केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल सीख रहे जापानी:रोहतक में बोले-हुनर नहीं तो डिग्री केवल डेकोरेशन, बिना स्किल के शिक्षा का कोई मतलब नहीं

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल सीख रहे जापानी:रोहतक में बोले-हुनर नहीं तो डिग्री केवल डेकोरेशन, बिना स्किल के शिक्षा का कोई मतलब नहीं

हरियाणा के रोहतक में स्थित MDU में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा, संस्कार, मूल्य और आपके सुझाव हरियाणा विषयक जागरूकता एवं मंथन कार्यक्रम व सम्मेलन का आयोजन किया गया। एमडीयू के टैगोर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मनोहर लाल ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के साथ संपर्क, संबंध और अपनापन बनाना है तो उसकी भाषा से ज्यादा अपनापन हो नहीं होता। उन्होंने आजकल जापानी भाषा सीखनी शुरू की है। क्योंकि जापानी लोगों को उनकी भाषा (जापानी) में दो-चार शब्द बोल दें तो वह लट्‌टू हो जाते हैं। व्यक्ति में व्यक्तित्व के गुण शिक्षा से ही आते हैं
मनोहर लाल खट्‌टर ने कहा कि व्यक्ति में व्यक्तित्व के गुण शिक्षा से ही आते हैं। व्यक्ति का विकास शिक्षा से ही संभव है। बच्चा जन्म लेते ही उसके परिवार वाले उसे सिखाना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा जब हमारी शिक्षा के इतिहास के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि कोलकाता, मुंबई और चेन्नई, तीन स्थान जहां पर 1857 में विश्वविद्यालय खुल गए थे। जो आज भी चल रहे हैं। 1857 में जब देश की आजादी की लड़ाई की शुरुआत हुई और उस समय तीन विश्वविद्यालय खुल गए थे। प्राचीन विश्वविद्यालयों का इतिहास है। पहले विश्वविद्यालय दूर-दूर होते थे। लेकिन आज देश में बढ़ते हुए विश्वविद्यालयों की संख्या 1300 से ज्यादा हो गई है। भारत के साथ आजाद हुआ जापान आज काफी आगे
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को शिक्षा में अवसर तो मिल रहा है। लेकिन वह शिक्षा कैसी हो, इसमें कहीं ना कहीं कमी रह गए। हमारा देश 1947 में आजाद हुआ और उसी दौरान एक-दो साल के अंतर में अन्य देश भी आजाद हुए। उदाहरण के लिए जापान 1948 में आजाद हुआ, हमारे से एक साल बाद। लेकिन जापान हमारे से काफी आगे कई साल पहले पहुंच गया। वहां के नागरिकों का मूल्य आधारित जीवन है। वहां के लोगों में देश भक्ति का भाव है। देश-दुनिया में एक समय था, जब उपभोग के लिए कोई चीज खरीदनी है तो वे मेड-इन-जापान लेकर आएं। लोगों का दृढ़ संकल्प देश के प्रति काफी बढ़ा हुआ था। बिना हुनर डिग्री माने डेकोरेशन
मनोहर लाल ने कहा कि हमारे यहां मैकाले की शिक्षा पद्धति में रीडिंग, राइटिंग और अर्थमेटिक तक सीमित थी। पढ़ना, लिखना और हिसाब-किताब आ जाए, लेकिन संस्कारों की बात बिल्कुल ध्यान नहीं दी जाती थी। आज शिक्षा के साथ स्किल नहीं जोड़ी जाएगी तो शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। बिना हुनर के शिक्षा माने डिग्री फोर डेकोरेशन। डिग्री को शीशे में जड़वा दें और दीवार पर लगा दें। हमारे हरियाणा में तो शादी के लिए भी पढ़ाते हैं। लड़के की शादी हो जाएगी और लड़की की अच्छे घर में शादी हो जाएगी। नई शिक्षा नीति लागू करने में अन्य प्रदेशों से हरियाणा आगे
एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन हुआ। हरियाणा प्रदेश का पहला राज्य था जिसमें सबसे पहले इसको लागू करने में कदम बढ़ाए। उन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने इस पर फोकस किया और कहा कि हम नई शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों को हरियाणा में लागू करेंगे। हरियाणा बाकी सभी राज्यों से आगे है। शिक्षा नीति 2020 के जरिए बच्चों को सामाजिक सरोवरों से जोड़ा जाएगा
वीसी प्रो राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा नीति 2020 के जरिए बच्चों को सामाजिक सरोवरों से जोड़ा जाएगा। एमडीयू एक एप डेवलप कर रहा है। जिसमें बच्चे को रजिस्टर्ड करना होगा और इसमें बच्चे को 180 घंटे देने होंगे। यह कदम नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक समय था जब विदेशों से लोग हमारे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के लिए आते थे। लेकिन आज क्या छुट रहा है कि हमारे बच्चे विदेश में पढ़ने जा रहे हैं। हमें इसे बदलना होगा, ताकि फिर से विदेशों से बच्चे हमारे यहां आएं। नई शिक्षा नीति के तहत युवाओं को काबिल बनाएंगे
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि आज सभी जो यहां पर उपस्थित है, वे अपने आप को युवा समझ सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि इंसान में जो कुछ है, उसको बाहर निकलने का काम एजुकेशन करती है। हमारा लक्ष्य तय कौन करेगा और उसे बच्चों में क्या है उसकी टैलेंट को बाहर निकलना है। वह शिक्षक कर सकता है। पुरानी शिक्षा नीति के तहत जो शिक्षा दी जाती थी कि वह कहीं अच्छी नौकरी प्राप्त कर सके। नई शिक्षा नीति के तहत युवा को इस तरह काबिल बनाएंगे कि वह उसके पास इतना अच्छा ज्ञान होना चाहिए कि वह कुछ ना कुछ कर सके। शिक्षक और विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को समझें
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि बच्चे जो कुछ क्रिएटिव करना चाहते हैं तो क्या कोई ऐसा कोई स्पेस बना सकते हैं। जिसमें हमारे विद्यार्थी और इंडस्ट्री मिलकर काम करें हैं। मल्टी एंट्री-एक्सीड होने चाहिए। ताकि बच्चे को अपनी सुविधा अनुसार शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पा सके। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षक और विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को समझें, तभी इसे लागू कर सकते हैं। हरियाणा के रोहतक में स्थित MDU में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा, संस्कार, मूल्य और आपके सुझाव हरियाणा विषयक जागरूकता एवं मंथन कार्यक्रम व सम्मेलन का आयोजन किया गया। एमडीयू के टैगोर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मनोहर लाल ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के साथ संपर्क, संबंध और अपनापन बनाना है तो उसकी भाषा से ज्यादा अपनापन हो नहीं होता। उन्होंने आजकल जापानी भाषा सीखनी शुरू की है। क्योंकि जापानी लोगों को उनकी भाषा (जापानी) में दो-चार शब्द बोल दें तो वह लट्‌टू हो जाते हैं। व्यक्ति में व्यक्तित्व के गुण शिक्षा से ही आते हैं
मनोहर लाल खट्‌टर ने कहा कि व्यक्ति में व्यक्तित्व के गुण शिक्षा से ही आते हैं। व्यक्ति का विकास शिक्षा से ही संभव है। बच्चा जन्म लेते ही उसके परिवार वाले उसे सिखाना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा जब हमारी शिक्षा के इतिहास के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि कोलकाता, मुंबई और चेन्नई, तीन स्थान जहां पर 1857 में विश्वविद्यालय खुल गए थे। जो आज भी चल रहे हैं। 1857 में जब देश की आजादी की लड़ाई की शुरुआत हुई और उस समय तीन विश्वविद्यालय खुल गए थे। प्राचीन विश्वविद्यालयों का इतिहास है। पहले विश्वविद्यालय दूर-दूर होते थे। लेकिन आज देश में बढ़ते हुए विश्वविद्यालयों की संख्या 1300 से ज्यादा हो गई है। भारत के साथ आजाद हुआ जापान आज काफी आगे
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को शिक्षा में अवसर तो मिल रहा है। लेकिन वह शिक्षा कैसी हो, इसमें कहीं ना कहीं कमी रह गए। हमारा देश 1947 में आजाद हुआ और उसी दौरान एक-दो साल के अंतर में अन्य देश भी आजाद हुए। उदाहरण के लिए जापान 1948 में आजाद हुआ, हमारे से एक साल बाद। लेकिन जापान हमारे से काफी आगे कई साल पहले पहुंच गया। वहां के नागरिकों का मूल्य आधारित जीवन है। वहां के लोगों में देश भक्ति का भाव है। देश-दुनिया में एक समय था, जब उपभोग के लिए कोई चीज खरीदनी है तो वे मेड-इन-जापान लेकर आएं। लोगों का दृढ़ संकल्प देश के प्रति काफी बढ़ा हुआ था। बिना हुनर डिग्री माने डेकोरेशन
मनोहर लाल ने कहा कि हमारे यहां मैकाले की शिक्षा पद्धति में रीडिंग, राइटिंग और अर्थमेटिक तक सीमित थी। पढ़ना, लिखना और हिसाब-किताब आ जाए, लेकिन संस्कारों की बात बिल्कुल ध्यान नहीं दी जाती थी। आज शिक्षा के साथ स्किल नहीं जोड़ी जाएगी तो शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। बिना हुनर के शिक्षा माने डिग्री फोर डेकोरेशन। डिग्री को शीशे में जड़वा दें और दीवार पर लगा दें। हमारे हरियाणा में तो शादी के लिए भी पढ़ाते हैं। लड़के की शादी हो जाएगी और लड़की की अच्छे घर में शादी हो जाएगी। नई शिक्षा नीति लागू करने में अन्य प्रदेशों से हरियाणा आगे
एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन हुआ। हरियाणा प्रदेश का पहला राज्य था जिसमें सबसे पहले इसको लागू करने में कदम बढ़ाए। उन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने इस पर फोकस किया और कहा कि हम नई शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों को हरियाणा में लागू करेंगे। हरियाणा बाकी सभी राज्यों से आगे है। शिक्षा नीति 2020 के जरिए बच्चों को सामाजिक सरोवरों से जोड़ा जाएगा
वीसी प्रो राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा नीति 2020 के जरिए बच्चों को सामाजिक सरोवरों से जोड़ा जाएगा। एमडीयू एक एप डेवलप कर रहा है। जिसमें बच्चे को रजिस्टर्ड करना होगा और इसमें बच्चे को 180 घंटे देने होंगे। यह कदम नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक समय था जब विदेशों से लोग हमारे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के लिए आते थे। लेकिन आज क्या छुट रहा है कि हमारे बच्चे विदेश में पढ़ने जा रहे हैं। हमें इसे बदलना होगा, ताकि फिर से विदेशों से बच्चे हमारे यहां आएं। नई शिक्षा नीति के तहत युवाओं को काबिल बनाएंगे
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि आज सभी जो यहां पर उपस्थित है, वे अपने आप को युवा समझ सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि इंसान में जो कुछ है, उसको बाहर निकलने का काम एजुकेशन करती है। हमारा लक्ष्य तय कौन करेगा और उसे बच्चों में क्या है उसकी टैलेंट को बाहर निकलना है। वह शिक्षक कर सकता है। पुरानी शिक्षा नीति के तहत जो शिक्षा दी जाती थी कि वह कहीं अच्छी नौकरी प्राप्त कर सके। नई शिक्षा नीति के तहत युवा को इस तरह काबिल बनाएंगे कि वह उसके पास इतना अच्छा ज्ञान होना चाहिए कि वह कुछ ना कुछ कर सके। शिक्षक और विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को समझें
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि बच्चे जो कुछ क्रिएटिव करना चाहते हैं तो क्या कोई ऐसा कोई स्पेस बना सकते हैं। जिसमें हमारे विद्यार्थी और इंडस्ट्री मिलकर काम करें हैं। मल्टी एंट्री-एक्सीड होने चाहिए। ताकि बच्चे को अपनी सुविधा अनुसार शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पा सके। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षक और विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को समझें, तभी इसे लागू कर सकते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर