लुधियाना में आम आदमी पार्टी ने प्रिंसिपल इंद्रजीत कौर को 20 फरवरी को मेयर बनाया था, लेकिन अब उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इसकी वजह लुधियाना वेस्ट से पार्टी विधायक गुरप्रीत गोगी का गुट बनना है। गोगी की 17 दिन पहले उनके घर में गोली लगने से मौत हो गई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक गोगी की मौत के बावजूद आप ने अभी तक उनके परिवार को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। उनकी पत्नी डॉ. सुखचैन कौर पति की तरह लोगों से मिल रही हैं, लेकिन उन्हें उनके पति की जगह लुधियाना वेस्ट सीट का प्रभार नहीं दिया गया है। ऐसे में गोगी के गुट को शक है कि कहीं कोई बाहरी नेता उन पर थोपा न जाए, क्योंकि यह सीट खाली घोषित हो चुकी है। ऐसे में उनका गुट चाहता है कि पार्टी गोगी की पत्नी को ही आगे करे। मेयर चुनाव के दौरान भी उनके गुट से न तो डिप्टी मेयर चुना गया और न ही सीनियर डिप्टी मेयर। मेयर की कुर्सी की दावेदार रहीं एक वरिष्ठ महिला पार्षद ने मीडिया के सामने गोगी के परिवार से साफ कहा है कि अगर पार्टी उन पर बाहरी व्यक्ति को थोपती है तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे में अगर गोगी गुट के 10 पार्षद इधर से उधर हो गए तो आप के सामने मेयर की कुर्सी जाने का संकट खड़ा हो सकता है। MLA पप्पी ने हाईकमान के दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने का हवाला दिया था फिलहाल गोगी के परिवार ने इस संबंध में पार्टी हाईकमान से कोई बात नहीं की है। इस मामले में 3 दिन पहले पत्रकारों ने विधायक अशोक पाराशर पप्पी से भी पूछा था कि पार्टी हाईकमान ने गोगी के परिवार को अभी तक कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं दी है। जिस पर विधायक पप्पी ने दिल्ली चुनाव का हवाला देते हुए कहा था कि पार्टी हाईकमान व्यस्त है। उन्होंने यह भी कहा था कि हलके की सभी बड़ी जिम्मेदारियां गोगी परिवार के पास हैं। दिल्ली चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान परिवार से जरूर मुलाकात करेगा। आम आदमी पार्टी परिवार को पूरा सम्मान देगी। 18 महीने के इंतजार के बाद मेयर का चुनाव हुआ करीब 18 महीने के इंतजार के बाद 21 दिसंबर को निगम चुनाव हुए थे। उसी दिन नतीजे भी घोषित किए गए थे। 95 वार्डों में हुए चुनाव में आप के 41 उम्मीदवार जीते, जबकि कांग्रेस के 30, भाजपा के 18, शिअद के 2 और 3 निर्दलीय उम्मीदवार जीते। कुछ जोड़-तोड़ के बाद अब आम आदमी पार्टी ने 48 पार्षदों वाले निगम में अपना मेयर बना लिया है। अब कांग्रेस के पास 26 पार्षद हैं और भाजपा के पास 18 पार्षद हैं। लुधियाना में आम आदमी पार्टी ने प्रिंसिपल इंद्रजीत कौर को 20 फरवरी को मेयर बनाया था, लेकिन अब उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इसकी वजह लुधियाना वेस्ट से पार्टी विधायक गुरप्रीत गोगी का गुट बनना है। गोगी की 17 दिन पहले उनके घर में गोली लगने से मौत हो गई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक गोगी की मौत के बावजूद आप ने अभी तक उनके परिवार को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। उनकी पत्नी डॉ. सुखचैन कौर पति की तरह लोगों से मिल रही हैं, लेकिन उन्हें उनके पति की जगह लुधियाना वेस्ट सीट का प्रभार नहीं दिया गया है। ऐसे में गोगी के गुट को शक है कि कहीं कोई बाहरी नेता उन पर थोपा न जाए, क्योंकि यह सीट खाली घोषित हो चुकी है। ऐसे में उनका गुट चाहता है कि पार्टी गोगी की पत्नी को ही आगे करे। मेयर चुनाव के दौरान भी उनके गुट से न तो डिप्टी मेयर चुना गया और न ही सीनियर डिप्टी मेयर। मेयर की कुर्सी की दावेदार रहीं एक वरिष्ठ महिला पार्षद ने मीडिया के सामने गोगी के परिवार से साफ कहा है कि अगर पार्टी उन पर बाहरी व्यक्ति को थोपती है तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे में अगर गोगी गुट के 10 पार्षद इधर से उधर हो गए तो आप के सामने मेयर की कुर्सी जाने का संकट खड़ा हो सकता है। MLA पप्पी ने हाईकमान के दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने का हवाला दिया था फिलहाल गोगी के परिवार ने इस संबंध में पार्टी हाईकमान से कोई बात नहीं की है। इस मामले में 3 दिन पहले पत्रकारों ने विधायक अशोक पाराशर पप्पी से भी पूछा था कि पार्टी हाईकमान ने गोगी के परिवार को अभी तक कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं दी है। जिस पर विधायक पप्पी ने दिल्ली चुनाव का हवाला देते हुए कहा था कि पार्टी हाईकमान व्यस्त है। उन्होंने यह भी कहा था कि हलके की सभी बड़ी जिम्मेदारियां गोगी परिवार के पास हैं। दिल्ली चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान परिवार से जरूर मुलाकात करेगा। आम आदमी पार्टी परिवार को पूरा सम्मान देगी। 18 महीने के इंतजार के बाद मेयर का चुनाव हुआ करीब 18 महीने के इंतजार के बाद 21 दिसंबर को निगम चुनाव हुए थे। उसी दिन नतीजे भी घोषित किए गए थे। 95 वार्डों में हुए चुनाव में आप के 41 उम्मीदवार जीते, जबकि कांग्रेस के 30, भाजपा के 18, शिअद के 2 और 3 निर्दलीय उम्मीदवार जीते। कुछ जोड़-तोड़ के बाद अब आम आदमी पार्टी ने 48 पार्षदों वाले निगम में अपना मेयर बना लिया है। अब कांग्रेस के पास 26 पार्षद हैं और भाजपा के पास 18 पार्षद हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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थाना सदर नवांशहर की पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार] गांव मालपुर अड़का निवासी 37 वर्षीय अवतार सिंह, अपनी 35 वर्षीय पत्नी सोनिया और 15 वर्षीय बड़ी बेटी और छोटी बेटी के साथ खुशी-खुशी रह रहा था। बुधवार की सुबह किसी कारण अवतार सिंह, उसकी पत्नी सोनिया और बड़ी बेटी घर में खाना खा रहे थे। जिन्होंने गलती से कोई जहरीला पदार्थ खा लिया, जबकि छोटी 11-12 वर्ष की लड़की स्कूल गई हुई थी। हालात बिगड़ते देख कुछ लोगों ने वर्षीय सोनिया और बड़ी बेटी को नवांशहर के एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए दाखिल करवा दिया। तीनों ने एक साथ किया था भोजन अस्पताल के मुख्य डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि सोनिया और उसकी लड़की को सुबह करीब 8:30 बजे अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा था कि दोनों ने सल्फास की दवा निगल ली थी, लेकिन काफी कोशिश के बाद भी दोनों की जान नहीं बचाई जा सकी। उन्होंने बताया कि लड़की की मौत बुधवार सुबह 10 बजे और सोनिया की मौत 12 बजे हुई थी। इसी बीच सोनिया के पति अवतार सिंह की भी हालत बिगड़ गई और उन्हें नवांशहर के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान करीब डेढ़ बजे उसकी भी मौत हो गई। अब घर में स्कूल जाने वाली 11-12 वर्ष की लड़की ही बची है। रिश्तेदारों के आने पर होगा अंतिम संस्कार थाना सदर नवांशहर के एएसआई मोहिंदर पाल ने बताया कि सोनिया और उसकी बेटी के शवों को पंडोरा मोहल्ला के श्मशान घाट में रखा गया है, जबकि अवतार सिंह के शव को सिविल अस्पताल में रखा गया है। उन्होंने बताया कि अवतार सिंह के रिश्तेदार विदेश गए हुए हैं व उनके विदेश से आने के बाद ही तीनों शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। पुलिस को सूचना मिलने के बाद तीनों मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल नवांशहर भेज दिया गया और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसकी जानकारी मिलते ही गांव और परिजनों, रिश्तेदारों में शोक की लहर है।