पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव में हो रही देरी के मामले को लेकर बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। मांग की है कि चुनाव तत्काल करवाने के आदेश जारी किए जाए। उन्होंने चुनाव के लिए एक एक स्पष्ट समय सीमा की घोषणा करने की मांग की है। 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल हुआ था पूरा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में सांसद ने पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पंजाब के लोगों को यूनिवर्सिर्टी के कार्यों में भाग लेने से बाहर रखने के लिए जानबूझकर ऐसी कोशिश की जा रही है। पंजाब करता है चालीस फीसदी फंडिंग पंजाब यूनिवर्सिटी में पंजाब की भूमिका के बारे में बताते हुए सांसद ने कहा कि मौजूदा में पंजाब के 201 कॉलेज यूनिवर्सिटी से संबंद्ध हैं और 40 फीसदी फंडिग के साथ परीक्षा शुल्क में सालाना 200 करोड़ रूपए का योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, शेष 60 फीसदी फंडिग केंद्र सरकार से आती है, जो पंजाब से इकट्ठे किए गए करों (टैक्स) से काफी हद तक प्राप्त होता है। उन्होंने कहा इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और आर्थिक योगदानों के बावजूद, सीनेट चुनावों में देरी और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नियंत्रण को केंद्रीकृत करने के प्रयास यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता और विरासत को खतरा है। सभी दल एक मंच पर आ गए हैं इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव के मामले सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। साथ ही सभी दलों के नेताओं ने इस मामले स्टूडेंट्स के साथ खड़े होने की बात कहीं थी। वहीं, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने यह मामला संसद में भी उठाया था। पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव में हो रही देरी के मामले को लेकर बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। मांग की है कि चुनाव तत्काल करवाने के आदेश जारी किए जाए। उन्होंने चुनाव के लिए एक एक स्पष्ट समय सीमा की घोषणा करने की मांग की है। 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल हुआ था पूरा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में सांसद ने पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पंजाब के लोगों को यूनिवर्सिर्टी के कार्यों में भाग लेने से बाहर रखने के लिए जानबूझकर ऐसी कोशिश की जा रही है। पंजाब करता है चालीस फीसदी फंडिंग पंजाब यूनिवर्सिटी में पंजाब की भूमिका के बारे में बताते हुए सांसद ने कहा कि मौजूदा में पंजाब के 201 कॉलेज यूनिवर्सिटी से संबंद्ध हैं और 40 फीसदी फंडिग के साथ परीक्षा शुल्क में सालाना 200 करोड़ रूपए का योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, शेष 60 फीसदी फंडिग केंद्र सरकार से आती है, जो पंजाब से इकट्ठे किए गए करों (टैक्स) से काफी हद तक प्राप्त होता है। उन्होंने कहा इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और आर्थिक योगदानों के बावजूद, सीनेट चुनावों में देरी और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नियंत्रण को केंद्रीकृत करने के प्रयास यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता और विरासत को खतरा है। सभी दल एक मंच पर आ गए हैं इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव के मामले सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। साथ ही सभी दलों के नेताओं ने इस मामले स्टूडेंट्स के साथ खड़े होने की बात कहीं थी। वहीं, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने यह मामला संसद में भी उठाया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब CM से आज किसानों से करेंगे मीटिंग:दोपहर तीन बजे बजे होगी बैठक, कृषि पॉलिसी समेत तमाम मुदों पर बनेगी स्ट्रेटजी चंडीगढ़ में गत चार दिनों से कृषि नीति समेत आठ मुद्दों को लेकर संघर्ष पर चल रहे किसानों की आज (वीरवार) को CM भगवंत मान से मीटिंग होगी। मीटिंग दोपहर तीन बजे होगी। मीटिंग के बाद किसानों द्वारा आगे की रणनीति तय की जाएगी। इससे पहले बुधवार को सरकार के अफसरों ने किसानों से मीटिंग की थी। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि आज की मीटिंग के बाद ही संघर्ष को लेकर सारी स्थिति साफ होगी। 15 साल बाद चंडीगढ़ में किसानों का मोर्चा पंजाब के यह किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां ) और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले जुटे हैं। मानसून सेशन शुरू होने से पहले किसान चंडीगढ़ पहुंच गए थे। करीब पंद्रह साल के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने की मंजूरी दे दी थी। किसानों ने सेक्टर-34 के दशहरा ग्राउंड में मोर्चा लगाया था। फिर किसानों की मांग थी वह सेशन के दौरान विधानसभा तक मार्च निकालेंगे। लेकिन बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें मटका चौक तक मार्च के रूप में जाने दिया था। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने मटका चौक पर पहुंचकर किसानों से मांग पत्र लिया था। साथ ही किसानों को विश्वास दिलाया था कि वह उनके वकील बनकर सीएम के समक्ष इस मामले को उठाएंगे। कृषि पॉलिसी तैयार, चर्चा करेंगे इससे पहले विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन बुधवार को पंजाब CM भगवंत मान ने बताया कि हमारी सरकार ने कृषि पॉलिसी बना ली है। जल्दी ही इसे लागू करेंगे। जैसे इंडस्ट्रियल पॉलिसी को लागू करने से पहले हमने मिलनी समारोह आयोजित किए थे। ठीक उसी तर्ज पर मीटिंग की जाएगी। साथ ही सारी चीजों पर विचार करने के बाद पॉलिसी को लागू करेंगे। किसानों काे किसी भी तरह की दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी। सरकार खुद बनाए एमएसपी नीति पंजाब विधानसभा के मानसून सेशन में किसानों का मुद्दा इस बार उठा। कांग्रेस नेता प्रताप सिह बाजवा, अकाली ने मनप्रीत अयाली और आप ने कुंवर विजय प्रताप ने किसानों के मामले के उठाया। प्रताप सिंह बाजवा का कहना था कि इस मामले में एक जॉइंट कमेटी बना लेनी चाहिए। साथ ही इस मामले को निपटाया जाना चाहिए। जबकि कुंवर विजय प्रताप सिंह ने कहा कि किसान पहले दिल्ली और अब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे है। सरकार को खुद एमएसपी पर पॉलिसी बनानी चाहिए। क्योंकि खेती स्टेट का विषय है।
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