रसोइयां और कारपेंटर के वीजा पर रूस गए आजमगढ़ और मऊ के 14 युवकों को सेना में भर्ती कराकर रूस-यूक्रेन के जंग में उतार दिया। इनमें से अब तक 3 युवकों की मौत हो गई। जबकि 2 को पैर में गोली लगने के बाद भारत वापसी हुई है। वहीं 9 परिवार को अपने बच्चों के लौटने का इंतजार है। उधर, परिवार के लोगों ने सरकार से उनके मुखिया को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस मुद्दे को फिर से रूसी पक्ष के साथ सख्ती के साथ उठाया है, रूस ने अब जल्द ही भारतीयों को भेजने का आश्वासन दिया है। वहीं भारत की आपत्ति के बाद तब रूस की सेना के लिए भर्ती करने वाली एजेंसियों ने भारतीय युवाओं को लेना बंद कर दिया है। बता दें आजमगढ़ के कन्हैया यादव के साथ मऊ के सुनील यादव और श्यामसुंदर की रूस- यूक्रेन की जंग में मौत हो गई थी। जबकि मऊ के बृजेश और आजमगढ़ के राकेश यादव रूस-यूक्रेन की जंग से सही सलामत बचकर वापस लौट आए हैं। अब पढ़िए जिन 2 युवकों की रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई… 1. कन्हैया यादव, आजमगढ़ आजमगढ़ के बनकटा के रहने वाले कन्हैया यादव की रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान गोली लगने से मौत हो गई। उसका शव 23 दिसंबर को गांव लाया गया। कन्हैया (41) के पिता फौजदार यादव ने बताया- कन्हैया एक एजेंट के माध्यम से रसोइये का वीजा हासिल कर 16 जनवरी, 2024 को रूस गया था। वहां उसे रसोइये का कुछ दिन प्रशिक्षण दिया गया और बाद में उसे सैन्य प्रशिक्षण देकर रूसी सेना के साथ युद्ध के लिए भेज दिया गया। उन्होंने बताया-युद्ध में कन्हैया घायल हो गया और इलाज के दौरान जून में उसकी मौत हो गई। कन्हैया ने 9 मई को युद्ध में घायल होने की सूचना घर पर दी थी। वह 25 मई तक परिजनों के संपर्क में था, लेकिन इसके बाद संपर्क टूट गया। वहीं, मास्को में भारतीय दूतावास की ओर से 6 दिसंबर को फोन आया था और 17 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद 23 दिसंबर को शव उसके पैतृक गांव लाया गया। परिजन बोले-नहीं मिली आर्थिक सहायता
कन्हैया के परिवार में पत्नी गीता यादव और दो पुत्र अजय (23) और विजय (19) हैं। अजय यादव का आरोप है कि रूस की सरकार ने 30 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर दिया है, लेकिन परिवार को अभी तक यह मुआवजा नहीं मिला है। 2. श्यामसुंदर यादव, मऊ मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली के गौहरपुर गांव निवासी श्यामसुंदर (24) की रूस-यूक्रेन में मौत हो गई। तीन जून को रूस की एंबेसी ने श्यामसुंदर की जंग में मौत की सूचना परिजनों को दी। श्यामसुंदर के पिता भजुराम ने बताया- बेटा 26 जनवरी 2024 को मऊ से रूस के लिए रवाना हुआ था। उसके पुत्र के रूस जाने से पहले एजेंट ने अपने घर बुलाकर उससे कागजात ले लिए। कुछ फॉर्म और कुछ सादे कागजों पर हस्ताक्षर कराया था। बेटा जब वहां पहुंचा था तो उसने फोन करके बताया कि सुरक्षा गार्ड में भर्ती करने की बजाय रूस की सेना के सहयोग से उसे यूक्रेन के साथ लड़ाई में लगा दिया गया है। मऊ से चार युवक गए थे जिसमें चंद्रापार निवासी सुनील यादव, कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर और चंद्रापार निवासी विनोद के साथ दुबारी के बृजेश रूस गए थे। इसमें मऊ निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है। बृजेश प्रशासन की मदद से लौट आया लेकिन विनोद अभी भी फंसा हुआ है। इन सभी के परिजनों ने एजेंट विनोद पर आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्रवाई की भी बात कही है। मऊ का बृजेश अब तक जीवित लौटा, बताए हालात
मऊ जिले के मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर निवासी बृजेश यादव ने बताया- रूस जाना जितना आसान था, वहां से लौटना उससे कहीं अधिक कठिन है। विदेश में नौकरी और मोटी कमाई के सपने के कारण वे एक एजेंट के झांसे में फंस गए थे। बृजेश ने बताया- फरवरी 2024 में मऊ और आजमगढ़ के 14 युवकों को एक एजेंट ने रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का झांसा देकर भेजा था। इसमें हर महीने ₹2 लाख वेतन मिलने वाला था लेकिन वहां पहुंचते ही इनका सपना टूट गया। इन युवकों को महज 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने की दी ट्रेनिंग
बृजेश ने बताया- रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था, जो हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया। जहां पर हम लोगों अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर हमारी कोई नहीं सुन रहा था। प्रशिक्षण के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में सबसे पहले घोसी तहसील के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई। सुनील, श्यामसुंदर और दो लोगों के ग्रुप को हमारे ग्रुप से दूर भेजा गया था, जहां सुनील और श्यामसुंदर की मौत की सूचना मिली। बृजेश ने बताया कि मेरे ग्रुप का एक सदस्य बम के हमले में शहीद हो गया था। मेरे बांये पैर में गोली लगी थी। इसके बाद वहां पर मेरा उपचार हुआ। एक स्थानीय अधिकारी को अपनी आपबीती बताई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने दूतावास से संपर्क हो सका। आरोप लगाया कि ठीक होने पर उसे दोबारा युद्ध क्षेत्र में भेजने की कोशिश की गई मगर दूतावास के दबाव के चलते स्वदेश भेज दिया गया। सुनील, श्याम सुंदर की हो चुकी है मौत
बृजेश ने बताया- मेरे साथ चंद्रापार निवासी सुनील यादव एवं कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर भी रूस गए थे। इसमें मैं और आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए हैं। जबकि मऊ जिला निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है। बृजेश ने बताया- रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था। वह हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया। वहां पर हम लोगों को अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। फिर हमें जंग में झोंक दिया गया। वहां पर हमारी सुनने वाला कोई नहीं था। रूस में गार्ड की नौकरी के लिए आजमगढ़ से कन्हैया यादव, रामचंद्र, राकेश यादव, दीपक, धीरेंद्र कुमार, योगेंद्र, अजहरूदीन खान सहित 10 लोग गए थे। इसमें आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए है, जबकि कन्हैया यादव की मौत हो गई। उसका शव परिजनों की गुहार पर गांव आ सका। वहीं दीपक के परिवार को अब तक कोई सूचना नहीं दी गई। इसके अलावा अन्य युवकों के सकुशल भारत लौटने का परिवार के लोग इंतजार कर रहे हैं। सांसद से लेकर पीएम के संसदीय कार्यालय तक लगाई गुहार
आजमगढ़ के 8 परिवारों ने अपने पिता, भाई और बेटे को वापस लाने के लिए हर कोशिश की है। धीरेंद्र कुमार के परिजनों ने बताया- अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक चक्कर काटे हैं। विदेश मंत्रालय तक दरवाजा खटखटाया है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। हमारे साथ और भी लोग हैं जिन्होंने सांसद धर्मेंद्र, एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, वाराणसी में पीएम के संसदीय कार्यालय पर आकर पीड़ा बताई। रजिस्टर्ड पत्र और मेल, ट्विटर के जरिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक गुहार लगाई है। हालांकि सभी ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए लेकिन अभी तक आजमगढ़ के लोगों की वापसी नहीं हो पाई, वहीं बात नहीं होने से उनके वर्तमान हालात का पता भी नहीं चल रहा। प्रशासनिक अफसरों की माने तो 14 लोगों में से सिर्फ 2 वापस लौटे हैं। 3 की मौत होने सूचना मिली है जिसमें एक शव भी पिछले दिनों आजमगढ़ लाया गया था। वहीं जबकि 9 का कोई अता-पता नहीं है, उनके परिवार भी बात नहीं होने के चलते परिजनों ने उनके लौटने की उम्मीद खो दी थी, भारत के बढ़ते प्रयास से आस फिर बढ़ी है। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की बात और युद्ध में लड़ने भेज दिया
आजमगढ़ के 8 परिवारों में आंसू बह रहे हैं और परिजनों को अपनों से मिलने की आस है। पिछले दिनों जब रामचंद्र, राकेश यादव, धीरेंद्र, योगेंद्र, अजहरूदीन खान का फोन आया था तो यही बताया गया कि उन्हें धोखे से रूस भेजा गया और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन वहां उसे युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया। अब यहां चारों तरफ बम, गोली, बारूद चल रहे थे। लाशें बिखरी पड़ी हैं। हमें लग रहा है कि यह हमारी जिंदगी का अंत है, हम जिंदा हैं लेकिन यहां रहना नहीं चाहते। उनका कहना था कि हम ही नहीं कई ऐसे भारतीयों को भाषा की समझ नहीं होने से रूस-यूक्रेन युद्ध में सीधे भेज दिया गया है। एजेंट विनोद लेकर गया था 14 कामगार
मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद आजमगढ़ निवासी अपने जीजा कन्हैया यादव सहित 14 लोग के साथ फरवरी में रूस गया था। हर माह दो लाख वेतन का झांसा दिया गया था। विनोद से परिजनों की आखिरी बार अप्रैल में पिता से बात हुई थी। विनोद ने बताया- वहां पहुंचने पर सपना टूट गया और हम लोगों को 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में यूक्रेन-रूस युद्ध में मौत हो गई। एजेंट की धोखेबाजी से अब तक तीन साथियों की असमय मौत हो गई, विनोद का अब तक सुराग नहीं लगा है। ………………. ये खबर भी पढ़िए… महिला टीचर को कुत्तों ने दौड़ाया, स्कूटी से गिरीं… मौत:पति बोले- हमें महाकुंभ नहाने जाना था अब अस्थियां लेकर जाएंगे कानपुर में स्कूटी से जा रही महिला टीचर को कुत्तों ने दौड़ा लिया। संतुलन बिगड़ने से योगा टीचर सड़क पर गिर गईं। हेलमेट छिटक कर दूर जा गिरा। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उनकी मौत हो गई। हादसा मंगलवार रात 8:30 बजे काकादेव क्षेत्र के नवीन नगर में हुआ। वहां मौजूद हॉस्टल के छात्र तत्काल अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने टीचर को मृत घोषित कर दिया। पढ़िए पूरी खबर रसोइयां और कारपेंटर के वीजा पर रूस गए आजमगढ़ और मऊ के 14 युवकों को सेना में भर्ती कराकर रूस-यूक्रेन के जंग में उतार दिया। इनमें से अब तक 3 युवकों की मौत हो गई। जबकि 2 को पैर में गोली लगने के बाद भारत वापसी हुई है। वहीं 9 परिवार को अपने बच्चों के लौटने का इंतजार है। उधर, परिवार के लोगों ने सरकार से उनके मुखिया को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस मुद्दे को फिर से रूसी पक्ष के साथ सख्ती के साथ उठाया है, रूस ने अब जल्द ही भारतीयों को भेजने का आश्वासन दिया है। वहीं भारत की आपत्ति के बाद तब रूस की सेना के लिए भर्ती करने वाली एजेंसियों ने भारतीय युवाओं को लेना बंद कर दिया है। बता दें आजमगढ़ के कन्हैया यादव के साथ मऊ के सुनील यादव और श्यामसुंदर की रूस- यूक्रेन की जंग में मौत हो गई थी। जबकि मऊ के बृजेश और आजमगढ़ के राकेश यादव रूस-यूक्रेन की जंग से सही सलामत बचकर वापस लौट आए हैं। अब पढ़िए जिन 2 युवकों की रूस-यूक्रेन जंग में मौत हो गई… 1. कन्हैया यादव, आजमगढ़ आजमगढ़ के बनकटा के रहने वाले कन्हैया यादव की रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान गोली लगने से मौत हो गई। उसका शव 23 दिसंबर को गांव लाया गया। कन्हैया (41) के पिता फौजदार यादव ने बताया- कन्हैया एक एजेंट के माध्यम से रसोइये का वीजा हासिल कर 16 जनवरी, 2024 को रूस गया था। वहां उसे रसोइये का कुछ दिन प्रशिक्षण दिया गया और बाद में उसे सैन्य प्रशिक्षण देकर रूसी सेना के साथ युद्ध के लिए भेज दिया गया। उन्होंने बताया-युद्ध में कन्हैया घायल हो गया और इलाज के दौरान जून में उसकी मौत हो गई। कन्हैया ने 9 मई को युद्ध में घायल होने की सूचना घर पर दी थी। वह 25 मई तक परिजनों के संपर्क में था, लेकिन इसके बाद संपर्क टूट गया। वहीं, मास्को में भारतीय दूतावास की ओर से 6 दिसंबर को फोन आया था और 17 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद 23 दिसंबर को शव उसके पैतृक गांव लाया गया। परिजन बोले-नहीं मिली आर्थिक सहायता
कन्हैया के परिवार में पत्नी गीता यादव और दो पुत्र अजय (23) और विजय (19) हैं। अजय यादव का आरोप है कि रूस की सरकार ने 30 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर दिया है, लेकिन परिवार को अभी तक यह मुआवजा नहीं मिला है। 2. श्यामसुंदर यादव, मऊ मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली के गौहरपुर गांव निवासी श्यामसुंदर (24) की रूस-यूक्रेन में मौत हो गई। तीन जून को रूस की एंबेसी ने श्यामसुंदर की जंग में मौत की सूचना परिजनों को दी। श्यामसुंदर के पिता भजुराम ने बताया- बेटा 26 जनवरी 2024 को मऊ से रूस के लिए रवाना हुआ था। उसके पुत्र के रूस जाने से पहले एजेंट ने अपने घर बुलाकर उससे कागजात ले लिए। कुछ फॉर्म और कुछ सादे कागजों पर हस्ताक्षर कराया था। बेटा जब वहां पहुंचा था तो उसने फोन करके बताया कि सुरक्षा गार्ड में भर्ती करने की बजाय रूस की सेना के सहयोग से उसे यूक्रेन के साथ लड़ाई में लगा दिया गया है। मऊ से चार युवक गए थे जिसमें चंद्रापार निवासी सुनील यादव, कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर और चंद्रापार निवासी विनोद के साथ दुबारी के बृजेश रूस गए थे। इसमें मऊ निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है। बृजेश प्रशासन की मदद से लौट आया लेकिन विनोद अभी भी फंसा हुआ है। इन सभी के परिजनों ने एजेंट विनोद पर आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्रवाई की भी बात कही है। मऊ का बृजेश अब तक जीवित लौटा, बताए हालात
मऊ जिले के मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर निवासी बृजेश यादव ने बताया- रूस जाना जितना आसान था, वहां से लौटना उससे कहीं अधिक कठिन है। विदेश में नौकरी और मोटी कमाई के सपने के कारण वे एक एजेंट के झांसे में फंस गए थे। बृजेश ने बताया- फरवरी 2024 में मऊ और आजमगढ़ के 14 युवकों को एक एजेंट ने रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का झांसा देकर भेजा था। इसमें हर महीने ₹2 लाख वेतन मिलने वाला था लेकिन वहां पहुंचते ही इनका सपना टूट गया। इन युवकों को महज 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने की दी ट्रेनिंग
बृजेश ने बताया- रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था, जो हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया। जहां पर हम लोगों अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर हमारी कोई नहीं सुन रहा था। प्रशिक्षण के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में सबसे पहले घोसी तहसील के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई। सुनील, श्यामसुंदर और दो लोगों के ग्रुप को हमारे ग्रुप से दूर भेजा गया था, जहां सुनील और श्यामसुंदर की मौत की सूचना मिली। बृजेश ने बताया कि मेरे ग्रुप का एक सदस्य बम के हमले में शहीद हो गया था। मेरे बांये पैर में गोली लगी थी। इसके बाद वहां पर मेरा उपचार हुआ। एक स्थानीय अधिकारी को अपनी आपबीती बताई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने दूतावास से संपर्क हो सका। आरोप लगाया कि ठीक होने पर उसे दोबारा युद्ध क्षेत्र में भेजने की कोशिश की गई मगर दूतावास के दबाव के चलते स्वदेश भेज दिया गया। सुनील, श्याम सुंदर की हो चुकी है मौत
बृजेश ने बताया- मेरे साथ चंद्रापार निवासी सुनील यादव एवं कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर भी रूस गए थे। इसमें मैं और आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए हैं। जबकि मऊ जिला निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है। बृजेश ने बताया- रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था। वह हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया। वहां पर हम लोगों को अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। फिर हमें जंग में झोंक दिया गया। वहां पर हमारी सुनने वाला कोई नहीं था। रूस में गार्ड की नौकरी के लिए आजमगढ़ से कन्हैया यादव, रामचंद्र, राकेश यादव, दीपक, धीरेंद्र कुमार, योगेंद्र, अजहरूदीन खान सहित 10 लोग गए थे। इसमें आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए है, जबकि कन्हैया यादव की मौत हो गई। उसका शव परिजनों की गुहार पर गांव आ सका। वहीं दीपक के परिवार को अब तक कोई सूचना नहीं दी गई। इसके अलावा अन्य युवकों के सकुशल भारत लौटने का परिवार के लोग इंतजार कर रहे हैं। सांसद से लेकर पीएम के संसदीय कार्यालय तक लगाई गुहार
आजमगढ़ के 8 परिवारों ने अपने पिता, भाई और बेटे को वापस लाने के लिए हर कोशिश की है। धीरेंद्र कुमार के परिजनों ने बताया- अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक चक्कर काटे हैं। विदेश मंत्रालय तक दरवाजा खटखटाया है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। हमारे साथ और भी लोग हैं जिन्होंने सांसद धर्मेंद्र, एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, वाराणसी में पीएम के संसदीय कार्यालय पर आकर पीड़ा बताई। रजिस्टर्ड पत्र और मेल, ट्विटर के जरिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक गुहार लगाई है। हालांकि सभी ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए लेकिन अभी तक आजमगढ़ के लोगों की वापसी नहीं हो पाई, वहीं बात नहीं होने से उनके वर्तमान हालात का पता भी नहीं चल रहा। प्रशासनिक अफसरों की माने तो 14 लोगों में से सिर्फ 2 वापस लौटे हैं। 3 की मौत होने सूचना मिली है जिसमें एक शव भी पिछले दिनों आजमगढ़ लाया गया था। वहीं जबकि 9 का कोई अता-पता नहीं है, उनके परिवार भी बात नहीं होने के चलते परिजनों ने उनके लौटने की उम्मीद खो दी थी, भारत के बढ़ते प्रयास से आस फिर बढ़ी है। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की बात और युद्ध में लड़ने भेज दिया
आजमगढ़ के 8 परिवारों में आंसू बह रहे हैं और परिजनों को अपनों से मिलने की आस है। पिछले दिनों जब रामचंद्र, राकेश यादव, धीरेंद्र, योगेंद्र, अजहरूदीन खान का फोन आया था तो यही बताया गया कि उन्हें धोखे से रूस भेजा गया और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन वहां उसे युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया। अब यहां चारों तरफ बम, गोली, बारूद चल रहे थे। लाशें बिखरी पड़ी हैं। हमें लग रहा है कि यह हमारी जिंदगी का अंत है, हम जिंदा हैं लेकिन यहां रहना नहीं चाहते। उनका कहना था कि हम ही नहीं कई ऐसे भारतीयों को भाषा की समझ नहीं होने से रूस-यूक्रेन युद्ध में सीधे भेज दिया गया है। एजेंट विनोद लेकर गया था 14 कामगार
मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद आजमगढ़ निवासी अपने जीजा कन्हैया यादव सहित 14 लोग के साथ फरवरी में रूस गया था। हर माह दो लाख वेतन का झांसा दिया गया था। विनोद से परिजनों की आखिरी बार अप्रैल में पिता से बात हुई थी। विनोद ने बताया- वहां पहुंचने पर सपना टूट गया और हम लोगों को 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में यूक्रेन-रूस युद्ध में मौत हो गई। एजेंट की धोखेबाजी से अब तक तीन साथियों की असमय मौत हो गई, विनोद का अब तक सुराग नहीं लगा है। ………………. ये खबर भी पढ़िए… महिला टीचर को कुत्तों ने दौड़ाया, स्कूटी से गिरीं… मौत:पति बोले- हमें महाकुंभ नहाने जाना था अब अस्थियां लेकर जाएंगे कानपुर में स्कूटी से जा रही महिला टीचर को कुत्तों ने दौड़ा लिया। संतुलन बिगड़ने से योगा टीचर सड़क पर गिर गईं। हेलमेट छिटक कर दूर जा गिरा। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उनकी मौत हो गई। हादसा मंगलवार रात 8:30 बजे काकादेव क्षेत्र के नवीन नगर में हुआ। वहां मौजूद हॉस्टल के छात्र तत्काल अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने टीचर को मृत घोषित कर दिया। पढ़िए पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर