IGRS पोर्टल पर की गई शिकायत निस्तारण का हाल सबसे ज्यादा खराब है। जिले की चारों तहसीलों के हजारों लोग हर माह अपनी शिकायतों के निस्तारित होने की आस लगाए रहते हैं, लेकिन यह ठंडे बस्ते में चली जाती है। जिसका नतीजा ये है कि नवम्बर माह की जारी आईजीआरएस रैंकिंग में जिले को 74वां स्थान मिला है। जबकि अक्टूबर माह में जिले को 62वीं रैंक मिली थी। 60 फीसदी ने दिया निगेटिव फीडबैक
अक्टूबर माह में मिली रैंक से जिला 12 अंक और पिछड़ गया है। अफसरों की लापरवाही के कारण 3599 शिकायतकर्ताओं से लिए गए फीडबैक में 2186 के मुंह से न ही निकला है। 60.73 फीसदी लोगों ने निगेटिव फीडबैक दिया। यही नहीं विभाग के अफसरों ने दोबारा जांच कराकर स्पेशल क्लोज ही नहीं किया। जिसकारण जिले की रैंकिंग सबसे फिसड्डी आयी है। कुल 11,062 शिकायतें आईं
जनसुनवाई की शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही करने पर डीएम राकेश कुमार सिंह की सख्ती का असर अफसरों पर नहीं हो रहा है। सख्ती के बाद भी कई विभाग के अफसर शिकायत निस्तारण में लापरवाही बरत रहे हैं। आईजीआरएस पोर्टल पर अक्टूबर माह में कुल 11,062 शिकायतें आईं, जिसमें 768 डिफाल्टर में रहीं। यानी उनका निस्तारण ही नहीं किया गया। सीएम पोर्टल पर 26 शिकायतें आईं
इसके साथ सीएम पोर्टल पर 26 शिकायतें आईं जिसमें पांच का निस्तारण नहीं किया गया। इसके साथ चारों तहसील के एसडीएम, बीडीओ, नगर निगम की लापरवाही के कारण 684 शिकायतों की दोबारा जांच कर अधिकारियों के स्तर पर स्पेशल क्लोज ही नहीं किया गया। यानी सीएम कार्यालय से शिकायतों का लिया गया फीडबैक नकारात्मक मिलने पर उसे सीधा विभागाध्यक्ष की लॉगिन पर भेजी जाती है। जिसकी जांच कराकर अधिकारी को रिपोर्ट लगानी होती है। जो अफसरों ने नहीं लगाई। जिस कारण जिले को 130 में 105 अंक हासिल कर 74वीं रैंक मिली। खराब रैंकिंग के बाद अधिकारियों को फटकार
जिले की खराब रैंक आने के बाद जिलाधिकारी ने एसडीएम, विभागाध्यक्षों और अन्य अफसरों को जमकर फटकार लगाई। शिकायत निस्तारण में कहां लापरवाही बरती जा रही है इसके लिए जिम्मेदारों को सख्त निर्देश दिए गए। अब जिलाधिकारी लापरवाह अफसरों की सूची तैयार कराकर सभी के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी का पक्ष पढ़िए
आईजीआरएस नोडल डॉ राजेश कुमार ने मामले में बताया कि दोबारा जांच के लिए जो अधिकारी स्तर पर शिकायतें आईं थी उनका स्पेशल क्लोज नहीं किया गया। जिस कारण रैंकिंग खराब हुई है। साथ डिफाल्टर में जिन विभागों की शिकायतें रहीं उन अफसरों को नोटिस जारी होगी। इसकी गुणवत्ता में सुधार कराया जाएगा। IGRS पोर्टल पर की गई शिकायत निस्तारण का हाल सबसे ज्यादा खराब है। जिले की चारों तहसीलों के हजारों लोग हर माह अपनी शिकायतों के निस्तारित होने की आस लगाए रहते हैं, लेकिन यह ठंडे बस्ते में चली जाती है। जिसका नतीजा ये है कि नवम्बर माह की जारी आईजीआरएस रैंकिंग में जिले को 74वां स्थान मिला है। जबकि अक्टूबर माह में जिले को 62वीं रैंक मिली थी। 60 फीसदी ने दिया निगेटिव फीडबैक
अक्टूबर माह में मिली रैंक से जिला 12 अंक और पिछड़ गया है। अफसरों की लापरवाही के कारण 3599 शिकायतकर्ताओं से लिए गए फीडबैक में 2186 के मुंह से न ही निकला है। 60.73 फीसदी लोगों ने निगेटिव फीडबैक दिया। यही नहीं विभाग के अफसरों ने दोबारा जांच कराकर स्पेशल क्लोज ही नहीं किया। जिसकारण जिले की रैंकिंग सबसे फिसड्डी आयी है। कुल 11,062 शिकायतें आईं
जनसुनवाई की शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही करने पर डीएम राकेश कुमार सिंह की सख्ती का असर अफसरों पर नहीं हो रहा है। सख्ती के बाद भी कई विभाग के अफसर शिकायत निस्तारण में लापरवाही बरत रहे हैं। आईजीआरएस पोर्टल पर अक्टूबर माह में कुल 11,062 शिकायतें आईं, जिसमें 768 डिफाल्टर में रहीं। यानी उनका निस्तारण ही नहीं किया गया। सीएम पोर्टल पर 26 शिकायतें आईं
इसके साथ सीएम पोर्टल पर 26 शिकायतें आईं जिसमें पांच का निस्तारण नहीं किया गया। इसके साथ चारों तहसील के एसडीएम, बीडीओ, नगर निगम की लापरवाही के कारण 684 शिकायतों की दोबारा जांच कर अधिकारियों के स्तर पर स्पेशल क्लोज ही नहीं किया गया। यानी सीएम कार्यालय से शिकायतों का लिया गया फीडबैक नकारात्मक मिलने पर उसे सीधा विभागाध्यक्ष की लॉगिन पर भेजी जाती है। जिसकी जांच कराकर अधिकारी को रिपोर्ट लगानी होती है। जो अफसरों ने नहीं लगाई। जिस कारण जिले को 130 में 105 अंक हासिल कर 74वीं रैंक मिली। खराब रैंकिंग के बाद अधिकारियों को फटकार
जिले की खराब रैंक आने के बाद जिलाधिकारी ने एसडीएम, विभागाध्यक्षों और अन्य अफसरों को जमकर फटकार लगाई। शिकायत निस्तारण में कहां लापरवाही बरती जा रही है इसके लिए जिम्मेदारों को सख्त निर्देश दिए गए। अब जिलाधिकारी लापरवाह अफसरों की सूची तैयार कराकर सभी के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी का पक्ष पढ़िए
आईजीआरएस नोडल डॉ राजेश कुमार ने मामले में बताया कि दोबारा जांच के लिए जो अधिकारी स्तर पर शिकायतें आईं थी उनका स्पेशल क्लोज नहीं किया गया। जिस कारण रैंकिंग खराब हुई है। साथ डिफाल्टर में जिन विभागों की शिकायतें रहीं उन अफसरों को नोटिस जारी होगी। इसकी गुणवत्ता में सुधार कराया जाएगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर