पाकिस्तानी की मदद से इंडिया लौटे अभिषेक की कहानी:बोले- मुझे जमीन पर सुलाते, टॉर्चर करते…घर वापस भेजने के लिए मांग रहे थे 5 लाख

पाकिस्तानी की मदद से इंडिया लौटे अभिषेक की कहानी:बोले- मुझे जमीन पर सुलाते, टॉर्चर करते…घर वापस भेजने के लिए मांग रहे थे 5 लाख

‘मुझे टॉर्चर किया जाता था। मामूली गलती पर पीट देते थे। सोने को बेड नहीं था, जमीन पर सुलाते थे। 12-12 घंटे काम लेते। मोबाइल छीन लिया, ताकि परिवार को कुछ बता न सकूं। जब भारत वापस आने की इच्छा जाहिर की। तब मालिक ने कमरे में बंद कर दिया। मेरा पासपोर्ट छीन लिया।’ ये दर्द है साउथ अफ्रीका में 5 महीने 20 दिन फंसे रहे अभिषेक शर्मा का। वह आगरा में अपने परिवार के पास पहुंच चुके हैं। मगर जॉब और हैवी पैकेज के नाम पर साउथ अफ्रीका पहुंचने और फिर फंसने की कहानी सुनाई। दैनिक भास्कर ने आगरा में उनके घर पर उनसे मुलाकात की। पढ़िए रिपोर्ट… CCTV से रखते थे नजर, गंदी-गंदी गालियां देते
2 जनवरी की शाम को दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर अभिषेक शर्मा की फ्लाइट लैंड हुई। रात में 9 बजे तक वह आगरा के घर पहुंचे। इस दौरान अभिषेक भावुक दिखे। अफ्रीका में उनके साथ जो कुछ हुआ, उसको बताते हुए परेशान हो जाते। बोले- मैं बहुत परेशान हो गया। घर में अपने परिवार को सब कुछ बताना चाहता था, मगर मेरा मोबाइल छीन लिया। क्या करता…। जहां काम करता था, वहां CCTV लगे थे। वो दिनभर मुझ पर नजर रखते थे। जब उन्हें पता चला कि मैं इंडिया वापस आना चाहता हूं, तब वो मेरे काम में कमियां निकालने लगे। मुझे गंदी-गंदी गालियां देते थे। सिर्फ मालिक को खुश रखने के लिए मैं वो जाे कुछ भी बताते। सब परफेक्ट तरीके से करता। मगर टॉर्चर बंद नहीं हुआ। लगा कि जाने कहां फंस गया हूं। बोले- 5 लाख दो…तब जा सकोगे वापस
1 दिन मुझे मालिक ने बुलाया। पूछा- तुम वापस जाना चाहते हो। मैं बता दिया कि मन नहीं लग रहा है। तब उसने कहा- 5 लाख रुपए अपने घर से मंगवा लो। तभी जा पाओगे। वरना यहां जो भी आया है, वो बंधक रहा है। तब मुझे लगा कि मैं तो फंस चुका हूं। वहां मेरी तरह और लोग भी थे। एक पाकिस्तान से आए हुए अनवर उस्मान भी मिले। उन्होंने मेरी भारत लौटने में बहुत मदद की। मैं अपने साथ कुछ गलत कर लेता, मगर वह बड़े भाई की तरह संभालते रहे। मुझे समझाते रहे। मुझे 45 डॉलर भी दिए, उन्हीं की मदद की बदौलत में वापस आ सका हूं। साउथ अफ्रीका में फैक्ट्री में जॉब करने गया था अभिषेक
आगरा के ट्रांस यमुना कॉलोनी में आलोक शर्मा रहते हैं। उनका छोटा बेटा अभिषेक शर्मा अपने परिचित की मदद से साउथ अफ्रीका की एक फैक्ट्री में जॉब करने गया था। वहां कंपनी के मालिक प्रदीप गजवानी ने उसे अच्छे वेतन और रहने-खाने की सुविधा देने की बात कही थी। घर की स्थिति अच्छी हो जाएगी, ये सोचकर अभिषेक और उसके माता-पिता भी इस नौकरी के लिए मान गए। पिता बोले- हमने सोचा कि जानने वाले ने नौकरी बताई है, तो सही ही होगी। और फिर जब कंपनी के मालिक ने खुद बात की है, तब डरने की कोई बात नहीं है। पिता बोले- जब बेटा वहां पहुंच गया तो कुछ दिन बाद बेटे ने 5 मिनट के लिए फोन किया और बताया कि कंपनी मालिक ने उसका पासपोर्ट छीन लिया। उसे मोबाइल पर बात तक नहीं करने देते हैं। इसलिए जल्दी-जल्दी में बात करके फोन काट दिया। अब बहुत परेशान हो गए थे कि अब हमारे बेटे का क्या होगा। वो ठीक है की नहीं। उसके साथ कोई नहीं है। भगवान से रात-दिन प्रार्थना करते थे, कि जल्द हमारा बेटा वापस आ जाए। मेरे बेटे ने उसकी फैक्ट्री में 5 महीने से ज्यादा दिन काम किया उसके मालिक ने 15 दिन पहले केवल 30 हजार रुपए पकड़ाए थे। अभिषेक बोला- सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
घर वापस आकर अभिषेक ने सबसे पहले मंदिर में भगवान के दर्शन किए। गली मोहल्ले के लोगों से मिला। अभिषेक ने बताया कि वहां पर उसका बहुत बुरा हाल हो गया है। रहने, खाने और आजादी से जी तक नहीं पा रहा था। अपने भारत देश जैसा वहां कुछ भी हीं था। अपना देश हिंदुस्तान सबसे अच्छा है। उसने बताया- वहां जाने के बाद ही फैक्ट्री के मालिक ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। पेट भर के खाना तक नहीं देता था। सोने के लिए बेड क्या बिस्तर तक नहीं दिए थे। जमीन पर ही सोना पड़ता था। रातभर इधर-उधर करवट लेता रहता था। परिवार की याद में रोते-रोते सो जाता था। फिर सुबह उठकर 12-13 घंटे लगातार काम करता था। मालिक हर पल मेरे ऊपर नजर रखता था। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगे थे। जैसे ही मैं काम से 5-10 मिनट के लिए भी हटता था, तुरंत मुझे फटकारने लगते थे।और तो और मैं घर से इतना दूर था। उसके बाद भी मुझे मोबाइल पर बात नहीं करने देता था। मैं अपने मम्मी-पापा और भाई से बात करने के लिए तरस जाता था। लेकिन बस रोकर रह जाता था। मैं यही सोचना था कि मेरे घर वाले कैसे होंगे। वो मेरे लिए सोच-सोचकर कितना परेशान हो रहे होंगे। मैं क्या करूं, कैसे यहां से बाहर निकलूं। काम के 2 महीने बाद ही मुझे पता लग गया था कि मैंने यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी। इसके बाद से ही मैंने भारत वापस आने की कोशिश शुरू कर दी। 16 दिसंबर को मैंने वीडियो कॉल कर अपने साथ हो रही ज्यादती के बारे में अपने घर पर बताया। मैं भारत वापस आना चाहता हूं, लेकिन मालिक आने नहीं दे रहा। फिर घरवालों ने मालिक से बात की, तो उन्होंने 5 लाख रुपए भेजने पर ही मेरा पासपोर्ट देने की शर्त रखी थी। पिता बोले- बेटे को वापस लाने के लिए हमने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर प्रार्थना पत्र दिया। एत्मादपुर विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह से भी मुलाकात की थी। आगरा के डीएम अरविंद बंगारी ने इस मामले में खुद पैरवी की। प्रशासन के हस्ताक्षेप और विधायक की पैरवी के चलते गुरुवार को अभिषेक वापस इंडिया आ गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर मैं और अभिषेक का बड़ा भाई उसे लेने गए थे। बेटे को वापस देखकर मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे। एंबेसी ने मालिक से दिलवाए 200 डॉलर
अभिषेक ने बताया कि भारत से दबाव पड़ने पर इंडियन एंबेसी ने उसके मालिक को तलब कर लिया था। इसके बाद उनसे 200 डॉलर देने के लिए कहा था। तब मालिक ने 200 डॉलर दिए थे, लेकिन इतने पैसे सफर के लिए काफी नहीं थे। ये बात मोहम्मद अनवर भाई को पता थी। जब मैं चलने लगा तो उन्होंने मेरी जेब में 45 डॉलर और रख दिए। बोले- ये सफर में काम आएंगे। इसके बाद वो लगातार वीडियो कॉल कर हालचाल लेते रहे थे। अब नहीं जाऊंगा, दो पैसे कम कमा लूंगा वो ठीक है
साउथ अफ्रीका से वापस आए अभिषेक ने कहा अब वो नौकरी के लिए कभी बाहर नहीं जाएंगे। अपने देश में रहकर भले ही दो पैसे कम कमा लूंगा, लेकिन यही रहूंगा। अपने देश से अच्छा कुछ भी नहीं है। इंडिया वापस आने के बाद ये लग रहा है कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। यकीन नहीं हो रहा कि घर वापस आ गया हूं। वाकई में मुझे नई जिंदगी मिली है। विधायक ने की मदद
अभिषेक के वापस आने पर एत्मादपुर विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह उसके घर आए। उन्होंने मिठाई खिलाकर उसका स्वागत किया। अभिषेक के परिजनों ने विधायक और डीएम का धन्यवाद दिया। क्षेत्रीय पार्षद प्रकाश केशवानी भी मौजूद रहे। ————————————- पढ़े ये खबर भी… बाइक रुकते ही गिर गया भाई, चीख तक नहीं निकली:बहन बोली- मां के हाथ में फंसा मांझा निकालती रही, भाई का गला कटा था भाई के साथ मैं और मां नाना के बरसी में शामिल होने लहरतारा, नई बस्ती जा रहे थे। कैंट स्टेशन के सामने मां के हाथ में चाइनीज मांझा उलझ गया, जिसे हटाते हुए भाई से गाड़ी रोकने को कहा। बाइक रुकी तो मां के हाथ से मांझा हटाने लगी। उधर भाई बाइक पर औंधे मुंह गिर गया। उसे देखते ही चीख निकल पड़ी। उसके गले से खून की धारा निकल रही थी। गला काफी गहरा कट गया था। यह कहना है कोनिया के रहने वाले विवेक शर्मा (25) की बहन सोनम शर्मा का। विवेक की 31 दिसंबर की शाम चाइनीज मांझे से गला कटने से मौत हो गई हादसे के समय बहन सोनम भी साथ ही थी। ​​​​सोनम ने सिसकते हुए बताया-भाई को तो बोलने तक का मौका नहीं मिला और मांझे ने उसकी जिंदगी की डोर काट दी। पढ़ें पूरी खबर… ‘मुझे टॉर्चर किया जाता था। मामूली गलती पर पीट देते थे। सोने को बेड नहीं था, जमीन पर सुलाते थे। 12-12 घंटे काम लेते। मोबाइल छीन लिया, ताकि परिवार को कुछ बता न सकूं। जब भारत वापस आने की इच्छा जाहिर की। तब मालिक ने कमरे में बंद कर दिया। मेरा पासपोर्ट छीन लिया।’ ये दर्द है साउथ अफ्रीका में 5 महीने 20 दिन फंसे रहे अभिषेक शर्मा का। वह आगरा में अपने परिवार के पास पहुंच चुके हैं। मगर जॉब और हैवी पैकेज के नाम पर साउथ अफ्रीका पहुंचने और फिर फंसने की कहानी सुनाई। दैनिक भास्कर ने आगरा में उनके घर पर उनसे मुलाकात की। पढ़िए रिपोर्ट… CCTV से रखते थे नजर, गंदी-गंदी गालियां देते
2 जनवरी की शाम को दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर अभिषेक शर्मा की फ्लाइट लैंड हुई। रात में 9 बजे तक वह आगरा के घर पहुंचे। इस दौरान अभिषेक भावुक दिखे। अफ्रीका में उनके साथ जो कुछ हुआ, उसको बताते हुए परेशान हो जाते। बोले- मैं बहुत परेशान हो गया। घर में अपने परिवार को सब कुछ बताना चाहता था, मगर मेरा मोबाइल छीन लिया। क्या करता…। जहां काम करता था, वहां CCTV लगे थे। वो दिनभर मुझ पर नजर रखते थे। जब उन्हें पता चला कि मैं इंडिया वापस आना चाहता हूं, तब वो मेरे काम में कमियां निकालने लगे। मुझे गंदी-गंदी गालियां देते थे। सिर्फ मालिक को खुश रखने के लिए मैं वो जाे कुछ भी बताते। सब परफेक्ट तरीके से करता। मगर टॉर्चर बंद नहीं हुआ। लगा कि जाने कहां फंस गया हूं। बोले- 5 लाख दो…तब जा सकोगे वापस
1 दिन मुझे मालिक ने बुलाया। पूछा- तुम वापस जाना चाहते हो। मैं बता दिया कि मन नहीं लग रहा है। तब उसने कहा- 5 लाख रुपए अपने घर से मंगवा लो। तभी जा पाओगे। वरना यहां जो भी आया है, वो बंधक रहा है। तब मुझे लगा कि मैं तो फंस चुका हूं। वहां मेरी तरह और लोग भी थे। एक पाकिस्तान से आए हुए अनवर उस्मान भी मिले। उन्होंने मेरी भारत लौटने में बहुत मदद की। मैं अपने साथ कुछ गलत कर लेता, मगर वह बड़े भाई की तरह संभालते रहे। मुझे समझाते रहे। मुझे 45 डॉलर भी दिए, उन्हीं की मदद की बदौलत में वापस आ सका हूं। साउथ अफ्रीका में फैक्ट्री में जॉब करने गया था अभिषेक
आगरा के ट्रांस यमुना कॉलोनी में आलोक शर्मा रहते हैं। उनका छोटा बेटा अभिषेक शर्मा अपने परिचित की मदद से साउथ अफ्रीका की एक फैक्ट्री में जॉब करने गया था। वहां कंपनी के मालिक प्रदीप गजवानी ने उसे अच्छे वेतन और रहने-खाने की सुविधा देने की बात कही थी। घर की स्थिति अच्छी हो जाएगी, ये सोचकर अभिषेक और उसके माता-पिता भी इस नौकरी के लिए मान गए। पिता बोले- हमने सोचा कि जानने वाले ने नौकरी बताई है, तो सही ही होगी। और फिर जब कंपनी के मालिक ने खुद बात की है, तब डरने की कोई बात नहीं है। पिता बोले- जब बेटा वहां पहुंच गया तो कुछ दिन बाद बेटे ने 5 मिनट के लिए फोन किया और बताया कि कंपनी मालिक ने उसका पासपोर्ट छीन लिया। उसे मोबाइल पर बात तक नहीं करने देते हैं। इसलिए जल्दी-जल्दी में बात करके फोन काट दिया। अब बहुत परेशान हो गए थे कि अब हमारे बेटे का क्या होगा। वो ठीक है की नहीं। उसके साथ कोई नहीं है। भगवान से रात-दिन प्रार्थना करते थे, कि जल्द हमारा बेटा वापस आ जाए। मेरे बेटे ने उसकी फैक्ट्री में 5 महीने से ज्यादा दिन काम किया उसके मालिक ने 15 दिन पहले केवल 30 हजार रुपए पकड़ाए थे। अभिषेक बोला- सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
घर वापस आकर अभिषेक ने सबसे पहले मंदिर में भगवान के दर्शन किए। गली मोहल्ले के लोगों से मिला। अभिषेक ने बताया कि वहां पर उसका बहुत बुरा हाल हो गया है। रहने, खाने और आजादी से जी तक नहीं पा रहा था। अपने भारत देश जैसा वहां कुछ भी हीं था। अपना देश हिंदुस्तान सबसे अच्छा है। उसने बताया- वहां जाने के बाद ही फैक्ट्री के मालिक ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। पेट भर के खाना तक नहीं देता था। सोने के लिए बेड क्या बिस्तर तक नहीं दिए थे। जमीन पर ही सोना पड़ता था। रातभर इधर-उधर करवट लेता रहता था। परिवार की याद में रोते-रोते सो जाता था। फिर सुबह उठकर 12-13 घंटे लगातार काम करता था। मालिक हर पल मेरे ऊपर नजर रखता था। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगे थे। जैसे ही मैं काम से 5-10 मिनट के लिए भी हटता था, तुरंत मुझे फटकारने लगते थे।और तो और मैं घर से इतना दूर था। उसके बाद भी मुझे मोबाइल पर बात नहीं करने देता था। मैं अपने मम्मी-पापा और भाई से बात करने के लिए तरस जाता था। लेकिन बस रोकर रह जाता था। मैं यही सोचना था कि मेरे घर वाले कैसे होंगे। वो मेरे लिए सोच-सोचकर कितना परेशान हो रहे होंगे। मैं क्या करूं, कैसे यहां से बाहर निकलूं। काम के 2 महीने बाद ही मुझे पता लग गया था कि मैंने यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी। इसके बाद से ही मैंने भारत वापस आने की कोशिश शुरू कर दी। 16 दिसंबर को मैंने वीडियो कॉल कर अपने साथ हो रही ज्यादती के बारे में अपने घर पर बताया। मैं भारत वापस आना चाहता हूं, लेकिन मालिक आने नहीं दे रहा। फिर घरवालों ने मालिक से बात की, तो उन्होंने 5 लाख रुपए भेजने पर ही मेरा पासपोर्ट देने की शर्त रखी थी। पिता बोले- बेटे को वापस लाने के लिए हमने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर प्रार्थना पत्र दिया। एत्मादपुर विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह से भी मुलाकात की थी। आगरा के डीएम अरविंद बंगारी ने इस मामले में खुद पैरवी की। प्रशासन के हस्ताक्षेप और विधायक की पैरवी के चलते गुरुवार को अभिषेक वापस इंडिया आ गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर मैं और अभिषेक का बड़ा भाई उसे लेने गए थे। बेटे को वापस देखकर मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे। एंबेसी ने मालिक से दिलवाए 200 डॉलर
अभिषेक ने बताया कि भारत से दबाव पड़ने पर इंडियन एंबेसी ने उसके मालिक को तलब कर लिया था। इसके बाद उनसे 200 डॉलर देने के लिए कहा था। तब मालिक ने 200 डॉलर दिए थे, लेकिन इतने पैसे सफर के लिए काफी नहीं थे। ये बात मोहम्मद अनवर भाई को पता थी। जब मैं चलने लगा तो उन्होंने मेरी जेब में 45 डॉलर और रख दिए। बोले- ये सफर में काम आएंगे। इसके बाद वो लगातार वीडियो कॉल कर हालचाल लेते रहे थे। अब नहीं जाऊंगा, दो पैसे कम कमा लूंगा वो ठीक है
साउथ अफ्रीका से वापस आए अभिषेक ने कहा अब वो नौकरी के लिए कभी बाहर नहीं जाएंगे। अपने देश में रहकर भले ही दो पैसे कम कमा लूंगा, लेकिन यही रहूंगा। अपने देश से अच्छा कुछ भी नहीं है। इंडिया वापस आने के बाद ये लग रहा है कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। यकीन नहीं हो रहा कि घर वापस आ गया हूं। वाकई में मुझे नई जिंदगी मिली है। विधायक ने की मदद
अभिषेक के वापस आने पर एत्मादपुर विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह उसके घर आए। उन्होंने मिठाई खिलाकर उसका स्वागत किया। अभिषेक के परिजनों ने विधायक और डीएम का धन्यवाद दिया। क्षेत्रीय पार्षद प्रकाश केशवानी भी मौजूद रहे। ————————————- पढ़े ये खबर भी… बाइक रुकते ही गिर गया भाई, चीख तक नहीं निकली:बहन बोली- मां के हाथ में फंसा मांझा निकालती रही, भाई का गला कटा था भाई के साथ मैं और मां नाना के बरसी में शामिल होने लहरतारा, नई बस्ती जा रहे थे। कैंट स्टेशन के सामने मां के हाथ में चाइनीज मांझा उलझ गया, जिसे हटाते हुए भाई से गाड़ी रोकने को कहा। बाइक रुकी तो मां के हाथ से मांझा हटाने लगी। उधर भाई बाइक पर औंधे मुंह गिर गया। उसे देखते ही चीख निकल पड़ी। उसके गले से खून की धारा निकल रही थी। गला काफी गहरा कट गया था। यह कहना है कोनिया के रहने वाले विवेक शर्मा (25) की बहन सोनम शर्मा का। विवेक की 31 दिसंबर की शाम चाइनीज मांझे से गला कटने से मौत हो गई हादसे के समय बहन सोनम भी साथ ही थी। ​​​​सोनम ने सिसकते हुए बताया-भाई को तो बोलने तक का मौका नहीं मिला और मांझे ने उसकी जिंदगी की डोर काट दी। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर