हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर में 27 जनवरी की तारा रात्रि से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत होगी। मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि इस दिन से स्वयंभू शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध मक्खन चढ़ाया जाएगा। यह परंपरा मंडी नगर की स्थापना वर्ष 1527 से चली आ रही है। एक माह तक चलने वाले इस विशेष श्रृंगार में प्रतिदिन मक्खन पर विश्व के प्रसिद्ध शिवलिंगों और देवी-देवताओं के स्वरूपों का अद्भुत दर्शन होगा। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी में न केवल हिमाचल से बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त इस अनूठी परंपरा के दर्शन के लिए आते हैं। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान विभिन्न देवता सात दिनों तक बाबा भूतनाथ परिसर में विराजमान रहेंगे। 25 फरवरी को सुबह मक्खन को उतारने के बाद भक्तों को बाबा भूतनाथ के मूल स्वरूप के दर्शन होंगे। 26 फरवरी को शिवरात्रि के मुख्य दिवस पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इस एक माह की अवधि में बाबा का जलाभिषेक नहीं किया जाता है। हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर में 27 जनवरी की तारा रात्रि से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत होगी। मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि इस दिन से स्वयंभू शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध मक्खन चढ़ाया जाएगा। यह परंपरा मंडी नगर की स्थापना वर्ष 1527 से चली आ रही है। एक माह तक चलने वाले इस विशेष श्रृंगार में प्रतिदिन मक्खन पर विश्व के प्रसिद्ध शिवलिंगों और देवी-देवताओं के स्वरूपों का अद्भुत दर्शन होगा। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी में न केवल हिमाचल से बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त इस अनूठी परंपरा के दर्शन के लिए आते हैं। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान विभिन्न देवता सात दिनों तक बाबा भूतनाथ परिसर में विराजमान रहेंगे। 25 फरवरी को सुबह मक्खन को उतारने के बाद भक्तों को बाबा भूतनाथ के मूल स्वरूप के दर्शन होंगे। 26 फरवरी को शिवरात्रि के मुख्य दिवस पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इस एक माह की अवधि में बाबा का जलाभिषेक नहीं किया जाता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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रमेश धवाला के घर पर आज सुबह से ही उनके समर्थकों का आना जाना लगा रहा। धवाला ने आज अपने समर्थकों से चर्चा के बाद कहा कि देहरा को जिला बनाने की उनकी पुरानी मांग रही है। देहरा की जनता की भलाई व इस मांग को पूरा करने के लिए वह कांग्रेस में जाने को तैयार है। 2022 में धवाला का बदला था चुनाव क्षेत्र
रमेश धवाला ज्वालामुखी से चुनाव लड़ते रहे हैं। साल 2022 के चुनाव में भाजपा हाईकमान ने उन्हें ज्वालामुखी से टिकट न देकर देहरा से चुनाव लड़ाया। इससे वह निर्दलीय होशियार सिंह से चुनाव हार गए। अब भाजपा ने होशियार सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है। धवाला के बयान से कांग्रेस में भी हलचल
इससे धवाला बागी होने को तैयार है। धवाला ने सीएम के सामने देहरा को जिला बनाने की शर्त रखी है। इससे भाजपा खेमे में खलबली मची है और कांग्रेस के टिकट चाहवानों में हलचल मची हुई है। खासकर इस सीट से डॉ. राजेश शर्मा अब तक कांग्रेस के टिकट के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। मगर अब धवाला भी इस रेस में शामिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू सुजानपुर विधानसभा सीट पर भाजपा नेता कैप्टन रणजीत को शामिल कर सफल प्रयोग कर चुके हैं। अब देहरा में भी सुक्खू चुनाव जीतने के लिए इस पर विचार कर सकते हैं।
शिमला में सर्वानुबंध कर्मचारियों ने उठाई नियमितीकरण की मांग:दिवाली से पहले तोहफे की मांग, इस सिलसिले में CM से मिल चुके 12 बार
शिमला में सर्वानुबंध कर्मचारियों ने उठाई नियमितीकरण की मांग:दिवाली से पहले तोहफे की मांग, इस सिलसिले में CM से मिल चुके 12 बार हिमाचल प्रदेश सर्वानुबंध कर्मचारी महासंघ ने कैबिनेट से पहले सरकार से मांग की है कि दिवाली से पहले अन्य कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सरकार नियमितीकरण का तोहफा दें। महासंघ ने सितम्बर तक अनुबंध कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को रेगुलर करने की मांग की है। अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सरकार को चेताया है कि वह 12 बार सीएम सुक्खू से मिल चुके हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग को सरकार के समक्ष रखा है। मगर उनकी मांग नहीं सुनी जा रही है, ऐसे में सरकार जल्दी कोई निर्णय नही लेती तो उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा आर्थिक नुकसान
सर्वानुबंध कर्मचारी महासंघ जय प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हुए 12 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। इसके अलावा मंत्रियों और सीपीएस से मिले लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पहले राज्य सरकार द्वारा वर्ष में दो बार अनुबंध कर्मचारियों को नियमित किया जाता था लेकिन अब नए नियमों के अनुसार एक बार ही नियमित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये नियम पहले भर्ती हो चुके कर्मचारियों पर लागू नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है 22 अक्टूबर को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है सरकार इस एजेंडे को कैबिनेट में ले जाकर उनके नियमितीकरण की अधिसूचना जारी करें। कोर्ट का दरवाजा आखरी रास्ता
अध्यक्ष ने कहा कि अनुबंध कर्मचारी सरकार के परिवार का हिस्सा है, मुख्यमंत्री परिवार के मुखिया हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार जब नियमित कर्मचारियों के लिए इतने बड़े फैसले ले सकती है, तो उनके पक्ष में भी जरूर कोई फैसला लेगी। वहीं उन्होंने कहा कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि बात मनवाने के लिए कई रास्ते है। कोर्ट और धरने प्रदर्शन आखिरी रास्ता है। परंतु उन्हें उम्मीद है कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी सरकार पहले ही उनकी मांग पूरी करेगी।