पंजाब में किसान फसलों के एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच आज सरकार केंद्र सरकार द्वारा जारी कृषि विपणन नीति के मसौदे पर किसानों और अन्य कृषि विशेषज्ञों के साथ पंजाब भवन में बैठक कर रही है। यह बैठक कृषि मंत्री गुरमीत सिंह की अगुवाई में शुरू हुई है। मीटिंग में जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल समेत कई सीनियर नेता पहुंचे हुए हैं। बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले सरकार ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने 25 नवंबर को ही मसौदा जारी कर दिया था। साथ ही एक हफ्ते में सुझाव मांगे गए थे। सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी विशेषज्ञों के अनुसार इस कृषि विपणन नीति को लेकर किसानों की राय सुनने के बाद सरकार अब विधानसभा शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। यह सत्र जनवरी के दूसरे सप्ताह में हो सकता है। इस मामले को लेकर कृषि मंत्री ने सीएम भगवंत मान से मुलाकात की है। इसमें उन्हें नीति के बारे में बताया गया। साथ ही किसानों के साथ बुलाई गई बैठक के बारे में भी बताया गया। कृषि मंत्री का कहना है कि मौजूदा मंडी व्यवस्था खत्म होने जा रही है। जिससे राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। राज्यपाल से मिले किसान दूसरी ओर, जारी किए गए इस मसौदे को लेकर किसान संघर्ष की राह पर आने की रणनीति भी बना रहे हैं। इस मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। साथ ही मांग की है कि इस नीति को लागू नहीं किया जाएगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह नीति तीनों निरस्त कृषि कानूनों को लागू करने का प्रयास है। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि नई नीति को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संघर्ष किया जाएगा। पंजाब में किसान फसलों के एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच आज सरकार केंद्र सरकार द्वारा जारी कृषि विपणन नीति के मसौदे पर किसानों और अन्य कृषि विशेषज्ञों के साथ पंजाब भवन में बैठक कर रही है। यह बैठक कृषि मंत्री गुरमीत सिंह की अगुवाई में शुरू हुई है। मीटिंग में जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल समेत कई सीनियर नेता पहुंचे हुए हैं। बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले सरकार ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने 25 नवंबर को ही मसौदा जारी कर दिया था। साथ ही एक हफ्ते में सुझाव मांगे गए थे। सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी विशेषज्ञों के अनुसार इस कृषि विपणन नीति को लेकर किसानों की राय सुनने के बाद सरकार अब विधानसभा शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। यह सत्र जनवरी के दूसरे सप्ताह में हो सकता है। इस मामले को लेकर कृषि मंत्री ने सीएम भगवंत मान से मुलाकात की है। इसमें उन्हें नीति के बारे में बताया गया। साथ ही किसानों के साथ बुलाई गई बैठक के बारे में भी बताया गया। कृषि मंत्री का कहना है कि मौजूदा मंडी व्यवस्था खत्म होने जा रही है। जिससे राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। राज्यपाल से मिले किसान दूसरी ओर, जारी किए गए इस मसौदे को लेकर किसान संघर्ष की राह पर आने की रणनीति भी बना रहे हैं। इस मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की है। साथ ही मांग की है कि इस नीति को लागू नहीं किया जाएगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह नीति तीनों निरस्त कृषि कानूनों को लागू करने का प्रयास है। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि नई नीति को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संघर्ष किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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