हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले नई पंचायतें बनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रस्ताव मिल रहे हैं। पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग को अब तक 550 परपोजल मिल चुके है। इन्हें इसी महीने राज्य सरकार को भेजा जाएगा। इन पर कैबिनेट में चर्चा होगी, ताकि नई पंचायतें बनाने के लिए सरकार मापदंड तय किए जा सके। क्राइट-एरिया तय होने के बाद नई पंचायतों का गठन होगा। यह काम अप्रैल तक पूरा कर दिया जाएगा। इससे पहले पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग अब फिजिबिलिटी देखेगा कि कौन की नई पंचायत बनाई जा सकती है। कहां पर नई पंचायत बनाना जरूरी है। पंचायतीराज एक्ट में नई पंचायत के लिए कम से कम 1000 वोटर का होना अनिवार्य है। इसके अलावा सरकार अपने स्तर पर भी नई पंचायतें बनाने को मानदंड तय कर सकती है। 2020 में बनी पंचायतों में अभी भी स्टाफ व दफ्तर नहीं प्रदेश में अभी 3615 पंचायतें है। 2020 के चुनाव के दौरान भी पूर्व भाजपा सरकार ने 412 नई पंचायतें बनाई थी। हैरानी इस बात की है कि चार साल बीतने के बाद भी अधिकांश पंचायतों में पूरा स्टाफ नहीं है। कई पंचायतों के पास अभी भी अपना पंचायत घर नहीं है। इससे पंचायतें किराए के कमरों में चल रही है। एक पंचायत पर 25 से 30 लाख खर्च एक पंचायत बनने से सरकार पर 25 से 30 लाख रुपए सालाना अतिरिक्त खर्च पड़ता है। राज्य सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही है और 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज हो गया। ऐसे में नई पंचायतें बनाने से सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ेगा। प्रत्येक पंचायत को लगभग 17 लाख रुपए नॉन रैकरिंग खर्च यानी बिल्डिंग, कंप्यूटर व फर्नीचर के लिए बजट की जरूरत पड़ती है। इसी तरह 10 से 12 लाख रुपए रैकरिंग यानी स्टाफ इत्यादि पर खर्च आता है। जाहिर है कि सरकार इन सब चीजों को देखते हुए नई पंचायतें बनाने का फैसला लेगी। निर्वाचन विभाग ने जल्दी पंचायतें बनाने को कहा वहीं राज्य का निर्वाचन विभाग भी अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। विभाग ने सरकार को भी जल्द नई पंचायतें बनाने को कह दिया है, क्योंकि पंचायतें बनने के बाद ही वोटर लिस्ट बनाने, आरक्षण रोस्टर और पोलिंग बूथ बनाने जैसे काम काम शुरू होंगे। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी नई पंचायतें बनाने में देरी की वजह से चुनाव नवंबर-दिसंबर के बजाय फरवरी में संपन्न हुए थे। 27 नगर परिषद और 39 नगर पंचायतों में भी वोटिंग पंचायतों के साथ साथ नगर पंचायत और नगर परिषद के भी चुनाव करवाए जाने है। राज्य में अभी 27 नगर परिषद और 39 नगर पंचायत भी हैं। इनमें भी पंचायतों के साथ चुनाव करवाए जाएंगे। नगर परिषद और नगर पंचायत में वार्ड मेंबर व पार्षद के चुनाव होंगे, जबकि पंचायतों में प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के चुनाव होने है। हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले नई पंचायतें बनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रस्ताव मिल रहे हैं। पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग को अब तक 550 परपोजल मिल चुके है। इन्हें इसी महीने राज्य सरकार को भेजा जाएगा। इन पर कैबिनेट में चर्चा होगी, ताकि नई पंचायतें बनाने के लिए सरकार मापदंड तय किए जा सके। क्राइट-एरिया तय होने के बाद नई पंचायतों का गठन होगा। यह काम अप्रैल तक पूरा कर दिया जाएगा। इससे पहले पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग अब फिजिबिलिटी देखेगा कि कौन की नई पंचायत बनाई जा सकती है। कहां पर नई पंचायत बनाना जरूरी है। पंचायतीराज एक्ट में नई पंचायत के लिए कम से कम 1000 वोटर का होना अनिवार्य है। इसके अलावा सरकार अपने स्तर पर भी नई पंचायतें बनाने को मानदंड तय कर सकती है। 2020 में बनी पंचायतों में अभी भी स्टाफ व दफ्तर नहीं प्रदेश में अभी 3615 पंचायतें है। 2020 के चुनाव के दौरान भी पूर्व भाजपा सरकार ने 412 नई पंचायतें बनाई थी। हैरानी इस बात की है कि चार साल बीतने के बाद भी अधिकांश पंचायतों में पूरा स्टाफ नहीं है। कई पंचायतों के पास अभी भी अपना पंचायत घर नहीं है। इससे पंचायतें किराए के कमरों में चल रही है। एक पंचायत पर 25 से 30 लाख खर्च एक पंचायत बनने से सरकार पर 25 से 30 लाख रुपए सालाना अतिरिक्त खर्च पड़ता है। राज्य सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही है और 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज हो गया। ऐसे में नई पंचायतें बनाने से सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ेगा। प्रत्येक पंचायत को लगभग 17 लाख रुपए नॉन रैकरिंग खर्च यानी बिल्डिंग, कंप्यूटर व फर्नीचर के लिए बजट की जरूरत पड़ती है। इसी तरह 10 से 12 लाख रुपए रैकरिंग यानी स्टाफ इत्यादि पर खर्च आता है। जाहिर है कि सरकार इन सब चीजों को देखते हुए नई पंचायतें बनाने का फैसला लेगी। निर्वाचन विभाग ने जल्दी पंचायतें बनाने को कहा वहीं राज्य का निर्वाचन विभाग भी अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। विभाग ने सरकार को भी जल्द नई पंचायतें बनाने को कह दिया है, क्योंकि पंचायतें बनने के बाद ही वोटर लिस्ट बनाने, आरक्षण रोस्टर और पोलिंग बूथ बनाने जैसे काम काम शुरू होंगे। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी नई पंचायतें बनाने में देरी की वजह से चुनाव नवंबर-दिसंबर के बजाय फरवरी में संपन्न हुए थे। 27 नगर परिषद और 39 नगर पंचायतों में भी वोटिंग पंचायतों के साथ साथ नगर पंचायत और नगर परिषद के भी चुनाव करवाए जाने है। राज्य में अभी 27 नगर परिषद और 39 नगर पंचायत भी हैं। इनमें भी पंचायतों के साथ चुनाव करवाए जाएंगे। नगर परिषद और नगर पंचायत में वार्ड मेंबर व पार्षद के चुनाव होंगे, जबकि पंचायतों में प्रधान, उप प्रधान, वार्ड मेंबर, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के चुनाव होने है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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