यूपी उपचुनाव में हाथी बिगाड़ेगा साइकिल की चाल!:बसपा प्रत्याशी 4 सीटों पर बिगाड़ सकते हैं सपा का गणित, 3 पर भाजपा को खतरा विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव होना है। 13 नवंबर को वोटिंग होगी। भाजपा और सपा ने सभी 9 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। बसपा अभी तक 8 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है। अलीगढ़ की खैर सीट से बसपा ने अभी तक किसी को टिकट नहीं दिया है। इसके साथ ही चुनाव की तस्वीर भी साफ हो गई है। वैसे तो 9 सीटों पर मुकाबला तो त्रिकोणीय होगा, लेकिन कांटे की टक्कर भाजपा और सपा के बीच ही होगी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बसपा ने उपचुनाव में 8 प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। बसपा का हाथी 4 सीटों पर साइकिल की रफ्तार को बिगाड़ेगा। वहीं, 3 सीटों पर कमल के लिए भी मुश्किल खड़ी करेगा। विधानसभा उपचुनाव में NDA ने 9 सीटों पर 5 पिछड़े, 2 ब्राह्मण, 1 ठाकुर और 1 दलित प्रत्याशी उतारा है। 2 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है। सपा ने 4 मुस्लिम, 3 पिछड़े और 2 दलित उम्मीदवार उतार कर PDA पर अमल किया है। सपा ने अगड़ी जाति का एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा। लेकिन, 5 महिलाओं को टिकट दिया है। वहीं, बसपा के 8 प्रत्याशियों में 2 मुस्लिम, 2 ब्राह्मण, 2 पिछडे, 1 वैश्य, 1 ठाकुर प्रत्याशी उतारे हैं। सीटवार जानिए बसपा कहां-किसके लिए बन सकती है बाधा 1-कटेहरी: कुर्मी वोट होगा अहम
कटेहरी सीट पर सपा ने बसपा सरकार में ताकतवर मंत्री रहे और अंबेडकर नगर से सपा के मौजूदा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी ओमवती को प्रत्याशी बनाया है। यह कुर्मी, निषाद और ब्राह्मण बहुल सीट है। भाजपा ने भी 1996, 2002 और 2007 में बसपा के विधायक और मंत्री रहे धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने कुर्मी समाज के अमित वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अमित वर्मा के मैदान में आने से सपा को कुर्मी वोट में नुकसान होगा। अमित को जितने भी कुर्मी वोट मिलेंगे, उसका नुकसान सपा को ही होगा। 2-करहल: शाक्य वोट तय करेंगे हार-जीत
मैनपुरी की करहल सीट सैफई परिवार का गढ़ मानी जाती है। करहल में यादव, शाक्य, मुस्लिम, ठाकुर और दलित मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। सपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को यहां से प्रत्याशी बनाया है। वहीं, भाजपा ने यादव परिवार के दामाद अनुजेश यादव को प्रत्याशी घोषित कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। करहल सीट का पिछला इतिहास बताता है कि यादव के साथ शाक्य भी सपा का मतदाता रहा है। बसपा ने सपा के शाक्य वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए डॉ. अवनीश कुमार शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। डॉ. शाक्य को बड़ी संख्या में सजातीय वोट मिल सकते हैं। शाक्य की मैदान में मौजूदगी से सपा को उनका वोट पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। 3- कुंदरकी: मुस्लिम मतदाता तय करेंगे रिजल्ट
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट का हाल भी कुछ ऐसा ही है। कुंदरकी में 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। जाट, सैनी, पाल और ठाकुर बिरादरी की भी अच्छी संख्या है। सपा ने हाजी रिजवान को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, भाजपा ने 2012, 2017 में इस सीट से चुनाव हारे रामवीर सिंह ठाकुर पर फिर दांव खेला है। बसपा ने भी यहां रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा (मुस्लिम प्रत्याशी) को उतारा है। जानकार मानते हैं, भाजपा सरकार और संगठन ने उपचुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ा है। इसलिए पूरी ताकत लगाई जा रही है। ऐसे में जब मुकाबला कड़ा होगा, तो बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी रफतउल्ला मुस्लिम वोट बैंक में जितना सेंध लगा पाएंगे, उतना ही सपा को नुकसान होगा। अगर रफतउल्ला को स्थानीय मशीनरी का संरक्षण मिल गया, तो वह मुकाबले को रोचक भी बना सकते हैं। 4- मीरापुर: मुस्लिम बहुल सीट पर शाहनजर की मौजूदगी का पड़ेगा असर
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट भी मुस्लिम बहुल है। दूसरे नंबर पर दलित मतदाता हैं। पिछड़े वर्ग में जाट, पाल, गुर्जर, सैनी मतदाता हैं। जाट, पाल सीट भाजपा ने गठबंधन की सहयोगी रालोद को दी है। रालोद ने पाल बिरादरी की मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सपा ने सुम्बुल राणा को मैदान में उतारा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मीरापुर में मुस्लिम वोट एकतरफा सपा की तरफ जाता है। सपा के मुस्लिम वोट में सेंध लगाने के लिए बसपा ने शाहनजर को प्रत्याशी बनाया है। शाहनजर मुकाबले को अगर त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे, तो उसका नुकसान सपा को हो सकता है। 5- सीसामऊ: सभी दलों के लिए ब्राह्मण वोट अहम
कानपुर की सीसामऊ सीट पर 42 फीसदी मुस्लिम हैं। 40 हजार से ज्यादा ब्राह्मण, 50 हजार से अधिक दलित और 30 हजार से अधिक वैश्य मतदाता भी हैं। भाजपा ने उपचुनाव में ध्रुवीकरण के लिए काफी मंथन और मशक्कत के बाद सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी घोषित किया। वहीं, सपा ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने वीरेंद्र कुमार शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। स्थानीय लोगों का कहना है, यूं तो सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच होगी। लेकिन वीरेंद्र शुक्ला ब्राह्मणों के जितने भी वोट लेने में सफल होंगे, उतना ही भाजपा को नुकसान होगा। सीसामऊ को भाजपा नेतृत्व कांटे के टक्कर वाली सीट मानता है। ऐसे में शुक्ला जितने वोट खींच पाएंगे, उतना भाजपा की चिंता बढ़ेगी। 6-मझवां: ब्राह्मण और जाटव वोट से मुकाबला रोचक
मिर्जापुर जिले की मझवां सीट पर पिछड़े वर्ग में सबसे अधिक बिंद समाज के मतदाता हैं। बिंद के बाद मौर्य और कुर्मी भी बड़ी संख्या में हैं। अगड़ी जातियों में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं। ठाकुर मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। दलित वर्ग में जाटव समाज के मतदाता हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सपा ने ज्योति बिंद को मैदान में उतारा है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा प्रत्याशी दीपक तिवारी अगर ब्राह्मण वोट खींचने में सफल रहे, तो ब्राह्मण और जाटव वोट मिलकर मुकाबले को रोचक बनाएंगे। दीपक तिवारी ब्राह्मण और जाटव समाज के जितने अधिक वोट लेंगे, उतना ही भाजपा की राह मुश्किल करेंगे। 7- गाजियाबाद: वैश्य वोट बैंक में सेंध लगी तो रोचक होगा मुकाबला
राष्ट्रीय राजधानी के करीब वाली गाजियाबाद ब्राह्मण और वैश्य बहुल सीट है। भाजपा ने गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग के सांसद बनने के बाद ब्राह्मण समाज के संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने सामान्य की सीट पर दलित वर्ग के सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाकर दलित कार्ड खेला है। वहीं, बसपा ने वैश्य समाज के परमानंद गर्ग को प्रत्याशी बनाया है। परमानंद अगर भाजपा के वैश्य वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहे, तो मुकाबला रोचक होगा। मायावती संदेश देना चाहती हैं
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जिस तरह मीडिया और सोशल मीडिया में बसपा को भाजपा की बी टीम बताया जाता है, लोकसभा चुनाव में बसपा को उसका नुकसान हुआ। वैसे तो बसपा ने अधिकांश उपचुनाव नहीं लड़े हैं। लेकिन, इस बार 8 प्रत्याशी उतारे हैं। इससे लगता है, मायावती यह संदेश देना चाहती है कि बसपा भाजपा की B-टीम नहीं है। इसलिए प्रत्याशी चयन में मायावती ने ध्यान रखा है कि उनके प्रत्याशी कहीं सपा, तो कहीं भाजपा के वोट में सेंध लगाएंगे। राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्ट कहते हैं- बसपा जातीय अस्मिता की राजनीति में बहुत पीछे छूट गई है। बसपा के पास किसी जाति का बड़ा वोट बैंक नहीं बचा है। उनका अधिकांश जाटव वोट बैंक भी सपा और भाजपा में चला गया। उपचुनाव की लड़ाई में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने जा रहा है। बसपा की ज्यादा भूमिका दिखती नहीं है। पार्टी अपने बिखरते जनाधार को रोकने के लिए लड़ रही है। सपा ने पश्चिमी यूपी के जाटवों को संदेश देने के लिए गाजियाबाद शहर की सामान्य सीट से जाटव को टिकट दिया है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का कहना है कि उपचुनाव में वैसे तो बसपा को गंभीर नहीं ले रही। बीते दो चुनाव से बसपा वोट कटवा साबित हो रही है। वह ऐसी मजबूत स्थिति में नहीं है कि चुनाव जीत सके। उनका उम्मीदवार किसी न किसी दल को नुकसान पहुंचाएगा। कटेहरी में सपा की शोभावती वर्मा और बसपा ने अमित वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों कुर्मी समाज से हैं। अमित वर्मा सीधा नुकसान भाजपा और सपा दोनों को पहुंचाएंगे। —————— ये भी पढ़ें… भाजपा ने सीसामऊ से सुरेश अवस्थी को उतारा, मीरापुर से रालोद की मिथलेश पाल को टिकट; करहल से अखिलेश के बहनोई को उतारा भाजपा ने यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए अपने खाते की 8 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। 9वीं सीट मुजफ्फरनगर की मीरापुर रालोद को दी है। यहां मिथलेश पाल को टिकट दिया गया है। भाजपा ने कानपुर की सीसामऊ सीट से सुरेश अवस्थी को टिकट दिया है। सुरेश अवस्थी भाजपा के प्रदेश मंत्री और कानपुर क्षेत्र में क्षेत्रीय महामंत्री रहे हैं। मैनपुरी की करहल से अनुजेश यादव को टिकट दिया है। अनुजेश सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं। अखिलेश यादव के भी रिश्ते में बहनोई लगते हैं। पढ़ें पूरी खबर