हरियाणा में विधान सभा चुनाव में मिली हार को लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है। दिल्ली दौरे के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पार्टी की हरियाणा हार को लेकर बेबाक दिखे। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान से विधानसभा चुनाव में हार के लिए इस्तीफा तक मांग डाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा, हरियाणा में हार के बहुत सारे कारण हैं। इसमें से एक संगठन भी है। कांग्रेस संगठन में जल्द बड़े बदलाव की जरूरत है। हरियाणा में कांग्रेस के संगठन का ना होना भी कांग्रेस की हार का मुख्य कारण रहा है। चौधरी ने कहा, हरियाणा में वह एक बड़े आंदोलन चलाने की तैयारी कर रही हैं, कांग्रेस को हरियाणा की जन-जन की पार्टी बनाने का वह इस आंदोलन के जरिए काम करेंगे। पूर्व CM हुड्डा पर भी किया हमला बिना नाम लिए खुलकर बोले चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में सब कुछ एक ही लीडर के नाम पर चल रहा है। EVM के अलावा भी बहुत सी ताकत तंत्र और पैसा भी हार का कारण बने हैं। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण से नाराज कांग्रेस के बागी नेताओं पर भाजपा के उम्मीदवारों पर हरियाणा में चुनाव के दौरान जमकर पैसा लुटाया। हरियाणा में यह मैसेज भी गलत गया कि कांग्रेस की सरकार हरियाणा में नहीं एक व्यक्ति की सरकार हरियाणा में आ रही है। हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की तो नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। राजनीति में हमेशा से ही ऐसा होते आया है। हरियाणा में जन भावना की सरकार नहीं है पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार को लेकर मैं खुद आश्चर्यचकित हूं। हरियाणा में अब तक ऐसा क्यों नहीं हुआ? हरियाणा में धर्म का कार्ड नहीं चला, तो जातीय ध्रुवीकरण किया गया। मैं आज भी नहीं मानता की हरियाणा में जन भावना की सरकार है। विधानसभा चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उचाना से उनके बेटे ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। हार को लेकर बाबरिया-उदयभान भी आ चुके आमने-सामने… 1. बाबरिया ने कहा- कुछ सीटों पर धांधली के मैसेज उदयभान को भेजे हार पर मंथन को लेकर हुई मीटिंग के बाद प्रभारी दीपक बाबरिया ने कबूल किया था कि टिकट वितरण में गलती हुई है। उन्होंने 10 से 15 सीटों पर गलत कैंडिडेट उतारने की बात को स्वीकार किया। इसके बाद बाबरिया ने यहां तक कहा कि अगर सब मेरा दोष मान रहे हैं तो मैं अपनी जिम्मेदारी छोड़ने को तैयार हूं। मैंने तो अपना इस्तीफा भी भेज दिया था। बाबरिया ने यह भी दावा किया कि काउंटिंग के दिन मुझे सुबह ही मैसेज आए थे कि कुछ सीटों पर धांधली हो रही है। वो मैसेज मैंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भेज दिए थे। 2. उदयभान ने कहा- मेरे पास जो मैसेज आया, वह आधा अधूरा था प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने कहा है कि मुझे कोई मैसेज फॉरवर्ड नहीं किया गया। मेरे पास जो मैसेज आया, वह आधा अधूरा था। उसमें आधा सच और आधा झूठ था। मुझे 9 अक्टूबर को दोपहर करीब 3 बजे कांग्रेस नेता जगदीश धनखड़ के फोन से मैसेज भेजा गया था। टिकट वितरण पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। टिकट केंद्रीय चुनाव कमेटी ने बांटे थे। उसके फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है। हरियाणा में विधान सभा चुनाव में मिली हार को लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है। दिल्ली दौरे के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पार्टी की हरियाणा हार को लेकर बेबाक दिखे। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान से विधानसभा चुनाव में हार के लिए इस्तीफा तक मांग डाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा, हरियाणा में हार के बहुत सारे कारण हैं। इसमें से एक संगठन भी है। कांग्रेस संगठन में जल्द बड़े बदलाव की जरूरत है। हरियाणा में कांग्रेस के संगठन का ना होना भी कांग्रेस की हार का मुख्य कारण रहा है। चौधरी ने कहा, हरियाणा में वह एक बड़े आंदोलन चलाने की तैयारी कर रही हैं, कांग्रेस को हरियाणा की जन-जन की पार्टी बनाने का वह इस आंदोलन के जरिए काम करेंगे। पूर्व CM हुड्डा पर भी किया हमला बिना नाम लिए खुलकर बोले चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में सब कुछ एक ही लीडर के नाम पर चल रहा है। EVM के अलावा भी बहुत सी ताकत तंत्र और पैसा भी हार का कारण बने हैं। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण से नाराज कांग्रेस के बागी नेताओं पर भाजपा के उम्मीदवारों पर हरियाणा में चुनाव के दौरान जमकर पैसा लुटाया। हरियाणा में यह मैसेज भी गलत गया कि कांग्रेस की सरकार हरियाणा में नहीं एक व्यक्ति की सरकार हरियाणा में आ रही है। हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की तो नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। राजनीति में हमेशा से ही ऐसा होते आया है। हरियाणा में जन भावना की सरकार नहीं है पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार को लेकर मैं खुद आश्चर्यचकित हूं। हरियाणा में अब तक ऐसा क्यों नहीं हुआ? हरियाणा में धर्म का कार्ड नहीं चला, तो जातीय ध्रुवीकरण किया गया। मैं आज भी नहीं मानता की हरियाणा में जन भावना की सरकार है। विधानसभा चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उचाना से उनके बेटे ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। हार को लेकर बाबरिया-उदयभान भी आ चुके आमने-सामने… 1. बाबरिया ने कहा- कुछ सीटों पर धांधली के मैसेज उदयभान को भेजे हार पर मंथन को लेकर हुई मीटिंग के बाद प्रभारी दीपक बाबरिया ने कबूल किया था कि टिकट वितरण में गलती हुई है। उन्होंने 10 से 15 सीटों पर गलत कैंडिडेट उतारने की बात को स्वीकार किया। इसके बाद बाबरिया ने यहां तक कहा कि अगर सब मेरा दोष मान रहे हैं तो मैं अपनी जिम्मेदारी छोड़ने को तैयार हूं। मैंने तो अपना इस्तीफा भी भेज दिया था। बाबरिया ने यह भी दावा किया कि काउंटिंग के दिन मुझे सुबह ही मैसेज आए थे कि कुछ सीटों पर धांधली हो रही है। वो मैसेज मैंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भेज दिए थे। 2. उदयभान ने कहा- मेरे पास जो मैसेज आया, वह आधा अधूरा था प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने कहा है कि मुझे कोई मैसेज फॉरवर्ड नहीं किया गया। मेरे पास जो मैसेज आया, वह आधा अधूरा था। उसमें आधा सच और आधा झूठ था। मुझे 9 अक्टूबर को दोपहर करीब 3 बजे कांग्रेस नेता जगदीश धनखड़ के फोन से मैसेज भेजा गया था। टिकट वितरण पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। टिकट केंद्रीय चुनाव कमेटी ने बांटे थे। उसके फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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सोनिया दूहन उस समय चर्चा में आई थी जब 2019 में उन्होंने गुरुग्राम के ओबरॉय होटल से एनसीपी के चार विधायकों को बाहर निकाला था। ये विधायक अजित पवार की बगावत के बाद बीजेपी के साथ जाने की तैयारी में थे। चार विधायकों दौलत दरोदा, नरहरि जिरवाल, नितिन पवार और अनिल पाटिल थे। हरियाणा सरकार इन विधायकों पर नजर रख रही थी। इसके बावजूद सोनिया दूहन अपने विधायकों को वहां से ले जाने में कामयाब रहीं थी। सुप्रिया सुले से नाराजगी की बात कबूली
सोनिया दूहन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने एनसीपी के छात्र संघ अध्यक्ष से इस्तीफा दिया है मगर वह अभी एनसीपी में हैं और शरद पवार के साथ है। उन्होंने अपनी शिकायत शरद पवार के सामने रख दी है। सोनिया ने कहा कि सुप्रिया सुले का काम करने का तरीका उनको पसंद नहीं है। वह चाहती है एनसीपी राष्ट्रीय पार्टी की तरह काम करे मगर उनका काम करने का तरीका क्षेत्रीय पार्टी की तरह है। सोनिया ने कहा कि चुनाव में ना तो उनको किसी सभा में बुलाया गया और ना ही उनको किसी तरह की कोई जिम्मेदारी दी। वह एनसीपी में सिर्फ खाना खाने और आराम करने के लिए नहीं है। सोनिया ने कहा कि सुप्रिया सुले ने उनको महाराष्ट्र में बैन करवा दिया जबकि वह एनसीपी से एक दशक से जुड़ी हुई हैं। सोशल मीडिया पर दो महीने से सक्रिय नहीं
सोनिया दूहन ने कहा कि चुनाव के समय में वह सोशल मीडिया पर दो महीने से अन एक्टिव हैं। उनको एक भी बार किसी मीटिंग व सभा में बुलाया नहीं गया। इसकी सारी जानकारी शरद पवार के सामने रखी थी। शरद पवार ने इस सब चीजों को समझा भी था और चर्चा करने की बात कही थी। मगर चर्चा हो पाती इससे ही ऐसी चीजें हो गई जिससे उनको छात्र संघ अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।