अगर आप सोमवार को घर से किसी काम पर निकलने की तैयारी कर रहे हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। क्योंकि फसलों की एमएसपी की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किसानों ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद रखने का फैसला लिया है। इस प्रदर्शन में पनबस पीआरटीसी वर्कर यूनियन के मुलाजिम भी शामिल होंगे। ऐसे में पूरे पंजाब में करीब चार घंटे तक सरकारी बसें नहीं चलेगी। 1125 बसों के पहिए पूरी तरह से जाम रहेंगे। बसें सुबह दस बजे से दो बजे तक रोड पर नहीं उतरेगी। पूरा दिन बंद करना संभव नहीं है पंजाब बंद को लेकर यूनियन की मीटिंग हुई है। इसमें संघर्ष को लेकर स्ट्रेटजी बनी है। इस दौरान यूनियन के चेयरमैन बलजिंदर सिंह राठ और प्रधान रेशम सिंह ने बताया कि किसानों ने सुबह 7 बजे से 4 बजे तक पंजाब बंद की कॉल दी हुई है। लेकिन पूरे दिन की हड़ताल संभव नहीं है। हम लोगों को भी तंग नहीं करना चाहते हैं। इसके चलते लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक बसों का चक्का जाम करने का फैसला लिया गया है। वहीं, किसानों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन में मुलजिम सहयोग करेंगे। पंंजाब समेत आठ राज्यों में है बस सर्विस पीआरटीसी द्वारा पंजाब व दूसरे राज्यों में 577 रूट पर बसें चलाई जाती हैं। जो कि इस दौरान प्रभावित रहेंगी। यह बसें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड को कवर करती है। पीआरटीसी के नौ डिपो हैं। इनमें पटियाला, बठिंडा, कपूरथला, बरनाला, संगरूर, बुढलाडा, फरीदकोट, लुधियाना और चंडीगढ़ शामिल हैं। विभाग में कुल मिलाकर तीन हजार से अधिक मुलाजिम काम कर रहे हैं। वहीं, पंजाब बंद को लेकर हुई मीटिंग में तय हुआ था कि 29 तारीख तक कंडक्टर रोजाना बसों में टिकट काटने से पहले लोगों को बंद के बारे में बताएंगे। ताकि बसों में सफर करने वाले लोग पहले ही इस बारे में जान पाए। हालांकि किसान पहले ही साफ कर चुके है कि प्राइवेट बस ऑपरेटर उन्हें समर्थन कर चुके हैं। अगर आप सोमवार को घर से किसी काम पर निकलने की तैयारी कर रहे हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। क्योंकि फसलों की एमएसपी की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किसानों ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद रखने का फैसला लिया है। इस प्रदर्शन में पनबस पीआरटीसी वर्कर यूनियन के मुलाजिम भी शामिल होंगे। ऐसे में पूरे पंजाब में करीब चार घंटे तक सरकारी बसें नहीं चलेगी। 1125 बसों के पहिए पूरी तरह से जाम रहेंगे। बसें सुबह दस बजे से दो बजे तक रोड पर नहीं उतरेगी। पूरा दिन बंद करना संभव नहीं है पंजाब बंद को लेकर यूनियन की मीटिंग हुई है। इसमें संघर्ष को लेकर स्ट्रेटजी बनी है। इस दौरान यूनियन के चेयरमैन बलजिंदर सिंह राठ और प्रधान रेशम सिंह ने बताया कि किसानों ने सुबह 7 बजे से 4 बजे तक पंजाब बंद की कॉल दी हुई है। लेकिन पूरे दिन की हड़ताल संभव नहीं है। हम लोगों को भी तंग नहीं करना चाहते हैं। इसके चलते लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक बसों का चक्का जाम करने का फैसला लिया गया है। वहीं, किसानों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन में मुलजिम सहयोग करेंगे। पंंजाब समेत आठ राज्यों में है बस सर्विस पीआरटीसी द्वारा पंजाब व दूसरे राज्यों में 577 रूट पर बसें चलाई जाती हैं। जो कि इस दौरान प्रभावित रहेंगी। यह बसें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड को कवर करती है। पीआरटीसी के नौ डिपो हैं। इनमें पटियाला, बठिंडा, कपूरथला, बरनाला, संगरूर, बुढलाडा, फरीदकोट, लुधियाना और चंडीगढ़ शामिल हैं। विभाग में कुल मिलाकर तीन हजार से अधिक मुलाजिम काम कर रहे हैं। वहीं, पंजाब बंद को लेकर हुई मीटिंग में तय हुआ था कि 29 तारीख तक कंडक्टर रोजाना बसों में टिकट काटने से पहले लोगों को बंद के बारे में बताएंगे। ताकि बसों में सफर करने वाले लोग पहले ही इस बारे में जान पाए। हालांकि किसान पहले ही साफ कर चुके है कि प्राइवेट बस ऑपरेटर उन्हें समर्थन कर चुके हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ का जुर्माना:NGT ने दिए आदेश, सीवेज डिस्चार्ज और सोलिड वेस्ट प्रबंध नहीं हुआ, 1 महीने का समय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने हालिया आदेश में पुराने कचरे के साथ-साथ अनुपचारित सीवेज डिस्चार्ज के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। आदेशों में, एनजीटी ने मुख्य सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य को एक महीने के भीतर सीपीसीबी के साथ पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपए जमा करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामला लुधियाना नगर कौसिंल से भी जुड़ा है। 53.87 लाख टन कूड़े के निपटारे को लगेंगे 10 साल NGT ने बताया है कि राज्य में पुराना कचरा 53.87 लाख टन पड़ा हुआ है। दो वर्ष पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। इन दो वर्षों के दौरान मात्र 10 लाख टन कचरे का निस्तारण हो सकता है। एनजीपी मुताबिक जिस गति से काम चल रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि बचा 53.87 लाख टन कचरा निपटाने में लगभग 10 साल का समय लग जाएगा। वहीं 31406 लाख लीटर सीवरेज पानी साफ करना रहता है। इससे पहले सितंबर 2022 में, एनजीटी ने अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निर्वहन को रोकने में विफलता के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपए का मुआवजा लगाया था और पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपए जमा किए हैं। आदेश का अनुपालन करने में रहे विफल एनजीटी ने अपने ताजा आदेश में आगे कहा कि चूंकि मुख्य सचिव 2080 करोड़ रुपए के रिंग-फेंस खाते के निर्माण के संबंध में 22 सितंबर, 2022 के ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन करने में भी विफल रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि इस ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया गया है। अवहेलना और अवज्ञा की, जो एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 26 के तहत अपराध है। आदेश में आगे कहा गया है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 के लगातार उल्लंघन और गैर-अनुपालन और जनादेश का उल्लंघन भी उक्त अधिनियम की धारा 43 के तहत एक अपराध है और जब अपराध सरकारी विभाग द्वारा होता है, तो धारा 48 भी आकर्षित होती है, जो घोषित करती है कि विभागाध्यक्ष को अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा। 1 महीने में देना है जवाब एनजीटी ने मुख्य सचिव, पंजाब राज्य और प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 24 के तहत अपराध करने और गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा क्यों चलाया जाए। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश को उचित फोरम में शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने की समयावधि प्रदान की। मामला अगली बार 27 सितंबर को सूचीबद्ध है।
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बच्ची के दादा ने आरोप लगाया कि इस दौरान बच्ची को एक ऐसा इंजेक्शन लगा दिया गया, जो शायद उसे रिएक्शन कर गया और उसके शरीर पर सूजन शुरू हो गई और सख्त हो गया। इसके बाद 6 जनवरी को डॉक्टर ने उन्हें बकाया पेमेंट जमा करवाने के लिए कहा और कहा कि लड़की का ऑपरेशन होगा। इसे पीजीआई में ले जाए और साथ ही सभी प्राइवेट डॉक्टर अपने अस्पताल में बुला लिए। बाद में बच्ची को अमृतसर के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां पर साढ़े 11 बजे पहुंचे। बच्ची के दादा का कहना है कि इलाज के दौरान अमृतसर के डॉक्टर ने स्वीकार किया कि बच्ची को पहली गलत इलाज दिया गया है। जिसके चलते उसकी हालत बिगड़ी है। परिवार के पास सबूत भी है। उन्होंने मांग की कि अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उधर बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर चेतन नंदा का कहना है कि बच्चा जन्म के समय ही कई बीमारियों से ग्रस्त था और उसका दिल भी कमजोर था। परिवार उसे उनके पास लेकर आया था, मगर वह कई दिनों से दूध नहीं पी रहा था। इसके बारे में परिवार को पहले ही बता दिया जा चुका था कि उसकी हालत गंभीर है, मगर परिवार ने बच्चे का उपचार करने की मिन्नतें की तो उन्होंने इलाज शुरू किया था। इसमें उनकी किसी भी तरह की लापरवाही नहीं है। उसकी मौत का कारण भी कई दिनों से दूध न पीने पर इन्फेक्शन है।