शंभू बॉर्डर पर जहर खाने वाला 7 लाख का कर्जाई:बहन की शादी-घर बनाने में जमीन बिक गई; दिल्ली कूच वाले जत्थे में था

शंभू बॉर्डर पर जहर खाने वाला 7 लाख का कर्जाई:बहन की शादी-घर बनाने में जमीन बिक गई; दिल्ली कूच वाले जत्थे में था

हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर शनिवार को किसानों के दिल्ली कूच के दौरान एक व्यक्ति ने सल्फास निगलकर आत्महत्या करने की कोशिश की। अब उस व्यक्ति की कहानी सामने आई है। व्यक्ति का नाम रणजोध सिंह है। वह खन्ना के गांव रतनहेड़ी के रहने वाले हैं। उनके परिजनों और गांव के लोगों ने बताया है कि वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं। कभी उनके पास जमीन हुआ करती थी, जिसे वह 31 साल पहले ही बेच चुके हैं। उनके ऊपर 5-7 लाख रुपए का कर्जा है, जिसे वह वर्षों से चुका नहीं पाए। अब उस कर्जे को माफ कराने के लिए वह किसान आंदोलन के चक्कर लगा रहे हैं। रणजोध सिंह से संबंधित 2 PHOTOS… कौन हैं रणजोध सिंह, जो किसान आंदोलन से जुड़े और शंभू बॉर्डर तक पहुंचे… 2 बच्चों के पिता, 6 दिन पहले आंदोलन में गए
रणजोध सिंह के परिवार में उनकी मां तेज कौर, बेटा सुखदीप सिंह, पत्नी कुलदीप कौर और पिता मेवा सिंह हैं। रणजोध के एक बेटी भी है, जिसकी उन्होंने शादी कर दी है। वहीं, पिता प्रॉपर्टी डीलर हैं, जिनके साथ रणजोध सिंह भी कभी-कभी लोगों की जमीनों के सौदे करवा देते हैं। खन्ना में जब रणजोध सिंह के परिवार से संपर्क किया गया तो उनके ताऊ के लड़के कमलदीप सिंह ने बताया कि पहले भी कई बार रणजोध किसान मोर्चे पर गए थे। पिछले करीब 6 दिन से वह मोर्चा के लंगर घर में सेवा कर रहे थे। वहीं से एक सेवादार ने फोन कर उनके सल्फास निगलने की सूचना दी। जमीन बेचकर बहन की शादी की, कर्जा लेकर घर बनवाया
कमलदीप का कहना है कि रणजोध की आयु करीब 57 साल है। उनके पास करीब साढ़े 6 किले जमीन थी। लेकिन, जब उन्होंने अपनी बहन की शादी की और घर बनाया तो जमीन बेच दी। फिर रणजोध सिंह का भाई गंभीर बीमारी की चपेट में आया, जिसके इलाज पर भी काफी पैसे खर्च हुए। मकान बनवाने के लिए भी कर्जा लिया था। इस समय रणजोध के ऊपर रिश्तेदारों और दोस्तों से लिया करीब 5 से 7 लाख का कर्ज है। कमलदीप का कहना है कि रणजोध ने अब तक लिया कर्जा नहीं लौटाया है। उनके घर का गुजर बसर भी कर्ज के सहारे ही चल रहा है। छुट-पुट प्रॉपर्टी का काम रणजोध अभी करते हैं। यदि किसी जमीन का सौदा हो जाता है तो थोड़े पैसे उसे भी मिल जाते हैं। मां बोलीं- कह रहा था कि जीत कर ही लौटूंगा
वहीं, रणजोध सिंह के बेटे सुखदीप सिंह और गांव रतनहेड़ी के सरपंच अमरजीत सिंह ने बताया है कि पिछले किसान आंदोलन में भी रणजोध एक साल तक एक्टिव थे। इस बार के आंदोलन में भी वह 2 बार जा चुके थे। करीब 6 दिन पहले ही वह तीसरी बार शंभू बॉर्डर पर गए थे। सरपंच बताते हैं कि शंभू बॉर्डर पर जाने से पहले रणजोध ने बताया था कि उन्होंने किसान नेता सरवण सिंह पंधेर के पास पहले जत्थे में जाने के लिए अपना नाम लिखवा दिया है। इसके बाद वह जत्थे में शामिल हो गए। सरपंच का कहना है कि सरकार को किसानों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए। इधर, रणजोध की मां तेज कौर ने बताया है कि 8 दिसंबर को वह शंभू बॉर्डर पर गया और सबसे मिलता हुआ गया। उसके पास कोई जमीन नहीं है। फिर भी वह कहता जा रहा था कि उसने दिल्ली कूच करने वाले जत्थे में अपना नाम लिखवा दिया है। वह इस बार दिल्ली जाकर ही मानेगा, सरकार से अपनी बात मनवाएगा और जीत कर ही लौटेगा। शनिवार को दिल्ली कूच करने वाले जत्थे का हिस्सा थे रणजोध सिंह
रणजोध सिंह के परिवार को उनके सल्फास निगलने की सूचना मिली तो वह उन्हें देखने के लिए पटियाला के राजिंदरा अस्पताल पहुंच गए। बता दें कि शनिवार को शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों के जत्थे को पुलिस ने घग्गर नदी पर बने पुल पर रोक लिया था। 40 मिनट तक पुलिस से बहस के बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसमें 10 किसान घायल हुए। जब किसान आगे नहीं जा पाए तो इसी दौरान जत्थे का हिस्सा रहे रणजोध सिंह ने सल्फास निगलकर जान देने की कोशिश की। हालांकि, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जिससे उनकी जान बच गई। ————
किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- किसान आंदोलन पर PM मोदी की शाह-शिवराज के साथ मीटिंग, 20 दिन से आमरण अनशन कर रहे डल्लेवाल की हालत गंभीर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने मीटिंग की है। यह मीटिंग शनिवार को हुई, इसमें प्रधानमंत्री मोदी को किसान आंदोलन की जानकारी दी गई। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल थे। पूरी खबर पढ़ें हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर शनिवार को किसानों के दिल्ली कूच के दौरान एक व्यक्ति ने सल्फास निगलकर आत्महत्या करने की कोशिश की। अब उस व्यक्ति की कहानी सामने आई है। व्यक्ति का नाम रणजोध सिंह है। वह खन्ना के गांव रतनहेड़ी के रहने वाले हैं। उनके परिजनों और गांव के लोगों ने बताया है कि वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं। कभी उनके पास जमीन हुआ करती थी, जिसे वह 31 साल पहले ही बेच चुके हैं। उनके ऊपर 5-7 लाख रुपए का कर्जा है, जिसे वह वर्षों से चुका नहीं पाए। अब उस कर्जे को माफ कराने के लिए वह किसान आंदोलन के चक्कर लगा रहे हैं। रणजोध सिंह से संबंधित 2 PHOTOS… कौन हैं रणजोध सिंह, जो किसान आंदोलन से जुड़े और शंभू बॉर्डर तक पहुंचे… 2 बच्चों के पिता, 6 दिन पहले आंदोलन में गए
रणजोध सिंह के परिवार में उनकी मां तेज कौर, बेटा सुखदीप सिंह, पत्नी कुलदीप कौर और पिता मेवा सिंह हैं। रणजोध के एक बेटी भी है, जिसकी उन्होंने शादी कर दी है। वहीं, पिता प्रॉपर्टी डीलर हैं, जिनके साथ रणजोध सिंह भी कभी-कभी लोगों की जमीनों के सौदे करवा देते हैं। खन्ना में जब रणजोध सिंह के परिवार से संपर्क किया गया तो उनके ताऊ के लड़के कमलदीप सिंह ने बताया कि पहले भी कई बार रणजोध किसान मोर्चे पर गए थे। पिछले करीब 6 दिन से वह मोर्चा के लंगर घर में सेवा कर रहे थे। वहीं से एक सेवादार ने फोन कर उनके सल्फास निगलने की सूचना दी। जमीन बेचकर बहन की शादी की, कर्जा लेकर घर बनवाया
कमलदीप का कहना है कि रणजोध की आयु करीब 57 साल है। उनके पास करीब साढ़े 6 किले जमीन थी। लेकिन, जब उन्होंने अपनी बहन की शादी की और घर बनाया तो जमीन बेच दी। फिर रणजोध सिंह का भाई गंभीर बीमारी की चपेट में आया, जिसके इलाज पर भी काफी पैसे खर्च हुए। मकान बनवाने के लिए भी कर्जा लिया था। इस समय रणजोध के ऊपर रिश्तेदारों और दोस्तों से लिया करीब 5 से 7 लाख का कर्ज है। कमलदीप का कहना है कि रणजोध ने अब तक लिया कर्जा नहीं लौटाया है। उनके घर का गुजर बसर भी कर्ज के सहारे ही चल रहा है। छुट-पुट प्रॉपर्टी का काम रणजोध अभी करते हैं। यदि किसी जमीन का सौदा हो जाता है तो थोड़े पैसे उसे भी मिल जाते हैं। मां बोलीं- कह रहा था कि जीत कर ही लौटूंगा
वहीं, रणजोध सिंह के बेटे सुखदीप सिंह और गांव रतनहेड़ी के सरपंच अमरजीत सिंह ने बताया है कि पिछले किसान आंदोलन में भी रणजोध एक साल तक एक्टिव थे। इस बार के आंदोलन में भी वह 2 बार जा चुके थे। करीब 6 दिन पहले ही वह तीसरी बार शंभू बॉर्डर पर गए थे। सरपंच बताते हैं कि शंभू बॉर्डर पर जाने से पहले रणजोध ने बताया था कि उन्होंने किसान नेता सरवण सिंह पंधेर के पास पहले जत्थे में जाने के लिए अपना नाम लिखवा दिया है। इसके बाद वह जत्थे में शामिल हो गए। सरपंच का कहना है कि सरकार को किसानों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए। इधर, रणजोध की मां तेज कौर ने बताया है कि 8 दिसंबर को वह शंभू बॉर्डर पर गया और सबसे मिलता हुआ गया। उसके पास कोई जमीन नहीं है। फिर भी वह कहता जा रहा था कि उसने दिल्ली कूच करने वाले जत्थे में अपना नाम लिखवा दिया है। वह इस बार दिल्ली जाकर ही मानेगा, सरकार से अपनी बात मनवाएगा और जीत कर ही लौटेगा। शनिवार को दिल्ली कूच करने वाले जत्थे का हिस्सा थे रणजोध सिंह
रणजोध सिंह के परिवार को उनके सल्फास निगलने की सूचना मिली तो वह उन्हें देखने के लिए पटियाला के राजिंदरा अस्पताल पहुंच गए। बता दें कि शनिवार को शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों के जत्थे को पुलिस ने घग्गर नदी पर बने पुल पर रोक लिया था। 40 मिनट तक पुलिस से बहस के बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसमें 10 किसान घायल हुए। जब किसान आगे नहीं जा पाए तो इसी दौरान जत्थे का हिस्सा रहे रणजोध सिंह ने सल्फास निगलकर जान देने की कोशिश की। हालांकि, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जिससे उनकी जान बच गई। ————
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