<p style=”text-align: justify;”>झारखंड के डुमरी सीट से पहली बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुने गए झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम महतो नंगे पांव ही सदन पहुंचे. सदन में जाने से पहले उन्होंने सबसे पहले चौखट पर माथा टेका. नंगे पांव ही सदन पहुंचने के बारे में आईएएनएस से बात करते हुए जयराम महतो ने कहा, ”यह हमारी आस्था का केंद्र है और आस्था केंद्र में जब भी कोई पहुंचता है तो नंगे पांव ही जाता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्‍होंने कहा कि सदन में हमारा अंदाज वही रहेगा, जिस अंदाज के लिए हम जाने जाते हैं. बीजेपी की हार वाले सवाल पर जयराम महतो ने कहा, ”बीजेपी अपनी उदासीनता के कारण हारी है. वह अपनी दिल्ली की नीति के कारण ही झारखंड में हारी है. अगर वह झारखंड आ रहे हैं तो उन्हें झारखंडी बनकर आना चाहिए, सूट-बूट में नहीं बल्कि झारखंडी लोगों के हिसाब से आना चाहिए था बीजेपी को यहां अपनी नीति के कारण ही हार का सामना करना पड़ा है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनकी अब आगे की रणनीति क्‍या रहेगी इस पर जयराम बोले, ”यह तो उनका व्यवहार तय करेगा. हेमंत सोरेन सरकार में हैं, जिन विषयों को हम उठाएंगे, जिन विषयों को हम रखेंगे अगर उस दिशा में काम होगा. उसमें कोई व्यवधान नहीं होगा, तो इस बारे में सोचा जाएगा. नहीं तो भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ होता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों पर बात करते हुए जयराम महतो ने कहा, ”सवाल है कि जो मुद्दे आप उठाते हैं उसे क्षेत्र के अनुसार उठाइए. अगर आपको लगता है कि संथाल परगना में यह मुद्दे हैं तो इसको इस तक सीमित रखिए. लेकिन, जब धनबाद आते हैं तो वहां बीसीसीएल का मुद्दा उठाइए, वहां जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को उठाइए और जब आप बोकारो आते हैं तो सीसीएल, बीटीपीएस के मुद्दे को उठाइए और जब आप गिरिडीह आते हैं तो पत्थर के खदानों और जो छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं. जहां प्रदूषण है उन विषयों को आप उठाइए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि कोडरमा जाते हैं तो वहां माइका खदान के मुद्दे को उठाइए. आप जहां जाते हैं तो उस क्षेत्र के अनुसार विषयों को उठाना चाहिए था. जहां बीजेपी असफल रही है.” योगी की रैलियों से बीजेपी को हुए नुकसान पर उन्‍होंने कहा, ”हमने योगी की एक भी रैली को नहीं देखा. हमारे पास समय नहीं था. हमने केवल अपने कार्यक्रम पर फोकस किया और झारखंड में कौन आता था मुझे कुछ भी नहीं मालूम.</p> <p style=”text-align: justify;”>झारखंड के डुमरी सीट से पहली बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुने गए झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम महतो नंगे पांव ही सदन पहुंचे. सदन में जाने से पहले उन्होंने सबसे पहले चौखट पर माथा टेका. नंगे पांव ही सदन पहुंचने के बारे में आईएएनएस से बात करते हुए जयराम महतो ने कहा, ”यह हमारी आस्था का केंद्र है और आस्था केंद्र में जब भी कोई पहुंचता है तो नंगे पांव ही जाता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्‍होंने कहा कि सदन में हमारा अंदाज वही रहेगा, जिस अंदाज के लिए हम जाने जाते हैं. बीजेपी की हार वाले सवाल पर जयराम महतो ने कहा, ”बीजेपी अपनी उदासीनता के कारण हारी है. वह अपनी दिल्ली की नीति के कारण ही झारखंड में हारी है. अगर वह झारखंड आ रहे हैं तो उन्हें झारखंडी बनकर आना चाहिए, सूट-बूट में नहीं बल्कि झारखंडी लोगों के हिसाब से आना चाहिए था बीजेपी को यहां अपनी नीति के कारण ही हार का सामना करना पड़ा है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनकी अब आगे की रणनीति क्‍या रहेगी इस पर जयराम बोले, ”यह तो उनका व्यवहार तय करेगा. हेमंत सोरेन सरकार में हैं, जिन विषयों को हम उठाएंगे, जिन विषयों को हम रखेंगे अगर उस दिशा में काम होगा. उसमें कोई व्यवधान नहीं होगा, तो इस बारे में सोचा जाएगा. नहीं तो भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ होता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों पर बात करते हुए जयराम महतो ने कहा, ”सवाल है कि जो मुद्दे आप उठाते हैं उसे क्षेत्र के अनुसार उठाइए. अगर आपको लगता है कि संथाल परगना में यह मुद्दे हैं तो इसको इस तक सीमित रखिए. लेकिन, जब धनबाद आते हैं तो वहां बीसीसीएल का मुद्दा उठाइए, वहां जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को उठाइए और जब आप बोकारो आते हैं तो सीसीएल, बीटीपीएस के मुद्दे को उठाइए और जब आप गिरिडीह आते हैं तो पत्थर के खदानों और जो छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं. जहां प्रदूषण है उन विषयों को आप उठाइए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि कोडरमा जाते हैं तो वहां माइका खदान के मुद्दे को उठाइए. आप जहां जाते हैं तो उस क्षेत्र के अनुसार विषयों को उठाना चाहिए था. जहां बीजेपी असफल रही है.” योगी की रैलियों से बीजेपी को हुए नुकसान पर उन्‍होंने कहा, ”हमने योगी की एक भी रैली को नहीं देखा. हमारे पास समय नहीं था. हमने केवल अपने कार्यक्रम पर फोकस किया और झारखंड में कौन आता था मुझे कुछ भी नहीं मालूम.</p> झारखंड शिमला में बर्फबारी से 58 सड़कें बंद, कई जगह बिजली ठप, लेकिन होटल व्यवसायी के चेहरे खिले