीछे पड़े रहते थे। वे चाहते थे कि किसी तरह से अवध को मिला लिया जाए और फिर स्कूटर से पूरा शहर घूमा जाए। इसमें कुछ लड़के दूसरे स्कूल के भी थे। हमने पूछा कि कैसे सुधार आया? संतोष कहती हैं- कभी पीटा नहीं, बस एक कमरे में बंद कर दिया। घर के बाकी लोगों से कह दिया कि खोलना नहीं। उसी में पूरा दिन बंद रहते तो कहते कि आगे ऐसा कुछ नहीं करेंगे। अवध के बारे में एक बात अच्छी है कि जो हमने कह दिया, उसे वह नहीं करता था। कभी जिद नहीं की। हमने भी उसका बहुत ध्यान रखा। अवध के अलावा हमारी एक बेटी भी है। वह भी उसी फातिमा स्कूल से पढ़ी और अभी एक इंटरनेशनल बैंक में मैनेजर है। अवध ओझा वकील बनना चाहते थे, पूरी तैयारी भी कर चुके थे
1993 में अवध ओझा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले आए। यहां से बीए किया। इसके बाद एमए और फिर एलएलबी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया। तभी मां ने कहा कि तुम आईएएस की तैयारी करो। तुम्हें यूपीएससी निकालना है। अवध ने जवाब दिया कि अगर आपको लगता है, तो हम इसकी तैयारी करते हैं। मां संतोष कहती हैं- हम 1998-99 में अवध को लेकर दिल्ली के राजेंद्र नगर पहुंचे। वहीं वाजीराव आईएएस में एडमिशन करवा दिया। उस वक्त 10 हजार रुपए फीस जमा की थी। साल 2000 में अवध प्रयागराज वापस आ गए। प्रयागराज उस वक्त इलाहाबाद हुआ करता था। यहीं रहकर तैयारी की। यूपीएससी की परीक्षा में बैठे। प्री तो निकल जाता, लेकिन मेंस में फंस जाते। इसके बाद तय किया कि अब आईएएस बनना नहीं, बनाना है। यूपीएससी की एक कोचिंग भी खोली, लेकिन वह चल नहीं पाई। फिर जिस वाजीराव से पढ़ाई की थी, उसी में पढ़ाने चले गए। अवध के इतिहास पढ़ाने का तरीका बच्चों को पसंद आया। इसके बाद चाणक्य IAS कोचिंग जॉइन की और पढ़ाना शुरू किया। मां का दावा- बेटे को भाजपा ने कैसरगंज से टिकट ऑफर किया था
हमने अवध ओझा के राजनीतिक इंटरेस्ट को लेकर संतोष से पूछा। वह कहती हैं- पहले भी नेता बनने की बात करते थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने कैसरगंज सीट से टिकट ऑफर किया था। अवध ने मुझे बताया, तो मैंने मना कर दिया कि वहां से चुनाव मत लड़ो। प्रयागराज से या फिर कहीं और से ले लो। हमने पूछा कि क्या आप डरती हैं? वह कहती हैं- डरते नहीं। लेकिन जो आदमी पहुंचा हुआ है, चार बार जीता हुआ है, वहां से क्यों लड़ना? बवाल में क्यों पड़ना? अवध ओझा अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। हमने उनकी मां से पूछा कि क्या उनका प्रचार करने जाएंगी? उन्होंने तुरंत मना कर दिया। कहा- मैं तो जन्मजात कांग्रेसी हूं। 2000 से 2006 तक गोंडा में महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष रही। मैं कैसे प्रचार कर सकती हूं? अगर मेरी पार्टी वहां कोई कैंडिडेट न खड़ा करे और हमें इजाजत दे, तब तो हम प्रचार कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो हम नहीं जा सकते। टीचर बोले- अवध शरारती थे, लेकिन बात मानते थे
हम फातिमा स्कूल पहुंचे। वहां हमें सबसे पुराने टीचर संजीव अग्रवाल मिले। उन्होंने अवध को पढ़ाया है। आज भी अवध से लगातार बात होती है। संजीव कहते हैं- अवध शुरुआत से ही बहुत शरारती और चंचल स्वभाव के रहे हैं। लेकिन, टीचर और पेरेंट्स को मान-सम्मान बहुत दिया। हमने पूछा कि अवध ओझा के अंदर कट्टा-पिस्टल वाली बातें कैसे आई, जो वह अक्सर पढ़ाई के दौरान इस्तेमाल करते हैं? संजीव कहते हैं- कोई भी टीचर नहीं चाहेगा कि उसका स्टूडेंट इस तरह की बात करे। लेकिन आसपास के माहौल से वह ये सब सीख जाता है। युवा अवस्था में ये चीजें बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डालती हैं। संजीव कहते हैं- अवध यहां पढ़ाई में एवरेज थे। लेकिन इनकी जो दोस्ती थी, वह पंकज पांडेय से थी। पंकज स्कूल के टॉपर थे। दोनों में अच्छी बनती थी। आज भी नोएडा में दोनों एक साथ ही रहते हैं। हमने 2021 में अवध ओझा को स्कूल बुलाया था। अवध के साथ गोंडा जिले के सीडीओ IAS शशांक त्रिपाठी आए थे। ये अवध ओझा के स्टूडेंट रहे हैं। शशांक ने कहा था- हमें अच्छा लग रहा कि हमारे सर खड़े हैं और उनके भी सर मौजूद हैं। हमने कहा कि क्या अवध ओझा को इस बात का मलाल है कि आईएएस नहीं बन पाए? संजीव कहते हैं- इसमें कोई शक नहीं कि अवध ओझा ने खूब मेहनत की, लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन आज उन्हें गर्व है कि मैं आईएएस होता तो अकेले आईएएस रह जाता। लेकिन आज 100 से ज्यादा आईएएस-आईपीएस पढ़ाकर बना दिए। IAS से ज्यादा सम्मान मिल रहा। बाकी अब अवध राजनीति में आ गए, मैं तो चाहता हूं कि पढ़े-लिखे लोग राजनीति में आएं। तीन बेटियां, यूट्यूब चैनल के 9 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर
अब अवध ओझा की पर्सनल लाइफ और करियर के बारे में जानते हैं। 2007 में अवध ने प्रयागराज की मंजरी से शादी की। उनकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी इस साल 10वीं में है। 2019 में अवध ओझा ने महाराष्ट्र के पुणे में IQRA अकादमी नाम से यूपीएससी की कोचिंग खोली। 2020 में कोरोना आया तो अवध ने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया। चैनल का नाम ray awadh ojha रखा। इस वक्त चैनल के 9 लाख 10 हजार सब्सक्राइबर है। अब अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इसके पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि भाजपा से मैं इलाहाबाद लोकसभा सीट से टिकट मांग रहा था। कांग्रेस से अमेठी लोकसभा का टिकट मांग रहा था। देश में बेहतर नेता कौन? यह पूछने पर कहते हैं- नरेंद्र मोदी बेहतर नेता थे, अब राहुल गांधी हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… UPSC कोचिंग पढ़ाने वाले ओझा सर AAP में शामिल, दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, BJP-कांग्रेस से मांग चुके लोकसभा टिकट सिर पर गमछा बांधकर UPSC की कोचिंग पढ़ाने वाले ओझा सर ने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। पार्टी के नेशनल कन्‍वीनर अरविंद केजरीवाल और सीनियर पार्टी लीडर मनीष सिसोदिया ने अवध ओझा को पार्टी में शामिल किया। ओझा सर ने कहा कि शिक्षा वो दूध है, जो पियेगा वो दहाड़ेगा। वो पिछले 22 सालों से छात्रों को कोचिंग दे रहे हैं। उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स की गिनती लाखों में है। अब फरवरी 2025 में होने जा रहे दिल्‍ली असेंबली इलेक्‍शंस में ओझा सर AAP के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर… अवध ओझा सर…आप इस नाम से वाकिफ होंगे। सोशल मीडिया पर रील्स में देखा भी होगा। ओझा सर यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को पढ़ाते हैं। 2 दिसंबर को अवध ओझा ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) जॉइन कर ली। वह साल 2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसके पहले भी वह कांग्रेस और भाजपा से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके थे। अवध ओझा की मां कहती हैं- कैसरगंज से भाजपा ने टिकट ऑफर भी किया, लेकिन हमने बेटे को मना कर दिया था। आज हम अवध ओझा की रियल लाइफ के बारे में जानेंगे। जहां उनका बचपन बीता वहां चलेंगे। जिनके साथ रहकर वह बड़े हुए, उनसे कहानियां जानेंगे। जिन्होंने पढ़ाया, उनसे जानेंगे कि अवध ओझा का व्यक्तित्व कैसा रहा? अवध के स्ट्रगल से लेकर विवाद तक सब कुछ जानेंगे। चलते हैं यूपी के गोंडा जिला में अवध ओझा के वजीरगंज गांव स्थित ओझा पुरवा… किराए के घर में अवध ओझा का बचपन बीता
गोंडा के पोस्ट ऑफिस में माता प्रसाद ओझा पोस्ट मास्टर थे। अपनी पत्नी संतोष के साथ शहर में ही गोड़ाई इलाके में किराए के मकान में रहते थे। घर यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर वजीरगंज के ओझा पुरवा गांव में था। 3 जुलाई, 1976 को गोंडा शहर के महिला हॉस्पिटल में अवध ओझा का जन्म हुआ। जन्म के कुछ दिन बाद ही माता प्रसाद का बलरामपुर और फिर बहराइच ट्रांसफर हो गया। संतोष पढ़ी-लिखी महिला थीं, इसलिए उन्हें पढ़ाई का महत्व पता था। उन्होंने बहराइच में ही एक नामी स्कूल में अवध का एडमिशन करा दिया। हम लखनऊ से गोंडा होते हुए वजीरगंज के ओझा पुरवा गांव पहुंचे। करीब 20 परिवारों के इस गांव में अवध ओझा का पुस्तैनी घर है। हम गांव के लोगों से पूछते हुए घर तक पहुंचे। घर अब जर्जर हो चुका है। छत गिर चुकी है। पीछे के हिस्से में अवध ओझा के परिवार के ही कुछ लोग रहते हैं। हम माइक लेकर अंदर गए। हमें देखते ही वह लोग घर के अंदर चले गए। उनकी तरफ से जवाब आया- यहां कोई भी आपसे बात नहीं करेगा। हम पड़ोस में रहने वाले राकेश ओझा के घर पहुंचे। वहां हमें उनकी पत्नी शकुंतला मिलीं। वह कहती हैं- अवध के परिवार के लोग तो यहां से बहुत पहले ही चले गए थे। अवध ओझा जब गोंडा आते हैं, तो बीच-बीच में यहां भी आते हैं। पिछले साल यहां एक शादी में आए थे। हमारे पति से कहते थे, जब हम चुनाव लड़ेंगे, तो मदद करेंगे न? तब हमारे पति कहते थे कि हम सब पूरी मदद करेंगे। हालांकि कहां से चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे, इसके बारे में मुझे नहीं पता। यहां उनके परिवार के लोग हैं, लेकिन उन सबसे उनका विवाद है। 42 साल से गोंडा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं अवध की मां
गांव से निकलकर हम गोंडा पहुंचे। हमें पता चला कि अवध ओझा की मां संतोष ओझा इस वक्त गोंडा कचहरी में प्रैक्टिस करती हैं। हम सीधे कचहरी पहुंच गए। संतोष के आसपास दो जूनियर वकील और कुछ क्लाइंट बैठे थे। पूछने पर संतोष कहती हैं- हम यहां 42 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। जब हमने प्रैक्टिस शुरू की थी, तब यहां कोई भी महिला वकील प्रैक्टिस करने वाली नहीं थी। अकेले आते थे। चुनौती थी, लेकिन उसका सामना किया। आज बार एसोसिएशन में वरिष्ठ उपाध्यक्ष हूं। हमने कचहरी के शोर-शराबे से हटकर किसी शांत जगह पर बात करने की इच्छा जताई। इसके बाद हम बार एसोसिएशन के एक चैंबर में गए। वहां वह अवध के बारे में पूरी कहानी बताना शुरू करती हैं। कहती हैं- मेरे पति पोस्ट मास्टर थे, इसलिए समय-समय पर उनका ट्रांसफर होता रहा। अवध की जब स्कूल भेजने की उम्र आई, तब हम बहराइच में थे। वहीं सेवन सीजन स्कूल में नर्सरी में एडमिशन करा दिया। 2 साल वहीं पढ़ाई की, तभी पति का गोंडा ट्रांसफर हो गया। इसके बाद हमने शहर के फातिमा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अवध का पहली क्लास में एडमिशन कराया। 1986 में हमने यहां जमीन ले ली थी, लेकिन घर 2020 में बनवा पाए थे। तब तक किराए पर ही रहते थे। संतोष कहती हैं- फातिमा में एडमिशन के लिए एंट्रेंस परीक्षा होती है। अवध पेंसिल लेकर 10 मिनट बाद क्लास में पहुंचा और 10 मिनट पहले ही निकल आया। हमें लगा कि इसका एडमिशन नहीं होगा। लेकिन अगले दिन स्कूल से फोन आया। कहा गया कि आपका बच्चा पहले नंबर पर है। हमने तुरंत एडमिशन करवा दिया। 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई अवध ने उसी स्कूल से की। गलत संगत में पड़ कर बदमाशी करने लगे थे अवध
संतोष कहती हैं- अवध नटखट स्वभाव का था। जब वह 9वीं क्लास में पहुंचा तो फातिमा स्कूल के ही कुछ गलत लड़कों की संगत में पड़ गया। स्कूल से बहुत शिकायत आती थीं। कई बार स्कूल भी जाना पड़ता। हमने उसके लिए साइकिल और स्कूटर खरीद रखा था। जो उसके साथ के लड़के थे, वे इसी स्कूटर के पीछे पड़े रहते थे। वे चाहते थे कि किसी तरह से अवध को मिला लिया जाए और फिर स्कूटर से पूरा शहर घूमा जाए। इसमें कुछ लड़के दूसरे स्कूल के भी थे। हमने पूछा कि कैसे सुधार आया? संतोष कहती हैं- कभी पीटा नहीं, बस एक कमरे में बंद कर दिया। घर के बाकी लोगों से कह दिया कि खोलना नहीं। उसी में पूरा दिन बंद रहते तो कहते कि आगे ऐसा कुछ नहीं करेंगे। अवध के बारे में एक बात अच्छी है कि जो हमने कह दिया, उसे वह नहीं करता था। कभी जिद नहीं की। हमने भी उसका बहुत ध्यान रखा। अवध के अलावा हमारी एक बेटी भी है। वह भी उसी फातिमा स्कूल से पढ़ी और अभी एक इंटरनेशनल बैंक में मैनेजर है। अवध ओझा वकील बनना चाहते थे, पूरी तैयारी भी कर चुके थे
1993 में अवध ओझा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले आए। यहां से बीए किया। इसके बाद एमए और फिर एलएलबी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया। तभी मां ने कहा कि तुम आईएएस की तैयारी करो। तुम्हें यूपीएससी निकालना है। अवध ने जवाब दिया कि अगर आपको लगता है, तो हम इसकी तैयारी करते हैं। मां संतोष कहती हैं- हम 1998-99 में अवध को लेकर दिल्ली के राजेंद्र नगर पहुंचे। वहीं वाजीराव आईएएस में एडमिशन करवा दिया। उस वक्त 10 हजार रुपए फीस जमा की थी। साल 2000 में अवध प्रयागराज वापस आ गए। प्रयागराज उस वक्त इलाहाबाद हुआ करता था। यहीं रहकर तैयारी की। यूपीएससी की परीक्षा में बैठे। प्री तो निकल जाता, लेकिन मेंस में फंस जाते। इसके बाद तय किया कि अब आईएएस बनना नहीं, बनाना है। यूपीएससी की एक कोचिंग भी खोली, लेकिन वह चल नहीं पाई। फिर जिस वाजीराव से पढ़ाई की थी, उसी में पढ़ाने चले गए। अवध के इतिहास पढ़ाने का तरीका बच्चों को पसंद आया। इसके बाद चाणक्य IAS कोचिंग जॉइन की और पढ़ाना शुरू किया। मां का दावा- बेटे को भाजपा ने कैसरगंज से टिकट ऑफर किया था
हमने अवध ओझा के राजनीतिक इंटरेस्ट को लेकर संतोष से पूछा। वह कहती हैं- पहले भी नेता बनने की बात करते थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने कैसरगंज सीट से टिकट ऑफर किया था। अवध ने मुझे बताया, तो मैंने मना कर दिया कि वहां से चुनाव मत लड़ो। प्रयागराज से या फिर कहीं और से ले लो। हमने पूछा कि क्या आप डरती हैं? वह कहती हैं- डरते नहीं। लेकिन जो आदमी पहुंचा हुआ है, चार बार जीता हुआ है, वहां से क्यों लड़ना? बवाल में क्यों पड़ना? अवध ओझा अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। हमने उनकी मां से पूछा कि क्या उनका प्रचार करने जाएंगी? उन्होंने तुरंत मना कर दिया। कहा- मैं तो जन्मजात कांग्रेसी हूं। 2000 से 2006 तक गोंडा में महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष रही। मैं कैसे प्रचार कर सकती हूं? अगर मेरी पार्टी वहां कोई कैंडिडेट न खड़ा करे और हमें इजाजत दे, तब तो हम प्रचार कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो हम नहीं जा सकते। टीचर बोले- अवध शरारती थे, लेकिन बात मानते थे
हम फातिमा स्कूल पहुंचे। वहां हमें सबसे पुराने टीचर संजीव अग्रवाल मिले। उन्होंने अवध को पढ़ाया है। आज भी अवध से लगातार बात होती है। संजीव कहते हैं- अवध शुरुआत से ही बहुत शरारती और चंचल स्वभाव के रहे हैं। लेकिन, टीचर और पेरेंट्स को मान-सम्मान बहुत दिया। हमने पूछा कि अवध ओझा के अंदर कट्टा-पिस्टल वाली बातें कैसे आई, जो वह अक्सर पढ़ाई के दौरान इस्तेमाल करते हैं? संजीव कहते हैं- कोई भी टीचर नहीं चाहेगा कि उसका स्टूडेंट इस तरह की बात करे। लेकिन आसपास के माहौल से वह ये सब सीख जाता है। युवा अवस्था में ये चीजें बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डालती हैं। संजीव कहते हैं- अवध यहां पढ़ाई में एवरेज थे। लेकिन इनकी जो दोस्ती थी, वह पंकज पांडेय से थी। पंकज स्कूल के टॉपर थे। दोनों में अच्छी बनती थी। आज भी नोएडा में दोनों एक साथ ही रहते हैं। हमने 2021 में अवध ओझा को स्कूल बुलाया था। अवध के साथ गोंडा जिले के सीडीओ IAS शशांक त्रिपाठी आए थे। ये अवध ओझा के स्टूडेंट रहे हैं। शशांक ने कहा था- हमें अच्छा लग रहा कि हमारे सर खड़े हैं और उनके भी सर मौजूद हैं। हमने कहा कि क्या अवध ओझा को इस बात का मलाल है कि आईएएस नहीं बन पाए? संजीव कहते हैं- इसमें कोई शक नहीं कि अवध ओझा ने खूब मेहनत की, लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन आज उन्हें गर्व है कि मैं आईएएस होता तो अकेले आईएएस रह जाता। लेकिन आज 100 से ज्यादा आईएएस-आईपीएस पढ़ाकर बना दिए। IAS से ज्यादा सम्मान मिल रहा। बाकी अब अवध राजनीति में आ गए, मैं तो चाहता हूं कि पढ़े-लिखे लोग राजनीति में आएं। तीन बेटियां, यूट्यूब चैनल के 9 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर
अब अवध ओझा की पर्सनल लाइफ और करियर के बारे में जानते हैं। 2007 में अवध ने प्रयागराज की मंजरी से शादी की। उनकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी इस साल 10वीं में है। 2019 में अवध ओझा ने महाराष्ट्र के पुणे में IQRA अकादमी नाम से यूपीएससी की कोचिंग खोली। 2020 में कोरोना आया तो अवध ने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया। चैनल का नाम ray awadh ojha रखा। इस वक्त चैनल के 9 लाख 10 हजार सब्सक्राइबर है। अब अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इसके पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि भाजपा से मैं इलाहाबाद लोकसभा सीट से टिकट मांग रहा था। कांग्रेस से अमेठी लोकसभा का टिकट मांग रहा था। देश में बेहतर नेता कौन? यह पूछने पर कहते हैं- नरेंद्र मोदी बेहतर नेता थे, अब राहुल गांधी हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… UPSC कोचिंग पढ़ाने वाले ओझा सर AAP में शामिल, दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, BJP-कांग्रेस से मांग चुके लोकसभा टिकट सिर पर गमछा बांधकर UPSC की कोचिंग पढ़ाने वाले ओझा सर ने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। पार्टी के नेशनल कन्‍वीनर अरविंद केजरीवाल और सीनियर पार्टी लीडर मनीष सिसोदिया ने अवध ओझा को पार्टी में शामिल किया। ओझा सर ने कहा कि शिक्षा वो दूध है, जो पियेगा वो दहाड़ेगा। वो पिछले 22 सालों से छात्रों को कोचिंग दे रहे हैं। उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स की गिनती लाखों में है। अब फरवरी 2025 में होने जा रहे दिल्‍ली असेंबली इलेक्‍शंस में ओझा सर AAP के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर