हरियाणा के पूर्व मंत्री कृपाराम पूनिया का निधन हो गया है। 89 साल की उम्र में उन्होंने अपने पंचकूला निवास पर आखिरी सांस ली। पूनिया लंबे समय से बीमार चल थे। वह मूल रूप से झज्जर के साल्हावास गांव के रहने वाले थे। कृपाराम पुनिया के 5 बेटे और एक बेटी है। उनके भाई बी एल पूनिया राज्यसभा सांसद हैं। उनके बेटे सुनील ने ही मीडिया को पिता के निधन की जानकारी दी थी। देवीलाल सरकार में पहली बार में ही वो चुनाव जीतकर उद्योग मंत्री बन गए थे। सुनील ने बताया कि उसके पिता 1964 में पंजाब हरियाणा के सबसे पहले डायरेक्ट IPS अधिकारी नियुक्त हुए थे। निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार आज 2:00 बजे मनी माजरा स्थित शिवपुरी क्रिमिनेशन ग्राउंड में किया गया। दिसंबर के पहले हफ्ते में अस्पताल में भर्ती हुए
डॉक्टर पूनिया दिसंबर के पहले हफ्ते से पंचकूला स्थित पारस हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती थे। बीती रात उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली। डॉ. पूनिया की बहू और जननायक जनता पार्टी (JJP) की अंबाला सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की पूर्व प्रत्याशी डॉ. किरण पूनिया ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि डॉ. पूनिया ने रात को लगभग 9:30 बजे अंतिम सांस ली। डॉक्टर उन्हें बचाने के प्रयास करते रहे लेकिन आखिर में हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। हरियाणा के पहले डायरेक्ट IAS बने थे कृपाराम पूनिया
पूर्व मंत्री कृपाराम पूनिया हरियाणा प्रदेश के बनने के बाद 1967 में पहले डायरेक्ट IAS बने थे। उन्होंने SDM के पद पर कार्यभार संभाला और 1970 में जींद डीसी के पद पर कार्य किया। उसके बाद वे कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत रहे और सोशल वेलफेयर में उन्होंने कार्यभार संभाला। उनके बेटे सुनील ने बताया कि उसके बाद वे 1982 में हिसार में कमिश्नर के पद पर भी नियुक्त हुए। कृपाराम पूनिया का राजनीतिक सफर… पहली बार चुनाव जीते, मंत्रीपद मिला
कृपाराम पूनिया ने अपना राजनीतिक सफर 1986 में शुरू किया था। उन्होंने देवीलाल सरकार के समय कमिश्नर पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में पहला कदम रखा।
1987 में उन्होंने देवीलाल की पार्टी लोकदल से बरोदा से चुनाव लड़ा, इस चुनाव में उन्होंने 50,882 वोट हासिल जीत दर्ज की और पहले ही चुनाव में विधानसभा में पहुंच गए। विधायक बनते ही देवीलाल सरकार में उन्हें उद्योग मंत्रालय, खदान मंत्रालय और टूरिज्म सोशल मंत्रालय सौंपा गया। 1989 में ओम प्रकाश चौटाला द्वारा दिए गए एक भाषण के विरोध में कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था इसमें कृपाराम भी शामिल थे। पहले कांग्रेस और फिर बसपा में गए
पुनिया पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के करीबी थे। साथ ही 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री बनाए गए कांग्रेसी नेता माधवराव सिंधिया के साथ भी उनकी अच्छी दोस्ती थी। जिसके कारण 1991 में कृपाराम कांग्रेस में शामिल हो गए। 2005 में, उन्होंने बड़ौदा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव को वो जीत नहीं पाए वह चौथे स्थान पर रहे थे। 2017 में फिर उन्होंने कांग्रेस छोड़ बहुजन समाज पार्टी जॉइन की थी। हालांकि एक साल बाद ही यानी 2018 में उन्होंने बसपा को भी अलविदा कह दिया। 2018 के बाद से वो किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हुए। हरियाणा के पूर्व मंत्री कृपाराम पूनिया का निधन हो गया है। 89 साल की उम्र में उन्होंने अपने पंचकूला निवास पर आखिरी सांस ली। पूनिया लंबे समय से बीमार चल थे। वह मूल रूप से झज्जर के साल्हावास गांव के रहने वाले थे। कृपाराम पुनिया के 5 बेटे और एक बेटी है। उनके भाई बी एल पूनिया राज्यसभा सांसद हैं। उनके बेटे सुनील ने ही मीडिया को पिता के निधन की जानकारी दी थी। देवीलाल सरकार में पहली बार में ही वो चुनाव जीतकर उद्योग मंत्री बन गए थे। सुनील ने बताया कि उसके पिता 1964 में पंजाब हरियाणा के सबसे पहले डायरेक्ट IPS अधिकारी नियुक्त हुए थे। निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार आज 2:00 बजे मनी माजरा स्थित शिवपुरी क्रिमिनेशन ग्राउंड में किया गया। दिसंबर के पहले हफ्ते में अस्पताल में भर्ती हुए
डॉक्टर पूनिया दिसंबर के पहले हफ्ते से पंचकूला स्थित पारस हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती थे। बीती रात उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली। डॉ. पूनिया की बहू और जननायक जनता पार्टी (JJP) की अंबाला सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की पूर्व प्रत्याशी डॉ. किरण पूनिया ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि डॉ. पूनिया ने रात को लगभग 9:30 बजे अंतिम सांस ली। डॉक्टर उन्हें बचाने के प्रयास करते रहे लेकिन आखिर में हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। हरियाणा के पहले डायरेक्ट IAS बने थे कृपाराम पूनिया
पूर्व मंत्री कृपाराम पूनिया हरियाणा प्रदेश के बनने के बाद 1967 में पहले डायरेक्ट IAS बने थे। उन्होंने SDM के पद पर कार्यभार संभाला और 1970 में जींद डीसी के पद पर कार्य किया। उसके बाद वे कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत रहे और सोशल वेलफेयर में उन्होंने कार्यभार संभाला। उनके बेटे सुनील ने बताया कि उसके बाद वे 1982 में हिसार में कमिश्नर के पद पर भी नियुक्त हुए। कृपाराम पूनिया का राजनीतिक सफर… पहली बार चुनाव जीते, मंत्रीपद मिला
कृपाराम पूनिया ने अपना राजनीतिक सफर 1986 में शुरू किया था। उन्होंने देवीलाल सरकार के समय कमिश्नर पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में पहला कदम रखा।
1987 में उन्होंने देवीलाल की पार्टी लोकदल से बरोदा से चुनाव लड़ा, इस चुनाव में उन्होंने 50,882 वोट हासिल जीत दर्ज की और पहले ही चुनाव में विधानसभा में पहुंच गए। विधायक बनते ही देवीलाल सरकार में उन्हें उद्योग मंत्रालय, खदान मंत्रालय और टूरिज्म सोशल मंत्रालय सौंपा गया। 1989 में ओम प्रकाश चौटाला द्वारा दिए गए एक भाषण के विरोध में कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था इसमें कृपाराम भी शामिल थे। पहले कांग्रेस और फिर बसपा में गए
पुनिया पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के करीबी थे। साथ ही 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री बनाए गए कांग्रेसी नेता माधवराव सिंधिया के साथ भी उनकी अच्छी दोस्ती थी। जिसके कारण 1991 में कृपाराम कांग्रेस में शामिल हो गए। 2005 में, उन्होंने बड़ौदा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव को वो जीत नहीं पाए वह चौथे स्थान पर रहे थे। 2017 में फिर उन्होंने कांग्रेस छोड़ बहुजन समाज पार्टी जॉइन की थी। हालांकि एक साल बाद ही यानी 2018 में उन्होंने बसपा को भी अलविदा कह दिया। 2018 के बाद से वो किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हुए। हरियाणा | दैनिक भास्कर