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बहराइच में भेड़िया ज्यादातर मरने वालों के हाथ-पैर खा गया:पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर जानवर का हमला बता रहे; वन विभाग का जवाब-किसी इंसान ने मारा
बहराइच में भेड़िया ज्यादातर मरने वालों के हाथ-पैर खा गया:पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर जानवर का हमला बता रहे; वन विभाग का जवाब-किसी इंसान ने मारा जंगली जानवर ने बहुत ही निर्ममता से मारा था साहब ! ज्यादातर मरने वालों के हाथ-पैर खा गया। सभी की गर्दन पर गहरे निशान थे। कुछ के तो सीने और पेट का हिस्सा भी खा गया। लेकिन, हर लाश पर दांतों की संख्या अलग-अलग थी। लग रहा था, शिकार अलग-अलग भेड़िए ने किया है। यह कहना है पोस्टमॉर्टम हाउस में काम करने वाले एक शख्स का। नाम न छापने की शर्त पर उसने हमें कई जरूरी बातें बताईं। बहराइच में भेड़िए के हमले में मरने वालों पर चोटों के निशान और हमले का पैटर्न समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंची। हम पोस्टमॉर्टम करने वाले 3 डॉक्टरों डॉ. फराज राहत, डॉ. आरके बसंत और डॉ. आशीष कुमार वर्मा से मिले। तीनों ने भेड़िए के हमले में मृत एक-एक शव का पोस्टमॉर्टम किया है। इनसे हमें कई अहम जानकारियां मिलीं। आइए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं। पहले बात उन दो मौतों की, जिन्हें वन विभाग ने भेड़िए का हमला मानने से ही इनकार कर दिया था… केस-1: खुशबू को उठा ले गया भेड़िया, दोनों हाथ और एक पैर खा गया
हरदी थाना क्षेत्र के पूरे बस्ती गड़रिया के भटौली गांव में 21 अगस्त की रात 8 साल की खुशबू की मौत हुई। बच्ची के बाबा हरद्वार से हमने इस पूरी घटना के बारे में बात की। वह कहते हैं- रात में पोती अपनी दादी के साथ घर के बरामदे में सो रही थी। दूसरी खाट (चारपाई) पर मेरा दूसरा बेटा सो रहा था। भेड़िया आया और उसने बच्ची को पकड़ लिया। बच्ची की आवाज सुनकर दादी ने बचाने की कोशिश ,की लेकिन वह गिर गईं। भेड़िया जैसे ही बच्ची लेकर निकला, उसने ‘बाबा’ कहते हुए आवाज दी। मेरी नींद खुली और शोर मचाया। तमाम लोग इकट्ठा हो गए। हमने तुरंत 100 नंबर पर फोन करके पुलिस को सूचना दी। दूसरी तरफ, पूरे गांव के लोग इकट्ठा होकर खेतों में खुशबू को खोजने लगे। लेकिन, उसका कुछ भी पता नहीं चल सका। घटना की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग के कुछ अफसर रात में, तो कुछ सुबह पहुंचे। ड्रोन से बच्ची की तलाश की गई। पता चला, घर से करीब 500 मीटर दूर उसकी लाश पड़ी थी। दोनों हाथ और एक पैर नहीं था। हरद्वार कहते हैं- वन विभाग से आई एक मैडम ने कहा, इसे भेड़िए ने नहीं मारा। ये किसी व्यक्ति का किया हुआ काम है। इसके बाद पुलिस ने बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। वहां क्या हुआ, इसे जानने से पहले दूसरी घटना के बारे में जानते हैं, जिसकी मौत को वन विभाग ने भेड़िए का हमला मानने से इनकार किया। केस- 2: भेड़िया ले नहीं जा सका तो रीता देवी को मार दिया
25 अगस्त की रात कुम्हारनपुरवा गांव में 45 साल की रीता देवी लेटी हुई थीं। घर के आंगन में उनके साथ और भी लोग थे। रात में भेड़िया आया और उसने रीता की गर्दन पकड़ ली। बचने के लिए रीता ने शोर मचाया, लेकिन भेड़िए ने अपनी पकड़ मजबूत कर दी। उसका दांत रीता की गर्दन में अंदर तक धंस गया। शोर सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए तो भेड़िया रीता को छोड़कर भाग गया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। इस मामले में भी वन विभाग ने भेड़िए का हमला मानने से इनकार किया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या? खुशबू को जंगली जानवर ने ही मारा
अपनी पड़ताल को और अधिक पुख्ता करने के लिए हम बहराइच के जिला अस्पताल पहुंचे। यहां हमें अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरके बसंत मिले। डॉ. बसंत ने 7 साल की खूशबू का पोस्टमॉर्टम किया था। वन विभाग इसे एनिमल अटैक नहीं मान रहा था। इसलिए DM के निर्देश पर पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी करवाई गई। डॉ. बसंत कहते हैं- बच्ची के दोनों हाथ और एक पैर गायब था। सीने के एक साइड का पूरा हिस्सा भी फाड़ दिया गया था। भेड़िया रास्ते में खींचकर ले गया था, इसके चलते बच्ची के पिछले हिस्से पर खरोंच के निशान थे। डॉ. बसंत कहते हैं- शरीर का जो हिस्सा बचा था, उस पर खरोंच के निशान थे। गले पर घाव की गहराई अलग-अलग थी। अगर किसी व्यक्ति ने यह किया होता तो वह पूरी ताकत से चाकू मारता। लेकिन यहां घाव का साइज अलग-अलग था। हमने अपनी रिपोर्ट में यही बताया है कि यह किसी जंगली जानवर का ही हमला है। अब यह भेड़िया है या फिर कुछ और, ये हम क्लियर नहीं कह सकते। खुशबू का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के पैनल में महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज बहराइच के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. फराज राहत भी शामिल थे। वह कहते हैं- शुरुआत में यह निर्मम हत्या जैसा लग रहा था। लेकिन जब पोस्टमॉर्टम किया गया तब समझ आया कि शरीर पर जो चोटों के निशान हैं, दांतों से काटने और घसीटने से आए हैं। ये दांत जंगली जानवर के ही हैं। इस वक्त भेड़िया लगातार दिख रहा तो इस बात की संभावना अधिक है कि उसी ने खुशबू को मारा हो। रीता के गले पर 21 चोट के निशान, जानवर ने ही मारा
रीता देवी के मामले में CHC महसी के अधीक्षक डॉ. आशीष वर्मा कहते हैं- रीता देवी के शरीर पर छोटी-बड़ी कुल 21 चोटों के निशान थे। ये सभी गले और इसके आसपास थे। शरीर के किसी और हिस्से में कोई चोट के निशान नहीं थे। गले की नस को पंक्चर किया गया था। हर घाव का साइज अलग-अलग था। वह किसी चाकू का वार नहीं लग रहा था, किसी जंगली जानवर का ही हमला लग रहा था। हमने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यही लिखकर भी दिया है। डॉ. आशीष भेड़ियों के हमले में घायल करीब 34 लोगों का इलाज कर चुके हैं। वह कहते हैं- अभी तक एक घटना को छोड़कर बाकी सभी घटनाओं में भेड़िए ने गले पर ही वार किया है। एक घटना जो अलग थी, उसमें उसने गाल पर वार किया था। इनके निशाने पर ज्यादातर 1 से 8 साल की उम्र के बच्चे ही हैं। कुछ बुजुर्ग महिलाएं इनका शिकार बनी हैं, जो बहुत कमजोर हैं। मतलब भेड़िया उन्हें भी बच्चा समझ रहा, जिन्हें वह आसानी से ले जा सके। सभी को घसीटने की कोशिश की गई। 10 की हो चुकी मौत, शरीर पर मिले दांत के 8 से लेकर 20 निशान
भेड़िए के हमले में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। सभी का पोस्टमॉर्टम बहराइच के आधुनिक पोस्टमॉर्टम हाउस में हुआ। जब हम यहां पहुंचे डॉक्टर और फार्मासिस्ट कहीं गए थे। तीन और लोग थे, जो पोस्टमॉर्टम हाउस में ही काम करते हैं। इसमें एक युवा ऐसा है जो डॉक्टरों के साथ चीर-फाड़ करता है। हमने उससे भेड़िए के हमले में मारे गए लोगों की बॉडी से जुड़े सवाल किए। वह हमें बताता है-, जितनी भी बॉडी अब तक आई हैं, सभी में गले, हाथ और पैर का मांस गायब था। 1-2 केस में ही सीने या फिर पेट पर हमला किया गया है। किसी में भी चेहरे को नहीं नोंचा गया है। हां, खरोंच के निशान गाल पर दिखे हैं। इसमें एक हैरान करने वाली बात यह थी कि सभी में दांतों की संख्या और उनके आकार अलग-अलग थे। किसी में 8 दांत के निशान थे, तो किसी में 15-20 निशान। साफ है कि इलाके में कई भेड़िए हैं, जो लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। फार्मासिस्ट ने कहा- सभी हमले जानवरों ने ही किए कुछ देर बाद पोस्टमॉर्टम हाउस में तैनात फोरेंसिक फार्मासिस्ट अतुल कुमार त्रिपाठी आ गए। वह भी हर पोस्टमॉर्टम में शामिल रहे हैं। वह कहते हैं- भेड़िए से जुड़े जितने भी केस आए, सभी में यह तो तय है कि जंगली जानवरों का ही हमला है। ऐसा एक भी केस नहीं है जिसमें किसी व्यक्ति ने मारा है। फोरेंसिक रिपोर्ट आने पर यह भी तय हो जाएगा। गांव वालों का दावा- 2 से ज्यादा भेड़िए हैं
वन विभाग ने अब तक कुल 4 भेड़िए पकड़े हैं। इसमें से एक की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके हमले बंद नहीं हुए हैं। चौथा भेड़िया 29 अगस्त को पकड़ा गया था, उसके बाद से 7 हमले हुए हैं। इन हमलों में 3 साल की बच्ची अंजलि की मौत हुई है। वह मां के साथ सो रही थी, भेड़िया उठा ले गया। शव घर से कुछ दूरी पर मिला। भेड़ियों के हमले में छह लोग घायल भी हुए हैं। दो बकरियों और एक भैंस पर भी हमला हुआ। वन विभाग का कहना है कि अभी दो भेड़िए इलाके में सक्रिय हैं, जो हमला कर रहे हैं। लेकिन, गांव के लोगों ने दावा किया कि 2 से ज्यादा भेड़िए हैं। 2 सितंबर को हमें गांव वालों ने दो वीडियो दिए। एक भेड़िया आसमानपुर में बैठा मिला। 2 भेड़िए हिंदू पुरवा गांव के पास बैठे मिले। इसके अलावा कई और लोगों ने उसी दिन दावा किया था कि उनके गांव के पास भेड़िया देखा गया। कुल मिलाकर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स, अलग-अलग गांव में दिख रहे भेड़िए इस बात की तरफ मजबूती से इशारा करते हैं कि भेड़ियों की संख्या 2 से ज्यादा है। ये सभी आदमखोर हो चुके हैं। अपना मुख्य भोजन चूहा, खरगोश, बकरी का बच्चा छोड़कर इंसानों के बच्चों को निवाला बना रहे हैं। वन विभाग अपने स्तर पर इन्हें पकड़ने की कोशिश में है, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिल सकी है। ये भी पढ़ें… भेड़ियों के सॉफ्ट टारगेट सिर्फ बच्चे और बुजुर्ग महिलाएं; गन्ने के खेतों के पास वाले घरों पर सबसे ज्यादा हमले बहराइच के हरदी इलाके का सिकंदरपुर गांव। 5 अगस्त की रात करीब 11 बजे। गांव के अधिकतर लोग जानवरों से फसल बचाने के लिए खेतों में रखवाली कर रहे थे। अचानक गन्ने के खेत के पड़ोस ही बने एक झोपड़ीनुमा घर में बुजुर्ग महिला की चीख सुनकर सभी उस ओर दौड़ पड़े। पहुंचने पर देखा, अंधेरे में कोई जानवर भाग रहा है। पढ़ें पूरी खबर
लखनऊ में दिव्यांग शोधार्थी ने थीसिस जलाने का किया ऐलान:पीएचडी उपाधि अवॉर्ड न होने से हैं आहत, शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का मामला
लखनऊ में दिव्यांग शोधार्थी ने थीसिस जलाने का किया ऐलान:पीएचडी उपाधि अवॉर्ड न होने से हैं आहत, शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय का मामला डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह कल यानी 13 सितंबर को होना हैं। इस बीच विश्वविद्यालय के एक दिव्यांग शोधार्थी ने दीक्षांत समारोह के दिन अपनी पीएचडी की थीसिस जलाने का ऐलान किया है। रिसर्च वर्क पूरा होने के बाद भी थीसिस जमा न कराने और पीएचडी अवार्ड न होने से नाराज छात्र ने ये धमकी दी हैं। उसने इसको लेकर राज्यपाल और कुलपति को शिकायती पत्र भी लिखा हैं। दिव्यांग शोधार्थी का आरोप हैं कि प्री-सबमिशन की प्रक्रिया पूरी करने के बावजूद उसे फाइनल सबमिशन नहीं करने दिया जा रहा हैं। उसने विश्वविद्यालय प्रशासन पर मानसिक उत्पीडन का आरोप लगाया है। ये हैं पूरा मामला डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के दृष्टिबाधिता विभाग के पीएचडी 2015-16 में दिव्यांग छात्र मंतोष कुमार ने प्रवेश लिया था। मंतोष के मुताबिक प्री-सबमिशन की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद थीसिस जमा कराने और पीएचडी अवॉर्ड नही किया जा रहा हैं। उसका आरोप हैं कि उसने सालभर से विश्वविद्यालय को दर्जनों प्रार्थना पत्र दिया हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन फिर से पुनः पंजीकरण कराने के लिए कह रहा, जबकि मुझसे एक साल पहले वाले एक शोधार्थी को थीसिस जमा करने की अनुमति दे दी गई। पूर्व कुलपति के समय से थीसिस जमा करने के लिए दौड़ रहा है, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसी थीसिस का वह क्या करेगा? जिससे उसे कुछ हासिल नहीं होगा। नाराज छात्र ने आहत होकर उसने शिकायती पत्र में 13 सितंबर को दीक्षांत समारोह के दौरान अपनी थीसिस जलाने की घोषणा की है। कार्य परिषद की बैठक में अनुमोदन मिलने के बाद मिलेगी उपाधि इस संबंध में प्रवक्ता डॉ.यशवंत वीरोदय का कहना हैं कि विश्वविद्यालय में पीएचडी पूरा करने की अवधि सामान्य विद्यार्थियों के लिए छह वर्ष और दिव्यांगों के लिए आठ वर्ष तय हैं। लेकिन 43 शोधार्थियों ने तय समय सीमा के भीतर अपना शोध पत्र नहीं जमा किया था। इसी में मंतोष कुमार भी शामिल हैं। इन शोधार्थियों के संबंध में कुलपति ने पीएचडी समिति का गठन किया था। जिसे इन 43 शोधार्थियों की पीएचडी पर फैसला लेना था। उन्होंने बताया कि पीएचडी समिति ने छह और आठ वर्ष पूर्ण होने के बावजूद शोधार्थियों की पीएचडी को स्वीकार करने संबंधित रिपोर्ट सौंपी। जिसे एकेडमिक काउंसिल की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। आगामी कार्य परिषद में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। जिसकी संस्तुति के बाद इनके शोध पत्र जमा कर इन्हें उपाधि दी जा सकेगी।
लुधियाना में STF का SI गिरफ्तार:रिश्वत लेकर नशा तस्करों को छोड़ने का आरोप; बोला- मैने नहीं डीएसपी छोड़े
लुधियाना में STF का SI गिरफ्तार:रिश्वत लेकर नशा तस्करों को छोड़ने का आरोप; बोला- मैने नहीं डीएसपी छोड़े पंजाब के लुधियाना में आज एक STF के सब-इंस्पेक्टर पर नशा तस्करों को छोड़ने के गंभीर आरोप लगे है। शहर में चर्चा है कि उक्त सब-इंस्पेक्टर ने नशा तस्करों से मोटी रकम लेकर उन्हें छोड़ दिया। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने सब-इंस्पेक्टर को पकड़ लिया है। मामले की जांच प्रक्रिया जारी है। सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है। एसटीएफ के इंचार्जे सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। गुरप्रीत सिंह का आज सिविल अस्पताल में मेडिकल करवाया गया। वहीं सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह ने पत्रकारों के सामने डीएसपी विर्क का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने आरोपियों को छोड़ा हैं मैंने नहीं। हम खबर को अपडेट कर रहे है…