हिमाचल प्रदेश के जलशक्ति विभाग में कार्यरत पैरा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है। आगामी बजट सत्र के दौरान लगभग 7000 पैरा वर्कर्स विधानसभा का घेराव करेंगे। पैरा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष महेश शर्मा के अनुसार, कर्मचारियों को कई जिलों में पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं मिलता है। यहां प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि, वर्तमान में पैरा वर्कर्स को मात्र 5000 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है, जो वर्तमान महंगाई में एक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। इतना ही नहीं, नियमानुसार 6 घंटे की ड्यूटी के बजाय उनसे 8 से 10 घंटे काम लिया जा रहा है। कर्मचारियों को छुट्टी का भी कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। 3 श्रेणियों में हुई थी वर्कर्स की नियुक्ति 2017 से शुरू की गई इस व्यवस्था में तीन श्रेणियों में पैरा वर्कर्स की नियुक्ति की गई थी। दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात इन कर्मचारियों की मुख्य मांगों में वेतन को बढ़ाकर 9-10 हजार रुपए करना और एक स्थाई नीति का निर्माण शामिल है। सोलन और सिरमौर जिलों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगों को लेकर सरकार से कई बार मुलाकात की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। हिमाचल प्रदेश के जलशक्ति विभाग में कार्यरत पैरा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है। आगामी बजट सत्र के दौरान लगभग 7000 पैरा वर्कर्स विधानसभा का घेराव करेंगे। पैरा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष महेश शर्मा के अनुसार, कर्मचारियों को कई जिलों में पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं मिलता है। यहां प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि, वर्तमान में पैरा वर्कर्स को मात्र 5000 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है, जो वर्तमान महंगाई में एक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। इतना ही नहीं, नियमानुसार 6 घंटे की ड्यूटी के बजाय उनसे 8 से 10 घंटे काम लिया जा रहा है। कर्मचारियों को छुट्टी का भी कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। 3 श्रेणियों में हुई थी वर्कर्स की नियुक्ति 2017 से शुरू की गई इस व्यवस्था में तीन श्रेणियों में पैरा वर्कर्स की नियुक्ति की गई थी। दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात इन कर्मचारियों की मुख्य मांगों में वेतन को बढ़ाकर 9-10 हजार रुपए करना और एक स्थाई नीति का निर्माण शामिल है। सोलन और सिरमौर जिलों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगों को लेकर सरकार से कई बार मुलाकात की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सौर ऊर्जा से जगमगाएगा धर्मशाला:प्रतिदिन बनेगी 750 किलो वाट बिजली, 3.70 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जाएगी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सौर ऊर्जा से जगमगाएगा धर्मशाला:प्रतिदिन बनेगी 750 किलो वाट बिजली, 3.70 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जाएगी प्रेम सूद, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत धर्मशाला ने अपने पहले सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। अभी तक सौर ऊर्जा संयंत्र से 3500 यूनिट बिजली उत्पादित कर विद्युत बोर्ड को सप्लाई की जा चुकी है। यह प्रोजेक्ट प्रतिदिन 750 किलो वाट बिजली पैदा करेगा। जिससे सालाना कुल 12 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। पहले यह यूनिट 600 किलो वाट बिजली उत्पादन की प्रपोजल थी। लेकिन सोलर पैनल के साउथ फेस लगाने से जहां सूर्य की रोशनी सूर्य की रोशनी बिना किसी अवरोध मिलने से पैनल की संख्या बढ़ाने से यह संभव हो सका है। 4.2 करोड़ रुपए की लागत बना धर्मशाला स्मार्ट सिटी द्वारा अक्षय ऊर्जा को अपनाने से न केवल शहर में कार्बन उत्सर्जन कम होगा। बल्कि वित्तीय बचत और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के साथ धर्मशाला हिमाचल प्रदेश और देश भर के अन्य शहरों के लिए टिकाऊ शहरी विकास को अपनाने के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है। 4.2 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस परियोजना से शहर की पारंपरिक बिजली स्रोतों पर निर्भरता में काफी कमी आने और धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के राजस्व में वृद्धि होने की उम्मीद है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कम सीईओ जफर इकबाल ने बताया कि सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। इन दिनों ट्रायल पर बिजली का उत्पादन शुरू किया है जिसे हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड को ट्रांसफर किया जा रहा है। 28-30 लाख की होगी आमदनी इस सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड को 3.70 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जाएगी। जिससे स्मार्ट सिटी लिमिटेड को सालाना 28 से 30 लाख रुपए की इनकम होगी। स्मार्ट सिटी प्रशासन की पहल के तहत धर्मशाला में एक दर्जन से ज्यादा शह के कार्यालय भवनों की छतों पर सौर पैनल भी लगाए गए हैं। इससे इन कार्यालयों पर बिजली का बोझ पहले से कम हो गया है और एक स्वच्छ, ज्यादा टिकाऊ ऊर्जा समाधान मिल रहा है। इको फ्रेंडली प्रोजेक्ट सोलर पैनल से 9 लाख यूनिट बिजली जनरेट की जा सकेगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये बेहतर कदम साबित होगा। जिससे स्मार्ट सिटी धर्मशाला को अच्छी आमदनी होगी। सोलर प्लांट से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा, ना ही कोई जहरीली गैस निकलेगी। इसके अलावा मॉडर्न सोलर प्लांट पूरी तरह बैटरी रहित रहेंगे।
मंडी में हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक का हुआ कार्यक्रम:सीएम के सलाहकार ने की शिरकत, बेहतर कार्यों के लिए निवेशकों को किया गया पुरस्कृत
मंडी में हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक का हुआ कार्यक्रम:सीएम के सलाहकार ने की शिरकत, बेहतर कार्यों के लिए निवेशकों को किया गया पुरस्कृत मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार गोकुल बुटेल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी में आयोजित हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक-2024 में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। आईआईटी मंडी कैटालिस्ट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न स्टार्टअप को बेहतर कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। बिल्ड फॉर हिमालयाज़ श्रेणी में शूलीनी शेफरन स्टार्टअप के गौरव सभ्रवाल को पहला तथा मंडी शहर की युवा कृतिका शर्मा के पाइनटेस्टिक स्टार्टअप को दूसरा स्थान तथा कैमेटिको ट्केनोलॉजी के विजय वैशम्पायन को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि ने प्रत्येक विषयगत क्षेत्र से तीन शीर्ष स्टार्टअप को कार्यक्रम के दौरान कुल 11 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया। कार्यक्रम में 200 से अधिक स्टार्टअप प्रतिनिधि, 50 मेंटर और 30 से अधिक निवेशक शामिल हुए। इस अवसर पर गोकुल बुटेल ने कहा कि आईआईटी मंडी नवोन्मेषी युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक के इस इन्क्यूबेशन सेंटर के यह प्रयास युवाओं के सपनों को हकीकत में बदलने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार के आयोजन में हिमालयी पारिस्थितिकी व यहां के पर्यावरण को बचाने से संबंधित बेहतरीन विषय रखे गए हैं। आईआईटी जैसे सर्वोच्च संस्थान के यह प्रयास निःसंदेह हिमाचल एवं यहां के युवाओं के लिए लाभकारी एवं दूरगामी सिद्ध होंगे। गोकुल बुटेल ने कहा कि आज के आयोजन में विभिन्न कंपनियों के निवेशक भी हिमाचल आए हैं। उन्होंने आह्वान किया कि ऐसे निवेशक हिमाचल में निवेश के लिए भी आगे आएं। उन्होंने कहा कि नवाचार के लिए हिमाचल से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती और भविष्य में प्रदेश एक निवेश हब के रूप में विकसित होगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार अनेक प्रभावी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के संदर्भ में इस तरह के आयोजन और भी महत्वपूर्ण हैं। अकसर देखा जाता है कि हिमाचली युवा प्रतिभाएं रोजगार की तलाश में देश के अन्य भागों व विदेशों की ओर रूख करती हैं। आईआईटी मंडी में कैटालिस्ट को प्रोत्साहन से युवाओं को प्रदेश में रहकर ही अपने नवीन विचारों से उद्यम स्थापित करने में मदद मिलेगी।
हिमाचल में सरकारी बस में वसूला प्रेशर-कुकर का किराया:विपक्ष ने सरकार को घेरा, HRTC ने कहा-घरेलू सामान का किराया नहीं लेने का नियम
हिमाचल में सरकारी बस में वसूला प्रेशर-कुकर का किराया:विपक्ष ने सरकार को घेरा, HRTC ने कहा-घरेलू सामान का किराया नहीं लेने का नियम हिमाचल सरकार एक बार फिर से सरकारी बसों में प्रेशर-कूकर पर किराए की वजह से सुर्खियों में आई है। देशभर में इसे लेकर कांग्रेस सरकार की किरकिरी हो रही है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इसे लेकर सुक्खू सरकार को निशाने पर लिया है। इससे पहले भी हिमाचल की अफसरशाही कई बार सरकार की इसी तरह फजीहत करवा चुकी है। प्रेशर-कूकर पर किरकिरी झेलने के बाद मंगलवार देर शाम सरकार को क्लैरिफिकेशन देनी पड़ी, जिसमें हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) ने स्पष्ट कहा कि 30 किलो तक के घर में इस्तेमाल होने वाले सामान पर किराया लेने का कोई नियम नहीं है। लिहाजा यह गलती कंडक्टर के स्तर पर हुई है। हीटर का 264 रुपए टिकट काटने की खबर इस बीच ताजा खबर आ रही है कि मंडी जिले के सराज के गाड़ागुसैणी के एक व्यक्ति से डेढ़ किलो वजन वाले हीटर का 264 रुपए किराया काटा गया है। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति मंडी से धर्मशाला जा रहा था। इस दौरान कंडक्टर ने उससे हीटर का टिकट काट कर उसका किराया वसूल किया है। हालांकि इसका टिकट अभी मौजूद नहीं है। केलांग डिपो की बस के कंडक्टर ने काटा टिकट वहीं प्रेशर कूकर का 23 रुपए का टिकट केलांग डिपो की मंडी से ओट जा रही सरकारी बस के कंडक्टर ने बीते 8 दिसंबर को काट था। अब यह टिकट सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। इससे सुक्खू सरकार सोशल मीडिया में बुरी तरह घिर गई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम का तंज इस पर पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि शादी की एलबम, बुजुर्गों की दवाई, बच्चों के बस्ते, खिलौने के बाद खाना बनाने के प्रेशर कूकर पर हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) बस में किराया देना शर्मनाक कृत्य है। विपक्षी भाजपा को कांग्रेस सरकार बार बार इस तरह के मुद्दे बैठे बिठाए दे रही है। इससे पहले सुक्खू सरकार टॉयलेट टैक्स, HRTC की लगेज पॉलिसी और समेसा कांड की वजह से देशभर में बदनामी झेल चुकी है। इससे कांग्रेस सरकार हंसी का पात्र बन गई है। इससे सरकार की पूरे देश में छवि खराब हुई है। टॉयलेट टैक्स ने पूरे देश में सरकार की छवि को खराब किया पहली नोटिफिकेशन बीते 21 सितंबर को जल शक्ति विभाग ने की। इसमें टॉयलेट शीट पर टैक्स का जिक्र किया गया। हालांकि यह नया टैक्स नहीं था। पूर्व की जयराम सरकार के कार्यकाल में भी 2018 में लगाया था। मगर, हिमाचल की अफसरशाही ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की बेला में जिस तरह यह नोटिफिकेशन कर दी, उससे हिमाचल सरकार का यह नोटिफिकेशन पूरे प्रदेश में चर्चा का कारण बना। इसके बाद CM सुक्खू को मीडिया के सामने आकर सफाई देनी पड़ी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी नेताओं ने हिमाचल के टॉयलेट टैक्स को बड़ा मुद्दा बनाया। HRTC की नोटिफिकेशन से भी किरकिरी इसके बाद HRTC ने अक्टूबर में लगेज पॉलिसी को लेकर नोटिफिकेशन की। इस अधिसूचना के कारण पूरे देश में हिमाचल फिर से चर्चा में आया। इसमें यात्रियों के सामान घरेलू इस्तेमाल के सामान पर किराया लेने की बात कही गई। नोटिफिकेशन मीडिया में आने से पहले विपक्ष के हाथ में लग गई और भाजपा नेताओं ने प्रेस कान्फ्रेंस करके तीखी प्रतिक्रिया दी। फिर 16 अक्टूबर को रात 9 बजे HRTC प्रबंधन ने एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा गया कि यह किराया घरेलू इस्तेमाल की वस्तुओं पर नहीं लिया जाएगा। यात्री अपने साथ 30 किलो तक के बैग को मुफ्त में ले जा सकेंगे। प्रबंधन ने जो चीज स्पष्टीकरण में स्पष्ट की, यदि यही उल्लेख पहले नोटिफिकेशन में होता तो सरकार की किरकिरी न होती। अब पद समाप्त पर पलटी सरकार इसके बाद 23 अक्टूबर को फाइनेंस डिपार्टमेंट ने पद समाप्त करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी की। इससे भी सरकार कि किरकिरी हुई। इस अधिसूचना के 12 घंटे के भीतर ही सीएम सुक्खू को मीडिया के सामने आकर सफाई देनी पड़ी। हालांकि उन्होंने एक दूसरी चिट्टी का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार का ठीकरा फोड़ा। मगर, दूसरी नोटिफिकेशन यदि सरकार ने 23 अक्टूबर को की थी तो उसे भी फजीहत कराने वाली नोटिफिकेशन के साथ मीडिया के साथ साझा क्यों नहीं किया गया? जिस तरह सीएम सुक्खू ने कहा कि, पद समाप्त नहीं किए जा रहे बल्कि कन्वर्ट किए जा रहे हैं। यदि ऐसा है तो इसका जिक्र उस नोटिफिकेशन में नहीं किया गया, जो मीडिया से शेयर की गई। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार फैसले से पलटी है। सरकार ने अप्रैल माह में टैम्परेरी टीचर भर्ती का फैसला लिया तो प्रदेशभर में विरोध के बाद ने टैम्परेरी टीचर रखने का फैसला पलटा। समोसा कांड से भी छवि खराब हुई इसके बाद प्रदेश में नवंबर माह में समोसा कांड हुआ। दरअसल, सीएम सुक्खू एक कार्यक्रम में शामिल होने सीआईडी मुख्यालय गए। पुलिस अधिकारियों ने सीएम के लिए समोसे और दूसरी खाद्य सामग्री ऑर्डर की। मगर जब सीएम आए तो पुलिस अधिकारियों द्वारा मंगवाई गई रिफ्रेशमेंट उनके मेन्यू में शामिल ही नहीं थी। इससे यह रिफ्रेशमेंट सीएम की सिक्योरिटी के जवानों को बांट दी गई। पुलिस अधिकारियों को जब इसका पता चला तो उन्होंने इसकी जांच बैठा दी। जांच में इसे सीआईडी और सरकार विरोधी कृत्य बताया गया।