लखनऊ विश्वविद्यालय मेंं गुरुवार को छात्रों के दो गुटों के बीच बड़ा बवाल हो गया। जमकर मारपीट हुई। चार छात्रों के सिर फट गए। वहीं, दर्जनभर छात्र घायल हो गए। अचानक हुई इस घटना से कैंपस में अफरा-तफरी भरा माहौल रहा। घटना के पीछे असल वजह भी स्पष्ट नहीं हो पाया। हालांकि घटना की जानकारी मिलते ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड हरकत में आया। मौके पर पुलिस भी बुलाई गई। आरोपी छात्रों को नोटिस जारी कर तलब भी किया गया है। 2 बजे के करीब अचानक शुरू हुआ बवाल विश्वविद्यालय में स्टाफ क्लब के पास किशोरी की कैंटीन के पास दोपहर करीब 2 बजे छात्रों की भीड़ जमा हो गई। चाय पीने के दौरान की छात्रों के दो गुटों के बीच कहासुनी होने लगी। देखते देखते ईंटे-गुम्मे चलने लगे। कुछ छात्रों ने हाथ में पहने हुए लोहे के कड़े से भी एक दूसरे पर प्रहार किया। यह देख कैंटीन में भगदड़ मच गई। वहीं, स्टाफ क्लब में बैठे शिक्षकों की भी छात्रों को रोकने की हिम्मत नहीं हुई। इस बीच सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य मौके पर पहुंचे। घायल छात्रों की हुई पट्टी इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने घायल छात्रों को तत्काल मेडिकल ऐड देकर पट्टी कराई। आरोपी 3 छात्रों में से 2 के पिता विश्वविद्यालय के ही कर्मचारी हैं। संघर्ष में सुभाष छात्रावास और बाहरी छात्र शामिल थे। वहीं घायल छात्रों ने बीए प्रथम वर्ष के छात्र हर्ष फुलेरा सहित बीकाम प्रथम वर्ष के छात्र शिवम कुमार और शेखर वर्मा के खिलाफ नामजद शिकायत प्राक्टर कार्यालय में दर्ज कराई है। ये तीनों छात्र सुभाष छात्रावास के हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने विधिक कार्रवाई के लिए थाना हसनगंज को शिकायत भेज दी है। चीफ प्राक्टर ने जारी किया कारण बताओ नोटिस LU चीफ प्राक्टर प्रो.राकेश द्विवेदी ने आरोपी 3 स्टूडेंट्स बीए फर्स्ट ईयर के हर्ष फुलेरा, बीकॉम फर्स्ट ईयर के शिवम कुमार और शेखर वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन पर प्राणघातक हमला करने और परिसर में भय व आतंक का वातावरण पैदा करने सहित परिसर में शांति व्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाया है। चीफ प्रॉक्टर ने तीनों छात्रों को तीन दिन के अन्दर अपना पक्ष रखने को कहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय मेंं गुरुवार को छात्रों के दो गुटों के बीच बड़ा बवाल हो गया। जमकर मारपीट हुई। चार छात्रों के सिर फट गए। वहीं, दर्जनभर छात्र घायल हो गए। अचानक हुई इस घटना से कैंपस में अफरा-तफरी भरा माहौल रहा। घटना के पीछे असल वजह भी स्पष्ट नहीं हो पाया। हालांकि घटना की जानकारी मिलते ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड हरकत में आया। मौके पर पुलिस भी बुलाई गई। आरोपी छात्रों को नोटिस जारी कर तलब भी किया गया है। 2 बजे के करीब अचानक शुरू हुआ बवाल विश्वविद्यालय में स्टाफ क्लब के पास किशोरी की कैंटीन के पास दोपहर करीब 2 बजे छात्रों की भीड़ जमा हो गई। चाय पीने के दौरान की छात्रों के दो गुटों के बीच कहासुनी होने लगी। देखते देखते ईंटे-गुम्मे चलने लगे। कुछ छात्रों ने हाथ में पहने हुए लोहे के कड़े से भी एक दूसरे पर प्रहार किया। यह देख कैंटीन में भगदड़ मच गई। वहीं, स्टाफ क्लब में बैठे शिक्षकों की भी छात्रों को रोकने की हिम्मत नहीं हुई। इस बीच सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य मौके पर पहुंचे। घायल छात्रों की हुई पट्टी इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने घायल छात्रों को तत्काल मेडिकल ऐड देकर पट्टी कराई। आरोपी 3 छात्रों में से 2 के पिता विश्वविद्यालय के ही कर्मचारी हैं। संघर्ष में सुभाष छात्रावास और बाहरी छात्र शामिल थे। वहीं घायल छात्रों ने बीए प्रथम वर्ष के छात्र हर्ष फुलेरा सहित बीकाम प्रथम वर्ष के छात्र शिवम कुमार और शेखर वर्मा के खिलाफ नामजद शिकायत प्राक्टर कार्यालय में दर्ज कराई है। ये तीनों छात्र सुभाष छात्रावास के हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने विधिक कार्रवाई के लिए थाना हसनगंज को शिकायत भेज दी है। चीफ प्राक्टर ने जारी किया कारण बताओ नोटिस LU चीफ प्राक्टर प्रो.राकेश द्विवेदी ने आरोपी 3 स्टूडेंट्स बीए फर्स्ट ईयर के हर्ष फुलेरा, बीकॉम फर्स्ट ईयर के शिवम कुमार और शेखर वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन पर प्राणघातक हमला करने और परिसर में भय व आतंक का वातावरण पैदा करने सहित परिसर में शांति व्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाया है। चीफ प्रॉक्टर ने तीनों छात्रों को तीन दिन के अन्दर अपना पक्ष रखने को कहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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वकील ने कोर्ट को बताया कि लोकायुक्त की सिफारिश पर 26 नवम्बर 2020 को विजिलेंस ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसी मुकदमे को आधार बनाते हुए 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया। आधी अवधि से अधिक काट चुका है सजा
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 8 फरवरी 2021 को गायत्री प्रजापति को ज्युडिशियल रिमांड पर लिया गया था। कहा गया कि विजिलेंस आय से अधिक संपत्ति के मामले में अब तक अपनी जांच ही नहीं पूरी कर पाई और मनी लॉन्ड्रिंग के वर्तमान मुकदमे में भी अभियुक्त आधी से अधिक अवधि जेल में बिता चुका है। ईडी के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने पाया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए के तहत गायत्री प्रजापति को जमानत पाने का अधिकार है, क्योंकि वह अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता चुका है। अभी भी जेल में रहना होगा प्रजापति को पहले के कई मामलों की वजह से अभी जेल में ही रहना होगा। चार दिन पहले ही नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोप में जमानत याचिका हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दी थी। 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और 6 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। अदालत ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा दी। कई बार प्रजापति ने जमानत के लिए अर्जी डाली, लेकिन हर बार याचिका खारिज कर दी गई।