लखनऊ विश्वविद्यालय में एग्जाम के दौरान नियमों की अनदेखी:आरोप- पेपर बनाने वाले फैकल्टी के बच्चों ने भी दिए एग्जाम; प्रश्न भी हुए रिपीट

लखनऊ विश्वविद्यालय में एग्जाम के दौरान नियमों की अनदेखी:आरोप- पेपर बनाने वाले फैकल्टी के बच्चों ने भी दिए एग्जाम; प्रश्न भी हुए रिपीट

लखनऊ विश्वविद्यालय में एग्जाम के दौरान नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है। आरोप है कि यहां परीक्षा के दौरान पेपर बनाने का जिम्मा जिन्हें सौंपा गया उनके बच्चे भी वहीं एग्जाम दे रहे हैं। मामला लखनऊ विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी से जुड़ा है। इस मामले में विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रोफेसर दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि इस संबंध में शिक्षकों को नोटिस देकर जानकारी जुटाई जाएगी। न्यू कैंपस के जो लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होगी। लॉ के चल रहे हैं सेमेस्टर एग्जाम लखनऊ विश्वविद्यालय के लॉ डिपार्टमेंट के सेमेस्टर एग्जाम के दौरान नियमों को ताक पर रखने का आरोप है। आरोप है कि डीन और निदेशक ने पेपर बनाए हैं और उनके बच्चे परीक्षा दे रहे हैं। जबकि नियम कहते हैं कि शिक्षक के किसी भी सगे संबंधी के परीक्षा में शामिल होने पर उन्हें परीक्षा से खुद को अलग रखना होता है। छात्रों का कहना है कि विधि संकाय में डीन प्रो.बंशीधर सिंह के दोनों बेटे LLM कोर्स के स्टूडेंट हैं और द्वितीय परिसर के निदेशक प्रो.आरके सिंह के बेटी पांच वर्षीय LLB कोर्स में छात्रा है। जबकि एडिशनल प्रॉक्टर प्रो.अहमद की बेटी भी 5 साल LLB कोर्स में छात्रा है। आरोप है कि इन शिक्षकों ने परीक्षाओं में प्रश्नपत्र बनाने के साथ ही उनके मॉडरेशन का काम भी किया है। इस बीच, मामला सामने आया तब परीक्षा विभाग से बिल और वाउचर निकालने की जुगत लगा रहे है। प्रश्न पत्र में पूछे गए एक जैसे दो सवाल प्रश्न पत्र बनाने और परीक्षार्थियों तक पहुंचने के बीच भले ही वह LU के कई जिम्मेदारों के निगाहों से गुजरता हो लेकिन गलतियां थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिनों हुए LLM की परीक्षा में प्रश्न पत्र में एक ही प्रश्न को दो बार पूछा गया। ऐसे में जब छात्रों ने इस पर आपत्ति की तो उनसे कहा गया कि वह परीक्षा दे दें, उन्हें प्रश्न के हिसाब से अंक दे दिए जाएंगे। ऐसे में विश्वविद्यालय में मॉडरेशन करने वाले शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस कार्य के लिए उन्हें अलग से धनराशि का भुगतान किया जाता है। जबकि पेपर बनाने के लिए अलग से पैसा दिया जाता है। 25 साल से एडमिनिस्ट्रेशन के पद पर निभा रहे जिम्मेदारी डीन लॉ प्रो. बीडी सिंह ने बताया कि मेरे बच्चे LLM की पढ़ाई कर रहे हैं। एग्जाम के दौरान मैं कभी एग्जामिनेशन रूम तक नहीं जाता। इन मामलों को लेकर पहले से रूल है। मैंने कभी कोई पेपर नहीं बनाया और नियमानुसार मुझे इसमें रहना भी नहीं चाहिए। प्रो. बीडी सिंह ने कहा- मैं पिछले 25 साल से एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी निभा रहा हूं, आज तक कभी कोई शिकायत नहीं आई। एग्जाम हुए भी 10 दिन बीत गए, आज तक मुझे कोई शिकायत इससे जुड़ी नहीं मिली। यदि ऐसी कोई शिकायत आएगी तो जांच भी होगी। लखनऊ विश्वविद्यालय में एग्जाम के दौरान नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है। आरोप है कि यहां परीक्षा के दौरान पेपर बनाने का जिम्मा जिन्हें सौंपा गया उनके बच्चे भी वहीं एग्जाम दे रहे हैं। मामला लखनऊ विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी से जुड़ा है। इस मामले में विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रोफेसर दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि इस संबंध में शिक्षकों को नोटिस देकर जानकारी जुटाई जाएगी। न्यू कैंपस के जो लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होगी। लॉ के चल रहे हैं सेमेस्टर एग्जाम लखनऊ विश्वविद्यालय के लॉ डिपार्टमेंट के सेमेस्टर एग्जाम के दौरान नियमों को ताक पर रखने का आरोप है। आरोप है कि डीन और निदेशक ने पेपर बनाए हैं और उनके बच्चे परीक्षा दे रहे हैं। जबकि नियम कहते हैं कि शिक्षक के किसी भी सगे संबंधी के परीक्षा में शामिल होने पर उन्हें परीक्षा से खुद को अलग रखना होता है। छात्रों का कहना है कि विधि संकाय में डीन प्रो.बंशीधर सिंह के दोनों बेटे LLM कोर्स के स्टूडेंट हैं और द्वितीय परिसर के निदेशक प्रो.आरके सिंह के बेटी पांच वर्षीय LLB कोर्स में छात्रा है। जबकि एडिशनल प्रॉक्टर प्रो.अहमद की बेटी भी 5 साल LLB कोर्स में छात्रा है। आरोप है कि इन शिक्षकों ने परीक्षाओं में प्रश्नपत्र बनाने के साथ ही उनके मॉडरेशन का काम भी किया है। इस बीच, मामला सामने आया तब परीक्षा विभाग से बिल और वाउचर निकालने की जुगत लगा रहे है। प्रश्न पत्र में पूछे गए एक जैसे दो सवाल प्रश्न पत्र बनाने और परीक्षार्थियों तक पहुंचने के बीच भले ही वह LU के कई जिम्मेदारों के निगाहों से गुजरता हो लेकिन गलतियां थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिनों हुए LLM की परीक्षा में प्रश्न पत्र में एक ही प्रश्न को दो बार पूछा गया। ऐसे में जब छात्रों ने इस पर आपत्ति की तो उनसे कहा गया कि वह परीक्षा दे दें, उन्हें प्रश्न के हिसाब से अंक दे दिए जाएंगे। ऐसे में विश्वविद्यालय में मॉडरेशन करने वाले शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस कार्य के लिए उन्हें अलग से धनराशि का भुगतान किया जाता है। जबकि पेपर बनाने के लिए अलग से पैसा दिया जाता है। 25 साल से एडमिनिस्ट्रेशन के पद पर निभा रहे जिम्मेदारी डीन लॉ प्रो. बीडी सिंह ने बताया कि मेरे बच्चे LLM की पढ़ाई कर रहे हैं। एग्जाम के दौरान मैं कभी एग्जामिनेशन रूम तक नहीं जाता। इन मामलों को लेकर पहले से रूल है। मैंने कभी कोई पेपर नहीं बनाया और नियमानुसार मुझे इसमें रहना भी नहीं चाहिए। प्रो. बीडी सिंह ने कहा- मैं पिछले 25 साल से एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी निभा रहा हूं, आज तक कभी कोई शिकायत नहीं आई। एग्जाम हुए भी 10 दिन बीत गए, आज तक मुझे कोई शिकायत इससे जुड़ी नहीं मिली। यदि ऐसी कोई शिकायत आएगी तो जांच भी होगी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर