राज्यसभा चुनाव के नामांकन का कल अंतिम दिन:BJP ने अब तक पत्ते नहीं खोले, केंद्र से तय होगा नाम, बड़ौली-भाटिया रेस में सबसे आगे

राज्यसभा चुनाव के नामांकन का कल अंतिम दिन:BJP ने अब तक पत्ते नहीं खोले, केंद्र से तय होगा नाम, बड़ौली-भाटिया रेस में सबसे आगे

हरियाणा की एक राज्यसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मंगलवार (3 दिसंबर) को नोटिफिकेशन जारी हो चुका है और कल मंगलवार (10 दिसंबर) को नामांकन का अंतिम दिन है। मगर, अभी तक भाजपा ने राज्यसभा के लिए किसी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद नाम का ऐलान हो सकता है। हरियाणा से राज्यसभा के लिए 15 नामों की सूची केंद्र ने हरियाणा संगठन से मांगी थी। बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और पूर्व सांसद संजय भाटिया का नाम रेस में सबसे आगे है। मगर भाजपा हर बार चौंकाने वाले फैसले करती है इसलिए भेजे गए 15 नामों में से किसी के भी नाम का ऐलान हो सकता है। इन नामों में कुलदीप बिश्नोई, कैप्टन अभिमन्यु, सुनीता दुग्गल, डॉ. बनवारी लाल, प्रकाश जरावता, बंतो कटारिया, आरएसएस से जुड़े एक बड़े नेता, सुदेश कटारिया सहित कई बड़े नेताओं के नाम हैं। बता दें कि विधानसभा चुनाव में राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार ने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था। तब से यह सीट खाली है। कुलदीप बिश्नोई लगातार लॉबिंग कर रहे
वहीं राज्यसभा पद के लिए कुलदीप बिश्नोई लगातार लॉबिंग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के हरियाणा दौरे पर आने से पहले उन्होंने अपने से जुड़े सारे विवाद खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में संरक्षक का पद भी छोड़ दिया और चुनाव करवाने का ऐलान कर दिया है। मुकाम धाम के पीठाधीश्वर को संरक्षक का पद देकर समाज में धूमिल छवि को दोबारा बनाने का प्रयास किया है। कुलदीप बिश्नोई के इस कदम को राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है ताकि किसी तरह का विवाद उनके नाम पर ना हो। हालांकि कुलदीप यह कहते भी नजर आए कि उनको पद की कोई लालसा नहीं है। कांग्रेस सरकार में उनको केंद्रीय मंत्री और डिप्टी सीएम पद का ऑफर था। हाल ही में किरण चौधरी राज्यसभा के लिए चुनी गईं थी… BJP का राज्यसभा सांसद चुना जाना तय
हरियाणा की इस एक सीट पर भाजपा का उम्मीदवार ही राज्यसभा का सांसद चुना जाना तय है। राज्य में विधानसभा की 90 में से 48 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। इसके अलावा 3 निर्दलीय विधायक भी भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के 37 विधायक हैं जबकि 2 विधायक इनेलो के बने हैं। राज्यसभा चुनाव में यही विधायक ही वोटिंग करते हैं। इस चुनाव के लिए वोटिंग 20 दिसंबर को तभी होगी, जब 10 दिसंबर तक भाजपा उम्मीदवार के अलावा कोई दूसरा नामांकन भरेगा। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा भी कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास नंबर गेम नहीं है इसलिए चुनाव में भाग नहीं लेगी। इन 2 चेहरों की मजबूत दावेदारी 1. मोहन लाल बड़ौली: खुद नहीं लड़े, पार्टी को जितवाया
हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। इसके अलावा विधायक रह चुके हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
हालांकि, लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बड़ौली को विधानसभा टिकट भाजपा की तरफ से ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह संगठन का काम करेंगे। बड़ौली कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे। 2. संजय भाटिया: खट्‌टर के लिए सीट छोड़ी, संगठन में एक्टिव
भाटिया पंजाबी समुदाय से आते हैं। करनाल लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर के कारण उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि, वह दोनों चुनावों में संगठन के लिए काम करते रहे।
हाल ही में नायब सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाले कार्यक्रम के मुख्य संयोजक की भूमिका भी निभा चुके हैं। लगातार उपेक्षा के बाद भी भाटिया धरातल पर संगठन के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए पूरी संभावना है कि उन्हें राज्यसभा की सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार बना सकती है। जाट चेहरों में धनखड़ और अभिमन्यु भी शामिल
राज्यसभा के लिए 2 बड़े जाट चेहरे भी अपना दावा राज्यसभा के लिए ठोक रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम शामिल हैं। हालांकि ये दोनों विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मगर केंद्र में इन दोनों नेताओं की मजबूत पकड़ है। इन दोनों की दावेदारी में सबसे बड़ा पेंच यह है कि इसी साल खाली हुई एक राज्यसभा सीट से सुभाष बराला को पार्टी सांसद बना चुकी है। बराला भी जाट कम्युनिटी से आते हैं और किरण चौधरी जो हाल ही में सांसद चुनी गई थी वह भी जाट समुदाय से हैं, इसलिए इन दोनों नेताओं की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। हरियाणा की एक राज्यसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मंगलवार (3 दिसंबर) को नोटिफिकेशन जारी हो चुका है और कल मंगलवार (10 दिसंबर) को नामांकन का अंतिम दिन है। मगर, अभी तक भाजपा ने राज्यसभा के लिए किसी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद नाम का ऐलान हो सकता है। हरियाणा से राज्यसभा के लिए 15 नामों की सूची केंद्र ने हरियाणा संगठन से मांगी थी। बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और पूर्व सांसद संजय भाटिया का नाम रेस में सबसे आगे है। मगर भाजपा हर बार चौंकाने वाले फैसले करती है इसलिए भेजे गए 15 नामों में से किसी के भी नाम का ऐलान हो सकता है। इन नामों में कुलदीप बिश्नोई, कैप्टन अभिमन्यु, सुनीता दुग्गल, डॉ. बनवारी लाल, प्रकाश जरावता, बंतो कटारिया, आरएसएस से जुड़े एक बड़े नेता, सुदेश कटारिया सहित कई बड़े नेताओं के नाम हैं। बता दें कि विधानसभा चुनाव में राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार ने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था। तब से यह सीट खाली है। कुलदीप बिश्नोई लगातार लॉबिंग कर रहे
वहीं राज्यसभा पद के लिए कुलदीप बिश्नोई लगातार लॉबिंग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के हरियाणा दौरे पर आने से पहले उन्होंने अपने से जुड़े सारे विवाद खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में संरक्षक का पद भी छोड़ दिया और चुनाव करवाने का ऐलान कर दिया है। मुकाम धाम के पीठाधीश्वर को संरक्षक का पद देकर समाज में धूमिल छवि को दोबारा बनाने का प्रयास किया है। कुलदीप बिश्नोई के इस कदम को राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है ताकि किसी तरह का विवाद उनके नाम पर ना हो। हालांकि कुलदीप यह कहते भी नजर आए कि उनको पद की कोई लालसा नहीं है। कांग्रेस सरकार में उनको केंद्रीय मंत्री और डिप्टी सीएम पद का ऑफर था। हाल ही में किरण चौधरी राज्यसभा के लिए चुनी गईं थी… BJP का राज्यसभा सांसद चुना जाना तय
हरियाणा की इस एक सीट पर भाजपा का उम्मीदवार ही राज्यसभा का सांसद चुना जाना तय है। राज्य में विधानसभा की 90 में से 48 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। इसके अलावा 3 निर्दलीय विधायक भी भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के 37 विधायक हैं जबकि 2 विधायक इनेलो के बने हैं। राज्यसभा चुनाव में यही विधायक ही वोटिंग करते हैं। इस चुनाव के लिए वोटिंग 20 दिसंबर को तभी होगी, जब 10 दिसंबर तक भाजपा उम्मीदवार के अलावा कोई दूसरा नामांकन भरेगा। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा भी कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास नंबर गेम नहीं है इसलिए चुनाव में भाग नहीं लेगी। इन 2 चेहरों की मजबूत दावेदारी 1. मोहन लाल बड़ौली: खुद नहीं लड़े, पार्टी को जितवाया
हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। इसके अलावा विधायक रह चुके हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
हालांकि, लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बड़ौली को विधानसभा टिकट भाजपा की तरफ से ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह संगठन का काम करेंगे। बड़ौली कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे। 2. संजय भाटिया: खट्‌टर के लिए सीट छोड़ी, संगठन में एक्टिव
भाटिया पंजाबी समुदाय से आते हैं। करनाल लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर के कारण उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि, वह दोनों चुनावों में संगठन के लिए काम करते रहे।
हाल ही में नायब सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाले कार्यक्रम के मुख्य संयोजक की भूमिका भी निभा चुके हैं। लगातार उपेक्षा के बाद भी भाटिया धरातल पर संगठन के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए पूरी संभावना है कि उन्हें राज्यसभा की सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार बना सकती है। जाट चेहरों में धनखड़ और अभिमन्यु भी शामिल
राज्यसभा के लिए 2 बड़े जाट चेहरे भी अपना दावा राज्यसभा के लिए ठोक रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़ और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम शामिल हैं। हालांकि ये दोनों विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मगर केंद्र में इन दोनों नेताओं की मजबूत पकड़ है। इन दोनों की दावेदारी में सबसे बड़ा पेंच यह है कि इसी साल खाली हुई एक राज्यसभा सीट से सुभाष बराला को पार्टी सांसद बना चुकी है। बराला भी जाट कम्युनिटी से आते हैं और किरण चौधरी जो हाल ही में सांसद चुनी गई थी वह भी जाट समुदाय से हैं, इसलिए इन दोनों नेताओं की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर