महाकुंभ मेले में देशभर से आए 50 हजार भिखारी:जानवर की चर्बी से बनाया जख्म; रोज 1 से 2 हजार कमाई

महाकुंभ मेले में देशभर से आए 50 हजार भिखारी:जानवर की चर्बी से बनाया जख्म; रोज 1 से 2 हजार कमाई

प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर एक महिला तड़पती दिखी। हाथ में गंभीर घाव। सामने एक थाली है। वह बार-बार हाथ ऊपर उठाकर आने-जाने वालों को अपने घाव दिखाती। श्रद्धालु सिक्के, नोट और अनाज डालकर आगे बढ़ जाते। शाम को वह पैसे समेटकर उठी। एक व्यक्ति के साथ मिलकर बोरी में अनाज भरी और चली गई। ऐसे दृश्य महाकुंभ मेले में आम हैं। एक समूह में महिलाएं, पुरुष और बच्चे हाथ-पैर में घाव के निशान लगाकर संगम में पहुंचे हैं। वे दिनभर भीख मांगते हैं, फिर वापस चले जाते हैं। दैनिक भास्कर की टीम मेले के हर सेक्टर में गई। जाना कि किन राज्यों से भिखारी आए हैं? पहले कितने थे, अब इनकी संख्या कितनी है? भीख मांगने के तरीके क्या हैं? पुलिस क्या कर रही है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए भिखारी कहां-कहां से आए पुलिस के मुताबिक, मेला शुरू होने से पहले करीब 7 हजार भिखारी थे। जैसे ही महाकुंभ मेला शुरू हुआ भिखारियों की संख्या बढ़ती चली गई। अब यह संख्या 50 हजार तक पहुंच गई है। इसमें ज्यादातर प्रयागराज जिले के ही हैं। कुछ पड़ोसी जिले प्रतापगढ़, मिर्जापुर, चित्रकूट, वाराणसी और कौशांबी के हैं। इसके अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के भिखारी भी आए हैं। जो एक्टिंग में ज्यादा माहिर वह सबसे प्राइम लोकेशन पर
प्रयागराज महाकुंभ 25 सेक्टर में फैला है। यह पूरा एरिया 40 वर्ग किलोमीटर में है। 10 वर्ग किलोमीटर का एरिया प्राइम लोकेशन है। इसमें संगम घाट, किला, अक्षय वट, प्रमुख अखाड़े और लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर आता है। यहां आप जिधर भी जाएंगे, आपको भीख मांगते लोग नजर आएंगे। अगले दिन आप फिर जाएंगे तो आपको भिखारी उसी जगह पर दिखाई देंगे। भिखारियों ने अपनी जगह फिक्स कर ली है। कोई भी किसी और की जगह पर बैठकर भीख नहीं मांग सकता। हम संगम नोज पर पहुंचे। महाकुंभ में आए हर श्रद्धालु की इच्छा होती है संगम पर पहुंचे और डुबकी लगाए। इसलिए यहां सुबह से लेकर रात तक लगातार भीड़ रहती है। भीख मांगने के लिहाज से देखा जाए तो यह सबसे प्राइम लोकेशन मानी जाती है। यहां हमें एक लाइन से करीब 100 भिखारी बैठे नजर आए। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। उसके बाद बच्चियों की और फिर बुजुर्ग बैठे दिखे। किसी के हाथ तो किसी के पैर में गंभीर घाव
संगम घाट के सबसे नजदीक एक महिला भिखारी लेटी थी। शरीर को शॉल से ढक रखा था। घाव वाला हाथ बाहर निकला था, उसी को बार-बार ऊपर-नीचे कर रही थी। आने-जाने वाले लोग उसकी इस दुर्दशा पर तरस खाते और अपने साथ लाए अनाज दे देते। जो अनाज नहीं लाए थे वह पैसे देते। इसके ठीक पीछे जो महिलाएं थीं उनके भी हाथ में चोट थी। इनकी एक लंबी लाइन थी। हर 10 फीट पर एक भिखारी था। हम यहां करीब 2 घंटे रुके। इनकी हर एक्टिविटी को समझा। शाम हुई तो सभी ने अपना सामान समेटना शुरू किया। हमने कुछ भिखारियों से उनके घाव को लेकर बात की। इस पर सभी ने घाव छिपा लिया। कैमरा देखकर कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ। सबने अपना चेहरा तक छिपा लिया। हमारी कोशिश थी कि पता करें कि ये घाव कैसे तैयार करते हैं? क्या लगाया जाता है? क्योंकि इसमें छोटी उम्र की बच्चियां भी शामिल थीं। पैसे के लिए यह सब करते हैं
हमने कैमरा छिपा लिया। एक भिखारी से पूछा क्या यह घाव असली हैं? वह कहता है सबके घाव नकली हैं। सभी गरीब हैं, इसलिए ऐसा करके भीख मांग रहे हैं। एक महिला से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। वह लगातार कहती रही यहां से चले जाओ। इसी तरह से एक लड़की से हमने कहा, तुमको अगर इतना घाव है तो बताओ हम लोग इलाज करवाते हैं, लेकिन वह लगातार घाव छिपाने की कोशिश में लगी रही। जानवरों की चर्बी से तैयार करते हैं घाव
हम जानना चाहते थे घाव कैसे बनाया है? इसके लिए हमने कई लोगों से संपर्क किया। लोग ऑफ कैमरा बताते हैं, यह जानवरों की चर्बी होती है। इसे बकायदा घाव जैसा डिजाइन करते हैं। इसमें सुलेशन लगा देते हैं, इसकी वजह से मक्खियां इससे दूर रहती हैं। कई बार इसके ऊपर दर्द निवारक कोई बाम लगा दिया जाता है, इससे भी मक्खियां नहीं बैठतीं और घाव ताजा नजर आता है। ये भिखारी इसे हर दिन ऐसे ही ताजा करते हैं। हनुमान मंदिर पर फिक्स भिखारी
संगम के अलावा सबसे ज्यादा भिखारी लेटे हुए हनुमान मंदिर के पास दिखाई देते हैं। यहां जो भीख मांगते हैं, वह लंबे समय से हैं। कॉरिडोर बन जाने की वजह से अब इन्हें अंदर एंट्री नहीं मिलती, इसलिए यह मंदिर से निकलने वाले रास्ते पर एक कतार में बैठे दिखाई देते हैं। जो नए भिखारी आए वह यहां दूर बैठ रहे हैं। हनुमान मंदिर के आसपास करीब 500 भिखारी बैठे नजर आते हैं। यहां नकली घाव वाले नहीं दिखते। प्रमोद यहां करीब 10 साल से भीख मांग रहे हैं। उनकी दोनों आंख नहीं है। भारी भीड़ के चलते अब उन्हें भी हटा दिया गया है। वह मंदिर से 100 मीटर दूर पर खड़े होकर भीख मांगते हैं। हमने उनसे बात की। वह कहते हैं, सुबह 8 बजे आ जाता हूं और रात में वापस जाता हूं। प्रशासन ने गेट से हटा दिया। हमने कहा भी कि हम कहां जाएं, उन्होंने कह दिया कि यहां से हटकर दूसरी तरफ चले जाओ। देवी-देवता बनकर भीख मांग रहे बच्चे
हनुमान मंदिर के आसपास तमाम बच्चे देवी-देवताओं के गेटअप में तैयार होकर भीख मांगते हैं। इसमें ज्यादातर भगवान शिव व कृष्ण बनते हैं। कई बार ये पैर पकड़ लेते हैं, जब तक पैसा नहीं मिलता तब तक छोड़ते नहीं। ऐसी ही एक लड़की सुषमा (बदला नाम) मिली। 8 साल की सुषमा, राधा बनती है। वह बताती है कि एक हफ्ते पहले प्रयागराज के ही कोरांव से आए हैं। एक घंटा तैयार होने में लगते हैं। मम्मी भी मेरी तरह तैयार होकर यही काम करती हैं। हमने पूछा-कितना पैसा मिल जाता है? वह कहती है, 500-600 रुपए मिल जाते हैं। कल 500 रुपए मिले थे। हम गंगा नदी पार कर सेक्टर 20 पहुंचे। यहां सारे प्रमुख अखाड़े हैं। यहां पीपा पुल 6 और 7 के बीच तमाम भिखारी दिखे। इसमें 50% बच्चे थे। यह सभी प्रयागराज के नहीं हैं। कुछ ही दिन पहले कुंभ में भीख मांगने के लिए आए हैं। हमने एक लड़के से पूछा-कहां से आए हो? उसने गांव का नाम जमालपुर बताया। यह गांव असल में जौनपुर में पड़ता है। इस इलाके से करीब 500 लोग कुंभ में भीख मांगने पहुंचे हैं। पुलिस हर दिन उठाकर बाहर ले जा रही
हनुमान मंदिर पर हमें संदीप मिले। संदीप दोनों पैर से दिव्यांग हैं, भीख मांगते हैं। हमने पूछा जो लोग कल थे, वह कहां गए? वह कहते हैं, रात में एक गाड़ी आई थी सबको भर ले गई। ऐसे ही हमेशा आती है, किसी को नैनी तो किसी को कहीं और छोड़ आती है। भिखारियों को हटाने के लिए पुलिस की 5 टीम बनीं
भिखारियों से कैसे निपटा जा रहा, इसकी जानकारी लेने हम मेला प्राधिकरण के दफ्तर पहुंचे। वहां हमें सीओ विनय कुमार सिंह मिले। वह कहते हैं, भिखारियों के वेरिफिकेशन और पूछताछ के लिए कुल 5 टीमें बनाई गई हैं। एक टीम में दो इंस्पेक्टर और 12 सिपाही हैं। विनय कुमार ने बताया कि भिखारियों को नैनी के वृद्धा आश्रम में करीब दो घंटे तक रखा जाता है, इस दौरान उनकी पूरी डिटेल नोट होती है। इसके बाद उन्हें वापस घर जाने के लिए कह दिया जाता है, लेकिन ज्यादातर भिखारी फिर महाकुंभ क्षेत्र में ही आ जाते हैं। महाकुंभ में दान का महत्व, इसलिए भिखारी चले आते हैं
भिखारियों के विषय में और जानकारी के लिए हम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. धनंजय चोपड़ा से मिले। वह महाकुंभ पर कई किताबें लिख चुके हैं। वह कहते हैं, महाकुंभ में स्नान, ध्यान और दान की परंपरा है, यह पूरी दुनिया में मशहूर है, यही वजह है कि इस दान की परंपरा का लाभ उठाने के लिए, बहुत सारे भिखारी व भिखारी भेष में लोग पहुंच आते हैं। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं:संगम तट पर पिंडदान किया, अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी; किन्नर अखाड़े ने पदवी दी बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। 53 साल की ममता आज सुबह ही महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने का ऐलान किया। पढ़ें पूरी खबर प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर एक महिला तड़पती दिखी। हाथ में गंभीर घाव। सामने एक थाली है। वह बार-बार हाथ ऊपर उठाकर आने-जाने वालों को अपने घाव दिखाती। श्रद्धालु सिक्के, नोट और अनाज डालकर आगे बढ़ जाते। शाम को वह पैसे समेटकर उठी। एक व्यक्ति के साथ मिलकर बोरी में अनाज भरी और चली गई। ऐसे दृश्य महाकुंभ मेले में आम हैं। एक समूह में महिलाएं, पुरुष और बच्चे हाथ-पैर में घाव के निशान लगाकर संगम में पहुंचे हैं। वे दिनभर भीख मांगते हैं, फिर वापस चले जाते हैं। दैनिक भास्कर की टीम मेले के हर सेक्टर में गई। जाना कि किन राज्यों से भिखारी आए हैं? पहले कितने थे, अब इनकी संख्या कितनी है? भीख मांगने के तरीके क्या हैं? पुलिस क्या कर रही है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए भिखारी कहां-कहां से आए पुलिस के मुताबिक, मेला शुरू होने से पहले करीब 7 हजार भिखारी थे। जैसे ही महाकुंभ मेला शुरू हुआ भिखारियों की संख्या बढ़ती चली गई। अब यह संख्या 50 हजार तक पहुंच गई है। इसमें ज्यादातर प्रयागराज जिले के ही हैं। कुछ पड़ोसी जिले प्रतापगढ़, मिर्जापुर, चित्रकूट, वाराणसी और कौशांबी के हैं। इसके अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के भिखारी भी आए हैं। जो एक्टिंग में ज्यादा माहिर वह सबसे प्राइम लोकेशन पर
प्रयागराज महाकुंभ 25 सेक्टर में फैला है। यह पूरा एरिया 40 वर्ग किलोमीटर में है। 10 वर्ग किलोमीटर का एरिया प्राइम लोकेशन है। इसमें संगम घाट, किला, अक्षय वट, प्रमुख अखाड़े और लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर आता है। यहां आप जिधर भी जाएंगे, आपको भीख मांगते लोग नजर आएंगे। अगले दिन आप फिर जाएंगे तो आपको भिखारी उसी जगह पर दिखाई देंगे। भिखारियों ने अपनी जगह फिक्स कर ली है। कोई भी किसी और की जगह पर बैठकर भीख नहीं मांग सकता। हम संगम नोज पर पहुंचे। महाकुंभ में आए हर श्रद्धालु की इच्छा होती है संगम पर पहुंचे और डुबकी लगाए। इसलिए यहां सुबह से लेकर रात तक लगातार भीड़ रहती है। भीख मांगने के लिहाज से देखा जाए तो यह सबसे प्राइम लोकेशन मानी जाती है। यहां हमें एक लाइन से करीब 100 भिखारी बैठे नजर आए। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। उसके बाद बच्चियों की और फिर बुजुर्ग बैठे दिखे। किसी के हाथ तो किसी के पैर में गंभीर घाव
संगम घाट के सबसे नजदीक एक महिला भिखारी लेटी थी। शरीर को शॉल से ढक रखा था। घाव वाला हाथ बाहर निकला था, उसी को बार-बार ऊपर-नीचे कर रही थी। आने-जाने वाले लोग उसकी इस दुर्दशा पर तरस खाते और अपने साथ लाए अनाज दे देते। जो अनाज नहीं लाए थे वह पैसे देते। इसके ठीक पीछे जो महिलाएं थीं उनके भी हाथ में चोट थी। इनकी एक लंबी लाइन थी। हर 10 फीट पर एक भिखारी था। हम यहां करीब 2 घंटे रुके। इनकी हर एक्टिविटी को समझा। शाम हुई तो सभी ने अपना सामान समेटना शुरू किया। हमने कुछ भिखारियों से उनके घाव को लेकर बात की। इस पर सभी ने घाव छिपा लिया। कैमरा देखकर कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ। सबने अपना चेहरा तक छिपा लिया। हमारी कोशिश थी कि पता करें कि ये घाव कैसे तैयार करते हैं? क्या लगाया जाता है? क्योंकि इसमें छोटी उम्र की बच्चियां भी शामिल थीं। पैसे के लिए यह सब करते हैं
हमने कैमरा छिपा लिया। एक भिखारी से पूछा क्या यह घाव असली हैं? वह कहता है सबके घाव नकली हैं। सभी गरीब हैं, इसलिए ऐसा करके भीख मांग रहे हैं। एक महिला से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। वह लगातार कहती रही यहां से चले जाओ। इसी तरह से एक लड़की से हमने कहा, तुमको अगर इतना घाव है तो बताओ हम लोग इलाज करवाते हैं, लेकिन वह लगातार घाव छिपाने की कोशिश में लगी रही। जानवरों की चर्बी से तैयार करते हैं घाव
हम जानना चाहते थे घाव कैसे बनाया है? इसके लिए हमने कई लोगों से संपर्क किया। लोग ऑफ कैमरा बताते हैं, यह जानवरों की चर्बी होती है। इसे बकायदा घाव जैसा डिजाइन करते हैं। इसमें सुलेशन लगा देते हैं, इसकी वजह से मक्खियां इससे दूर रहती हैं। कई बार इसके ऊपर दर्द निवारक कोई बाम लगा दिया जाता है, इससे भी मक्खियां नहीं बैठतीं और घाव ताजा नजर आता है। ये भिखारी इसे हर दिन ऐसे ही ताजा करते हैं। हनुमान मंदिर पर फिक्स भिखारी
संगम के अलावा सबसे ज्यादा भिखारी लेटे हुए हनुमान मंदिर के पास दिखाई देते हैं। यहां जो भीख मांगते हैं, वह लंबे समय से हैं। कॉरिडोर बन जाने की वजह से अब इन्हें अंदर एंट्री नहीं मिलती, इसलिए यह मंदिर से निकलने वाले रास्ते पर एक कतार में बैठे दिखाई देते हैं। जो नए भिखारी आए वह यहां दूर बैठ रहे हैं। हनुमान मंदिर के आसपास करीब 500 भिखारी बैठे नजर आते हैं। यहां नकली घाव वाले नहीं दिखते। प्रमोद यहां करीब 10 साल से भीख मांग रहे हैं। उनकी दोनों आंख नहीं है। भारी भीड़ के चलते अब उन्हें भी हटा दिया गया है। वह मंदिर से 100 मीटर दूर पर खड़े होकर भीख मांगते हैं। हमने उनसे बात की। वह कहते हैं, सुबह 8 बजे आ जाता हूं और रात में वापस जाता हूं। प्रशासन ने गेट से हटा दिया। हमने कहा भी कि हम कहां जाएं, उन्होंने कह दिया कि यहां से हटकर दूसरी तरफ चले जाओ। देवी-देवता बनकर भीख मांग रहे बच्चे
हनुमान मंदिर के आसपास तमाम बच्चे देवी-देवताओं के गेटअप में तैयार होकर भीख मांगते हैं। इसमें ज्यादातर भगवान शिव व कृष्ण बनते हैं। कई बार ये पैर पकड़ लेते हैं, जब तक पैसा नहीं मिलता तब तक छोड़ते नहीं। ऐसी ही एक लड़की सुषमा (बदला नाम) मिली। 8 साल की सुषमा, राधा बनती है। वह बताती है कि एक हफ्ते पहले प्रयागराज के ही कोरांव से आए हैं। एक घंटा तैयार होने में लगते हैं। मम्मी भी मेरी तरह तैयार होकर यही काम करती हैं। हमने पूछा-कितना पैसा मिल जाता है? वह कहती है, 500-600 रुपए मिल जाते हैं। कल 500 रुपए मिले थे। हम गंगा नदी पार कर सेक्टर 20 पहुंचे। यहां सारे प्रमुख अखाड़े हैं। यहां पीपा पुल 6 और 7 के बीच तमाम भिखारी दिखे। इसमें 50% बच्चे थे। यह सभी प्रयागराज के नहीं हैं। कुछ ही दिन पहले कुंभ में भीख मांगने के लिए आए हैं। हमने एक लड़के से पूछा-कहां से आए हो? उसने गांव का नाम जमालपुर बताया। यह गांव असल में जौनपुर में पड़ता है। इस इलाके से करीब 500 लोग कुंभ में भीख मांगने पहुंचे हैं। पुलिस हर दिन उठाकर बाहर ले जा रही
हनुमान मंदिर पर हमें संदीप मिले। संदीप दोनों पैर से दिव्यांग हैं, भीख मांगते हैं। हमने पूछा जो लोग कल थे, वह कहां गए? वह कहते हैं, रात में एक गाड़ी आई थी सबको भर ले गई। ऐसे ही हमेशा आती है, किसी को नैनी तो किसी को कहीं और छोड़ आती है। भिखारियों को हटाने के लिए पुलिस की 5 टीम बनीं
भिखारियों से कैसे निपटा जा रहा, इसकी जानकारी लेने हम मेला प्राधिकरण के दफ्तर पहुंचे। वहां हमें सीओ विनय कुमार सिंह मिले। वह कहते हैं, भिखारियों के वेरिफिकेशन और पूछताछ के लिए कुल 5 टीमें बनाई गई हैं। एक टीम में दो इंस्पेक्टर और 12 सिपाही हैं। विनय कुमार ने बताया कि भिखारियों को नैनी के वृद्धा आश्रम में करीब दो घंटे तक रखा जाता है, इस दौरान उनकी पूरी डिटेल नोट होती है। इसके बाद उन्हें वापस घर जाने के लिए कह दिया जाता है, लेकिन ज्यादातर भिखारी फिर महाकुंभ क्षेत्र में ही आ जाते हैं। महाकुंभ में दान का महत्व, इसलिए भिखारी चले आते हैं
भिखारियों के विषय में और जानकारी के लिए हम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. धनंजय चोपड़ा से मिले। वह महाकुंभ पर कई किताबें लिख चुके हैं। वह कहते हैं, महाकुंभ में स्नान, ध्यान और दान की परंपरा है, यह पूरी दुनिया में मशहूर है, यही वजह है कि इस दान की परंपरा का लाभ उठाने के लिए, बहुत सारे भिखारी व भिखारी भेष में लोग पहुंच आते हैं। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं:संगम तट पर पिंडदान किया, अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी; किन्नर अखाड़े ने पदवी दी बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। 53 साल की ममता आज सुबह ही महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने का ऐलान किया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर