लुधियाना में रायकोट कस्बे के ताजपुर गांव में गुरुवार को सहकारी समिति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान जमकर हंगामा हुआ। पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज का वीडियो भी सामने आया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों के आगे लटककर वाहनों को रोकने की भी कोशिश की। पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज की सभी गांव निवासियों ने कड़ी निंदा की है। लाठीचार्ज के दौरान कई प्रदर्शनकारियों की पगड़ियां भी उतर गईं। देर रात सहकारी समिति के गेट पर धरना रिटर्निंग अधिकारी ने चुनाव में 8 सदस्यों को विजयी घोषित कर दिया जबकि शेष 16 प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए। इससे नाराज उनके समर्थक सहकारी समिति के गेट के सामने धरना देने बैठ गए। लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई को मनमानी करार दिया। घटना स्थल पर थाना सदर और थाना सिटी की पुलिस बड़ी संख्या में पहुंची। घटना का पता चलने पर SDM हरजिंदर सिंह और DSP हरजिंदर सिंह मौके पर पहुंचे। जिन्होंने धरना दे रहे लोगों से बातचीत कर उन्हें शांत रहने की अपील की। 24 उम्मीदवारों ने भरा था नामांकन, 16 नामांकन हुए रद्द पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह और मौजूदा सरपंच हरदेव कौर के बेटे बलजीत सिंह ने कहा कि ताजपुर सहकारी समिति के चुनाव के लिए 24 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरा था। शाम को संबंधित निर्वाचन अधिकारी ने जानकारी दी कि 16 प्रत्याशियों का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया है। जिन 8 उम्मीदवारों के कागज सही पाए गए हैं वह सत्ताधारी दल के हैं। जबकि रिटर्निंग अधिकारी ने विपक्षी दल के सभी 16 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए हैं। रिटर्निंग अधिकारी पर पक्षपात का आरोप बलजीत ने कहा कि जब तक खारिज किए गए नामांकन पत्रों को बहाल नहीं किया जाता उनका विरोध जारी रहेगा। उधर, कांग्रेस के हलका इंचार्ज कामिल अमर सिंह ने कहा कि रिटर्निंग अधिकारी पक्षपात कर रहे है। उन्होंने जानबूझ कर प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किए है। उन प्रत्याशियों को उम्मीदवार घोषित किया गया है जिनके पक्ष में कम वोट थे। लुधियाना में रायकोट कस्बे के ताजपुर गांव में गुरुवार को सहकारी समिति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान जमकर हंगामा हुआ। पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज का वीडियो भी सामने आया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों के आगे लटककर वाहनों को रोकने की भी कोशिश की। पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज की सभी गांव निवासियों ने कड़ी निंदा की है। लाठीचार्ज के दौरान कई प्रदर्शनकारियों की पगड़ियां भी उतर गईं। देर रात सहकारी समिति के गेट पर धरना रिटर्निंग अधिकारी ने चुनाव में 8 सदस्यों को विजयी घोषित कर दिया जबकि शेष 16 प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए। इससे नाराज उनके समर्थक सहकारी समिति के गेट के सामने धरना देने बैठ गए। लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई को मनमानी करार दिया। घटना स्थल पर थाना सदर और थाना सिटी की पुलिस बड़ी संख्या में पहुंची। घटना का पता चलने पर SDM हरजिंदर सिंह और DSP हरजिंदर सिंह मौके पर पहुंचे। जिन्होंने धरना दे रहे लोगों से बातचीत कर उन्हें शांत रहने की अपील की। 24 उम्मीदवारों ने भरा था नामांकन, 16 नामांकन हुए रद्द पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह और मौजूदा सरपंच हरदेव कौर के बेटे बलजीत सिंह ने कहा कि ताजपुर सहकारी समिति के चुनाव के लिए 24 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरा था। शाम को संबंधित निर्वाचन अधिकारी ने जानकारी दी कि 16 प्रत्याशियों का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया है। जिन 8 उम्मीदवारों के कागज सही पाए गए हैं वह सत्ताधारी दल के हैं। जबकि रिटर्निंग अधिकारी ने विपक्षी दल के सभी 16 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए हैं। रिटर्निंग अधिकारी पर पक्षपात का आरोप बलजीत ने कहा कि जब तक खारिज किए गए नामांकन पत्रों को बहाल नहीं किया जाता उनका विरोध जारी रहेगा। उधर, कांग्रेस के हलका इंचार्ज कामिल अमर सिंह ने कहा कि रिटर्निंग अधिकारी पक्षपात कर रहे है। उन्होंने जानबूझ कर प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किए है। उन प्रत्याशियों को उम्मीदवार घोषित किया गया है जिनके पक्ष में कम वोट थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतसर में शुरू की गई पोलियो मुहिम:1.92 लाख बच्चों को ड्रॉप्स देने का टारगेट, स्वास्थ्य विभाग की बनाई गई 2896 टीम भारत में बहुत सालों से कोई पोलियो का केस नहीं आया है लेकिन फिर भी पड़ोसी देशों से खतरा बना रहता है इसीलिए हर साल स्वास्थ्य विभाग पोलियो मुहिम चलाता है। आज भी देश भर में अलग अलग स्थानों पर पोलियो मुहिम शुरू की गई। अमृतसर में 1.92 लाख बच्चों को ड्रॉप्स पिलाने का टारगेट है जिसे तीन दिन में पूरा किया जाएगा। इसके लिए 1496 बूथ लगाए गए हैं। आज स्वास्थ्य विभाग की ओर से अमृतसर के सिविल हॉस्पिटल में पोलियो ड्रॉप्स पिलाने की मुहिम शुरू की गई। सिविल सर्जन डॉक्टर किरनदीप कौर ने बताया कि हालांकि बहुत सालों से पोलियो का कोई केस नहीं आया है लेकिन पड़ोसी देश से खतरा बना रहता है इसीलिए हर साल यह मुहिम चलाई जाती है। जिसमें 0 से पांच साल तक के बच्चे को दो बूंदें पोलियो ड्रॉप्स की पिलाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि अमृतसर में 1.92 लाख बच्चे 0 से पांच साल के हैं। जिन्हें उनके 1496 बूथों पर ड्रॉप्स पिलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो बच्चे आज ड्रॉप्स पीने से रह जाएंगे उन्हें कल घर घर जाकर ड्रॉप्स पिलाई जाएंगी। सेहत विभाग की 2896 टीमें बनी हैं जो घर घर जाकर ड्रॉप्स पिलाएगी। उन्होंने कहा कि वो लोगों से अपील करते हैं कि उनका सहयोग किया जाए ताकि कोई भी बच्चा पोलियो ड्रॉप्स के बिना न रहे। पोलियो ड्रॉप्स पिलाने की टीमों के साथ साथ लोगों को जागरूक करने के लिए ई रिक्शा भी भेजे गए जो कि जगह जगह जाकर पोलियो के खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे और सभी को बताएंगे कि पोलियो ड्रॉप्स कितने जरूरी हैं।
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम समेत 5 लोगों को डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। राम रहीम समेत 5 आरोपियों को CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 3 मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के 2 केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट के फैसले पर डेरा सच्चा सौदा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर हमेशा पूर्ण विश्वास रहा है और माननीय न्यायालय से हमें न्याय मिला है। 22 साल पहले हत्या, 19 साल बाद हुई थी सजा, 3 साल बाद बरी
कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच CBI को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे। 19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद CBI ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया। रणजीत का पूरा परिवार डेरे से जुड़ा था, चिट्ठी के बाद इस्तीफा दिया
साल 2002 में रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र के रहने वाले थे। उनका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक गुमनाम चिठ्ठी की वजह से डेरा सच्चा सौदा में हंगामा खड़ा हो गया था। उस गुमनाम खत में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का खुलासा था। चिठ्ठी सामने आते ही डेरा सच्चा सौदा पर सवाल उठने लगे। डेरे में यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद रणजीत सिंह आहत हो गए। इसी बात को लेकर उन्होंने डेरे के मैनेजर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ परिवार के लोग भी डेरे से अलग हो गए। गुमनाम चिट्ठी के शक में मारी गई थी गोली
रणजीत सिंह की हत्या का मामला गुमनाम चिट्ठी से जुड़ा हुआ है, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। ये वह चिट्ठी थी, जो तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। CBI ने दावा किया था कि डेरे को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से साध्वियों के यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है। CBI ने जांच के बाद कोर्ट में कहा था कि राम रहीम को शक था कि गुमनाम चिट्ठी के पीछे रणजीत का हाथ है। इस चिट्ठी में रणजीत की बहन का भी जिक्र था। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, रणजीत ने कहा कि इस चिट्ठी के पीछे उसकी कोई भूमिका नहीं है। जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह चिट्ठी बाद में सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मारी गई थी। इसके बाद उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या के केस में भी राम रहीम उम्रकैद काट रहा है। ये खबरें भी पढ़ें… वह गुमनाम चिट्ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्ठी ने तबाह किया था। यह चिट्ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित कर लिखी गई थी।इस चिट्ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ (पूरी खबर पढ़ें) गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 22 साल पुराने रणजीत सिंह मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। राम रहीम अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह जेल से बाहर नहीं आएगा। एक सामान्य इंसान से डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी दिलचस्प है। राम रहीम का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की गुरुसर मोडिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता मघर सिंह गांव के जमींदार थे। माता का नाम नसीब कौर है। (पूरी खबर पढ़ें) रणजीत का परिवार जाएगा सुप्रीम कोर्ट:राम रहीम को बरी किए जाने से परिवार मायूस, बेटा और जीजा बोले-मरते दम तक लड़ेंगे लड़ाई हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह के मर्डर केस में हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख को बरी कर दिया है। इस फैसले से रणजीत सिंह का परिवार मायूस है। परिवार का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए वकीलों से राय ली जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
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