<p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab and Haryana High Court Verdict:</strong> पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पति से दूर रहने वाली महिलाओं को बड़ी राहत दी है. बगैर तलाक लिए पति से दूर रहने वाली महिलाएं अब गर्भपात करा सकती हैं. इसके लिए पति की मंजूरी जरूरी नहीं होगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह आदेश जस्टिस कुलदीप तिवारी ने एक याचिका की सुनवाई के बाद दिया. दरअसल, एक विवाहित महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से गुजारिश की थी कि उसे पति कि सहमति के बिना गर्भपात कराने की इजाजत दी जाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दहेज के लिए प्रताड़ित करता था पति</strong><br />याचिका में यह भी बताया गया था कि उसकी प्रेग्नेंसी फिलहाल अबॉर्शन करने के ट्राइम फ्रेम में आती है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के तहत वह गर्भपात कर सकती है. महिला की ओर से वकील ने कोर्ट को बताया कि उसकी शादी साल 2024 के अगस्त में हुई थी. कुछ ही समय बाद ससुराल पक्ष ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला का आरोप है कि पति भी उसके साथ दुर्व्यवहार करता था. महिला ने बताया कि उसका पति निजी समय की वीडियो रिकॉर्डिंग कर कैमरे में रखता था. इतनी प्रताड़ना के बाद भी महिला एक बहू और पत्नी होने की जिम्मेदारी संभाली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शादी के डेढ़ महीने बाद ही महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता चला और उसने अपने पति को बताया. उसने पति से यह भी कहा कि वह अभी बच्चा पालने की स्थिति में नहीं है. हालांकि, ससुराल पक्ष द्वारा महिला के साथ की जा रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना जारी रही.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ससुराल पक्ष पर कराई थी एफआईआर</strong><br />इसके बाद महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया और मायके आकर रहने लगी. इसके बाद उसने पुलिस में अपने सास-ससुर और पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. महिला ने याचिका के जरिए बताया है कि अगर वह यह प्रेग्नेंसी आगे बढ़ाती है तो उसकी शारीरिक और मानसि सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए वह गर्भपात कराना चाहती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने बेंच ने महिला की अपील सुनी और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अगर महिला को उसके मन के बिना मां बनने पर मजबूर किया जाए, तो वह बेहद गंभीर ट्रॉमा से गुजरेगी. यह ट्रॉमा मेंटल, फिजिकल और इमोशन भी हो सकता है. बच्चे के जन्म के बाद भी महिला पर बड़ा बोझ आएगा, जिससे वह अपने जीवन के अन्य जरूरी पहलुओं जैसे करियर और परिवार की आर्थिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गर्भपात का फैसला अकेले ले सकती है महिला- हाई कोर्ट</strong><br />सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस तिवारी ने कहा कि भले ही महिला विधवा या तलाकशुदा न हो, लेकिन उसने पति से अलग होकर अकेले रहने का फैसला लिया है. इसलिए महिला गर्भपात का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में कोर्ट ने आखिरी फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता महिला, जो 18 हफ्ते और पांच दिन गर्भवती है, वह प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवा सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/punjab/surat-singh-khalsa-death-passes-away-after-8-year-hunger-strike-know-his-demands-2863149″>Surat Singh Khalsa: आठ साल से भूख हड़ताल कर रहे सूरत सिंह खालसा का निधन, जानें- क्या थी उनकी मांग?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab and Haryana High Court Verdict:</strong> पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पति से दूर रहने वाली महिलाओं को बड़ी राहत दी है. बगैर तलाक लिए पति से दूर रहने वाली महिलाएं अब गर्भपात करा सकती हैं. इसके लिए पति की मंजूरी जरूरी नहीं होगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह आदेश जस्टिस कुलदीप तिवारी ने एक याचिका की सुनवाई के बाद दिया. दरअसल, एक विवाहित महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से गुजारिश की थी कि उसे पति कि सहमति के बिना गर्भपात कराने की इजाजत दी जाए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दहेज के लिए प्रताड़ित करता था पति</strong><br />याचिका में यह भी बताया गया था कि उसकी प्रेग्नेंसी फिलहाल अबॉर्शन करने के ट्राइम फ्रेम में आती है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के तहत वह गर्भपात कर सकती है. महिला की ओर से वकील ने कोर्ट को बताया कि उसकी शादी साल 2024 के अगस्त में हुई थी. कुछ ही समय बाद ससुराल पक्ष ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला का आरोप है कि पति भी उसके साथ दुर्व्यवहार करता था. महिला ने बताया कि उसका पति निजी समय की वीडियो रिकॉर्डिंग कर कैमरे में रखता था. इतनी प्रताड़ना के बाद भी महिला एक बहू और पत्नी होने की जिम्मेदारी संभाली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शादी के डेढ़ महीने बाद ही महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता चला और उसने अपने पति को बताया. उसने पति से यह भी कहा कि वह अभी बच्चा पालने की स्थिति में नहीं है. हालांकि, ससुराल पक्ष द्वारा महिला के साथ की जा रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना जारी रही.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ससुराल पक्ष पर कराई थी एफआईआर</strong><br />इसके बाद महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया और मायके आकर रहने लगी. इसके बाद उसने पुलिस में अपने सास-ससुर और पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. महिला ने याचिका के जरिए बताया है कि अगर वह यह प्रेग्नेंसी आगे बढ़ाती है तो उसकी शारीरिक और मानसि सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए वह गर्भपात कराना चाहती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने बेंच ने महिला की अपील सुनी और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अगर महिला को उसके मन के बिना मां बनने पर मजबूर किया जाए, तो वह बेहद गंभीर ट्रॉमा से गुजरेगी. यह ट्रॉमा मेंटल, फिजिकल और इमोशन भी हो सकता है. बच्चे के जन्म के बाद भी महिला पर बड़ा बोझ आएगा, जिससे वह अपने जीवन के अन्य जरूरी पहलुओं जैसे करियर और परिवार की आर्थिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गर्भपात का फैसला अकेले ले सकती है महिला- हाई कोर्ट</strong><br />सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस तिवारी ने कहा कि भले ही महिला विधवा या तलाकशुदा न हो, लेकिन उसने पति से अलग होकर अकेले रहने का फैसला लिया है. इसलिए महिला गर्भपात का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में कोर्ट ने आखिरी फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता महिला, जो 18 हफ्ते और पांच दिन गर्भवती है, वह प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवा सकती है. </p>
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