श्रृंगवेरपुर धाम क्यों है खास, PM मोदी करेंगे उद्धाटन:राम की कुटिया को निषादराज पार्क बनाया, महाकुंभ से पहले संदेश- सभी जातियां समान प्रयागराज से 40 किमी दूर प्रभु श्रीराम के मित्र निषादराज का गांव श्रृंगवेरपुर है। यह गंगा के तट पर बसा है। श्रृंगवेरपुर धाम वही स्थल है, जहां वनवास के समय अयोध्या से निकले श्री राम सबसे पहले पहुंचे थे। यहीं पर उनकी भेंट राजा निषादराज से हुई थी। केवट ने श्रीराम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराई थी। यहां श्री राम ने एक रात विश्राम भी किया था। यहां 32 बीघे जमीन पर 165 करोड़ की लागत से पार्क तैयार किया गया है। 51 फीट ऊंची श्री राम और निषादराज की प्रतिमा लगाई गई है। PM मोदी 13 दिसंबर को इस पार्क का उद्घाटन करने आएंगे। अब सवाल यह है कि लंबे समय से उपेक्षित श्रृंगवेरपुर अचानक क्यों सुर्खियों में हैं? इसके 2 जवाब मिलते हैं… रामायण सर्किट के 15 स्पॉट में श्रृंगवेरपुर
रामायण सर्किट में भारत के 15 स्पॉट में शामिल श्रृंगवेरपुर धाम कितना खास है, ये समझने के लिए भास्कर टीम कानपुर-बनारस हाईवे से आगे बढ़ी। करीब 2 Km दूर से प्रभु श्रीराम की निषादराज को गले लगाती हुई प्रतिमा दिखी। ड्राइवर ने हमें बता दिया कि श्रृंगवेरपुर धाम आ चुका है। यहां सड़क नए सिरे से बनाई गई थी। कहीं राम-सीता को रोकते अयोध्यावासी, कहीं केवट प्रसंग दिखा
पार्क के गेट तक पहुंचते ही अंदाजा हो गया कि इसका निर्माण करते समय भव्यता का खास ध्यान रखा गया है। हम विशाल द्वार से अंदर प्रवेश करते हुए पार्क के अंदर पहुंचे। देखने पर ऐसा लगा जैसे श्रीराम के समय का त्रेतायुग हो। पत्थरों को तराश कर बड़ी ही खूबसूरती से तैयार किया गया है। यहां सामने सत्संग भवन की तरफ बढ़ने पर बहुत ही आकर्षक झलकियां दिखाई पड़ीं, जिसमें नाव पर केवट श्रीराम को गंगा पार करा रहे हैं। नाव पर श्रीराम के साथ-साथ मां सीता, लक्ष्मण और निषादराज भी विराजमान हैं। इसके बाईं तरफ 51 फिट की वह प्रतिमा दिखती है, जिसमें श्रीराम और निषादराज गले मिलते दिख रहे हैं। प्रतिमा के सामने इस समय बड़ी संख्या में कारीगर साफ-सफाई में जुटे हैं। पास में ही अयोध्या के उस दृश्य को दिखाया गया है, जिसमें श्रीराम नंगे पांव चल रहे हैं और सीता-लक्ष्मण भी पीछे-पीछे आ रहे हैं। वहीं, पीछे अयोध्यावासी विलाप करते दिख रहे हैं। पार्क के दूसरे छोर पर उस कुटिया का बड़ा ही मार्मिक दृश्य दिख रहा है, जहां चित्रकूट में श्रीराम रहते थे। कुटिया के बाहर राम और सीता आसन पर बैठे हैं, जबकि लक्ष्मण हाथों में धनुष लिए खड़े हैं। पूरे पार्क में अलग-अलग प्रजाति के फूल लगाए गए हैं। दीवारों पर पत्थर की नक्काशी से श्रीराम के वन आगमन की यात्रा और प्रयागराज स्थित भारद्वाज आश्रम का भी दृश्य दिखाया गया है, जिसमें श्रीराम उनके पास बैठे दिख रहे हैं। त्रेता युग जैसा लगता है नजारा
श्रृंगवेरपुर के रहने वाले अमित द्विवेदी बचपन से ही इस धरती से जुड़ाव रखते हैं। वह कहते हैं- हमने उस त्रेतायुग को नहीं देखा था, लेकिन आज ऐसा महसूस हो रहा है कि त्रेतायुग में भी इसी तरह से लोग खुशहाल हुए होंगे, जब प्रभु श्रीराम के पैर यहां पड़े थे। जिस तरह से राजा निषादराज ने उनका स्वागत किया था, उसी तरह से आज प्रधानमंत्री के स्वागत को पूरा श्रृंगवेरपुर धाम उत्साहित है। वहीं पार्क की क्यारियों में फूल लगा रहीं सुमित्रा देवी कहती हैं- आज ऐसा लग रहा है जैसे हमारे श्रीराम आ रहे हैं। हम इन फूलों से प्रभु के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। यहां सभी केवट निषादराज, सबको राम की तरह समझते हैं
केवट संदीप कुमार निषाद कहते हैं- हम निषादराज के वंशज हैं। जिस भाव से निषादराज ने श्रीराम को नाव से गंगा पार कराया था, उसी भाव से हम लोग आज भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को नाव पर सैर कराते हैं। होम स्टे, लोकल खानपान टूरिस्ट को अलग अनुभव देंगे
इसके बाद भास्कर ने प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह से बात की। उन्होंने कहा- श्रृंगवेरपुर धाम बनकर तैयार है। 37.32 करोड़ से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल 2 फेज में बनकर तैयार हुआ है। रूरल टूरिज्म के तहत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किया गया। ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था दी गई है। यहां के लोगों ने अपने यहां मड हाउस या हट बनाई हैं। ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। लोकल खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जा रहा है। श्रृंगवेरपुर के जरिए यूपी में साधने वाले सियासी मायने समझिए… निषादराज पार्क बनने से क्या BJP को कोई सियासी फायदा होगा? वरिष्ठ पत्रकार सुनील शुक्ला कहते हैं- उत्तर प्रदेश में 12 से ज्यादा ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं, जहां निषाद समुदाय की बड़ी भूमिका है। इसमें प्रयागराज, फूलपुर, फतेहपुर, मिर्जापुर और चंदौली जैसे जिले शामिल हैं। यहां पर उनकी उपस्थिति का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सपा ने फूलन देवी को मिर्जापुर भदोही संसदीय सीट से चुनाव लड़ाकर संसद में भेजा था। अब निषादराज पार्क के मायने समझते हैं। भाजपा जो सामाजिक एकता का संदेश देना चाहती है, मगर यह OBC वोटर्स के लिए शायद काफी नहीं होगा। भाजपा बहुत पहले से ही निषाद समुदाय पर नजर बनाए है। पार्टी अगर निषाद समुदाय या अन्य OBC को साथ लाना चाहती है तो उनके मन में आरक्षण की दुविधा को दूर करना होगा। यही एक मात्र तरीका है। श्रृंगवेरपुर से जुड़ी मान्यताएं भी जानिए…
पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर श्रृंगवेरपुर आते हैं लोग
श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर श्रीमद़्जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीनारायणचार्य शांडिल्य महाराज बताते हैं कि राजा दशरथ के 4 पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न के बारे में हर कोई जानता था। लेकिन उनकी एक पुत्री के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। दरअसल, राजा दशरथ को कोई संतानें नहीं हुई थीं, तब उन्होंने राजा रोमपात्र की बेटी को अपनी दत्तक पुत्री के रूप में गोद लिया था। इसके बाद उन्होंने श्रृंगी ऋषि से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करावाया और दक्षिणा के रूप में अपनी बेटी शांता का हाथ उनके हाथों में सौंप दिया था। ऐसे में श्रृंगी ऋषि श्रीराम के बहनोई हुए। श्रृंगी ऋषि और शांता देवी का मंदिर यहीं पर स्थित है। जिन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती, वे यहां पर यही कामना लेकर आते हैं। अब 2 स्लाइड में पार्क की ख़ासियत जानिए… ….. यह भी पढ़ें : संभल हिंसा-146 साल पहले कोर्ट में हारा था हिंदू पक्ष:48 साल बाद फिर दंगे, मस्जिद के परकोटे में कल्कि अवतार की मान्यता संभल के कल्कि विष्णु मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा का मानना है कि भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि इसी जगह जन्म लेंगे। ये मंदिर उस शाही जामा मस्जिद से सिर्फ 200 मीटर दूर है, जहां 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इसमें 4 लोग मारे गए। भीड़ के हमले में 20 से ज्यादा पुलिसवाले जख्मी हो गए। हिंदू पक्ष का मानना है कि जामा मस्जिद की जगह कभी हरिहर मंदिर था। दावा है कि बाबर के राज में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। कोर्ट ने 19 नवंबर को इसके सर्वे के आदेश दिए थे। मंदिर का एक नक्शा वायरल हो रहा है, वो महेंद्र शर्मा के पास ही है। पढ़िए पूरी खबर…